राज्य उपभोक्ता विवाद प्रतितोष आयोग, उ0प्र0, लखनऊ
परिवाद संख्या-39/2023
(सुरक्षित)
एहसान अली, पुत्र हजरत अली, निवासी-ग्राम-बिर्दपुर नं0 8, पोस्ट बिर्दपुर टोला, मोहनजोत, जिला सिद्धार्थ नगर
........................परिवादी
बनाम
1. टाटा मोटर्स फाइनेंस लि0 द्वारा मैनेजिंग डायरेक्टर, स्थित माल तृतीय तल, क्रास रोड, बैंक रोड, गोरखपुर, यू0पी0- 273001, हेड आफिस- द्वितीय तल, ए विंग आई थिंक टेक्नो कैम्पस आफ पोखरन रोड नं02, थाणे वेस्ट, महाराष्ट्र-400601
2. मो0 जावेद खान, हाउस नं0 320 दलाल नगर, मुरादगंज, औरैया
.......................विपक्षीगण
समक्ष:-
माननीय न्यायमूर्ति श्री अशोक कुमार, अध्यक्ष।
परिवादी की ओर से उपस्थित : श्री अजहर हुसैन,
विद्वान अधिवक्ता।
विपक्षी सं01 की ओर से उपस्थित : श्री राजेश चड्ढा,
विद्वान अधिवक्ता।
विपक्षी सं02 की ओर से उपस्थित : कोई नहीं।
दिनांक: 12.12.2024
माननीय न्यायमूर्ति श्री अशोक कुमार, अध्यक्ष द्वारा उदघोषित
निर्णय
प्रस्तुत परिवाद इस न्यायालय के सम्मुख परिवादी एहसान अली द्वारा विपक्षीगण टाटा मोटर्स फाइनेंस लि0 एवं मो0 जावेद खान के विरूद्ध योजित किया गया है।
संक्षेप में परिवाद के तथ्य इस प्रकार हैं कि विपक्षी संख्या-1, कम्पनी अधिनियम के अन्तर्गत पंजीकृत कम्पनी है। विपक्षी संख्या-2 एक औपचारिक पक्षकार है और उसे केवल इस कारण से पक्षकार बनाया गया है कि उसने विपक्षी संख्या-1 से एक ट्रक, जिसका पंजीकरण संख्या UP-79-T-3715 है, खरीदने के लिए ऋण
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लिया था। विपक्षी संख्या-2 द्वारा ऋण राशि का भुगतान न किए जाने के कारण विपक्षी संख्या-1 द्वारा उक्त ट्रक को वापस ले लिया गया।
परिवादी का कथन है कि उपरोक्त ट्रक, जिसका रजिस्ट्रेशन नम्बर UP-79-T-3715 है, को परिवादी को 16,82,700/- (सोलह लाख बयासी हजार सात सौ रूपये) में बेचा गया तथा परिवादी द्वारा उक्त धनराशि विपक्षी संख्या-1 के खाते में स्थानान्तरित की गयी। उपरोक्त धनराशि प्राप्त करने के पश्चात् विपक्षी संख्या-1 द्वारा परिवादी को एम.पी. बिल्डिंग, गोरखपुर में स्थित मेसर्स मोटर एंड जनरल सेल्स प्राइवेट लिमिटेड से प्रश्नगत ट्रक लेने का निर्देश दिया गया, जिस पर परिवादी द्वारा दिनांक 21.07.2017 को मोटर एंड जनरल सेल्स गोरखपुर के कार्यालय से उपरोक्त ट्रक प्राप्त किया गया।
परिवादी का कथन है कि परिवादी को प्रश्नगत ट्रक प्राप्त कराने के उपरान्त विपक्षी संख्या-1 द्वारा मोटर वाहन अधिनियम के अन्तर्गत आवश्यक कोई दस्तावेज परिवादी को उपलब्ध नहीं कराए गए तथा उक्त दस्तावेजों के बिना पंजीकरण प्रमाण पत्र में ट्रक के मालिक का नाम नहीं बदला जा सका, जिस कारण फिटनेस प्रमाण पत्र का परमिट जारी नहीं किया जा सका और उक्त दस्तावेजों के बिना प्रश्नगत ट्रक सड़क पर नहीं चल सका, यहॉं तक कि विपक्षी संख्या-1 के कर्मियों द्वारा परिवादी को गंभीर परिणाम भुगतने की धमकी भी दी गयी।
परिवादी का कथन है कि प्रश्नगत ट्रक बिना उपयोग के खड़ा है तथा सड़ रहा है, जबकि विपक्षी संख्या-1 द्वारा 16,82,700/-रू0 (सोलह लाख बयासी हजार सात सौ रूपये) की बड़ी धनराशि परिवादी से ली गयी है, परन्तु विपक्षी संख्या-1 द्वारा कोई बिक्री प्रमाण पत्र या फॉर्म 36 जारी नहीं किया गया। इस प्रकार यह साबित होता है कि विपक्षी संख्या-1 द्वारा परिवादी के साथ सेवा में
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घोर कमी व धोखाधड़ी की गयी, जो प्रारम्भ से ही अनुचित अनुबंध था। विपक्षी संख्या-1 के कृत्यों से परिवादी को मानसिक पीड़ा और मानसिक तनाव का सामना करना पड़ा है और विपक्षी संख्या-1 के कृत्य से परिवादी का पारिवारिक जीवन भी बर्बाद हो गया है। विपक्षी संख्या-1 द्वारा बिक्री प्रमाण पत्र न दिए जाने या ट्रक के लिए फॉर्म नंबर 36 जारी न किए जाने के कारण विवाद आज तक कायम है, इस प्रकार कार्रवाई का कारण आज तक जीवित है।
इस प्रकार विपक्षी संख्या-1 के उपरोक्त कृत्य से क्षुब्ध होकर परिवादी द्वारा इस न्यायालय के सम्मुख परिवाद योजित करते हुए निम्न अनुतोष प्रदान किए जाने की मांग की गयी:-
(A) Direct opposite party no. 1 to refund Rs. 16,82,700/- (Rupees Sixteenth lakh eighty two hundred seven hundred only) along with 18% per annum interest from 21.07.2017 till the actual payment is made and take back the truck having registration no.UP-79-T-3715 from the complainant.
(B) Direct opposite party no. 1 to pay a sum of rupees one crore to the complainant for the mental agony and mental tension cost to the complainant.
(C) Allow the complainant with cost.
OR
Pass any order or direction in favour of complainant the opposite party no. 1 in the circumstances.
विपक्षी संख्या-1 की ओर से लिखित कथन प्रस्तुत किया गया तथा अपनी प्रारम्भिक आपत्ति में मुख्य रूप से यह कथन किया गया कि प्रश्नगत मामले में कार्रवाई का कारण नहीं बनता है और न ही विपक्षी के विरूद्ध कोई दोषपूर्ण सेवा प्रदान करने का मामला बनता है। परिवादी को समय बाधित परिवाद प्रस्तुत करने का कोई अधिकार नहीं है। परिवादी ने नीलामी में बेचे गए वाहन को विपक्षी से नहीं खरीदा है, अत: उपभोक्ता संरक्षण अधिनियम के प्रावधानों के अन्तर्गत परिवादी विपक्षी का उपभोक्ता नहीं है।
विपक्षी संख्या-1 ने ऋण अनुबंध के आधार पर वर्ष 2015 में
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मोहम्मद जावेद खान नामक व्यक्ति को वाणिज्यिक वाहन खरीदने के लिए ऋण राशि प्रदान की, परन्तु उक्त ऋण का भुगतान न करने के कारण 26 मई, 2017 को प्रश्नगत वाहन वापस ले लिया गया। प्रश्नगत वाहन को वापस लेने के उपरान्त विपक्षी ने प्रश्नगत वाहन को नीलामी बिक्री के माध्यम से दिनांक 18 जुलाई, 2017 को अजय कुमार चौबे नामक व्यक्ति को बेच दिया तथा नीलामी धनराशि प्राप्त कर ली, तत्पश्चात् उक्त वाहन को उसके प्रतिनिधि अर्थात् परिवादी एहसान अली के माध्यम से दिनांक 21 जुलाई, 2017 को मै0 मोटर एण्ड जनरल सेल्स, गोरखपुर के परिसर से सम्पूर्ण संतुष्टि के साथ तथा सम्बन्धित आर0टी0ओ0 से सम्बन्धित सभी दस्तावेजों के साथ उक्त नीलामी क्रेता को सुपुर्द कर दिया गया।
विपक्षी संख्या-1 द्वारा यह भी कथन किया गया कि चूँकि प्रश्नगत वाहन अजय कुमार चौबे द्वारा नीलामी में खरीदा गया, इस कारण परिवादी विपक्षी का उपभोक्ता नहीं है, अत: परिवाद खारिज किए जाने योग्य है। यह भी कथन किया गया कि प्रश्नगत वाहन दिनांक 18.07.2017 को खरीदा गया, जबकि परिवाद मार्च, 2023 में योजित किया गया, अत: परिवाद उपभोक्ता संरक्षण अधिनियम, 2019 के अन्तर्गत समय-सीमा से बाधित होने के कारण खारिज होने योग्य है। चूँकि प्रस्तुत मामले में नीलामी क्रेता अर्थात् अजय कुमार चौबे ने प्रश्नगत वाहन को 16,82,000/-रू0 में क्रय किया गया तथा विपक्षी को उक्त राशि का भुगतान किया गया, अत: वर्तमान मामला माननीय आयोग के आर्थिक क्षेत्राधिकार के अन्तर्गत पोषणीय नहीं है।
विपक्षी संख्या-1 का कथन है कि परिवादी द्वारा वाहन की नीलामी खरीद/बिक्री का कोई भी दस्तावेज या कोई समझौता प्रस्तुत नहीं किया गया है। परिवादी द्वारा वाहन के भुगतान की कोई भी रसीद प्रस्तुत नहीं की गयी है तथा यह कि यदि नीलामी क्रेता
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ने किसी से भी धन की सुविधा प्राप्त करके नीलामी वाहन की खरीद का भुगतान विपक्षी को किया है तो इसका यह अर्थ और अनुमान नहीं होगा कि परिवादी एहसान अली वाहन का क्रेता है। चूँकि प्रश्नगत वाहन नीलामी में अजय कुमार चौबे को बेचा गया था और बेचे गए वाहन के सभी संबंधित दस्तावेज वर्ष 2017 में ही प्रासंगिक समय पर सौंप दिए गए थे और इस प्रकार कथित मामला 06 वर्ष बीत जाने के बाद दायर किया गया और वह भी परिवादी द्वारा परिवाद दायर करने का कोई अधिकार नहीं है क्योंकि वह विपक्षी का उपभोक्ता नहीं है तथा यह कि 06 वर्ष बीतने के उपरान्त वाहन के रिकॉर्ड को बनाए रखना बहुत मुश्किल है।
विपक्षी संख्या-1 का कथन है कि वाहन से संबंधित सभी आर0टी0ओ0 दस्तावेज नीलामी खरीदारों को तुरन्त दिए जाते हैं क्योंकि विपक्षी कोई भी दस्तावेज अपने पास नहीं रखता है क्योंकि वाहन बेचे जाने के बाद उसका उससे कोई लेना-देना नहीं होता है, इसलिए नीलामी क्रेता द्वारा वाहन खरीदने के 06 वर्ष बाद उठाया गया कोई भी झूठा आरोप कि वाहन के दस्तावेज उपलब्ध नहीं कराए गए हैं, एक झूठी और मनगढ़ंत कहानी है। परिवादी को कोई मानसिक पीड़ा नहीं हुई है, वह वाहन का क्रेता नहीं है, न ही वह विपक्षी का उपभोक्ता है। परिवाद गलत एवं झूठे कथनों के आधार पर प्रस्तुत किया गया है। अत: परिवाद मय हर्जाना निरस्त होने योग्य है।
मेरे द्वारा परिवाद की अंतिम सुनवाई की तिथि पर परिवादी की ओर से उपस्थित विद्वान अधिवक्ता श्री अजहर हुसैन एवं विपक्षी संख्या-1 की ओर से उपस्थित विद्वान अधिवक्ता श्री राजेश चड्ढा को सुना गया तथा पत्रावली पर उपलब्ध समस्त प्रपत्रों का सम्यक परीक्षण व परिशीलन किया गया।
परिवादी के विद्वान अधिवक्ता द्वारा पीठ का ध्यान परिवाद पत्रावली के पृष्ठ संख्या-5 पर उपलब्ध संलग्नक-1, जो परिवादी
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एहसान अली के बैंक एकाउण्ट का दिनांक 14.07.2017 से दिनांक 18.07.2017 तक के स्टेटमेन्ट की प्रति है, की ओर आकर्षित किया, जो निम्नवत् है:-
Txn Date | Value Date | Description | Ref No. /Cheque No. | Debit | Credit | Balance |
14 Jul 2017 | 14 Jul 2017 | CASH DEPOSIT-CASH DEPOSIT SELF- | | | 10,00,000.00 | 10,00,065.37 |
14 Jul 2017 | 14 Jul 2017 | CHQ TRANSFER-RTGS UTR NO: SBINR52017071400050871-878573 TATA MOTORS FINANCE LTD | 878573 TATA MOTORS FINANCE LTD | 10,00,059.00 | | 6.37 |
18 Jul 2017 | 18 Jul 2017 | CASH DEPOSIT-CASH DEPOSIT SELF- | | | 5,82,700.00 | 5,82,706.37 |
18 Jul 2017 | 18 Jul 2017 | CHEQUE DEPOSIT-456398 | 456398 | | 1,00,000.00 | 6,82,706.37 |
18 Jul 2017 | 18 Jul 2017 | CHQ TRANSFER-RTGS UTR NO:SBINR52017071800015516-878575 TATA MOTORS FINANCE | 878575 TATA MOTORS FINANCE | 6,82,700.00 | | 6.37 |
परिवादी के उपरोक्त बैंक स्टेटमेन्ट से स्पष्ट है कि परिवादी द्वारा दिनांक 14.07.2017 को विपक्षी टाटा मोटर्स फाइनेंस लि0 को 10,00,059/-रू0 एवं दिनांक 18.07.2017 को 6,82,700/-रू0 का भुगतान किया गया है। इस प्रकार परिवादी द्वारा विपक्षी टाटा मोटर्स फाइनेंस लि0 को 16,82,700/-रू0 का भुगतान किया जाना दर्शित होता है।
इसी प्रकार परिवाद पत्रावली के पृष्ठ संख्या-6 पर उपलब्ध प्रपत्र, जो मै0 मोटर एण्ड जनरल सेल्स प्रा0लि0, एम0पी0 बिल्डिंग, गोरखपुर द्वारा परिवादी एहसान अली को प्रश्नगत वाहन UP-79-T 3715 प्राप्त कराए जाने की रसीद है, से स्पष्ट है कि प्रश्नगत वाहन परिवादी एहसान अली को दिनांक 21.07.2017 को प्राप्त कराया गया।
उपरोक्त के विरोध में विपक्षी संख्या-1 की ओर से ऐसा कोई
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प्रपत्र या साक्ष्य प्रस्तुत नहीं किया गया, जिससे यह साबित हो सके कि प्रश्नगत वाहन परिवादी को बेचा नहीं गया तथा यह कि विपक्षी संख्या-1 द्वारा प्रश्नगत वाहन बिक्री किए जाने के उपरान्त वाहन से सम्बन्धित समस्त कागजात वाहन क्रेता को उपलब्ध कराए जाने के सम्बन्ध में भी कोई प्रपत्र या साक्ष्य प्रस्तुत नहीं किया गया। अत: प्रस्तुत मामले में विपक्षी संख्या-1 की सेवा में घोर कमी व अनुचित व्यापार पद्धति स्पष्ट रूप से परिलक्षित होती है।
इसके साथ ही चूँकि वर्ष 2017 से अब तक प्रश्नगत वाहन के समस्त आवश्यक कागजात परिवादी को उपलब्ध नहीं कराए गए, जिनके अभाव में वाहन का पंजीकरण इत्यादि का स्थानान्तरण परिवादी के नाम न होने के कारण प्रश्नगत वाहन अब तक खड़ा है। अत: मेरे विचार से प्रस्तुत परिवाद समय-सीमा से बाधित नहीं है।
सम्पूर्ण तथ्यों एवं परिस्थितियों को दृष्टिगत रखते हुए तथा पत्रावली पर उपलब्ध समस्त प्रपत्रों का सम्यक परीक्षण व परिशीलन करने के उपरान्त मेरे विचार से चूँकि परिवादी द्वारा विपक्षी संख्या-1 को 16,82,700/-रू0 का भुगतान किया जाना पाया जाता है, अत: परिवादी विपक्षी संख्या-1 का उपभोक्ता है तथा यह कि विपक्षी संख्या-1 द्वारा उपरोक्त धनराशि प्राप्त किए जाने के उपरान्त प्रश्नगत वाहन परिवादी को प्राप्त कराया गया, परन्तु प्रश्नगत वाहन परिवादी को प्राप्त कराने के उपरान्त वाहन के समस्त आवश्यक कागजात परिवादी को उपलब्ध नहीं कराए गए, जिनके अभाव में वाहन का पंजीकरण इत्यादि का स्थानान्तरण परिवादी के नाम नहीं हो सका, जिस कारण वाहन वर्ष 2017 से सड़क पर ही खड़ा रहा, जिससे परिवादी को मानसिक पीड़ा व मानसिक तनाव हुआ, जो प्रथम दृष्ट्या विपक्षी संख्या-1 की सेवा में घोर कमी व अनुचित व्यापार पद्धति का द्योतक है। तदनुसार प्रस्तुत परिवाद स्वीकार किए जाने योग्य है।
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आदेश
प्रस्तुत परिवाद स्वीकार किया जाता है। विपक्षी संख्या-1 को आदेशित किया जाता है कि वह परिवादी को 16,82,700/-रू0 (सोलह लाख बयासी हजार सात सौ रूपए) दिनांक 21.07.2017 से वास्तविक भुगतान की तिथि तक 10 प्रतिशत वार्षिक ब्याज के साथ इस निर्णय की तिथि से दो माह की अवधि में अदा करे।
विपक्षी संख्या-1 द्वारा परिवादी को मानसिक पीड़ा व मानसिक तनाव हेतु 1,00,000/-रू0 (एक लाख रूपए मात्र) क्षतिपूर्ति इस निर्णय की तिथि से दो माह की अवधि में अदा की जावे।
विपक्षी संख्या-1 द्वारा परिवादी को वाद व्यय हेतु 25,000/-रू0 (पच्चीस हजार रूपए मात्र) भी इस निर्णय की तिथि से दो माह की अवधि में अदा किया जावे।
यदि विपक्षी संख्या-1 द्वारा परिवादी को उपरोक्त समस्त धनराशि का भुगतान इस निर्णय की तिथि से दो माह की अवधि में नहीं किया जाता है तो उपरोक्त समस्त धनराशि पर 12 प्रतिशत वार्षिक ब्याज भी देय होगा।
आशुलिपिक से अपेक्षा की जाती है कि वह इस निर्णय/आदेश को आयोग की वेबसाइट पर नियमानुसार यथाशीघ्र अपलोड कर दें।
(न्यायमूर्ति अशोक कुमार)
अध्यक्ष
जितेन्द्र आशु0
कोर्ट नं0-1