जिला मंच, उपभोक्ता संरक्षण, अजमेर
श्रीमति निर्मला देवी जैन पत्नी श्री महावीर प्रसाद जैन, बोहरा काॅलोनी, राजपूरा रेाड, केकड़ी, जिला-अजमेर ।
- प्रार्थिया
बनाम
टाटा एआईजी लाईफ इंष्योरेंस कम्पनी लिमिटेड़, यूनिट 302, बिल्डिंग नं.4, फिल्म सिटी रोड़, धिन्दोषी(मलाड) ईस्ट मुम्बई, 97
- अप्रार्थी
परिवाद संख्या 47/2012
समक्ष
1. विनय कुमार गोस्वामी अध्यक्ष
2. श्रीमती ज्योति डोसी सदस्या
3. नवीन कुमार सदस्य
उपस्थिति
1.श्री रमेष धाभाई, अधिवक्ता, प्रार्थिया
2.श्री संजय मंत्री, अधिवक्ता अप्रार्थी
मंच द्वारा :ः- निर्णय:ः- दिनांकः-30.08.2016
1. प्रार्थिया द्वारा प्रस्तुत परिवाद के तथ्य संक्षेप में इस प्रकार हंै कि उसने अप्रार्थी बीमा कम्पनी से एक टाटा एआईजी लाईफ इनवेस्ट एष्योर फलेक्सी पाॅलिसी संख्या यू- 080555122 दिनांक 10.1.2009 को रू. 9,00,000/-की प्राप्त की जो 10.2.2031 को परिपक्व होनी थी । पाॅलिसी जारी करने से पूर्व अप्रार्थी बीमा कम्पनी ने अपने चिकित्सकों से उसका मेडिकल परीक्षण करवाया और पूर्णतया स्वस्थ पाए जाने पर ही उक्त बीमा पाॅलिसी जारी की गई । किन्तु अप्रार्थी बीमा कम्पनी ने उक्त पाॅलिसी की परिपक्वता से पूर्व ही पत्र दिनांक 6.5.2011 के जरिए बीमा पाॅलिसी यह कहते हुए रद्द कर दी कि बीमाधारक ने पाॅलिसी लिए जाते समय अपने स्वास्थ्य से संबंधित महत्वपूर्ण तथ्यों को छिपाया था । प्रार्थिया ने पत्र दिनांक 4.6.2011 के द्वारा उक्त तथ्य को गलत बताते हुए अप्रार्थी बीमा कम्पनी को अवगत कराया कि पाॅलिसी जारी करवाते समय उसे कोई स्थायी बीमारी नहीं थी । अप्रार्थी बीमा कम्पनी ने मध्यावधि में ही बीमा पाॅलिसी रद्द कर सेवा में कमी की है । प्रार्थिया ने प्रष्नगत बीमा पाॅलिसी को पुनचर्लित करवाने व मानसिक क्षतिपूर्ति व वाद व्यय दिलाए जाने हेतु परिवाद पेष किया है । परिवाद के समर्थन में प्रार्थिया ने स्वयं का ष्षपथपत्र पेष किया है ।
2. अप्रार्थी बीमा कम्पनी ने जवाब प्रस्तुत करते हुए प्रार्थिया द्वारा प्रष्नगत बीमा पाॅलिसी लिए जाने के तथ्य को स्वीकार करते हुए दर्षाया है कि प्रार्थिया ने बीमा पाॅलिसी प्राप्त करते समय भरे गए प्रपोजल फार्म में अपने स्वास्थ्य से संबंधित तथ्यों को छिपाया था । इस तथ्य की जानकारी प्राप्त होने पर उत्तरदाता द्वारा कराई गई जाचं से यह उजागर हुआ कि प्रार्थिया पार्कीन्सन व हाईपरटेंषन से ग्रसित थी और इसके लिए एन्टीफंग्ल ड्रग्स ले रही थी । इसलिए बीमा कम्पनी ने प्रार्थिया का बीमा कवर निरस्त कर जरिए पत्र दिनांक 6.5.2011 के सूचित करते हुए प्रीमियम राषि प्रार्थिया को लौटा दी । इस प्रकार उनके स्तर पर कोई सेवा में कमी नहीं की गई । अन्त में परिवाद निरस्त करने की प्रार्थना करते हुए जवाब के समर्थन में श्री दीक्षांत ष्षर्मा, अधिकृत अधिकारी का षपथपत्र पेष हुआ है ।
3. प्रार्थिया प़क्ष का तर्क रहा है कि उसके द्वारा अप्रार्थी से पालिसी प्राप्त की गई जो दिनंाक 10.2.2031 को परिपक्व होनी थी, का भुगतान के बावजूद दिनंाक 6.5.2011 को बीमा कम्पनी द्वारा गलत एवं गैर कानूनी रूप से पाॅलिसी को मध्यावधि में ही निरस्त करते हुए पत्र प्रेषित किया गया है । इसका आधार प्रार्थिया के द्वारा बीमा पाॅलिसी प्राप्त करते समय जो अपने स्वास्थ्य के संबंध में महत्वपूर्ण तथ्य छिपाने व स्वयं का गम्भीर व ष्षारीरिक बीमारी से वंचित बताते हुए उसकी पाॅलिसी को निरस्त किया जाना बतलाया गया है, वह उचित नहीं है । प्रार्थिया द्वारा उपरोक्त तथ्य को गलत बताते हुए अपने पत्र दिनांक 4.6.2011 के द्वारा भी बीमा कम्पनी को अवगत कराया गया था कि पाॅलिसी लेते समय उसे किसी भी प्रकार की कोई स्थायी बीमारी नहीं थी और ना ही वर्तमान में कोई गम्भीर बीमारी से वह ग्रस्त है । इसके बावजूद भी अप्रार्थी बीमा कम्पनी द्वारा अपने पत्र दिनांक 26.6.2011 के माध्यम से जो पाॅलिसी निरस्त करते हुए प्रकरण को बन्द व समाप्त करने की सूचना भिजवाई गई है, वह प्रार्थिया को मात्र पाॅलिसी के माध्यम से मिलने वाले लाभों से वचित करने के उद्देष्य से किया गया है । यह बीमा कम्पनी के विरूद्व स्पष्ट रूप से सेवा में कमी का परिचायक है व परिवाद स्वीकार की जानी चाहिए ।
4. अप्रार्थी बीमा कम्पनी ने पाॅलिसी जारी करने व प्रीमियम लिया जाना स्वीकार किया । किन्तु खण्डन में प्रमुख रूप से तर्क प्रस्तुत किया कि प्रार्थिया ने स्वास्थ्य संबंधी जानकारी के संबंध में पूर्व में ग्रसित बीमारी संबंधी सही तथ्य को छिपा कर गलत तथ्यों के आधार पर बीमा कवर प्राप्त किया था जिसकी जानकारी होने पर उसका बीमा निरस्त कर दिया गया व अदा की गई प्रीमियम राषि को भी अप्रार्थी द्वारा प्रार्थिया को भुगतान कर दिया गया है । हस्तगत मामले में बीमा कम्पनी ने इस हेतु जांच एजेन्सी नियुक्त की और जांच एजेन्सी की रिपोर्ट के अनुसार प्रार्थिया को पार्किसन व हाई ब्लडप्रेषर की बीमारीी से ग्रसित होना पाया गया । अतः बीमा कम्पनी द्वारा उक्त बीमा कवर निरस्त कर प्रीमियम की राषि प्रार्थिया को लौटा दी गई । इसमें उनके स्तर पर कोई सेवा में दोष नहीं रहा है । विनिष्चय ;1द्ध ।प्त्ण्2008 424;ैब्द्ध च्ण्ब्ण् ब्ींसप टे स्प्ब् ;2द्ध प्ट ब्च्श्र;2009द्ध08;ैब्द्ध ैजंूंदज ज्ञंनत ैंदकीन टे छमू प्दकपं प्देनतंदबम ब्व स्जक ;3द्ध ब्च्त् 1994;3द्ध398;छब्द्ध स्प्ब् टे डण् ळवूतप ;4द्ध प्प्;2014द्धब्च्श्र 190;छब्द्ध स्प्ब् टे ब्ण्टमदांजंतंउनकन ;5द्धप्प्प्;2003द्धब्च्श्र 15 ;छब्द्ध च्ंदप क्मअप टे स्प्ब् - वते ;6द्ध त्मअपेपवद च्मजपजपवद छवण् 211ध्2009 त्मसपंदबम स्पमि प्देनतंदबम ब्व स्जक टे डंकींअंबींतलं प्रस्तुत करते हुए प्रमुख रूप से तर्क प्रस्तुत किया कि बीमित द्वारा गलत सूचनाएं दिए जाने के आधार पर प्राप्त की गई पाॅलिसी को निरस्त करना उचित है, जैसा कि इन विनिष्चयों में प्रतिपादित किया गया है । फलतः इन परिस्थ्तिियों के प्रकाष में परिवाद निरस्त की जानी चाहिए ।
5. हमने परस्पर तर्क सुने हैं एवं पत्रावली में उपलब्ध अभिलेखों के साथ साथ प्रस्तुत विनिष्चयों में प्रतिपादित न्यायिक दृष्टान्तों का भी आदरपूर्वक अवलोकन कर लिया है ।
6. अप्रार्थी बीमा कम्पनी ने प्रार्थिया के बीमा कवर को निरस्त करने का प्रमुख आधार अपनी जांच एजेन्सी की रिपोर्ट को बताया है । पत्रावली में उपलब्ध बीमा कम्पनी की जांच एजेन्सी कुमार एसोसिएट्स की रिपोर्ट में बीमित के विगत स्वास्थ्य के संबंध में जनवरी, 2008 से संलग्न मेडिकल पेपर को आधार बनाया गया है व बीमित को मेडिकली अनफिट बताया गया है । उक्त संलग्न मेडिकल पेपर्स में प्रार्थियों के पति की मेडिकल डायरी के कुछ पृष्ठ प्रस्तुत किए गए है जिनमें प्रार्थिया की बीमारी पर उसके पति द्वारा संबंधित चिकित्सक को दिखा कर इलाज करवाया गया हंै । हालांकि ये पपेर्स अत्यधिक अस्पष्ट हंै तथा इसमें एक पृष्ठ में प्रार्थियों को ज्तमउवते च्ंतापदेवद की बीमारी के कारण इलाज हेतु कुछ दवाईयां लिए जाने का उल्लेख है ।
7. यहां यह उल्लेखनीय है कि मात्र इस डायरी अथवा कुछ पन्नों के आधार पर प्रार्थियों को उक्त पार्किसन की बीमारी से ग्रसित नहीं माना जा सकता । इन पन्नों के आधार पर यह भी नहीं माना जा सकता कि यह बीमारी कब प्रारम्भ हुई तथा कब तक चली । प्रार्थिया द्वारा जो पाॅलिसी प्राप्त करने से पूर्व प्रस्ताव प्रपत्र भरा गया है, में क्लाॅज संख्या 5 में जिन बीमारियों को उल्लेख किया गया , में पार्किसन का कोई उल्लेख नहीं है । अतः जिस जांच एजेन्सी की रिपोर्ट के आधार पर प्रार्थिया की पाॅलिसी बन्द की जाकर उसे तदनुसार सूचित किया गया है, वह पाॅलिसी रद्द करने के लिए उचित आधार नहीं है एवं यह कृत्य अप्रार्थी बीमा कम्पनी की सेवा में कमी का परिचायक है । मंच की राय में परिवाद स्वीकार किए जाने योग्य है एवं आदेष है कि
:ः- आदेष:ः-
8. (1) अप्रार्थी बीमा कम्पनी को यह आदेष दिया जाता है कि वह इस आदेष से दो माह के अन्दर बन्द हुई प्रष्नगत बीमा पाॅलिसी संख्या यू-080555122 पेटे प्रार्थी से वर्ष 2011 से बकाया बीमा प्रीमियम नियमानुसार प्राप्त करते हुए उक्त प्रष्नगत बीमा पाॅलिसी को पूर्ण परिलाभों सहित, यदि कोई हो तो, पुनचर्लित करें ।
(2) प्रार्थिया अप्रार्थी बीमा कम्पनी से मानसिक क्षतिपूर्ति पेटे रू. 5000/- व परिवाद व्यय के पेटे रू. 5000/- भी प्राप्त करने की अधिकारिणी होगी ।
(4) क्रम संख्या 2 में वर्णित राषि अप्रार्थी बीमा कम्पनी प्रार्थिया को इस आदेष से दो माह की अवधि में अदा करें अथवा आदेषित राषि डिमाण्ड ड््राफट से प्रार्थी के पते पर रजिस्टर्ड डाक से भिजवावे ।
आदेष दिनांक 30.08.2016 को लिखाया जाकर सुनाया गया ।
(नवीन कुमार ) (श्रीमती ज्योति डोसी) (विनय कुमार गोस्वामी )
सदस्य सदस्या अध्यक्ष