एकपक्षीय निर्णय
द्वारा- श्री पवन कुमार जैन-अध्यक्ष।
- इस परिवाद के माध्यम से परिवादी ने यह उपशम मांगा है कि सेवा देने में कमी करने के कारण क्षतिपूर्ति की मद में विपक्षीगण से उसे 50,000/- रूपया दिलाऐ जाऐं। परिवादी ने अपने टाटा मैजिक वाहन सं0-यू0पी0 21 एन 7221 का एन0ओ0सी0 दिलाऐ जाने तथा विपक्षीगण द्वारा की जा रही रू0 37,615 = 41 पैसे की मांग को खारिज किऐ जाने का भी अनुरोध किया है । परिवाद व्यय की मद में परिवादी ने 10,000/- रूपया अतिरिक्त मांगे हैं।
- संक्षेप में परिवाद कथन इस प्रकार हैं कि विपक्षी सं0-1 द्वारा संचालित योजना के तहत विपक्षी सं0-2 से परिवादी ने एक टाटा मैजिक वाहन सं0-यू0पी0 21 एन 7221 खरीदा था। एग्रीमेंट की शर्तों के मुताबिक परिवादी ने विपक्षी सं0-2 के माध्यम से किश्तों का भुगतान विपक्षी सं0-1 को किया जिसकी ऐवज में विपक्षी सं0-2 ने परिवादी को प्राप्ति की रसीदें दी। परिवादी के अनुसार दिनांक 05/9/2012 की तिथि पर उसकी ओर विपक्षीगण के रू0 37,615 = 41 पैसा बकाया थे जिसके सापेक्ष 2 किश्तों के माध्यम से कुल 38,000/- रूपया परिवादी ने दिनांक 05/9/2012 को भुगतान कर दिया इस प्रकार परिवादी ने ऋण की समस्त धनराशि अदा कर दी। जब परिवादी ने विपक्षी सं0-2 से नो डयूज सर्टिफिकेट की मांग की तो विपक्षी सं0-2 शीघ्र ही नो ड्यूज सर्टिफिकेट देने का वायदा करता रहा किन्तु उसने नो ड्यूज सर्टिफिकेट नहीं दिया। मजबूर होकर परिवादी ने विपक्षीगण को कानूनी नोटिस भिजवाया जिसका उन्होंने गलत उत्तर परिवादी को दिया। परिवादी ने यह कहते हुऐ कि विपक्षीगण ने अपने कर्तव्यों का पालन न करके और परिवादी को नो ड्यूज सर्टिफिकेट न देकर सेवाओं में कमी की, परिवाद में अनुरोधित अनुतोष दिलाऐ जाने की प्रार्थना की।
- परिवाद के समर्थन में परिवादी ने अपना शपथ पत्र कागज सं0-3/4 प्रस्तुत किया। इस शपथ पत्र के साथ परिवादी ने बतौर संलग्नक विपक्षीगण को भिजवाऐ गऐ कानूनी नोटिस, क्रमश: 24,500/- रूपये और 13500/- रूपये कुल 38000/- रूपया विपक्षी को दिनांक 5/9/2012 को अदा करने की 2 रसीदें और अपने ऋण खाते के दिनांक 2/6/2012 से 8/9/2012 तक के स्टेटमेन्ट की फोटो प्रतियों को दाखिल किया गया है, यह प्रपत्र पत्रावली के कागज सं0-3/5 लगायत 3/8 हैं। परिवादी ने सूची कागज सं0-5/1 के माध्यम से विपक्षीगण की ओर से प्राप्त जबाब नोटिस दिनांकित 2/6/2014 मूल रूप में दाखिल किया।
- विपक्षी सं0-1 पर फोरम के आदेश दिनांक 9/2/2015 द्वारा तामील पर्याप्त मानी गई। विपक्षी सं0-2 पर तामीला फोरम के आदेश दिनांक 13/5/2015 द्वारा पर्याप्त हुई। तामील के बावजूद विपक्षीगण की ओर से कोई उपस्थित नहीं हुऐ उनकी ओर से प्रतिवाद पत्र भी दाखिल नहीं हुआ अत: फोरम के आदेश दिनांक 19/6/2015 के अनुपालन में विपक्षीगण के विरूद्ध परिवाद की सुनवाई एकपक्षीय की गई।
- एकपक्षीय साक्ष्य में परिवादी ने अपना साक्ष्य शपथ पत्र कागज सं0-11/1 लगायत 11/3 दाखिल किया। इसके अतिरिक्त सूची कागज सं0-13/2 के माध्यम से परिवादी ने टाटा मैजिक हेतु विपक्षी सं0-1 से लिऐ गऐ ऋण खाते की नकल भी दाखिल की जो पत्रावली का कागज सं0-13/3 लगायत 13/7 है।
- परिवादी ने लिखित बहस दाखिल की।
- हमने परिवादी के विद्वान अधिवक्ता के तर्कों को सुना और पत्रावली का अवलोकन किया। विपक्षीगण की ओर से कोई उपस्थित नहीं हुऐ।
- परिवादी द्वारा दाखिल ऋण खाते की नकल कागज सं0-13/3 लगायत 13/7 के अवलोकन से प्रकट है कि परिवाद के पैरा सं0-1 में उल्लिखित टाटा मैजिक गाड़ी के लिए परिवादी ने दिनांक 26/8/2013 को विपक्षी सं0-1 से 3,74,024/- रूपया ऋण लिया था। परिवादी को नियमित मासिक किश्तों में इसे ब्याज सहित वापिस करना था। परिवादी के विद्वान अधिवक्ता का कथन है कि परिवादी ने यधपि पूरी धनराशि अदा कर दी है इसके बावजूद विपक्षीगण उसे एन0ओ0सी0 नहीं दी और इस प्रकार उन्होंने सेवा में कमी की। ऋण खाते की नकल के अवलोकन से प्रकट है कि दिनांक 8/9/2012 की तिथि पर परिवादी की ओर विपक्षीगण का रू0 15,415 = 41 पैसा बकाया था। इस प्रकार एक ओर परिवादी का कथन है कि उसने दिनांक 5/9/2012 तक विपक्षीगण को ऋण की समस्त धनराशि अदा कर दी थी वहीं दूसरी ओर ऋण खाते की नकल जो परिवादी ने स्वयं दाखिल की है, में परिवादी की ओर बकाया धनराशि देय दर्शाई जा रही है। इस तरह यह मामला विशुद्धत: एकाउन्टिंग का दिखाई देता है।
- II (2005) सी0पी0जे0 पृष्ठ-92, अशोक लीलैण्ड फाईनेंस लिमिटेड बनाम हिमांशु एस. थुमार के मामले में मा0 गजरात राज्य उपभोक्ता विवाद प्रतितोष आयोग, द्वारा निर्णय के पैरा सं0-6 में निम्न अभिमत दिया गया है:-
“ At the outset it has been noted that the dispute presented by the complainant before the learned Forum essentially relates to the account between the parties. This commission has time and often held that dispute which pertains to account between the parties cannot be said to be a consumer dispute. It is essentially a civil dispute. Hence, the complaint could not have been entertanned by the learned Forum.’’
10. मा0 गुजरात राज्य उपभोक्ता विवाद प्रतितोष आयोग की उपरोक्त निर्णयज विधि के दृष्टिगत वर्तमान परिवाद की सुनवाई का क्षेत्राधिकार इस फोरम को नहीं है।
11.अन्यथा भी परिवाद कथनों को सिद्ध करने का उत्तरदायित्व परिवादी का है। परिवाद में उसने कहा है कि वह ऋण की समस्त धनराशि अदा कर चुका है जबकि ऋण खाते में उसकी ओर बकाया धनराशि दर्शाई जा रही है। दिनांक 5/9/2012 को उसने दो बार में रसीद कागज सं0- 3/6 और 3/7 के माध्यम से 38,000/- रूपया अदा दिऐ थे। इन दोनों रसीदों की प्रविष्टि परिवादी द्वारा दाखिल स्टेटमेन्ट आफ एकाउन्ट में है। परिवादी ने कहीं भी यह इंगित नहीं किया है कि स्टेटमेन्ट आफ एकाउन्ट में क्या गलती है। ऐसी दशा में परिवादी का यह कथन स्वीकार्य नहीं है कि उसने टाटा मैजिक वाहन खरीदने हेतु जो ऋण विपक्षी सं0-1 से लिया था उसकी पूरी अदायगी वह कर चुका है। हायर परचेज एग्रीमेन्ट के तहत परिवादी ने जो धनराशि विपक्षीगण से बतौर ऋण ली थी जब तक उसकी पूरी अदायगी न हो जाये तब तक एन0ओ0सी0 देने के लिए परिवादी विपक्षीगण को बाध्य नहीं कर सकता। इस दृष्टि से भी परिवाद खारिज होने योग्य है।
- उपरोक्त विवेचना के आधार पर हम इस निष्कर्ष पर पहुँचे हैं कि परिवाद खारिज होने योग्य है।
परिवाद खारिज किया जाता है।
(श्रीमती मंजू श्रीवास्तव) (सुश्री अजरा खान) (पवन कुमार जैन)
सामान्य सदस्य सदस्य अध्यक्ष
- 0उ0फो0-।। मुरादाबाद जि0उ0फो0-।। मुरादाबाद जि0उ0फो0-।। मुरादाबाद
01.04.2016 01.04.2016 01.04.2016
हमारे द्वारा यह निर्णय एवं आदेश आज दिनांक 01.04.2016 को खुले फोरम में हस्ताक्षरित, दिनांकित एवं उद्घोषित किया गया।
(श्रीमती मंजू श्रीवास्तव) (सुश्री अजरा खान) (पवन कुमार जैन)
सामान्य सदस्य सदस्य अध्यक्ष
जि0उ0फो0-।। मुरादाबाद जि0उ0फो0-।। मुरादाबाद जि0उ0फो0-।। मुरादाबाद
01.04.2016 01.04.2016 01.04.2016