Chhattisgarh

Bilaspur

CC/13/57

SHRI RAVI KUMAR JANGADE - Complainant(s)

Versus

TATA MOTORS FINANCE LTD. - Opp.Party(s)

SHRI D.R. SHANDEY

18 Mar 2015

ORDER

District Consumer Dispute Redressal Forum
Bilaspur (C.G.)
Judgement
 
Complaint Case No. CC/13/57
 
1. SHRI RAVI KUMAR JANGADE
VILLAGE- KORMI POST- DONGARI
JANJGIR
CHHATTISGARH
...........Complainant(s)
Versus
1. TATA MOTORS FINANCE LTD.
RING ROAD NO.-2 SHANTI NAGR BILASPUR
BILASPUR
CHHATTISGARH
............Opp.Party(s)
 
BEFORE: 
 HON'BLE MR. ASHOK KUMAR PATHAK PRESIDENT
 HON'BLE MR. PRAMOD KUMAR VARMA MEMBER
 
For the Complainant:
SHRI D.R. SHANDEY
 
For the Opp. Party:
ABSENT
 
ORDER

// जिला उपभोक्‍ता विवाद प्रतितोषण फोरम,बिलासपुर छ.ग.//

 

                                                                           प्रकरण क्रमांक cc/2013/57

                                                                         प्रस्‍तुति दिनांक 13/03/2013

 

 रवि कुमार जांगडे,

 उम्र 25 वर्ष आ. श्री गोपाल जांगडे

 ग्राम कोरमी पो; डोंगरी तहसील बलौदा

 जिला जांजगीर चांपा  छ.ग.                                           ......आवेदक/परिवादी

                    विरूद्ध

 

  टाटा मोटर्स फाइनेंस लिमिटेड

  प्रथम मंजिल एस.बी. आई.बैंक के उपर में जीवन बिल्डिंग

  सिद्ध शिखर अपार्टमेंट के बाजू में

  रिंगरोड नंबर 02 शांतिनगर

  जिला बिलासपुर छ.ग.                               .........अनावेदक/विरोधीपक्षकार

 

                         आदेश

          (आज दिनांक 18/03/2015 को पारित)

 

१. आवेदक रवि कुमार ने उपभोक्‍ता संरक्षण अधिनियम 1986 की धारा 12 के अंतर्गत यह परिवाद अनावेदक  टाटा मोटर्स फाइनेंस लिमिटेड के विरूद्ध कदाचरण का व्‍यवसाय कर सेवा में कमी के लिए पेश किया है और अनावेदक टाटा मोटर्स फाइनेंस लिमिटेड  से 12,80,000/रू. क्षतिपूर्ति  दिलाए जाने का निवेदन किया है ।

2. परिवाद के तथ्‍य संक्षेप में इस प्रकार है कि आवेदक दिनांक 08.05.2009 को अनावेदक टाटा मोटर्स फाइनेंस लिमिटेड से 14,88,000/- रू. ऋण लेकर एक वाहन एच.जी.व्‍ही; टीपर क्रमांक सी.जी.11 ए.बी. 0869 क्रय किया और डाउन पेमेंट के रूप में 3,75,000/.रू. नगद जमा किया । अनावेदक से लिये गये ऋण को 45 किश्‍तों में ब्‍याज सहित 19,49,746/- रू. जमा करना था, जिसमें से आवेदक, अनावेदक को 11,22,000/.रू. अदा कर चुका है । आगे कहा गया है कि वाहन के दुर्घटनाग्रस्‍त होने से वह कुछ समय तक किश्‍त जमा नहीं कर सका, जिसकी मौखिक जानकारी उसके द्वारा अनावेदक के कार्यालय जाकर दी गई, फिर भी दिनांक 12/01/2012 को जब वाहन कार्य से मस्‍तूरी लाया गया था, तभी अनावेदक के दो आदमी वाहन चालक को डरा-धमका कर चाबी ले लिये और वाहन को चलाते हुए ले जाकर अनावेदक के कब्‍जे में सौंप दिये, जिसकी सूचना आवेदक द्वारा थाना मस्‍तूरी में दी गई, किंतु वहां कोई कार्यवाही नहीं की गई । यह कहा गया है कि अनावेदक द्वारा वाहन को खींचने से पूर्व उसे कोई सूचना नहीं दी गई और न ही बाद में कोई सूचना दी गई । आवेदक द्वारा अनावेदक को अपने अधिवक्‍ता जरिये विधिवत् सूचना दी गई, अनावेदक से संपर्क भी किया, किंतु उसके द्वारा 12,10,697/.रू. एकमुश्‍त जमा कर गाडी ले जाने की बात कही गई । अत: यह अभिकथित करते हुए कि अनावेदक का  कृत्‍य व्‍यवसायिक कदाचरण की श्रेणी में आता है और उसके इस कृत्‍य के कारण उसे 10,80,000/-रू. का नुकसान हुआ । अत: 2,00,000/-रू. की क्षतिपूर्ति सहित उक्‍त रकम दिलाए जाने हेतु यह परिवाद पेश करना बताया गया है ।

3. अनावेदक टाटा मोटर्स फाइनेंस लिमिटेड नोटिस तामिली उपरांत भी उपस्थित नहीं हुआ। अत: उसके विरूद्ध एकपक्षीय कार्यवाही की गई । 

4. अनावेदक के एकपक्षीय होने के कारण आवेदक अधिवक्‍ता का तर्क सुना गया । प्रकरण का अवलोकन किया गया ।

5. देखना यह है कि क्‍या आवेदक, अनावेदक  से वांछित अनुतोष प्राप्‍त करने का अधिकारी है ।

                      सकारण निष्‍कर्ष

6. आवेदक अपने परिवाद के समर्थन में स्‍वयं के शपथपत्र के साथ लोन स्‍नैप शॉट, वाहन का टैक्‍स इनवाईस, किश्‍त की राशि पटाने की रसीदें तथा अनावेदक को भेजी गयी पंजीकृत सूचनापत्र एवं पावती की कॉपी पेश किया है, जिनका खंडन करने के लिए अनावेदक प्रकरण में उपस्थि‍त नहीं हुआ । फलस्‍वरूप आवेदक द्वारा प्रस्‍तुत शपथपत्र एवं दस्‍तावेजों के अवलोकन से यह स्‍पष्‍ट होता है कि वह अनावेदक से 14,88,000/.रूपये ऋण लेकर एक वाहन टीपर क्रय किया, जिसके लिए उसके द्वारा 3,75,000/.रूपये डाउन पेमेंट किया गया एवं विभिन्‍न किश्‍तों के जरिये उसके द्वारा अनावेदक को 11,22,000/. रूपये अदा किया जा चुका है, फिर भी अनावेदक दिनांक 12/01/2012 को मस्‍तूरी से उसके वाहन को जबरन् आदमी भेजकर उठवा लिया तथा इस बाबत् उसे कोई पूर्व सूचना नहीं दी गई और न ही गाडी खींचने उपरांत कोई सूचना दी गई ।  अनावेदक का यह कृत्‍य स्‍पष्‍ट रूप से  व्‍यवसायिक कदाचरण की श्रेणी में आता है । अत: आवेदक के शपथपत्र एवं दस्‍तावेजों से समर्थित परिवाद पर अविश्‍वास किये जाने का कोई कारण नहीं पाया जाता।

7. फलस्‍वरूप हम इस निष्‍कर्ष पर पहुंचते हैं कि  आवेदक मामले में अनावेदक द्वारा व्‍यवसायिक कदाचरण कर सेवा में कमी किये जाने का तथ्‍य प्रमाणित करने में सफल रहा है । अत:  हम आवेदक के पक्ष में अनावेदक के विरूद्ध निम्‍न आदेश पारित करते हैं :-

अ. अनावेदक, आवेदक को आदेश दिनांक से एक माह की अवधि के भीतर उसके द्वारा जमा किये गये डाउन पेमेंट की रा‍शि 3,75,000/- रू.(तीन लाख पचहत्तर हजार रू.) अदा करेगा तथा चूक की दशा में उक्‍त रकम पर ताअदायगी 9 प्रतिशत वार्षिक की दर से ब्‍याज भी अदा करेगा ।

ब. अनावेदक, आवेदक को क्षतिपूर्ति के रूप में 50,000/- रू.(पचास हजार रू.) की राशि भी अदा करेगा।

स. अनावेदक  आवेदक को वादव्‍यय के रूप में 2,000/- रू.(दो हजार रू.) की राशि भी अदा करेगा।

 

                                                      (अशोक कुमार पाठक)                               (प्रमोद वर्मा)

                                                              अध्‍यक्ष                                             सदस्‍य

 

 

 
 
[HON'BLE MR. ASHOK KUMAR PATHAK]
PRESIDENT
 
[HON'BLE MR. PRAMOD KUMAR VARMA]
MEMBER

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