जिला उपभोक्ता विवाद प्रतितोष आयोग, प्रथम, लखनऊ।
परिवाद संख्या:- 946/2020 उपस्थित:-श्री नीलकंठ सहाय, अध्यक्ष।
श्रीमती सोनिया सिंह, सदस्य।
श्री कुमार राघवेन्द्र सिंह, सदस्य।
परिवाद प्रस्तुत करने की तारीख:-18.11.2020
परिवाद के निर्णय की तारीख:-06.07.2023
शिव प्रताप सिंह पुत्र श्री शिव नाथ सिंह, निवासी-ग्राम-खड़ता दताली ढेडेमऊ, मलिहाबाद,जिला-लखनऊ-226012 ..............परिवादिनी।
Versus
1. प्रबन्धक, टाटा हाउसिंग फाइनेन्स लिमिटेड, कार्यालय-छठा तल, हलवासिया कोर्ट रोड, हबिबुल्लाह इस्टेट रोड, 11, एम0जी0 मार्ग, हजरतगंज, लखनऊ।
2. प्रमुख, कस्टमर ग्रीवान्स डिपार्टमेंट, टाटा हाउसिंग फाइनेन्स लिमिटेड कार्यालय-ग्यारह तल, टावर ए, पेनसुला बिजनेस पार्क, गणपत राव कदम रोड, लोवर परेल रोड, मुम्बई-40013 ।
………………. Opposite Parties.
परिवादी के अधिवक्ता का नाम:-श्री संजय कुमार शाक्य।
विपक्षी के अधिवक्ता का नाम:-श्री रितेश गोयल।
आदेश द्वारा-श्री नीलकंठ सहाय, अध्यक्ष।
निर्णय
1. परिवादी ने प्रस्तुत परिवाद अन्तर्गत धारा 12 उपभोक्ता संरक्षण अधिनियम 1986 के तहत विपक्षीगण से परिवादी के ऋण की अदायगी में छह माह की छूट , परिवादी के प्रार्थना पत्र देने के बाद दिनॉंक 30.09.2020 को बैंक खाते से ली गयी किस्त क्षति के रूप में 20,000.00 रूपये, मानसिक एवं शारीरिक उत्पीड़न हेतु 2,00,000.00 लाख रूपये एवं वाद व्यय 5,000.00 रूपये दिलाये जाने की प्रार्थना के साथ प्रस्तुत किया है।
2. संक्षेप में परिवाद के कथन इस प्रकार हैं कि परिवादी ने विपक्षीगण को एक प्रार्थना पत्र ऋण अदायगी में छूट देने के संबंध में दिनॉंक 05.09.2020 को भेजा था। परिवादी ने खाता संख्या 9810074 भवन/भूखण्ड खरीद हेतु दिनॉंक 30.11.2016 को विपक्षीगण की कम्पनी से 18,27,500.00 रूपये का ऋण स्वीकृत किया गया था, जिसकी अदायगी परिवादी द्वारा नियमानुसार दिनॉंक 09.12.2018 से दिनॉंक 09.08.2020 तक नियमित रूप से की जाती रही है।
3. विपक्षीगण द्वारा भवन/भूखण्ड की खरीद के समय विक्रेता के पक्ष में एक चेक संख्या-230815 दिनॉंकित 08.12.2016 एच0डी0एफ0सी0 बैंक लिमिटेड मुबलिग-17,92,305.00 रूपये का जारी किया गया था। परिवादी द्वारा नियमानुसार किस्त की समयबद्ध तरीके से अदायगी की जाती रही है। पूरे ऋण का भुगतान परिवादी द्वारा 300 किस्तों में किया जाना है। परिवादी ने अभी तक कुल 45 किस्तों का भुगतान 7,13,693.00 रूपये कम्पनी को किया जा चुका है।
4. माह अगस्त 2020 की किस्त दिनॉंक 09.08.2020 का भुगतान भी वह कर चुका है, किन्तु कोविड-19 महामारी से उत्पन्न समस्या के कारण अब किस्त समय से देने में कठिनाई आ रही है। परिवादी को कोविड-19 महामारी से उत्पन्न समस्या के कारण कम से कम छह माह की छूट किस्त के भुगतान में किया जाना आवश्यक है। परिवादी ने व्यक्तिगत रूप से सितम्बर माह में विपक्षी संख्या 01 के कार्यालय में सम्पर्क किया जिसमें विपक्षी संख्या 01 ने परिवादी की समस्या पर कोई ध्यान नहीं दिया। विपक्षीगण ने परिवादी के खाते से 30 सितम्बर 2020 को गारन्टी की दी गयी एक चेक 12,629.00 रूपये निकाल लिया है, जबकि मासिक किस्त 16,162.00 रूपये है।
5. विपक्षीगण द्वारा अपना उत्तर पत्र प्रस्तुत करते हुए कथन किया कि परिवादी द्वारा प्रस्तुत परिवाद मनगढ़न्त तथ्यों के आधार पर संस्थित किया गया है। टाटा कैपिटल हाउसिंग फाइनेस् लि0 के तहत 18,27,500.00 रूपये का लोन दिया गया था। परिवादी द्वारा कोई भी ई0एम0आई0 नहीं प्रेषित की गयी। कोविड-19 पैन्डमिक के तहत परिवादी को सुविधा दी गयी थी। 12,629.00 रूपये परिवादी द्वारा लोन एकाउन्ट में जमा किया गया है।
6. परिवादी द्वारा अपने कथानक के समर्थन में कोई मौखिक साक्ष्य प्रस्तुत नहीं किया गया है, तथा दस्तावेज साक्ष्य के रूप में प्रार्थना पत्र की प्रतिलिपि, डाक रसीद, खाते का स्टेटमेंट आदि दाखिल किया है। विपक्षीगण द्वारा भी मौखिक साक्ष्य प्रस्तुत नहीं किया गया है, दस्तावेजी साक्ष्य के रूप में पॉवर ऑफ अटॉरिनी, स्टेटमेंट ऑफ एकाउन्ट, दाखिल किया है।
7. पक्षकारों को बहस का पर्याप्त अवसर प्रदान किया गया, परन्तु वे लोग उपस्थित नहीं आये। मैंने पत्रावली का परिशीलन किया।
8. परिवाद पत्र के कथनों को साबित करने का भार परिवादी के ऊपर है। परिवादी द्वारा अपने कथनों के समर्थन में कोई भी मौखिक साक्ष्य प्रस्तुत नहीं किया गया है। दस्तावेजी साक्ष्य के रूप में जो कागजात दाखिल किये गये है उसकी पुष्टि उनके द्वारा साक्ष्य का अवसर प्रदान किये जाने के उपरान्त नहीं किया गया है। अत: मात्र दस्तावेजी साक्ष्य के आधार पर किसी भी परिवाद का साबित होना नहीं समझा जा सकता।
9. यह तथ्य सही है कि विपक्षीगण द्वारा अपने कथनों के सापेक्ष में कोई भी साक्ष्य प्रस्तुत नहीं किया गया है। मौखिक रूप से तथा और विधि का नियम यह है कि विपक्षीगण की कमियों का लाभ परिवादी को नहीं दिया जा सकता। चॅूंकि विपक्षीगण ने कोई साक्ष्य नहीं दिया है। उसके कथनों को मान लिया जाए तो इसका लाभ परिवादी प्राप्त करने का अधिकारी नहीं है।
10. चॅूंकि विपक्षीगण द्वारा यह तथ्य स्वीकार किया गया है कि लोन लिया गया था। जो तथ्य स्वीकार किया गया है उसे साबित नहीं किया जाना है। अत: दोनों पक्षों में लोन का विवाद था, और परिवादी उपभोक्ता की श्रेणी में आता है।
11. परिवादी द्वारा अपने कथानक की पुष्टि मौखिक साक्ष्य के माध्यम से नहीं की गयी है। ऐसी परिस्थिति में परिवादी यह साबित करने में असफल रहा है कि विपक्षीगण द्वारा सेवा में कोई कमी की गयी है। अत: परिवादी का परिवाद खारिज किये जाने योग्य है।
आदेश
परिवादी का परिवाद खारिज किया जाता है।
पत्रावली पर उपलब्ध समस्त प्रार्थना पत्र निस्तारित किये जाते हैं।
निर्णय/आदेश की प्रति नियमानुसार उपलब्ध करायी जाए।
(कुमार राघवेन्द्र सिंह) (सोनिया सिंह) (नीलकंठ सहाय)
सदस्य सदस्य अध्यक्ष
जिला उपभोक्ता विवाद प्रतितोष आयोग, प्रथम,
लखनऊ।
आज यह आदेश/निर्णय हस्ताक्षरित कर खुले आयोग में उदघोषित किया गया।
(कुमार राघवेन्द्र सिंह) (सोनिया सिंह) (नीलकंठ सहाय)
सदस्य सदस्य अध्यक्ष
जिला उपभोक्ता विवाद प्रतितोष आयोग, प्रथम,
लखनऊ।
दिनॉंक:-06.07.2023