जिला मंच, उपभोक्ता संरक्षण, अजमेर
श्री टीकम चंद पाटनी पुत्र स्व श्री घेवर लाल पाटनी, उम्र-81 वर्ष, निवासी- 1041, पाटनी भवन, भगवानगंज, अजमेर ।
- प्रार्थी
बनाम
1. मैसर्स टाटा मोटर्स लिमिटेड, पुणे
2. मैसर्स मुदगल मोटर्स, जयपुर रोड, परबतपुरा बायपास, एनएच-8, अजमेर -305002(राजस्थान)
- अप्रार्थीगण
परिवाद संख्या 133/2014
समक्ष
1. विनय कुमार गोस्वामी अध्यक्ष
2. श्रीमती ज्योति डोसी सदस्या
3. नवीन कुमार सदस्य
उपस्थिति
1.श्री राजकुमार पाटनी, अधिवक्ता, प्रार्थी
2.श्री अनिल षर्मा, अधिवक्ता अप्रार्थी सं.1
3. श्री राजकुमार षर्मा, अधिवक्ता अप्रार्थी सं.2
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मंच द्वारा :ः- निर्णय:ः- दिनांकः- 15.07.2016
1. प्रार्थी द्वारा प्रस्तुत परिवाद के तथ्य संक्षेप में इस प्रकार हंै कि अप्रार्थी संख्या 2 ने प्रार्थी को दिनंाक 24.5.2012 को नैनो कार की कीमत रू. 1,80,959/- जिसमें बीमा, रजिस्ट्रेषन व अन्य एसेसरीज सम्मिलित थी, बताई तथा उसके पुराने टू व्हीलर्स की कीमत रू. 25,000/- आंकलित की । और अन्त में आपसी सलाह’मषविरा कर वाहन कीमत रू. 1,68,250 तय हुई। इस पर प्रार्थी से रू. 1,68,250/- एक चैक प्राप्त कर नैनो कार का विक्रय करने की सहमति प्रदान की । तत्पष्चात् अप्रार्थी संख्या 2 ने प्रार्थी को वाहन बीमा आवरण पत्र दिनंाक 24.5.2012 उपलब्ध कराया, जिसमें गाड़ी का मूल्य रू. 1,71,911/- अंकित करते हुए रू. 5271/- प्रीमियम प्राप्त कर कार की सुपुर्दगी की । अप्रार्थी संख्या 2 ने दिनांक 26.5.2012 को उक्त विक्रय की गई कार का बिल दिया जिसमें गाड़ी की कुल कीमत रू. 1,55,959/- अंकित की । इस प्रकार अप्रार्थी संख्या 2 ने प्रार्थी से ज्यादा राषि प्राप्त कर अनुचित व्यापार व्यवहार किया । अप्रार्थी संख्या 2 ने प्रार्थी को दिनंाक 28.5.2012 को एक नया बिल राषि सभी करों व छूट सहित रू. 1,65,959/- का दिया और इस बिल के आधार पर आरटीओ ने वाहन का नम्बर आर.जे.-01 सी.बी 7570आवंटित किया । अप्रार्थी संख्या 2 ने अप्रार्थी संख्या 1 द्वारा एक्सचेंज बोनस की राषि रू. 10,000/- का लाभ भी बावजूद कई तकाजों के उसे नहीं दिया तथा वाहन की प्रथम व दूसरी सर्विस के समय पर अड़चन डाली । प्रार्थी ने दिनंाक 10.2.2014 को वाहन की सर्विस कराई और अप्रार्थी संख्या 2 द्वारा जारी जाॅबकार्ड में वाहन संख्या व चैसिस नम्बर तो प्रार्थी के डाले, किन्तु वाहन मालिक का नाम किसी अन्य व्यक्ति का अंकित कर दिया । इस प्रकार अप्रार्थी संख्या 2 ने बार बार अनुचित व्यापार व्यवहार अपनाया व सेवादेाष किया है जिसके लिए प्रार्थी ने परिवाद प्रस्तुत कर उसमें वर्णित अनुतोष दिलाए जाने की प्रार्थना की है । परिवाद के समर्थन में प्रार्थी ने स्वयं का ष्षपथपत्र पेष किया ।
2. अप्रार्थी संख्या 1 ने जवाब प्रस्तुत करते हुए प्रारम्भिक आपत्तियों में कथन किया है कि उत्तरदाता ने अपने वाहनों के विक्रय हेतु अधिकृत डीलर नियुक्त कर रखे हंै और इसी क्रम में अप्रार्थी संख्या 2 उनका अधिकृत डीलर है जिसके साथ उनका प्रिंसीपल टू प्रिंसीपल का संबंध है । प्रष्नगत वाहन के विक्रय के संबंध में जो भी विज्ञापन दिया गया, उसमें उत्तरदाता का कोई संबंध नहीं है । प्रार्थी द्वारा वाहन दिनंाक 28.5.2012 को क्रय किया गया और प्रार्थी ने 2 वर्ष 1 माह बाद यह परिवाद पेष किया है, जो समयावधि बाहर है । विभिन्न न्यायिक दृष्टान्तों का हवाला देते हुए परिवाद खारिज किए जाने की प्रार्थना करते हुए पैरावाईज जवाब में इन्हीं तथ्यों को दोहराया है । जवाब के समर्थन में श्री एम.के.विपिन, सीनियर मैनेजर, लाॅ काषपथपत्र पेष किया है ।
3. अप्रार्थी संख्या- 2 ने जवाब प्रस्तुत करते हुए कथन किया है कि प्रार्थी को टीवीएस टू व्हीलर एक्सचेंज कराने की स्थिति में टीवीएस की एक्सचेंज राषि रू. 15,000/- व एक्सचेंज स्कीम के तहत राषि रू. 10,000/- कुल मिलाकर रू. 25,000/- वाहन की कीमत पेटे कम करने का प्रस्ताव दिया गया था । इस प्रकार वाहन की कुल कीमत रू. 1,68,250/- की राषि छूट के बाद सही लिखी गई है । पूर्व में बनाया गया बिल दिनंाक 26.5.2012 राषि रू. 1,55,959/- को निरस्त कर दिनंाक 28.5.2012 को नया बिल रू. 10,000/- ज्यादा जोडकर प्रार्थी के आग्रह पर उसके टू व्हीलर वाहन की राषि के मूंल्याकन को बढ़ाते हुए बनाया गया और इस तथ्य को प्रार्थी ने छिपाया है । प्रार्थी को रू. 25,000/- एक्सचेंज बोनस की छूट दी गई है ।
अप्रार्थी का कथन है कि प्रार्थी ने वाहन की प्रथम व द्वितीय सर्विस सही समय पर नहीं करवाई। जाॅब कार्ड में सहवन से वाहन मालिक का नाम गलत अंकित हो जाने की स्थिति में अप्रार्थी उक्त गलती को सही करने के लिए आज भी तत्पर व तैयार है । किन्तु प्रार्थी इसके लिए तैयार नहीं हुआ । प्रार्थी द्वारा प्रष्नगत वाहन लेने के कुछ दिन बाद एक्सचेंज स्कीम का विवाद उठाए जाने पर प्रार्थी को अपना पुराना वाहन वापस लेकर उसकी मूल्यांकन राषि रू. 25,000/- लौटाए जाने का भी प्रस्ताव दिया गया। किन्तु इसके लिए भी प्रार्थी तैयार नहीं हुआ । । अपने अतिरिक्त कथनों में उपरोक्त तथ्यों को दोहराते हुए परिवाद सव्यय निरस्त किए जाने की प्रार्थना की है । जवाब के समर्थन में श्री रमाकान्त षर्मा,प्रोपराईटर ने अपना षपथपत्र पेष किया ।
4. प्रार्थी का तर्क रहा है कि सर्वप्रथम अप्रार्थी संख्या 2 से प्रष्नगत वाहन के खरीदने बाबत् हुए संव्यवहार के फलस्वरूप उनके द्वारा दिए गए तखमीना राषि तादादी रू. 1,68,250/- के क्रम में उसके द्वारा इस राषि का चैक जमा कराया गया । परिणामस्वरूप वाहन की डिलीवरी प्राप्त करने के बाद उसे रू. 1,55,959/- का बिल दिया गया एवं उसके तुरन्त बाद रू. 1,65,959/- का बिल दिया गया । तर्क प्रस्तुत किया गया कि अप्रार्थी द्वारा चैक के जरिए ज्यादा पैसा प्राप्त किया गया एवं बिल कम कीमत का दिया गया । इसी के क्रम में जब प्रष्नगत वाहन सर्विस हेतु दिया गया तो अप्रार्थी संख्या 2 द्वारा दिए गए बिल में गाड़ी नम्बर व चैसिस नम्बर उसी की गाड़ी के दिए गए । लेकिन गाड़ी मालिक का नाम किसी अन्य व्यक्ति का लिख कर दिया गया । अप्रार्थी के इस कृत्य को प्रार्थी के साथ अनुचित व्यापार व्यवहार बताते हुए बिना किसी आधार के कीमत लगा कर मनमर्जी से टैक्स वसूलना व त्रुटिपूर्ण बिल बना कर उपभोक्ताओं से राषि प्राप्त करना अनुचित व्यापार में कमी कर गुमराह करना बताया व मुआवजा राषि प्राप्त करने का अधिकारी बताया ।
5. अप्रार्थी संख्या 1 केी ओर से तर्क प्रस्तुत किया गया कि प्रष्नगत वाहन दिनंाक 28.5.2012 को क्रय किया गया व माह-जून, 2014 में मंच के समक्ष करीब 2 वर्ष 1 माह बाद परिवाद प्रस्तुत किया गया जो अवधि बाधित है व इस संदर्भ में माननीय उच्चतम न्यायालय का विनिष्चय भ्नकं टे ठण्ज्ञण् ैववक प्ट;2005द्धब्च्श्र 1 ैब् प्रस्तुत किया । यह भी तर्क प्रस्तुत किया कि परिवाद में दर्ज तथ्य इतने जटिल व पेचिदा तथा तकनीकी है । जिसका निस्तारण इस संक्षिप्त प्रक्रिया के माध्यम से सम्भव नहीं है । इनकी जांच पक्षकारान एवं विषेषज्ञों के मौखिक एवं दस्तावेजी साक्ष्य से व जिरह से ही सम्भव है। इसलिए यह परिवाद निरस्त किए जाने योग्य है । वह मात्र वाहन का खुदरा विक्रेता है । अप्रार्थी संख्या 2 वाहन का डीलर है । तर्क प्रस्तुत किया गया कि उसके व प्रार्थी के मध्य कोई च्तपअपजल व िब्वदजतंबज नहीं है । परिवाद निरस्त किए जाने योग्य है ।
6. अप्रार्थी संख्या - 2 ने तर्क प्रस्तुत किया कि प्रार्थी व उसके मध्य हुए संव्यवहार के अन्तर्गत सर्वप्रथम उसे रू. 1,68,200/- का खर्चा बीमा, आटीओ में लगने वाली राषि तथा रू. 25,000/- की टूटे पुराने वाहन के बदले आदि का हुआ था । इसी के क्रम में प्रार्थी द्वारा इस राषि का चैक जमा करवाया गया था । किन्तु उनके द्वारा बनाए गए बिल रू. 1,55,959/- को प्रार्थी के आग्रह पर निरस्त कर रू. 10,000/- की छूट राषि को छोड़ कर बिल दिया गया और रू. 10,000/- छूट दिखा कर खाते में लिया गया तथा दिनंाक 28.5.2012 को रू. 1,65,959/- का बिल दिया गया । यह स्वीकार किया गया कि वाहन की सर्विस के दौरान जाॅबकार्ड में मालिक का अता पता सहवन से गलत अंकित कर दिया गया ।
7. हमने परस्पर तर्क सुने हैं एवं पत्रावली पर उपलब्ध अभिलेखों का अवलोकन कर लिया है ।
8. जहंा तक अप्रार्थी संख्या 1 के तर्क का प्रष्न है, हम इस बात पर सहमत है कि प्रार्थी का डीलर के साथ संव्यवहार रहा है तथा उसी के द्वारा
बिल इत्यादित जारी किए गए है । फलस्वरूप प्रार्थी का अप्रार्थी संख्या 2 के मध्य अनुबन्ध को देखते हुए व च्तपअपजल व िब्वदजतंबज को देखते हुए अप्रार्थी संख्या 1 के साथ कोई सीधा संव्यवहार नहीं हुआ है। परिवाद दिनंाक 11.4.2014 को प्रस्तुत हुआ है व उसके द्वारा दिनंाक 24.5.2012 को प्रष्नगत वाहन खरीदा गया है । 2 वर्ष की अवधि के अन्दर अन्दर प्रस्तुत परिवाद को देखते हुए अप्रार्थी संख्या 1 की यह आपत्ति सारहीन है व एतद् द्वारा निरस्त की जाती है ।
9. चूंकि स्वयं अप्रार्थी संख्या 2 ने प्रार्थी के साथ हुए सौदा संव्यवहार के अन्तर्गत तखमीना परिषिष्ठ -1, जिसके तहत उसने प्रार्थी को प्रष्नगत वाहन क्रय किए जाने के समय में खर्च के रूप में रू. 1,68,250/- लिख कर दिए है व इसकों स्वीकार करते हुए परिषिष्ठ-2 बिल परिषिष्ठ-3 बिल व परिषिष्ठ-4 बिल को स्वीकार किया है और इसका एक मात्र कारण प्रार्थी के आग्रह पर पुराने बिल को निरस्त कर नया बिल बनाते हुए जो रू. 10,000/- की छूट दिखा कर खाता मिलाकर हिसाब बनाते हुए अंतिम बिल दिनंाक 28.5.2012 परिषिष्ठ-4 दिया है, को दखने से यह स्पष्ट है कि उनके द्वारा मात्र ग्राहकों की सन्तुष्ठी को देखते हुए बिलों में हेराफेरी कर नए सिरे से बिल जारी किए गए है ।कहा जा सकता है कि उनका यह कृत्य अनुचित व्यापार व्यवहार का ज्वलन्त उदाहरण है । यहीं नहीे उन्होने प्रार्थी द्वारा वाहन की सर्विस के दौरान प्राप्त किए गए इन्वाईस में भी मालिक का नाम पता , विवरण अंकित करते हुूए अनुचित व्यापार व्यवहार को दोहराया है । यह मंच अप्रार्थी संख्या 2 की इसी प्रवृत्ति को ध्यान में रखते हुए सेवा में कमी व दोषपूुर्ण व्यवहार का भागीदार पाते है । प्रार्थी का परिवाद स्वीकार किया जाने योग्ए जाने योय है एवं आदेष है कि आदेष
:ः- आदेष:ः-
10. (1) प्रार्थी अप्रार्थी संख्या 2 से मानसिक क्षतिपूर्ति के पेटे रू. 10,000 /- एवं परिवाद व्यय के पेटे रू. 2500/- प्राप्त करने का अधिकारी होगा ।
(2) क्रम संख्या 1 में वर्णित राषि अप्रार्थी संख्या 2 प्रार्थी को इस आदेष से दो माह की अवधि में अदा करें अथवा आदेषित राषि डिमाण्ड ड््राफट से प्रार्थी के पते पर रजिस्टर्ड डाक से भिजवावे ।
आदेष दिनांक 15.07.2016 को लिखाया जाकर सुनाया गया ।
(नवीन कुमार ) (श्रीमती ज्योति डोसी) (विनय कुमार गोस्वामी )
सदस्य सदस्या अध्यक्ष