जिला उपभोक्ता विवाद प्रतितोष मंच, जैसलमेर(राज0)
1. अध्यक्ष ः श्री रामचरन मीना ।
2. सदस्य ः श्री मनोहर सिंह नारावत ।
3. सदस्या : श्रीमती संतोष व्यास ।
परिवाद प्रस्तुत करने की तिथी - 10.07.2015
मूल परिवाद संख्या:- 31/2015
हनीफ खाॅ पुत्र श्री अलाबक्स जाति मुसलमान
निवासी रोजानियों की बस्ती सम तहसील व जिला जैसलमेर (राज.)
.........परिवादी
बनाम
1. टाटा मोटर्स फाईनेंस राॅयल फाईनंेस, होटल हवेली के सामने मदरसा रोड़ जैसलमेर
2. ड।ळड। भ्क्प्....ळम्छम्त्।स् प्छैन्त्।छब्म् ब्व्डच्।छल् स्ज्क्ण्
ड।ळड। भ्व्न्ैम्ए 24 च्।त्ज्ञ ैज्त्म्म्ज्ए ज्ञव्स्ज्ञ।ज्।.700016
............. अप्रार्थीगण
प्रार्थना पत्र अंतर्गत धारा 12, उपभोक्ता संरक्षण अधिनियम 1986
उपस्थित/-
1. श्री मदनसिंह सोढ़ा अधिवक्ता परिवादी की ओर से।
2. अप्रार्थी संख्या 1 उपस्थित नही।
3. श्री उम्मेदसिंह नरावत अधिवक्ता अप्रार्थी संख्या 2 की ओर से।
ः- निर्णय -ः दिनांक: 16.03.2016
1. परिवाद के संक्षेप में तथ्य इस प्रकार है कि परिवादी ने वाहन ट्रक संख्या आर.जे.15 जी.ए. 3579 अप्रार्थी सं 1 टाटा मोटर्स फाईनेंस कम्पनी के माध्यम से खरीदा तथा अप्रार्थी सं. 1 द्वारा ही उक्त वाहन का बीमा अप्रार्थी सं. 2 के यहा किया गया तथा परिवादी द्वारा किस्ते भी अप्रार्थी सं. 1 के कार्यालय मे जमा करवायी गई। परिवादी का उक्त वाहन ट्रक सं आर.जे.15 जी.ए. 3579 का बीमा अप्रार्थी बीमा कम्पनी द्वारा 13.08.2013 से 12.08.2014 तक बीमा अवधि के लिए ट्रक का बीमित मूल्य 23,27,500 रूपये आंकलन कर किया गया जिसका बीमा कवर नोट सं. च्0014100005ध्4103ध्186606 जारी किया। परिवादी का उक्त ट्रक 30.03.2014 को चोरी हो गया जिसकी इतला नजदीकी पुलिस थाने मे दी गई जिसके सी.आर.नम्बर 71/2014 है। पुलिस द्वारा अनुसंधान किया गया लेकिन परिवादी के उक्त ट्रक का पता नही चल पाया जिस कारण परिवादी के कमाई का साधन बन्द हो गया अप्रार्थी बीमा कम्पनी द्वारा प्रार्थी 17,44,125 रू का चेक दिया जबकि उस वक्त प्रार्थी के गाड़ी की कीमत ज्यादा है तब अप्रार्थी द्वारा परिवादी को धमकाया गया कि यह चेक लेना है तो लो नही तो कुछ नही मिलेगा परिवादी का उक्त वाहन अप्रार्थी बीमा कम्पनी के यहा बीमित होने के बावजूद बीमा कम्पनी के रवैये के कारण परिवादी को आर्थिक,मानसिक व शारीरिक क्षति हुई है। अप्रार्थी बीमा कम्पनी ने कम क्लैम देकर सेवा दोष कारित किया है। जिस पर परिवादी ने कम राषि 5,83,375 रू व मानसिक व शारीरिक क्षति पेटें 4 लाख रूपये व परिवाद व्यय 5 लाख रू दिलाये जाने का निवेदन किया।
2. अप्रार्थी सं. 1 उपस्थित नही तथा अप्रार्थी सं. 2 की तरफ से सक्षिप्त में जवाब इस प्रकार है कि परिवादी का उक्त वाहन दिनांक 13.08.2013 से 12.08.2014 तक की अवधि के लिए बीमित होना स्वीकार है। तथा अप्रार्थी बीमा कम्पनी द्वारा परिवादी व अप्रार्थी बीमा कम्पनी के बीच आपसी समझौता अनुसार व परिवादी द्वारा 100 रू के स्टाॅम्प पेपर पर लिखित मे सहमति देने के पश्चात 7,44,125/- रू का चेक परिवादी को क्लैम अदायगी के लिए उसके द्वारा नामित ऋण देने वाली टाटा मोटर्स को दिया गया था। एवं परिवादी द्वारा वाहन चोरी की सूचना अप्रार्थी बीमा कम्पनी के कार्यालय को 37 दिनांे के अन्तराल के बाद दी जिस कारण अप्रार्थी बीमा कम्पनी वास्तविकता की जाॅच के अधिकार से वंचित हो गई जो बीमा शर्तो का भी उल्लघन है। फिर भी बीमा कम्पनी ने अपनी साॅख कायम रखने के लिए परिवादी की स्वेच्छा सहमति लेकर 17,44,125/- रू का चेक दिया। अप्रार्थी बीमा कम्पनी ने कोई सेवा दोष कारित नही किया है। इसलिए परिवादी का परिवाद मय हर्जे खर्चे के खारिज किये जाने का निवेदन किया।
3. हमने विद्वान अभिभाषकगण पक्षकारान की बहस सुनी और पत्रावली का ध्यानपूर्वक अवलोकन किया ।
4. विद्वान अभिभाषकगण पक्षकारान द्वारा की गई बहस पर मनन करने, पत्रावली में पेष किए गए शपथ पत्रों एवं दस्तावेजी साक्ष्य का विवेचन करने तथा सुसंगत विधि को देखने के पष्चात इस प्रकरण को निस्तारित करने हेतु निम्नलिखित विवादित बिन्दु कायम किए जाते है -
1. क्या परिवादीया एक उपभोक्ता की तारीफ में आता है ?
2. क्या परिवादीया का परिवाद उपभोक्ता अधिनियम के तहत् पोषणीय है ?
3. क्या विपक्षी का उक्त कृत्य एक सेवा त्रुटि के दोष की तारीफ में आता है?
4. अनुतोष क्या होगा ?
5. बिन्दु संख्या 1:- जिसे साबित करने का संम्पूर्ण दायित्व परिवादी पर है जिसके तहत कि क्या परिवादी उपभोक्ता की तारीफ में आता है अथवा नहीं और मंच का भी सर्वप्रथम यह दायित्व रहता है कि वे इस प्रकार के विवादित बिन्दु पर सबसे पहले विचार करें, क्यों कि जब तक परिवादी एक उपभोक्ता की तारीफ में नहीं आता हो, तब तक उनके द्वारा पेष किये गये परिवाद पर न तो कोई विचार किया जा सकता है और न ही उनका परिवाद उपभोक्ता संरक्षण अधिनीयम के प्रावधानों के तहत पोषणीय होता है, लेकिन हस्तगत प्रकरण में परिवादी के वाहन सं. आर.जे.15 जी.ए. 3579 का अप्रार्थी बीमा कम्पनी ने 51,463 रू प्रीमियम लेकर बीमित अवधि दिनांक 13.08.2013 से 12.08.2014 तक बीमा किया व उसका बीमा कवर नोट जारी किया। परिवादी का उक्त वाहन बीमा अवधि के दौरान ही दिनांक 30.03.2014 को चोरी हुआ जो बीमा अवधि के दौरान ही है। इसलिए हमारी विनम्र राय में परिवादी उपभोक्ता संरक्षण अधिनियम की धारा 2; 1द्ध;क्द्ध के तहत एक उपभोक्ता की तारीफ में आती है, फलतः बिन्दु संख्या 1 परिवादी के पक्ष में निस्तारित किया जाता है ।
6. बिन्दु संख्या 2:- जिसे भी साबित करने का संपूर्ण दायित्व परिवादी पर है जिसके तहत कि क्या विपक्षी का उक्त कृत्य एक सेवा त्रुटी के दोष की तारीफ में आता है अथवा नहीं ? विद्वान परिवादी अभिभाषक की दलील है की परिवादी का वाहन ट्रक सं. आर.जे.15 जी.ए. 3579 चोरी हो गया था जिसकी कुल कीमत 23,27,527/- रू थी तथा उक्त वाहन का बीमा परिवादी ने अप्रार्थी बीमा कम्पनी के यहा करा रखा था तथा वाहन बीमित अवधि के द्वौरान ही दिनांक 30.03.2014 को चोरी हो गया जिसकी प्रथम सूचना रिपोर्ट नजदीकी पुलिस थाना मे की गई काफी अुनसंधान व पूछताछ के पश्चात भी चोरी हुए ट्रक का पता नही चल पाया लेकिन अप्रार्थी बीमा कम्पनी द्वारा परिवादी को 17,44,125 रू का चेक दिया गया अतः शेष राषि 5,83,375 रू व मानसिक व शारीरिक क्षति पेटे 4 लाख रू व परिवादी व्यय 5 लाख रू दिलाये जाने का निवेदन किया।
7. इसका प्रबल विरोध करते हुए अप्रार्थी बीमा कम्पनी विद्वान अभिभाषक की दलील है कि परिवादी को अप्रार्थी बीमा कम्पनी द्वारा 17,44,125 रू परिवादी को क्लैम अदायगी के लिए उसके द्वारा नामित ऋण देने वाले टाटा मोटर्स को जरिये चेक भुगतान किया उक्त राषि का प्रार्थी व बीमा कम्पनी के बीच समझौता हुआ जो परिवादी द्वारा 100 रू के स्टाम्प पर लिखित मे सहमति देने पर परिवादी ने यह राषि थ्नसस ंदक थ्पदंस ैमजजसमउमदज में प्राप्त कर ली। अब कोई राषि प्राप्त करने का अधिकारी नही है। अपने तर्को के समर्थन मे डध्े ज्ंजं ।प्ळ ळमदमतंस प्देनतंदबम ब्वण् स्जकण् टमतेने डध्े ठंसंसरप डमकपबवे त्मअपेपवद च्मजपजपवद छव 2862ध्2008 क्मबपकमक वद 12 श्रनसल 2013 छ।ज्प्व्छ।स् ब्व्ैन्डम्त् क्प्ैच्न्ज्म्ै त्म्क्त्म्ैै।स् ब्व्डडप्ैैप्व्छए छम्ॅ क्म्स्भ्प् का विनिष्चय पेष किया। अप्रार्थी बीमा कम्पनी विद्वान अभिभाषक की यह भी दलील है परिवादी नेे 37 दिन उपरान्त सूचना दी जिससे बीमा कम्पनी का हित प्रभावित हुआ तथा बीमा शर्तो का उल्लघन हुआ इस प्रकार वह राषि प्राप्त करने का अधिकारी नही है।
8. उभयपक्षो के तर्को पर मनन किया गया। परिवादी ने अपने परिवाद व साक्ष्य मे बताया है कि अप्रार्थी द्वारा परिवादी को क्लैम बाबत् 17,44,125/- रू का चेक दिया था। लैकिन उस वक्त उसकी गाड़ी की कीमत ज्यादा थी। अप्रार्थी बीमा कम्पनी द्वारा कम राषि का चेक दिया गया तथा अप्रार्थी द्वारा परिवादी को धमकाया गया यह लेना है तो लो नही तो कुछ नही मिलेगा। अतः परिवादी यह तो स्वीकार करता है कि बीमा क्लैम बाबत् अप्रार्थी बीमा कम्पनी द्वारा 17,,44,125/- रू का चेक दिया इस सदर्भ मे अप्रार्थी बीमा कम्पनी को परिवादी की तरफ से 100 रू का स्टाम्प पर पेष किया जिसमे परिवादी हनीफ खाॅ के हस्ताक्षर है तथा ग्वाह के रूप मे कालूराम के हस्ताक्षर है। इस ब्व्छैम्छज् स्म्ज्ज्म्त् में यह बताया है कि ।जिमत उनजनंस कपेबनेेपवद ंदक दमहवजपंजपवद ूपजी जीम पदेनतमतेए प् ींअम अवसनदजंतपसल ंबबमचजमक वित निसस ंदक पिदंस ेमजजसमउमदज व िउल इबसंपउ वित ं ेनउ व ित्े 1744125ध्. ;त्नचममे व्दम संाी ेमअमदजल विनत जीवनेंदक वदम ीनदकतमक जूमदजल पिअम वदसलद्ध समेे ंचचसपबंइसम म्गबमेे ंे चमत च्वसपबल ंदक ेनइरमबज जव बंदबमससंजहपवद व िजीम च्वसपबल तिवउ जीम कंजम व िसवेेण् प् ंसेव नदकमतेजंदक जींज बवदेमुनमदज नचवद ेनबी ेमजजसमउमदजए प् ेींसस ींअम दव नितजीमत बसंपउ वद उल पदेनतमते वद जीम ेंउम पदबपकमदजण्
ब्संपउ ंउवनदज जव इम चंलंइसम जव जीम थ्पदंदबपमतेण्
प् ीमतमइल कमबसंतम जींज जीपे बवदेमदज ींे इममद अवसनदजंतल हपअमद ूपजीवनज ंदल मगजमतदंस पदसिनमदबम ंदक प् ंउ ंूंतम जींज जीम ेंउम पे ं बवदकपजपवद चतमबमकमदज वित जीम उनजनंससल ंहतममक उवकम व िेमजजसमउमदजण् अतः उक्त ब्व्छैम्छज् स्म्ज्ज्म्त् से यह प्रकट है कि प्रार्थी ने क्लैम की राषि 17,44,125/- रू थ्नसस ंदक थ्पदंस ैमजजसमउमदज के रूप मे सहमति से प्राप्त कर ली। परिवादी को धमकाया हो ऐसी कोई साक्ष्य परिवादी की तरफ से पेष नही की गई जबकि ग्वाह कालूराम इस मामले मे महत्वपूर्ण साक्ष्य हो सकता था उसका भी कोई शपथ-पत्र धमकाने बाबत् पेष नही किया गया है। यह भी परिवादी ने साक्ष्य मे नही बताया है कि उसके हस्ताक्षर जबरदस्ती ब्व्छैम्छज् स्म्ज्ज्म्त् पर कराये हो। मान्य छ।ज्प्व्छ।स् ब्व्ैन्डम्त् क्प्ैच्न्ज्म्ै त्म्क्त्म्ैै।स् ब्व्डडप्ैैप्व्छए छम्ॅ क्म्स्भ्प् द्वारा त्मअपेपवद च्मजपजपवद छव 2862ध्2008 डध्े ज्ंजं ।प्ळ ळमदमतंस प्देनतंदबम ब्वण् स्जकण् टमतेने डध्े ठंसंसरप डमकपबवे में दिनांक 12.07.2013 के निर्णय में यह प्रतिपादित किया गया है कि व्दबम जीम ंउवनदज पे तमबमपअमक जवूंतके निसस ंदक पिदंस ेमजजसमउमदज व िजीम बसंपउए बवउचसंपदज वित तमेज व िजीम ंउवनदज पे दवज उंपदजंपदंइसमण् उक्त परिस्थितियो में अप्रार्थी बीमा कम्पनी ने कोई सेवा दोष कारित नही किया है।
अतः बिन्दू सं. 2 अप्रार्थी के पक्ष में निस्तारित किया जाता है।
9. बिन्दु संख्या 3:- अनुतोष । बिन्दु संख्या 2 अप्रार्थी के पक्ष में निस्तारित होने के फलस्वरूप परिवादी का परिवाद स्वीकार किये जाने योग्य नहीं है जो अस्वीकार कर खारीज किया जाता है ।
ः-ः आदेष:-ः
परिणामतः प्रार्थी का परिवाद अप्रार्थी के विरूद्व अस्वीकार किया जाकर खारीज किया जाता है । पक्षकारान अपना-अपना खर्चा स्वयं वहन करेंगें ।
( मनोहर सिंह नारावत ) (संतोष व्यास) (रामचरन मीना)
सदस्य, सदस्या अध्यक्ष,
जिला उपभोक्ता विवाद प्रतितोष मंच, जिला उपभोक्ता विवाद प्रतितोष मंच जिला उपभोक्ता विवाद प्रतितोष मंच,
जैसलमेर। जैसलमेर। जैसलमेर।
आदेश आज दिनांक 16.03.2016 को लिखाया जाकर खुले मंच में सुनाया गया।
( मनोहर सिंह नारावत ) (संतोष व्यास) (रामचरन मीना)
सदस्य, सदस्या अध्यक्ष,
जिला उपभोक्ता विवाद प्रतितोष मंच, जिला उपभोक्ता विवाद प्रतितोष मंच जिला उपभोक्ता विवाद प्रतितोष मंच,
जैसलमेर। जैसलमेर। जैसलमेर।