(मौखिक)
राज्य उपभोक्ता विवाद प्रतितोष आयोग, उ0प्र0, लखनऊ।
अपील सं0 :-366/2016
(जिला उपभोक्ता आयोग, महराजगंज द्वारा परिवाद सं0-93/2014 में पारित निर्णय/आदेश दिनांक 17/06/2015 के विरूद्ध)
Mewa Lal Agrahari, S/O Late Ram Murat Agrahari R/O Maupakar, post Maharajganj, Tehsil Sadar, Distt maharajganj
- Appellant
Versus
- Tata Motors Pvt. Ltd., college road, Maupakar, Distt maharajganj through its branch Manager.
- Tata Motors, Tower 2A-B2 Floor, 481, senapati bapat marg, Jupiter mills compound, Elphinstone road, west Mumbai-400013
- Respondents
समक्ष
- मा0 श्री सुशील कुमार, सदस्य
- मा0 श्री विकास सक्सेना, सदस्य
उपस्थिति:
अपीलार्थीगण की ओर से विद्वान अधिवक्ता:- श्री अम्बरीश कौशल
प्रत्यर्थीगण की ओर से विद्वान अधिवक्ता:-श्री राजेश चड्ढा
दिनांक:-16.12.2022
माननीय श्री विकास सक्सेना, सदस्य द्वारा उदघोषित
निर्णय
जिला उपभोक्ता आयोग द्वारा परिवाद सं0 93/2014 मेवालाल बनाम टाटा मोटर्स व अन्य में पारित निर्णय एवं आदेश दिनांक 17.06.2015 के विरूद्ध यह अपील दिनांक 29.02.2016 को प्रस्तुत की गयी है। देरी माफ करने के लिए आवेदन सं0 6 प्रस्तुत किया गया है, जिसके पैरा सं0 2 में यह उल्लेख है कि दिनांक 17.07.2015 से दिनांक 30.01.2016 तक अपीलार्थी नेपाल स्थित एवर ग्रीन हॉस्पिटल में भर्ती रहा। इस तथ्य की पुष्टि में शपथ पत्र प्रस्तुत किया गया है, साथ ही अस्पताल द्वारा जारी एक सर्टिफिकेट भी दाखिल किया गया है जो दस्तावेज सं0 8 है। इस दस्तावेज के अवलोकन से जाहिर होता है कि अपीलार्थी कभी भी इस अस्पताल में आवेदन में वर्णित अवधि के दौरान भर्ती नहीं रहा, जबकि आवेदन में लगातार भर्ती रहने का उल्लेख किया गया है और इस तथ्य की पुष्टि शपथ पत्र से की गयी है। अत: आवेदन में वर्णित तथ्य, शपथ पत्र एवं प्रमाण पत्र विरोधाभासी हैं, इसलिए देरी माफ करने का जो आधार लिया गया है वह स्थापित नहीं है, फिर यह भी कि जब समय की गणना एक बार प्रारंभ हो जाती है तब मध्य की कोई बाधा समय की गणना को समाप्त होने से नहीं रोक सकती है। अत: इस आधार पर भी देरी माफ करने का कोई औचित्य नहीं है क्योंकि निर्णय दिनांक 17.06.2015 में पारित हो चुका है। अत: देरी माफ करने का कोई औचित्य नहीं है। अत: आवेदन खारिज किये जाने योग्य है। तदनुसार अपील कालबाधित होने के कारण निरस्त होने योग्य है।
-
- कालबाधित होने के कारण निरस्त की जाती है।
आशुलिपिक से अपेक्षा की जाती है कि वह इस निर्णय/आदेश को आयोग की वेबसाइट पर नियमानुसार यथाशीघ्र अपलोड कर दें।
(विकास सक्सेना)(सुशील कुमार)
सदस्य सदस्य
संदीप आशु0 कोर्ट 2