राज्य उपभोक्ता विवाद प्रतितोष आयोग, उ0प्र0, लखनऊ।
मौखिक
अपील संख्या-2593/2012
(जिला उपभोक्ता फोरम, इलाहाबाद द्वारा परिवाद संख्या-300/2006 में पारित प्रश्नगत निर्णय एवं
आदेश दिनांक 17.10.2012 के विरूद्ध)
अश्वनी कुमार पुत्र सुरेशपासी, निवासी मकान नं0 184/80बी/1 म्योराबाद, परगना व तहसील सदर, जनपद इलाहाबाद।
.........अपीलार्थी@परिवादी
बनाम्
1. टाटा मोटर्स लिमिटेड बाम्बे हाउस 24, होमी मोदी स्ट्रीट मुम्बई 4000 द्वारा मैनेजिंग डायरेक्टर टाटा मोटर्स लिमिटेड बाम्बे हाऊस नं0 24 होमी मोदी स्ट्रीट मुम्बई 4000 ।
2. अधिकृत डीलर टाटा डीजल्स व्हीकल्स मोटर्स लिमिटेड इलाहाबाद, वाराणसी मार्ग फाफामऊ, इलाहाबाद द्वारा निदेशक श्री अजय गुप्ता मोटर्स सेल्स लिमिटेड पैसेन्जर कार डिवीजन 5 सप्रू मार्ग कार डीलर, लखनऊ।
3. श्री पी0एल0 पाठक जनरल मैनेजर सेल्स लिमिटेड पैसेन्जर कार डिवीजन 31 महात्मा गांधी मार्ग, सिविल लाइन, इलाहाबाद।
................प्रत्यर्थीगण/विपक्षीगण।
समक्ष:-
1. माननीय श्री राम चरन चौधरी, पीठासीन सदस्य।
2. माननीय श्री राज कमल गुप्ता, सदस्य।
अपीलार्थी की ओर से उपस्थित : कोई नहीं।
प्रत्यर्थीगण की ओर से उपस्थित : कोई नहीं।
दिनांक 29.04.2015
माननीय श्री राज कमल गुप्ता, सदस्य द्वारा उदघोषित
निर्णय
यह अपील, जिला उपभोक्ता विवाद प्रतितोष फोरम, इलाहाबाद द्वारा परिवाद संख्या 300/2006 में पारित प्रश्नगत निर्णय एवं आदेश दिनांक 17.10.2012 के विरूद्ध प्रस्तुत की गई है।
अपीलकर्ता एवं प्रत्यर्थीगण की तरफ से कोई उपस्थित नहीं है। यह अपील वर्ष 2012 से निस्तारण हेतु लम्बित है। तदनुसार पीठ द्वारा जिला फोरम के निर्णय/आदेश दिनांक 17.10.2012 का अवलोकन किया गया।
संक्षेप में, केस के तथ्य इस प्रकार है कि परिवादी/अपीलकर्ता प्रश्नगत गाड़ी क्रय करने के सम्बन्ध में विपक्षी संख्या-2/प्रत्यर्थी संख्या-2 के कार्यालय गया तो उसे बताया गया कि गाड़ी की कीमत रू0 5,87,311/- है, जिसमें से उसे रू0 1,57,311/- का भुगतान नगद करना होगा, जिस पर
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परिवादी ने दिनांक 16.10.2004 को रू0 1,57,311/- का भुगतान करके उक्त गाड़ी की डिलीवरी ले ली। उसी समय परिवादी/अपीलकर्ता से सादे फार्म पर हस्ताक्षर भी करवा लिये गये, बाद में पता चला कि ऋण अनुबन्ध के अनुसार उसे रू0 4,30,000/- शेष वाहन मूल्य 2 प्रीमियम इन्श्योरेन्स रू0 36,000/- और रू0 64,500/- ब्याज कुल रू0 5,30,000/- प्रथम किस्त रू0 15,400/- की और शेष 34 किस्त रू0 15,150/- के माध्यम से अदा करनी हैं। परिवादी/अपीलकर्ता ने अन्तिम किस्त दिनांक 27.11.2005 को अदा की, गाड़ी ठीक नहीं चल रही थी, जिसकी शिकायत उसने विपक्षी संख्या-2 व 3 से की। दिनांक 02.06.2005 को गाड़ी में गड़बड़ी हो गयी तब परिवादी गाड़ी वर्कशाप में पहुँचाया जहां मार्च, 2006 तक गाड़ी खड़ी रही। विपक्षी संख्या-2 द्वारा यह आश्वासन दिया गया कि जिस दौरान गाड़ी वर्कशाप में रही, उस अवधि का ब्याज नहीं देना पड़ेगा ओर किस्तों की अदायगी की तारीख भी बढ़ जायेगी। परन्तु ठीक नहीं हो पाई, जिस पर परिवादी ने गाड़ी बदलने के लिए विपक्षीगण को नोटिस भेजा, लेकिन इस पर कोई कार्यवाही नहीं की गयी। दिनांक 25.04.2006 को विपक्षी संख्या-2 तथा उसके प्रतिनिधि द्वारा भेजी गयी नोटिस परिवादी को मिली, जिसमें रू0 1,37,152/- बकाये की मांग की गयी। गाड़ी न चलने से परिवादी को काफी नुकसान हुआ है, जो विपक्षीगण की सेवा में कमी है। इस कारण प्रश्नगत परिवाद जिला फोरम के समक्ष योजित किया गया। विपक्षी संख्या-1 पर तामील होने पर भी कोई उपस्थित नहीं आया। विपक्षी संख्या-2, 3 ने जिला फोरम के समक्ष लिखित कथन प्रस्तुत करते हुए कहा है कि उन्हें गलत पक्षकार बनाया गया है, जबकि विपक्षी संख्या-2 केवल गाडि़यो का विक्रय मात्र करता है। परिवादी द्वारा जब भी गाड़ी में खराबी की बात की गयी तो उसको ठीक कराया गया। परिवादी द्वारा बेबुनियाद तरीके से उन्हें पक्षकार बनाया गया है। अत: यह परिवाद विपक्षी को परेशान करने की नियत से योजित किया गया है, जो खारिज होने योग्य है। जिला फोरम द्वारा दोनों पक्षकारों को सुनने एवं पत्रावली का अवलोकन करने के उपरान्त परिवाद आधारहीन पाते हुए निरस्त कर दिया गया।
अपीलकर्ता अनुपस्थित हैं। आदेश पत्र दिनांक 02.05.2013 से यह स्पष्ट होता है कि अपीलकर्ता को त्रुटि निवारण हेतु समय दिया गया था, परन्तु अपीलकर्ता द्वारा आज तक त्रुटि का निवारण नहीं किया गया है। इससे पूर्व कार्यालय आख्या दिनांक 06.02.2013 से भी स्पष्ट है कि अपीलकर्ता को त्रुटि निवारण हेतु पत्रालेख भेजा गया, परन्तु उनके द्वारा त्रुटि का निवारण नहीं किया गया।
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अत: केस के तथ्य एवं परिस्थितियों को देखते हुए प्रस्तुत अपील अपीलकर्ता द्वारा त्रुटि का निराकरण न करने के कारण खारिज होने योग्य है। इसके अतिरिक्त जिला फोरम के निर्णय/आदेश दिनांकित 17.10.2012 के अवलोकन से भी हम यह पाते हैं कि जिला फोरम द्वारा पारित निर्णय/आदेश दिनांक 17.10.2012 विधिसम्मत है और उसमें हस्तक्षेप करने की कोई आवश्यकता नहीं है। तदनुसार अपील खारिज किए जाने योग्य है।
आदेश
प्रस्तुत अपील खारिज की जाती है।
उभय पक्ष अपना व्यय स्वयं वहन करेंगे।
इस निर्णय की प्रमाणित प्रतिलिपि पक्षकारों को नियमानुसार उपलब्ध करा दी जाए।
(राम चरन चौधरी) (राज कमल गुप्ता)
पीठासीन सदस्य सदस्य
लक्ष्मन, आशु0
कोर्ट-5