Uttar Pradesh

StateCommission

C/2011/68

Raj Kumari - Complainant(s)

Versus

Tata Motors Finance Ltd - Opp.Party(s)

Mohd Tariq Iqbal

03 Mar 2015

ORDER

STATE CONSUMER DISPUTES REDRESSAL COMMISSION, UP
C-1 Vikrant Khand 1 (Near Shaheed Path), Gomti Nagar Lucknow-226010
 
Complaint Case No. C/2011/68
 
1. Raj Kumari
a
...........Complainant(s)
Versus
1. Tata Motors Finance Ltd
a
............Opp.Party(s)
 
BEFORE: 
 HON'BLE MR. Chandra Bhal Srivastava PRESIDING MEMBER
 HON'BLE MR. Sanjay Kumar MEMBER
 
For the Complainant:
For the Opp. Party:
ORDER

सुरक्षित

राज्य उपभोक्ता विवाद प्रतितोष आयोग, उ0प्र0

परिवाद संख्या 68 सन 2011

 

राजकुमारी पत्नी श्री गोविन्द कुमार गुप्ता, निवासी मकान नम्बर 516 नई बस्ती, थाना कोतवाली, लखीमपुर खीरी। ...........                         परिवादिनी

बनाम

टाटा मोटर फाइनेंस लि0 लख्नऊ शाखा 304, चिनहट हाउस, तृतीय तल, 16, स्टेशन रोड, लख्नऊ एवं अन्......                                    विपक्षीगण

 

समक्ष:-

1    मा0   श्री चन्द्र भाल श्रीवास्तव,  पीठासीन  सदस्य।

2    मा0    श्री संजय कुमार, सदस्य।

 

परिवादिनी की ओर से                           कोई नहीं ।

प्रत्यर्थी की ओर से विद्वान अधिवक्त    श्री राजेश चडढा।

 

दिनांक:  03-08-15

श्री चन्द्रभाल श्रीवास्तव, सदस् (न्यायिक) द्वारा उदघोषित

निर्णय

        यह परिवाद, परिवादिनी द्वारा इन उपबन्धों के सथ प्रस्तुत किया है कि परिवादिनी वाहन संख्या यू0पी0 31 टी,1701 (एनजीवी) की स्वामिनी है। उक्त मोटर, टाटा मोटर फाइनेंस से फाइनेंस कराकर क्रय किया गया था। परिवादिनी द्वारा कई किस्तें जमा की गयी इसके बावजूद विपक्षीगण द्वारा प्रश्नगत वाहन को अपने कब्जे में ले लिया गया । परिवादिनी ने निम्नलिखित अनुतोष चाहा है:-

  1. विपक्षी को यह निर्देश दिया जाए कि वह 77000.00 रू0 की धनराशि वापस करे, जिसका अधिक भुगतान परिवादिनी द्वारा किया गया है।
  2. सेवा में कमी हेतु परिवादिनी को 25 लाख रू0 क्षतिपूर्ति दिलायी जाए।
  3. मानसिक उत्पीड़न हेतु 5 लाख रू0 क्षतिपूर्ति दिलायी जाए।
  4. वाद व्यय के रूप में 50 हजार रू0 दिलाए जायें।
  5. अन्य कोई अनुतोष ।

 

विपक्षी के विद्वान अधिवक्ता का मुख्य तर्क यह है कि परिवादिनी द्वारा इस परिवाद का मूल्यांकन जानबूझ कर अधिक किया गा है जिससे कि यह परिवाद राज्य आयोग के क्षेत्राधिकार में दाखिल किया जा सके।  परिवादिनी ने अपने अनुतोष  (1) में मात्र 77 हजार रू0 के रिफण्ड की बात कही है, जिसका आर्थिक क्षेत्राधिकार जिला फोरम को है।  उसने केवल मूल्यांकन के उददेश्य से 30 लाख रू0 क्षतिपूर्ति तथा 50 हजार रू0 वाद व्यय की याचना की है, जोकि 77 हजार रू0 के मूल अनुतोष के सापेक्ष असंगत प्रतीत होती है।

      विद्वान अधिवक्ता ने अपने तर्क के समर्थन में मा0 राष्ट्रीय उपभोक्ता आयोग द्वारा 93 सन 2012 किशोरी लाल बादलानी बनाम मै0 आदित्य इण्टरप्राइजेज एवं अन्य में पारित निर्णय दिनांक 29.5.2012 एवं परिवाद संख्या 135/11 रमेश कुमार सिहान हंस बनाम गोयल आई इंस्टीटयूट एवं अन्य में पारित निर्णय दिनांक 30.3.2012, जिसमें मा0 राष्ट्रीय आयोग द्वारा परिवाद के मूल्यांकन के सिद्धांतों की विवेचना की गयी है और यह अभिमत व्यक्त किया गया है कि किसी भी व्यक्ति को यह छूट नहीं दी जा सकती है कि वह मनमाने ढंग से परिवाद का मूल्यांकन करे।

                  उपर्युक्त सम्मानित विधि व्यवस्थाओं के प्रकाश में हम यह पाते हैं कि परिवाद का मुख्य आदेश मात्र 77 हजार रू0 का है जबकि परिवादिनी ने 30 लाख रू0 क्षतिपूर्ति चाही है जिससे स्पष्ट होता है कि अत्याधिक क्षतिपूर्ति परिवाद को राज्य आयोग के क्षेत्राधिकार में लाने हेतु किया गया है।

      परिणामत:, हम इस निष्कर्ष पर पहुंचते हैं कि यह परिवाद राज्य आयोग में अवधारणीय नही है और संबंधित जिला फोरम में परिवाद दाखिल किए जाने हेतु यह परिवाद वापस किया जाना न्यायोचित होगा ।

आदेश

प्रस्तुत परिवाद राज्य आयोग में अवधारणीय न पाते हुए सक्षम जिला उपभोक्ता फोरम में नियमानुसार प्रस्तुत करने हेतु वापस किया जाता है।

इस निर्णय की प्रमाणित प्रति नियमानुसार पक्षकारों को उपलब्ध करा दी जाए ।

             

 

 (चन्द्र भाल श्रीवास्तव)                             (संजय कुमार)

पीठा0 सदस् (न्यायिक)                                                  सदस्

       कोर्ट-2

(S.K.Srivastav,PA)

 

 

 

 
 
[HON'BLE MR. Chandra Bhal Srivastava]
PRESIDING MEMBER
 
[HON'BLE MR. Sanjay Kumar]
MEMBER

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