Uttar Pradesh

Faizabad

CC/103/2012

Ashok Kumar - Complainant(s)

Versus

Tata Motor Finance - Opp.Party(s)

11 Aug 2015

ORDER

DISTRICT CONSUMER DISPUTES REDRESSAL FORUM
Judgement of Faizabad
 
Complaint Case No. CC/103/2012
 
1. Ashok Kumar
Faizabad
...........Complainant(s)
Versus
1. Tata Motor Finance
FAIZABAD
............Opp.Party(s)
 
BEFORE: 
 HON'BLE MR. JUSTICE MR. CHANDRA PAAL PRESIDENT
 HON'BLE MRS. MAYA DEVI SHAKYA MEMBER
 HON'BLE MR. VISHNU UPADHYAY MEMBER
 
For the Complainant:
For the Opp. Party:
ORDER

जिला उपभोक्ता विवाद प्रतितोष फोरम फैजाबाद ।

 

उपस्थित -     (1) श्री चन्द्र पाल, अध्यक्ष
        (2) श्रीमती माया देवी शाक्य, सदस्या
(3) श्री विष्णु उपाध्याय, सदस्य

परिवाद सं0-103/2012

               
अषोक कुमार सिंह आयु लगभग 50 साल पुत्र श्री चितब्रह्मा सिंह निवासी ग्राम - ठेऊगा, पोस्ट - बेदरापुर, परगना - मंगलसी, तहसील - सोहावल, जिला फैजाबाद। ....... परिवादी 
बनाम
1.    श्रीमान ब्रांच प्रबन्धक महोदय टाटा मोटर फाइनेंस लिमिटेड देवकाली बाईपास फैजाबाद।
2.    श्रीमान प्रबन्धक महोदय टाटा मोटर फाइनोन्षियल सर्विसेज लिमिटेड तीन हाथ नाका ज्ञान साधना कालेज सर्विस रोड थाने मुम्बई महाराश्ट्र।      .............. विपक्षीगण
निर्णय दिनाॅंक 11.08.2015            
उद्घोशित द्वारा: श्री विश्णु उपाध्याय, सदस्य।
                        निर्णय
    परिवादी के परिवाद का संक्षेप इस प्रकार है कि परिवादी ने नवम्बर 2006 में एक टाटा इण्डिका डी एल एस कार सरदार मोटर कम्पनी लि0 फैजाबाद से खरीदा था जिसे विपक्षी से फाइनेन्स कराया था और प्रथम किष्त रुपये 6,650/- तथा षेश 49 किष्तें रुपये 6,400/- प्रति माह अदा करनी थी। जिसका खाता संख्या 5000027990 दिनांक 06-11-2008 है। परिवादी समय समय पर अपनी किष्तों का भुगतान करता रहा। विपक्षी ने परिवादी से सादे 10 चेकों पर हस्ताक्षर करा कर प्राप्त कर लिये और जब पैसा नहीं जमा हो पाता था तो विपक्षी उन चेकों से पैसा निकाल लेते थे। उन चेकों में से विपक्षी ने एक सादा चेक अपने पास रख लिया तथा उक्त चेक को न तो बैंक में प्रयोग किया और न ही परिवादी को वापस किया। परिवादी ने दिनांक 28.06.2009 को रुपये 32,000/-, 16-16 हजार कर के जमा किया जिसकी रसीद परिवादी के पास है उक्त धनराषि की एन्ट्री विपक्षीगण ने परिवादी के खाते में नहीं की जब कि परिवादी के खाते में उक्त धनराषि मात्र रुपये 12,800/- दिखाई गयी है तथा अतिरिक्त रुपये विपक्षीगण ने हड़प लिये। परिवादी ने विपक्षीगण का सारा पैसा अदा कर दिया है, मगर विपक्षीगण गलत एन्ट्री दिखा कर परिवादी से अधिक पैसे की वसूली करना चाहते हैं और परिवादी की कार को जबरदस्ती खींच लेने की धमकी दे रहे हैं। विपक्षीगण के कृत्य से परिवादी को मानसिक व आर्थिक कश्ट उठाना पड़ रहा है। विपक्षीगण बकाया भुगतान करने के बाद भी न तो नो ड्यूज प्रमाण पत्र दे रहे हैं और न ही परिवादी द्वारा दिया गया चेक ही वापस किया है। परिवादी ने अपनी रसीदों को विपक्षीगण को दिखाया तो उन्होंने उनका मिलान नहीं किया। तब मजबूर हो कर परिवादी ने दिनांक 14-03-2012 को एक पंजीकृत पत्र भेजा मगर विपक्षीगणों ने उस पर कोई कार्यवाही नहीं की। इसलिये परिवादी को अपना परिवाद दाखिल करना पड़ा। परिवादी को विपक्षीगण से गलत एन्ट्री सही करा कर नोड्यूज प्रमाण पत्र दिलाया जाय, सादा चेक वापस दिलाया जाय, क्षतिपूर्ति के लिये रुपये 3,00,000/- दिलाया जाय। 
    विपक्षीगण ने अपना उत्तर पत्र प्रस्तुत किया है तथा परिवादी के परिवाद के कथनों से इन्कार किया है। परिवादी का परिवाद पोशणीय नहीं है। परिवादी एवं विपक्षी के बीच हुए अनुबन्ध की धारा 23 के अनुसार यदि पक्षों के बीच कोई विवाद उत्पन्न होता है तो उसका निबटारा मध्यस्थ के द्वारा किया जायेगा। परिवादी और विपक्षीगण के मध्य विवाद का निबटारा फैजाबाद में नहीं हो सकता है अनुबन्ध की धारा 24 के अनुसार विवाद का निबटारा केवल मुम्बई में हो सकता है। मंच का क्षेत्राधिकार समरी नेचर का है और परिवादी का विवाद हिसाब किताब का है, जिसमें एकाउण्ट स्टेटमेंट की और विस्तृत जांच की आवष्यकता होती है अतः इस प्रकार के वाद का निबटारा केवल सिविल न्यायालय से ही हो सकता है। उत्तरदाता को परिवादी द्वारा इण्डिका कार खरीदा जाना तथा उत्तरदाता से फाइनेन्स किया जाना स्वीकार है तथा किष्तों की संख्या व परिवादी का खाता संख्या स्वीकार है। परिवादी ने नियमित अपनी किष्तों का भुगतान नहीं किया है। परिवादी द्वारा कथित सादे चेक उत्तरदाता द्वारा रख लिया जाना एक मिथ्या आरोप है और कुछ नहीं है। परिवादी ने रुपये 16-16 हजार रुपये जमा किया जाना जो बताया है उसमें से दिनांक 28.06.2009 को जमा की गयी धनराषि 16 हजार में से रुपये 12,800/- किष्त के मद में तथा षेश रुपये चार्जेज के मद में जमा किये गये हैं। दिनांक 06.07.2009 को जमा किये गये रुपये 16 हजार में से रुपये 11,721.50 पैसे किष्त के मद में तथा रुपये 3,791.64 पैसे चार्जेज के मद में समायोजित किये गये हैं। परिवादी द्वारा दिये गये सारे चेक अनादरित हो गये हैं जिसकी लिस्ट अलग से संलग्न है। परिवादी के ऊपर किष्तांे के मद में रुपये 26,668.36 पैसे तथा रुपये 35,429.33 पैसे चार्जेज के मद में दिनांक 17-07-2012 तक बकाया हैं। परिवादी को किसी प्रकार की मानसिक व आर्थिक क्षति नहीं हुई है। उत्तरदाता ने अपनी सेवा में कोई कमी नहीं की है। बिना संपूर्ण धनराषि जमा किये परिवादी अदेयता प्रमाण पत्र पाने का अधिकारी नहीं है। परिवादी का परिवाद विषेश क्षतिपूर्ति रुपये 10,000/- के साथ खारिज किये जाने योग्य है।     
    परिवादी एवं विपक्षीगण के विद्वान अधिवक्तागण की बहस को सुना एवं पत्रावली का भली भंाति परिशीलन किया। परिवादी ने अपने पक्ष के समर्थन मंे अपना शपथ पत्र, विपक्षीगण को लिखे गये पत्र दिनंाक 14.09.2011 की छाया प्रति, विपक्षीगण को दिये गये नोटिस दिनांक 14.03.2012 की कार्बन प्रति एवं छाया प्रति, परिवादी द्वारा जमा की गयी रकम रुपये 32,000/- की रसीद दिनांक 28.06.2009 मूल रुप में व उनकी छाया प्रतियां, विपक्षीगण के यहंा जमा की गयी रकम के स्टेटमेंट, जारी द्वारा विपक्षीगण की छाया प्रति, विपक्षीगण के पत्र दिनांक 06-02-2007 की मूल प्रति, परिवादी द्वारा दिये गये पोस्ट डेटेड चेक की लिस्ट की मूल प्रति, परिवादी की पास बुक मूल रुप मंे, विपक्षीगण के पत्र दिनांक 10.10.2011 की छाया प्रति, साक्ष्य में शपथ पत्र, रुपये जमा किये जाने की 25 रसीदों की छाया प्रतियां तथा बैंक पास बुक की छाया प्रति दाखिल की है जो शामिल पत्रावली है। विपक्षीगण ने अपने पक्ष के समर्थन में अपना लिखित कथन, महिपाल सिंह अधिकृत हस्ताक्षरकर्ता का शपथ पत्र, स्टेटमेंट आफ एकाउण्ट (कान्ट्रेक्ट डिटेल) की छाया प्रति, रिपेमेंट स्टेटमेंट की छाया प्रति, अन्य खर्चों के विवरण की छाया प्रति, चेक बाउण्स होने के डिटेल की छाया प्रति तथा फोरक्लोजर स्टेटमेंट दिनांक 13.06.2012 की छाया प्रति दाखिल की है जो शामिल पत्रावली है। परिवादी एवं विपक्षी द्वारा दाखिल प्रपत्रों का अवलोकन किया। परिवादी ने विपक्षीगण द्वारा दाखिल स्टेटमेंट में कई तिथियों में इंगित किया हैे कि परिवादी ने रुपया जमा अधिक किया है और विपक्षीगणों ने स्टेटमंेट मंे कम जमा दिखाया है। परिवादी ने विपक्षी के स्टेटमेंट के पेज 3 पर दिनांक 28.06.2009 को रुपये 32,000/- जमा करना बताया है तथा इंगित किया है कि विपक्षी ने उक्त धनराशि को स्टेटमेंट में चढ़ाया ही नहीं है, जब कि विपक्षी ने स्पष्ट किया है कि परिवादी ने दिनांक 28.06.2009 व 06.07.2009 को रुपये 16-16 हजार जमा किया है जिसमें से 12,800/- तथा 11,721/- किश्त के मद मंे जमा किया गया है शेष धनराशि विलम्ब से किये गये भुगतान व अन्य चार्जेज के मद में जमा की गयी है। विपक्षीगण ने उक्त जमा दिनांक 28.06.2009 तथा 06.07.2009 बतायी है जब कि परिवादी ने जो रसीदें दाखिल की हैं वह दोनों रसीदंे दिनांक 28.06.2009 की हैं। किन्तु परिवादी ने जिस समय रुपये 32,000/- जमा किया है उस समय परिवादी के ऊपर किश्त के रुपये 40,521.50 पैसे बाकी हो गये थे। स्टेटमंेट से स्पष्ट है कि परिवादी ने समय से अपनी किश्तों का भुगतान कभी नहीं किया है। विपक्षीगण द्वारा दाखिल स्टेटमेंट से स्पष्ट है कि परिवादी ने जब तक अंतिम रकम जमा की है उस समय तक परिवादी ने उसमें 1975 दिनांे तक का विलम्ब किया है। इसलिये विलम्ब पर विपक्षी ब्याज लेने का अधिकारी है। परिवादी का कथन है कि विपक्षीगण ने परिवादी के 10 पोस्ट डेटेड चेक ले लिये और उन्हें वापस नहीं किया है, जब कि परिवादी पूरा पैसा विपक्षीगण के यहां जमा कर चुका है। विपक्षीगण ने चेक बाउण्स की एक लिस्ट दाखिल की है जिसमें दिखाया है कि परिवादी ने जो चेक दिये थे वह सभी चेक परिवादी के खाते में अपर्याप्त धनराशि होने के कारण अनादरित हो गये हैं। इस प्रकार विपक्षीगण उन अनादरित चेकों के विरुद्ध कलेक्शन चार्जेज काटने के अधिकारी हैं। विपक्षीगणों के कथन एवं दाखि प्रपत्र के अनुसार परिवादी पर दिनांक 17-07-2012 तक रुपये 26,668.36 पैसे किश्तों के मद में तथा रुपये 35,429.33 पैसे विलम्ब से किये गये भुगतान के मद में ब्याज का रुपया बाकी है। इस प्रकार विपक्षीगण का परिवादी पर रुपये 62,547.69 पैसे दिनांक 17.07.2012 तक बाकी है। परिवादी विपक्षीगण को भुगतान करने के लिये उत्तरदायी है। परिवादी विपक्षीगणों की पूरी धनराशि जमा करने का बाद ही नो ड्यूज प्रमाण पत्र पाने का अधिकारी है। परिवादी अपना परिवाद प्रमाणित करने में असफल रहा है। परिवादी का परिवाद खारिज किये जाने योग्य है।
आदेश
    परिवादी का परिवाद खारिज किया जाता है।   
          (विष्णु उपाध्याय)         (माया देवी शाक्य)             (चन्द्र पाल)              
              सदस्य                  सदस्या                   अध्यक्ष      
निर्णय एवं आदेश आज दिनांक 11.08.2015 को खुले न्यायालय में हस्ताक्षरित एवं उद्घोषित किया गया।

          (विष्णु उपाध्याय)         (माया देवी शाक्य)             (चन्द्र पाल)           
              सदस्य                  सदस्या                    अध्यक्ष

 
 
[HON'BLE MR. JUSTICE MR. CHANDRA PAAL]
PRESIDENT
 
[HON'BLE MRS. MAYA DEVI SHAKYA]
MEMBER
 
[HON'BLE MR. VISHNU UPADHYAY]
MEMBER

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