Rajasthan

Jaipur-IV

CC/310/2013

Naresh Kumar Parasrampuria - Complainant(s)

Versus

Tata Motors Finance Ltd. - Opp.Party(s)

Kailash

16 Feb 2015

ORDER

          जिला उपभोक्ता विवाद प्रतितोष मंच, जयपुर चतुर्थ, जयपुर

                      पीठासीन अधिकारी
    डाॅ. चन्द्रिका प्रसाद शर्मा, अध्यक्ष
                         डाॅ. अलका शर्मा, सदस्या
                         श्री अनिल रूंगटा, सदस्य

परिवाद संख्या:-310/2013 (पुराना परिवाद संख्या 628/2011)

श्री नरेश कुमार परसरामपुरिया पुत्र श्री प्रभुदयाल, निवासी- वार्ड संख्या 3, मान नगर, झुंझुनूं । 
परिवादी
बनाम
01. व्यवस्थापक, टाटा मोटर्स फाईनेन्स लिमिटेड, कार्यालय- सी-99, श्रीजी टावर, सुभाष मार्ग, सी-स्कीम, जयपुर ।
02. मुख्य व्यवस्थापक, मैसर्स टाटा मोटर्स फाईनेन्स लिमिटेड, चतुर्थ मंजिल,       डी.जी.पी. हाऊस, ओल्ड प्रभा देवी रोड, प्रभादेवी, मुम्बई ।
विपक्षीगण
उपस्थित
परिवादी की ओर से श्री कैलाश ब्रह्मभट्ट, एडवोकेट
विपक्षीगण की ओर से श्री अजय टांटिया, एडवोकेट

        निर्णय
दिनांकः- 16.02.2015

यह परिवाद, परिवादी द्वारा विपक्षीगण के विरूद्ध दिनंाक 19.04.2011 को निम्न तथ्यों के आधार पर प्रस्तुत किया गया हैः-
परिवादी ने पूर्व मंें इसी तथ्य का लेकर जिला उपभोक्ता विवाद प्रतितोष मंच, झुंझुनूं के समक्ष दिनंाक 09.12.2010 को यह परिवाद प्रस्तुत किया था । जो बाद में मंच द्वारा क्षेत्राधिकार नहीं होने के आधार पर परिवादी को वापस लौटा दिया गया   था । इसलिए परिवादी ने यह नवीन परिवाद विपक्षीगण के विरूद्ध अब इस मंच के समक्ष प्रस्तुत किया हैं ।
परिवादी ने विपक्षी संख्या 1 से कार पेटे 2,50,000/-रूपये का ऋण प्राप्त किया था और इस ऋण राशि एवं ब्याज 5,000/-रूपये पेटे विपक्षी संख्या 1 को 24 किश्तों के सम्पूर्ण चैक ऋण की शर्तों के अनुसार विपक्षी संख्या 1 को दिये थे । परिवादी को इस ऋण की अदायगी 10,625/-रूपये की किश्तों के माध्यम अदा करनी थी । परिवादी द्वारा विपक्षी संख्या 1 को दिये गये 24 चैकों में से एक चैक, जो दिनंाक 02.07.2008 के लिए प्रदत्त किया गया था, विपक्षी संख्या 1 द्वारा गुम कर दिया गया । इसलिए विपक्षी संख्या 1 को दिनंाक 02.07.2008 के चैक की राशि देरी से प्राप्त हुई । इसके लिए परिवादी दोषी नहीं हैं । परन्तु विपक्षी संख्या 2 द्वारा दिनांक 28.08.2009 को परिवादी को 3,851.23 रूपये अतिदेय राशि का नोटिस भेजा । साथ ही विपक्षीगण परिवादी को अदेय प्रमाण पत्र भी नहीं दे रहे हैं । जो विपक्षीगण का सेवादोष हैं और इस सेवादोष के आधार पर परिवादी अब विपक्षीगण से परिवाद के मद संख्या 10 में अंकित सभी अनुतोष प्राप्त करने के अधिकारी हैं ।
विपक्षीगण की ओर से दिये गये जवाब में कथन किया गया है कि परिवादी एवं विपक्षीगण के मध्य में होने वाला विवाद आर्बिट्रेशन क्लाॅज के माध्यम से तय किया जाना चाहिये और मंच को यह परिवाद सुनने का अधिकार नहीं हैं । विपक्षीगण ने आगे कथन किया है कि विपक्षीगण ने परिवादी का नियमानुसार नोटिस देकर उस पर बकाया ऋण राशि की सूचना दी थी । परिवादी को ऋण की अदायगी दिनांक          27.06.2007 से 02.06.2009 तक नियमित रूप से करनी थी । जिसमें परिवादी ने चूक की हैं । इसलिए विपक्षीगण का कोई सेवादोष नहीं हैं । अतः परिवाद, परिवादी निरस्त किया जावें ।
परिवाद के तथ्यों की पुष्टि में परिवादी श्री नरेश कुमार परसरामपुरिया ने स्वयं का शपथ पत्र एवं कुल 07 पृष्ठ दस्तावेज प्रस्तुत किये । जबकि जवाब के तथ्यों की पुष्टि में विपक्षीगण की ओर से श्री महिपाल सिंह का शपथ पत्र एवं कुल 10 पृष्ठ दस्तावेज प्रस्तुत किये । 
बहस अंतिम सुनी गई एवं पत्रावली का आद्योपान्त अध्ययन किया गया ।
प्रस्तुत प्रकरण में परिवादी ने परिवाद के मद संख्या 4 में कथन किया है कि विपक्षी संख्या 1 ने उसके ऋण अदायगी पेटे दिये गये 24 चैकों में से एक चैक, जिसका दिनांक 02.07.2008 को भुगतान होना था, गुम कर दिया था । इसलिए विपक्षी संख्या 1 को परिवादी ने एक अन्य चैक दिनांकित 02.09.2008 दिया था, जिसका भुगतान विपक्षीगण ने प्राप्त किया था । विपक्षी संख्या 2 की ओर से परिवादी को दिनंाक 28.08.2009 को अतिदेय राशि 3,851.23 रूपये का जो नोटिस दिया गया है, वह उक्त चैक का भुगतान दिनंाक 02.07.2008 को नहीं होने के कारण दिनंाक             02.09.2008 किये जाने के कारण दिया गया है । और इस संबंध में परिवादी ने विपक्षी संख्या 1 को एक चैक संख्या 524452 राशि 10,625/-रूपये दिनंाकित 02.09.2008 इस पृष्ठाकंन के साथ उपलब्ध करवाया था कि ’चूंकि पूर्व में परिवादी द्वारा विपक्षी संख्या 1 को दिया गया चैक संख्या 517352 दिनंाकित 02.07.2008 विपक्षी संख्या 1 द्वारा कहीं गुम कर दिया गया है इसलिए उसकी एवज में यह नवीन चैक जारी किया जा रहा हैं ।’ लेकिन विपक्षी संख्या 2 द्वारा परिवादी को जो अतिदेय राशि का नोटिस दिनंाकित 28.08.2009 दिया गया है उसमें परिवादी पर बकाया समस्त राशि संविदा के अनुरूप अदा नहीं करने के कारण 3,851.23 रूपये की राशि बकाया पाई गई हैं । परन्तु जो स्टेटमेन्ट आॅफ अकाउन्ट विपक्षीगण की ओर से प्रस्तुत किया गया है उसमें प्रत्येक माह की किश्त के चैक की वसूली नियत तारीख पर हुई हैं और उक्त राशि की गणना विपक्षीगण ने किस प्रकार से की हैं, यह स्पष्ट नहीं होता हैं ।
अतः प्रथमतः विपक्षीगण ने परिवादी का चैक दिनंाकित 02.07.2008 गुमाकर और दूसरे रूप में परिवादी द्वारा किश्तों की समय पर अदायगी करने के बावजूद भी उस पर 3,851.23 रूपये की राशि बकाया निकालकर सेवादोष कारित किया हैं, यह तथ्य प्रमाणित हैं । परन्तु इस सेवादोष के आधार पर परिवादी विपक्षीगण से अदेयता प्रमाण पत्र प्राप्त करने का अधिकारी नहीं माना जा सकता है क्योंकि परिवादी द्वारा बकाया ऋण किश्तों की अदायगी दिनंाक 02.06.2009 तक की जानी थी और बाद में भी यह वसूली जारी रहनी थी । इसलिए जो वादकारण परिवादी को चैक दिनंाकित           02.07.2008 के गुम हो जाने के कारण व नोटिस दिनंाकित 28.08.2009 के प्राप्त होने के कारण प्राप्त हुआ था, वह हमारे द्वारा किये गये उपरोक्त विवेचन के आधार पर प्रमाणित हैं, परन्तु परिवादी इसके आधार पर विपक्षीगण से अदेयता प्रमाण पत्र प्राप्त करने का अधिकारी नहीं ठहरता हैं । अतः अब परिवादी विपक्षीगण से स्वयं को हुए आर्थिक, मानसिक एवं शारीरिक संताप की क्षतिपूर्ति के रूप में 2,500/-रूपये एवं परिवाद व्यय के रूप में 2,500/-रूपये अर्थात् कुल 5,000/-रूपये प्राप्त करने का अधिकारी हैं ।
आदेश
 अतः उपरोक्त समस्त विवेचन के आधार पर परिवाद, परिवादी आंशिक रूप से स्वीकार किया जाकर आदेश दिया जाता है कि परिवादी विपक्षीगण से उसके चैक दिनंाकित 02.07.2008 के गुम हो जाने के कारण व उसे नोटिस दिनंाकित 28.08.2009 के प्राप्त होने के कारण स्वयं को कारित आर्थिक, मानसिक एवं शारीरिक संताप की क्षतिपूर्ति के रूप में 2,500/-रूपये एवं परिवाद व्यय के रूप में 2,500/-रूपये अर्थात् कुल 5,000/-रूपये प्राप्त करने का अधिकारी हैं ।
विपक्षीगण को आदेश दिया जाता है कि वे उक्त समस्त राशि परिवादी के रिहायशी पते पर जरिये डी.डी./रेखांकित चैक इस आदेश के एक माह की अवधि में उपलब्ध करायेंगे ।

अनिल रूंगटा              डाॅं0 अलका शर्मा            डाॅ0 चन्द्रिका प्रसाद शर्मा 
  सदस्य             सदस्या              अध्यक्ष

            

निर्णय आज दिनांक 16.02.2015 को पृथक से लिखाया जाकर खुले मंच में हस्ताक्षरित कर सुनाया गया ।

अनिल रूंगटा              डाॅं0 अलका शर्मा            डाॅ0 चन्द्रिका प्रसाद शर्मा 
  सदस्य             सदस्या              अध्यक्ष

 

 

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