Rajasthan

Nagaur

103/2013

Khivraj Jat - Complainant(s)

Versus

TATA AIG life Insurance co.ltd. - Opp.Party(s)

SH.Mahendra kumar sharma

13 May 2015

ORDER

Heading1
Heading2
 
Complaint Case No. 103/2013
 
1. Khivraj Jat
Paldi kalla,degana,nagaur
...........Complainant(s)
Versus
1. TATA AIG life Insurance co.ltd.
POwai,mumbay
............Opp.Party(s)
 
BEFORE: 
 HON'BLE MR. JUSTICE Brijlal Meena PRESIDENT
 HON'BLE MR. Balveer KhuKhudiya MEMBER
 HON'BLE MRS. Rajlaxmi Achrya MEMBER
 
For the Complainant:SH.Mahendra kumar sharma, Advocate
For the Opp. Party: SH.narendra sarswat, Advocate
ORDER

जिला उपभोक्ता विवाद प्रतितोष मंच, नागौर

परिवाद सं. 103/2013

खींवराज पुत्र श्री घीसाराम, जाति-जाट, निवासी-पालडी कलां, तहसील-डेगाना, जिला-नागौर  (राज.)।                                      -परिवादी     
बनाम

1. टाटा ए.आई.ए. लाईफ इंश्योरेंस कम्पनी लि., पंजीकृत कार्यालय, डेल्फी-बी. विंग, दूसरा फ्लोर आॅर्चर्ड एवेन्यु, हीरानन्दानी बिजीनस पार्क, पोवे, मुम्बई-76
2. टाटा ए.आई.ए. लाईफ इंश्योरेंस कम्पनी लि., शाखा कार्यालय, पहला तल दीपक टावर दीपक इलेक्. सेल्स कचहरी रोड, अजमेर (राज.)।
3. टाटा ए.आई.ए. लाईफ इंश्योरेंस कम्पनी लि., शाखा कार्यालय, सुगनसिंह  सर्किल,  नागौर।

                                               -अप्रार्थीगण 
समक्षः
1. श्री बृजलाल मीणा, अध्यक्ष।
2. श्रीमती राजलक्ष्मी आचार्य, सदस्या।
3. श्री बलवीर खुडखुडिया, सदस्य।

उपस्थितः
1. श्री महेन्द्र कुमार शर्मा, अधिवक्ता वास्ते प्रार्थी।
2. श्री नरेन्द्र सारस्वत, अधिवक्ता वास्ते अप्रार्थी।

    अंतर्गत धारा 12 उपभोक्ता संरक्षण अधिनियम ,1986

                      आ  दे  श           दिनांक 13.05.2015

1. परिवाद-पत्र के तथ्य संक्षेप में इस प्रकार हैं कि परिवादी के पिता श्री घीसाराम ने अप्रार्थीगण से एक जीवन बीमा पाॅलिसी नम्बर यू 142533257 ली हुई थी। इस पाॅलिसी में तीन लाख रूपये की रिस्क कवर थी। पाॅलिसी दिनांक 29.08.2009 को ली गई। इसकी प्रीमियम राशि 7500/- रूपये जमा की जाती रही। अंतिम बार दिनांक 16.05.2012 को 22,500/- रूपये अप्रार्थी संख्या 2 के यहां जमा की गई। जिसकी रसीद संख्या पीआर 2851042 जारी की गई। बीमा पाॅलिसी दिनांक 15.11.2012 तक पूर्ण रूप से प्रभावी रही। परिवादी के पिता का दिनांक 15.11.2012 को देहान्त हो गया। दिनांक 28.12.2012 को अप्रार्थीगण के यहां क्लेम प्रस्तुत किया गया। अप्रार्थीगण ने परिवादी का उक्त क्लेम आवेदन दिनांक 21.01.2013 को ड्यू प्रीमियम राशि दिनांक 28.02.2011 जमा नहीं करवाने  के कारण पाॅलिसी लेप्स हो जाना बताते हुए परिवादी का क्लेम खारिज कर दिया। बीमा पाॅलिसी पूर्ण रूप से प्रभाव में रही, क्योंकि उक्त पाॅलिसी के प्रीमियम की राशि दिनांक 16.05.2012 को जमा की गई। प्रीमियम राशि आज तक वापिस नहीं की है। जिससे प्रमाणित है कि उक्त पाॅलिसी दिनांक 15.11.2012 तक पूर्णरूप से प्रभावी रही। परिवादी को अप्रार्थीगण द्वारा गलत रूप से क्लेम खारिज करने के कारण मानसिक व शारीरिक संताप हुआ। परिवाद प्रस्तुत करना पडा। अतः बीमा पाॅलिसी राशि मय हर्जा-खर्चा दिलाई जाये।
 
2. अप्रार्थीगण का जवाब में मुख्य रूप से यह कहना है कि परिवादी ने परिवाद-पत्र व्यर्थ, आधारहीन व द्वेष पूर्ण रूप से प्रस्तुत किया है। परिवादी उपभोक्ता की परिभाषा में नहीं आता है। अप्रार्थीगण की सेवा में कोई कमी नहीं है। परिवादी की कोई लोकस स्टेण्डी नहीं है। बीमाधारक को प्रीमियम राशि 7500/- रूपये प्रति छह माह में बीस वर्ष तक तीन लाख रूपये की बीमित राशि के लिए जमा कराने थे। बीमाधारक ने पाॅलिसी के समय पाॅलिसी की समस्त शर्तांे को समझ लिया था। शर्तों से बीमा धारक बाध्य है। दिनांक 26.08.2009 को प्रीमियम राशि जमा कराई गई, जिसकी पाॅलिसी होल्डर को रसीद भेज दी गई। इसके पश्चात् बीमाधारक ने माह फरवरी, 2011 में प्रीमियम राशि जमा नहीं कराई, इसलिए 31 मार्च, 2011 को पाॅलिसी निरस्त हो गई। जिसकी सूचना पाॅलिसी धारक को दे दी गई थी। इसके एक साल पश्चात् 18.05.2012 को पाॅलिसी हाॅल्डर ने बकाया प्रीमियम राशि 22,500/- रूपये स्वास्थ्य प्रमाण-पत्र के साथ पाॅलिसी पुनः प्रारम्भ होने बाबत जमा कराई। अप्रार्थीगण ने परिवादी से दो ताजा फोटोग्राफ एवं कृषि आय का प्रमाण-पत्र मांगा। विवादित बीमा पाॅलिसी कभी पुनर्जीवित नहीं हुई। क्योंकि तात्कालिक दो फोटो एवं कृषि आय का प्रमाण-पत्र प्रस्तुत नहीं किया था।      प्रार्थी की ओर से पाॅलिसी हाॅल्डर की 15.11.2012 को मृत्यु हो जाने के कारण दिनांक 28.12.2012 को क्लेम प्रस्तुत किया। अप्रार्थीगण ने प्रार्थी को यह बता दिया एवं सूचित कर दिया कि विवादित पाॅलिसी, पाॅलिसी हाॅल्डर की मृत्यु से पूर्व ही निरस्त हो चुकी है। अप्रार्थीगण ने प्रार्थी को 15183.25/- रूपये का चैक भेज दिया। यह पूर्व में जमा कराई गई प्रीमियम राशि थी। अप्रार्थीगण ने आईआरएडी के नियम एवं विनियमों के मुताबिक ग्रेस पीरियड दिया था परन्तु गे्रस पीरियड में भी प्रीमियम राशि जमा नहीं हुई। इसलिए कोई सेवा में कमी नहीं है। इसलिए इनका परिवाद निरस्त किया जावे।
 
3. बहस उभय पक्षकारान सुनी गई। पत्रावली का अवलोकन किया। विद्वान अधिवक्ता अप्रार्थीगण ने न्यायिक दृष्टांत सतवंत कौर संधु बनाम न्यू इंडिया इंश्योरेंस कम्पनी लिमिटेड (2009) 8 एससीसी 316, जनरल इंश्योरेंस सोसायटी लिमिटेड बनाम चांदमल जैन (1966) 3 एससीआर 500, ओरियंटल इंश्योरेंस कम्पनी लिमिटेड बनाम शामेनालूर प्राइमरी एग्रीकल्चर को-आॅपरेटिव बैंक एआईआर 2000 पेज 10 सुप्रीम कोर्ट, पाॅलिमेट इंडिया प्राइवेट लिमिटेड एवं अन्य बनाम नेशनल इंश्यारेंस कम्पनी लिमिटेड एवं अन्य एआईआर 2005 सुप्रीम कोर्ट पेज 286 आदि पेश किये। इनका ससम्मान अध्ययन एवं मनन किया। माननीय उपरोक्त न्यायिक दृष्टांतों में प्रतिपादित सिद्धांतों के बारे में कोई दो मत नहीं है परन्तु वर्तमान केस के तथ्यों एवं परिस्थितियों से भिन्न है।


4. मुख्य विवादास्पद बिन्दु यह है कि क्या घीसाराम की विवादित बीमा पाॅलिसी उसकी मृत्यु पर पूर्ण रूप से प्रभावी थी? इस सम्बन्ध में विद्वान अधिवक्ता अप्रार्थी का तर्क है कि बीमाधारक की ओर से बीमा प्रीमियम की प्रत्येक छमाही किश्त लगातार जमा नहीं कराई। दिनांक 16.05.2012 को 22,500/- रूपये जमा कराये। परन्तु बीमाधारक को पाॅलिसी निरस्त होने की सूचना पूर्व में दे दी गई। बीमाधारक ने गे्रस पीरियड 180 दिन में भी प्रीमियम राशि जमा नहीं कराई। फोटो एवं कृषि आय का प्रमाण-पत्र जमा नहीं कराया। इसलिए पाॅलिसी निरस्त हो गई थी। जिसकी सूचना बीमाधारक को दे दी गई।
 
5. इसके विपरित विद्वान अधिवक्ता प्रार्थी का तर्क है कि अप्रार्थीगण के यहां 16.05.2012 को अंतिम बार प्रीमियम राशि 22,500/- रूपये जमा कराई थी। जब अप्रार्थीगण ने प्रीमियम राशि प्राप्त कर जमा कर ली तो पाॅलिसी लेप्स होने का प्रश्न ही नहीं उठता। इसके अलावा अप्रार्थीगण को बीमाधारक ने स्वास्थ्य प्रमाण-पत्र भेज दिया था।

6. हमारी राय में इस प्रकरण में बीमाधारक की जो छमाही प्रीमियम राशि जमा नहीं हुई थी। उस राशि को 16.05.2012 को बीमाधारक ने अप्रार्थीगण के यहां जमा करा दिया। जिसे अप्रार्थीगण ने स्वीकार कर लिया। इस प्रकार से बीमा पाॅलिसी पुनर्जीवित हो गई। बकाया प्रीमियम राशि जमा करने के पश्चात् यदि अप्रार्थीगण ने प्रार्थी बीमाधारक को इस आशय की सूचना भी दी कि बीमा पाॅलिसी निरस्त कर दी गई है, न्यायोचित नहीं मानी जा सकती। महज बीमाधारक द्वारा फोटोप्रति एवं कृषि आय का प्रमाण-पत्र नहीं भेजना, किसी भी सूरत में बीमा पाॅलिसी के निरस्तीकरण का न्यायोचित आधार नहीं हो सकता। यदि प्रीमियम राशि में अनियमितता थी और इसी आधार पर अप्रार्थीगण बीमाधारक की बीमा पाॅलिसी निरस्त करना चाहते थे तो प्रीमियम राशि क्यों स्वीकार की गई। प्रीमियम राशि स्वीकार करना स्पष्ट रूप से इंगित करता है कि अप्रार्थीगण की मंशा उक्त बीमा पाॅलिसी को पुनर्जीवित करने की थी और ऐसा ही हुआ। विद्वान अधिवक्ता परिवादी की ओर से न्यायिक दृष्टांत 1998 एनसीजे (एनसी), दी जनरल मैंनेजर हाॅटल कृनिष्का बनाम श्रीमती सरोज अटल एवं अन्य प्रस्तुत की। इस मामले में माननीय नेशनल कमीशन ने यह अभिनिर्धारित किया कि बीमा कम्पनी द्वारा बकाया प्रीमियम स्वीकार करने के पश्चात् बीमा पाॅलिसी निरस्त करने का कोई आधार नहीं रखती है अर्थात् बीमा पाॅलिसी निरस्त नहीं की जा सकती। इस प्रकार से माननीय उक्त न्यायिक दृष्टांत की रोशनी में एवं मामले के समस्त तथ्यों तथा परिस्थितियों पर विचार करने के पश्चात् हमारा यह दृढ मत है कि बीमाधारक घीसाराम की मृत्यु दिनांक 15.11.2012 को भी उक्त बीमा पाॅलिसी प्रभावी थी। इस प्रकार से बीमाधारक का नाॅमिनी परिवादी बीमित राशि प्राप्त करने का अधिकारी है। परिवादी, अप्रार्थीगण के विरूद्ध परिवाद साबित करने में सफल रहा है। परिवाद स्वीकार किये जाने योग्य है। परिवाद स्वीकार किया जाता है।


आदेश


7. आदेश दिया जाता है कि अप्रार्थीगण, परिवादी को 300000/- रूपये (तीन लाख रूपये) बीमित राशि एवं उस पर देय समस्त हित लाभ तथा परिवाद प्रस्तुत करने की तारीख 12.04.2013 से तारकम वसूली 9 प्रतिशत ब्याजदर से ब्याज राशि भी अदा करें। अप्रार्थीगण, परिवादी को 3000/- रूपये परिवाद व्यय एवं 3000/- रूपये मानसिक व शारीरिक क्षतिपूर्ति पेटे भी अदा करें।

 आदेश आज दिनांक 13.05.2015 को लिखाया जाकर खुले न्यायालय में
     सुनाया गया।

 

।बलवीर खुडखुडिया।    ।बृजलाल मीणा।   ।श्रीमति राजलक्ष्मी आचार्य।
    सदस्य                 अध्यक्ष            सदस्या

 

 

 

 

 
 
[HON'BLE MR. JUSTICE Brijlal Meena]
PRESIDENT
 
[HON'BLE MR. Balveer KhuKhudiya]
MEMBER
 
[HON'BLE MRS. Rajlaxmi Achrya]
MEMBER

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