Uttar Pradesh

Muradabad-II

CC/33/2006

Shri Chandra Pal Singh - Complainant(s)

Versus

Tata Motors Pvt. Ltd. - Opp.Party(s)

02 Sep 2015

ORDER

District Consumer Disputes Redressal Forum -II
Moradabad
 
Complaint Case No. CC/33/2006
 
1. Shri Chandra Pal Singh
R/o Hidel Colony Majhola, Thana Majhola Distt. Moradabad
...........Complainant(s)
Versus
1. Tata Motors Pvt. Ltd.
Add:- Commercial Motors Rampur Road, Miglani Cineam, Moradabad
............Opp.Party(s)
 
BEFORE: 
 
For the Complainant:
For the Opp. Party:
ORDER

द्वारा- श्री पवन कुमार जैन - अध्‍यक्ष

  1.   इस परिवाद के माध्‍यम से परिवादी ने यह उपशम मांगा है कि विपक्षीगण को  आदेशित किया जाये कि वे खराब टायर के स्‍थान पर परिवादी को नये टायर उपलब्‍ध  कराये। विकल्‍प में परिवादी ने यह भी अनुरोध किया है कि खराब टायर देने और उनके बदले में नये टायर न देने पर क्षतिपूर्ति के रूप में परिवादी को 80,000/- रूपये दिलाऐ जायें। परिवाद व्‍यय परिवादी ने अतिरिक्‍त मांगा है।
  2.   संक्षेप में परिवाद कथन इस प्रकार हैं कि परिवादी ने विपक्षी सं0-3 के माध्‍यम  से एक चार पहिया वाहन पिकअप‍ दिनांक 31/03/2005 को विपक्षी सं0-2 से खरीदा था। विपक्षी सं0-1 इस वाहन का फाईनेन्‍सर था। यह कि गाड़ी के टायर में कुछ  त्रुटि उत्‍पन्‍न हो गई जिसे विपक्षी सं0-2 व 3 बदलने के लिए तैयार नहीं हुऐ।  दिनांक 13/06/2005 को उन्‍होंने परिवादी से उक्‍त टायर प्राप्‍त  कर  लिया।  परिवादी  के अनुसार थोड़े समय बाद गाड़ी के दूसरे टायर में त्रुटि उत्‍पन्‍न हुई जिसे विपक्षी  सं0-2 के निर्देश पर विपक्षी सं0-3 को परिवादी से प्राप्‍त किया। उक्‍त दोनों खराब टायर विपक्षी सं0-2 व 3 ने नहीं बदले। टायर उनके पास हैं। परिवादी ने दिनांक 20/12/2005 को अपने अधिवक्‍ता के माध्‍यम से एक कानूनी नोटिस  विपक्षी सं0-2 व 3 को दिया। इसके बावजूद परिवादी के टायर नहीं बदले गऐ। परिवादी के अनुसार फोरम के समक्ष परिवाद योजित करने के अतिरिक्‍त परिवादी  के पास कोई विकल्‍प नहीं है। परिवादी ने परिवाद में अनुरोधित अनुतोष दिलाऐ  जाने की प्रार्थना की।
  3.   परिवाद के साथ परिवादी ने विपक्षी सं0-1, 2 व 3 को भेजे गऐ कानूनी नोटिस की कार्बन प्रति तथा नोटिस भेजे जाने की डाकखाने की मूल रसीदों को  दाखिल किया, यह प्रपत्र पत्रावली के कागज सं0- 4/1 लगायत 4/2 हैं।
  4.   विपक्षी सं0-1, 2 व 3 की ओर से प्रतिवाद पत्र कागज सं0-16/1 लगायत  16/4 दाखिल किया गया। प्रतिवाद पत्र में यह तो स्‍वीकार किया गया कि विपक्षी सं0-1 द्वारा किऐ गये फाईनेन्‍स के आधार पर परिवादी ने विपक्षी सं0-2 से  पिकअप गाड़ी मॉडल सं0-डी0आई0/207 दिनांक 31/03/2005 को खरीदी थी किन्‍तु शेष  परिवाद कथनों से इन्‍कार किया गया। विशेष कथनों में उत्‍तरदाता विपक्षीगण 1 लगायत 3 की ओर से कहा गया कि परिवादी को  बेचे गये वाहन में लगे टायरों  की वारण्‍टी उत्‍तरदाता विपक्षीगण की नहीं थी। टायरों की वारण्‍टी उनके मैनुफेक्‍चर करने वाली कम्‍पनी की थी जैसा कि वारण्‍टी की शर्त सं0-4 में उल्‍लेख है।  उत्‍तरदाता विपक्षीगण 1 लगायत 3 की ओर से अग्रेत्‍तर कथन किया गया कि  परिवादी ने टायर के सम्‍बन्‍ध में उनसे जो शिकायत की थी उसके बारे में उन्‍होंने अपोलो टायर इंडिया लि0, डीलर एफ0-5 व 6 छीबरीनाथ मन्दिर काम्‍पलैक्‍स नैनीताल रोड, बरेली विपक्षी सं0-4 को बता दिया था  और  शिकायत/क्‍लेम के सम्‍बन्‍ध में विधिवत् पत्रों द्वारा विपक्षी सं0-4 को सूचित भी कर दिया था। उत्‍तरदाता विपक्षीगण 1 लगायत 3 के  अनुसार परिवादी को विपक्षी सं0-4 से सम्‍पर्क करना चाहिए था, टायर बदलने की  उत्‍तरदाता विपक्षीगण 1 लगायत 3 की कोई जिम्‍मेदारी नहीं है। उत्‍तरदाता विपक्षीगण 1 लगायत 3 के अनुसार उनके विरूद्ध परिवादी को कोई वाद हेतुक उत्‍पन्‍न नहीं हुआ, उन्‍हें अनावश्‍यक पक्षकार बनाया गया है तथा फोरम को परिवाद की सुनवाई  का क्षेत्राधिकार नहीं है। परिवाद को उन्‍होंने सव्‍यय खारिज किऐ जाने की प्रार्थना की।

 

5  विपक्षी सं0-1 लगायत 3 ने प्रतिवाद पत्र के साथ परिवादी को बेचे गये वाहन  की वारण्‍टी की शर्तों तथा परिवादी से प्राप्‍त डिफेक्टिव टायरों को विपक्षी सं0-4  को प्रेषित किऐ  गऐ रेफरल फार्म दिनांकित 13/06/2005 एवं 09/12/2005 की नकलों को संलग्‍नक के रूप में दाखिल किया गया है। वारण्‍टी  की नकल तथा  उपरोक्‍त रेफरल फार्म की नकलें पत्रावली के क्रमश: कागज सं0- 16/5, 16/6 तथा  16/7 हैं।

6  फोरम के आदेश दिनांक 30/05/2012 के अनुपालन में विपक्षी सं0-4 को  पक्षकार बनाया गया है। विपक्षी सं0-4 की ओर से प्रतिवाद पत्र कागज सं0-37/1  लगायत 37/3 दाखिल किया गया। विपक्षी सं0-4 की ओर से प्रतिवाद पत्र में कहा  गया कि परिवादी ने प्रश्‍नगत वाहन व्‍यापारिक उद्देश्‍यों के लिए खरीदा था अत: फोरम  को परिवाद की सुनवाई का क्षेत्राधिकार नहीं है। डिफेक्टिव टायरों के सन्‍दर्भ में  कहा  गया कि न तो कथित डिफेक्टिव टायरों को उत्‍तरदाता विपक्षी सं0-4 के पास भेजा गया और न कथित डिफेक्‍टस के सम्‍बन्‍ध में किसी एक्‍सपर्ट की कोई रिपोर्ट परिवादी ने दाखिल की, ऐसी दशा में परिवाद चलने योग्‍य नहीं है। अग्रेत्‍तर कथन किया कि  टायरों में कथित त्रुटियां निर्माण सम्‍बन्‍धी दोष नहीं है । परिवादी और विपक्षी सं0-  2 व 3 के मध्‍य अभिकथित टायरों के सन्‍दर्भ में क्‍या वार्ता अथवा लिखा-पढ़ी हुई  इसकी उत्‍तरदाता विपक्षी को कोई जानकारी नहीं है। उत्‍तरदाता विपक्षी सं0-4 ने  परिवाद को सव्‍यय खारिज किऐ जाने की प्रार्थना की।

7  परिवादी ने अपना साक्ष्‍य शपथ पत्र कागज सं0-21/1 लगायत 21/2 दाखिल किया, उसने अतिरिक्‍त साक्ष्‍य शपथ पत्र कागज सं0-37/1 लगायत 37/2 भी  दाखिल  किया। किसी भी विपक्षी ने अवसर दिऐ जाने के बावजूद साक्ष्‍य दाखिल नहीं किया। फोरम के आदेश दिनांक 28/04/2015 द्वारा विपक्षीगण का साक्ष्‍य प्रस्‍तुत करने का  अवसर समाप्‍त किया गया।

8  परिवादी, विपक्षी सं0-1 लगायत 3 और विपक्षी सं0-4  ने अपने-अपने  लिखित तर्क दाखिल किऐ।

9   दिनांक 07/08/2015 को पत्रावली बहस हेतु नियत थी उस दिन परिवादी के  विद्वान अधिवक्‍ता के तर्क सुने गये और विपक्षीगण की बहस हेतु दिनांक 19/08/2015 निर्धारित की गई। दिनांक 19/08/2015 को विपक्षीगण की ओर से  कोई बहस नहीं की गई।

10  हमने परिवादी पक्ष की  ओर से प्रस्‍तुत तर्कों एवं पक्षकारों की ओर से दाखिल लिखित तर्कों के प्रकाश में पत्रावली पर  उपलब्‍ध साक्ष्‍य सामग्री का अवलोकन किया।

11  परिवादी के विद्वान अधिवकता का तर्क हैं कि विपक्षी सं0-2 से उसने परिवाद के पैरा सं0-1 में उल्लिखित वाहन दिनांक 31/03/2005 को खरीदा था। कुछ दिन बाद इसके एक टायर में त्रुटि आई, उस टायर को परिवादी ने विपक्षी सं0-2 को  प्राप्‍त करा दिया, थोड़े दिन बाद एक और टायर में त्रुटि उत्‍पन्‍न हुई उसे भी परिवादी  ने विपक्षी सं0-2 को प्राप्‍त करा दिया। परिवादी के अनुसार यह टायर ‘’ अपोलो टायर लिमिटेड ’’ कम्‍पनी के थे। फोरम के आदेश पर उसने अपोलो टायर लिमिटेड के बरेली स्थित डीलर को भी पक्षकार बना दिया। बार-बार अनुरोध करने और कानूनी नोटिस देने के बावजूद परिवादी के वाहन के त्रुटिपूर्ण टायर विपक्षीगण ने नहीं बदले और ऐसा करके सेवा प्रदान करने में कमी की। परिवादी ने परिवाद कथनों को अपने साक्ष्‍य शपथ पत्र के माध्‍यम से पुष्‍ट किया है।

12   विपक्षीगण ने अवसर दिऐ जाने के बावजूद साक्ष्‍य के रूप में कोई साक्ष्‍य शपथ पत्र दाखिल नहीं किया। उन्‍होंने अपने-अपने प्रतिवाद पत्र दाखिल किऐ हैं। विपक्षी सं0-1 लगायत 3 के अनुसार टायर अपोली कम्‍पनी के थे।  विपक्षी सं0-4 ने अपने प्रतिवाद पत्र में इस तथ्‍य से इन्‍कार नहीं किया है कि परिवादी द्वारा दिनांक 31/03/2005 को खरीदे गऐ वाहन में लगे हुऐ टायर अपोलो कम्‍पनी के थे। प्रमाणित है कि परिवाद में जिन त्रुटिपूर्ण टायरों का जिक्र है वे अपोलो टायर लिमिटेड कम्‍पनी  के थे।

13   पत्रावली में अवस्थित वारण्‍टी कार्ड की फोटो प्रति कागज सं0-16/5 के अवलोकन से प्रकट है कि विपक्षी सं0-1 लगायत 3 द्वारा उपरोक्‍त टायरों की कोई वारण्‍टी परिवादी को नहीं दी गई थी। वारण्‍टी की शर्त सं0-4 के अनुसार इन टायरों की वारण्‍टी ‘’ अपोलो टायर लिमिटेड ’’ की थी। विपक्षी सं0-1 लगायत 3 के प्रतिवाद पत्र के साथ दाखिल रेफरल फार्म कागज सं0-16/6 एवं 16/7 के अवलोकन से प्रकट है कि पहले टायर की परिवादी ने कम्‍पलैण्‍ट दिनांक 13/06/2005 को की और दूसरी टायर की कम्‍पलैंण्‍ट उसके द्वारा दिनांक 09/12/2005 को की गई। दिनांक 13/06/2005 की कम्‍पलैण्‍ट में इस बात का जिक्र है कि टायर बीच से क्रेक हो गया है। दिनांक 09/12/2005 को की गई कम्‍पलैण्‍ट में उल्‍लेख है कि टायर नीचे की तरफ से क्रेक हो रहा है। इन दोनों टायरों को विपक्षी सं0-2 द्वारा परिवादी से प्राप्‍त  किऐ जाने का भी उल्‍लेख है। इन रेफरल फार्मों में यह भी उल्‍लेख है कि विपक्षी सं0-2 ने परिवादी की कम्‍पलैण्‍ट विपक्षी सं0-4 को भेज दी थी और विपक्षी सं0-4 से यह अनुरोध किया था कि  परिवादी की कम्‍पलैण्‍ट को गम्‍भीरता से लिया जाय। इन तथ्‍यों के दृष्टिगत विपक्षी सं0-4 की लिखित बहस में किये गऐ यह कथन स्‍वीकार किऐ  जाने योग्‍य नहीं है कि विपक्षी सं0-4 को डिफेक्टिव टायर उपलब्‍ध नहीं हुऐ थे और  उन्‍हें टायरों में उत्‍पन्‍न डिफेक्‍टस की कोई जानकारी नहीं थी। नई​ गाडि़यों में  डिफेक्टिव टायर लगाया जाना एक गम्‍भीर विषय है। टायर की निर्माता कम्‍पनी को चाहिऐ था कि वे जैसे ही उन्‍हें टायरों में डिफेक्‍ट की जानकारी हुई थी, परिवादी की  समस्‍या का समुचित एवं युक्तियुक्‍त निदान करते, किन्‍तु उन्‍होंने ऐसा नहीं किया  और ऐसा न करके उन्‍होंने सेवा प्रदान करने में कमी एवं लापरवाही की।

14  विपक्षी सं0-4 की ओर से लिखित बहस में यह आपत्ति उठाई है कि परिवादी द्वारा खरीदी गई पिकअप व्‍यापारिक उद्देश्‍यों के लिए थी।  अत: फोरम को परिवाद की सुनवाई का क्षेत्राधिकार नहीं है, अपने इस कथन के समर्थन में  उन्‍होंने मा0 राष्‍ट्रीय उपभोक्‍ता विवाद प्रतितोष आयोग, नई दिल्‍ली द्वारा निगरानी सं0- 2483/2007, एम0एल0 अग्रवाल बनाम अपोलो टायर लिमिटेड के मामले में दिनांक 19/08/2011 को  पारित निर्णय का अवलम्‍ब लिया। इस निर्णय की प्रति का कागज सं0-37/5 लगायत 37/6 है। हमने इस निर्णय का अवलोकन किया। इस निर्णय के तथ्‍य और वर्तमान मामले के तथ्‍य सर्वथा भिन्‍न हैं अत: एम0एल0  अग्रवाल के मामले में मा0 राष्‍ट्रीय उपभोक्‍ता विवाद प्रतितोष आयोग, नई दिल्‍ली द्वारा दिया गया उक्‍त निर्णय वर्तमान मामले में विपक्षी सं0-4 के लिए सहायक नहीं है। एम0एल0 अग्रवाल के मामले में तथ्‍य यह थे कि परिवादी ने एक साथ 12  टायर खरीदे थे जिसके आधार पर मा0 राष्‍ट्रीय उपभोक्‍ता विवाद प्रतितोष आयोग, नई दिल्‍ली द्वारा यह निष्‍कर्षित किया गया कि एक साथ 12 टायर खरीदा जाना व्‍यापारिक ट्रांजक्‍शन है जिस कारण परिवादी ‘’ कन्‍ज्‍यूमर ‘’ की परिभाषा में नहीं आता। वर्तमान मामले में ऐसा नहीं है। परिवादी ने नई  पिकअप खरीदी थी जिसमें लगे हुऐ टायरों में डिफेक्‍टस  आये थे। कदाचित परिवादी द्वारा पिकअप को व्‍यापारिक उद्देश्‍य के लिए खरीदा जाना अथवा पिकअप का व्‍यापारिक उद्देश्‍यों के लिए संचालित किया जाना प्रमाणित नहीं है। क्षेत्राधिकार सम्‍बन्‍धी  विपक्षी द्वारा उठाई गई आपत्ति में हम कोई बल नहीं पाते। पत्रावली पर जो साक्ष्‍य सामग्री उपलब्‍ध है उसके आधार पर हम इस निष्‍कर्षपर पहुँचे हैं कि परिवादी के दोनों त्रुटिपूर्ण टायरों को बदलने और परिवादी की शिकायतों का निदान करने की जिम्‍मेदारी विपक्षी सं0-4 की थी, किन्‍तु  विपक्षी सं0-4 ने न तो टायर बदले और न परिवादी की शिकायतों का निवारण किया और ऐसा करके उन्‍होंने गम्‍भीर लापरवाही बरती और सेवा में कमी की। हम इस मत के हैं कि अपोलो टायर लिमिटेड –विपक्षी सं0-4 को आदेशित किया जाये कि  वे दोनों डिफेक्टिव टायरों के बदले परिवादी को एक माह के भीतर नये टायर उपल्‍बध  करायें। हमारा यह भी मत है कि परिवादी को हुऐ मानसिक कष्‍ट एवं अनावश्‍यक  परेशानी की प्रतिपूर्ति हेतु विपक्षी सं0-4 से परिवादी को क्षतिपूर्ति की मद में एकमुशत 20,000/- रूपये और परिवाद व्‍यय की मद में 2,500/- रूपये अतिरिक्‍त दिलाऐ जाऐ। परिवाद तदानुसार स्‍वीकार होने योग्‍य है।

 

 

  अपोलो टायर लिमिटेड – विपक्षी सं0-4 को आदेशित किया जाता है कि वे आज  की तिथि से एक माह के भीतर परिवादी को डिफेक्टिव टायरों के बदले नये टायर उपलब्‍ध करायें। उक्‍त के अतिरिक्‍त परिवादी को क्षतिपूर्ति के रूप में 20,000/- (बीस हजार रूपया केवल) और परिवाद व्‍यय के रूप में 2,500/- (दो हजार पाँच सौ रूपया केवल) विपक्षी सं0-4 द्वारा अतिरिक्‍त अदा किऐं जायेगें। इस धनराशि का भुगतान भी एक माह में किया जाये। परिवाद तदानुसार स्‍वीकार किया जाता है।    

 

    (श्रीमती मंजू श्रीवास्‍तव)   (सुश्री अजरा खान)    (पवन कुमार जैन)

          सदस्‍य               सदस्‍य              अध्‍यक्ष

  •     0उ0फो0-।। मुरादाबाद    जि0उ0फो0-।। मुरादाबाद  जि0उ0फो0-।। मुरादाबाद

     02.09.2015           02.09.2015        02.09.2015

  हमारे द्वारा यह निर्णय एवं आदेश आज दिनांक 02.09.2015 को खुले फोरम में हस्‍ताक्षरित, दिनांकित एवं उद्घोषित किया गया।

 

     (श्रीमती मंजू श्रीवास्‍तव)   (सुश्री अजरा खान)    (पवन कुमार जैन)

          सदस्‍य               सदस्‍य              अध्‍यक्ष

  •     0उ0फो0-।। मुरादाबाद    जि0उ0फो0-।। मुरादाबाद  जि0उ0फो0-।। मुरादाबाद

     02.09.2015           02.09.2015        02.09.2015

 

 

 

 

 

 

 

 

 

 

 

Consumer Court Lawyer

Best Law Firm for all your Consumer Court related cases.

Bhanu Pratap

Featured Recomended
Highly recommended!
5.0 (615)

Bhanu Pratap

Featured Recomended
Highly recommended!

Experties

Consumer Court | Cheque Bounce | Civil Cases | Criminal Cases | Matrimonial Disputes

Phone Number

7982270319

Dedicated team of best lawyers for all your legal queries. Our lawyers can help you for you Consumer Court related cases at very affordable fee.