जिला मंच, उपभोक्ता संरक्षण अजमेर
श्रीमति ईदी बाई पत्नि स्व श्री नूर मोहम्मद, उम्र- करीब 73 वर्ष, जाति- मुसलमान, निवासी- खटाओली, नसीराबाद, जिला-अजमेर ।
प्रार्थीया
बनाम
1. टाटा एआईजी लाईफ इन्ष्योरेंस क.लि. जरिए ष्षाखा प्रबन्धक, ष्षाखा कार्यालय, कचहरी रोड, अजमेर ।
2. टाटा एआईजी लाईफ इन्ष्योरेंस क.लि., रजिस्टर्ड हैड आफिस पेनसियुला टावर पांचवा व छठा माला, पेनसियुला कारपोरे पाकर््, कादम मार्ग, सनपति बोपाल रोड, लोअर परेल, मुम्बई- 400013,
अप्रार्थी
परिवाद संख्या 252/2012
समक्ष
1. गौतम प्रकाष षर्मा अध्यक्ष
2. विजेन्द्र कुमार मेहता सदस्य
3. श्रीमती ज्योति डोसी सदस्या
उपस्थिति
1.श्री अनिल ऐरन, अधिवक्ता, प्रार्थीया
2.श्री संजय मंत्री, अधिवक्ता अप्रार्थी
मंच द्वारा :ः- आदेष:ः- दिनांकः- 05.02.2015
1. परिवाद के तथ्य संक्षेप में इस प्रकार है कि प्रार्थीया ने अप्रार्थी बीमा कम्पनी के अधिकृत एजेण्ट अनिल गर्ग के माध्यम से अप्रार्थी संख्या 1 से टाटा एआईजी लाईफ इन्ष्योरंस फलेक्सी प्लान के तहत एक बीमा पाॅलिसी संख्या यू. 14332227 रू. 25,000/- प्रीमियम अदा कर प्राप्त की और उक्त बीमा पाॅलिसी पैटे प्रार्थीया ने रू. 25,000/- रू. 25,000/- की दो प्रीमियम बीमा कम्पनी के एजेण्ट के माध्यम से जमा करवाई । दिनांक 22.12.2011 को बीमा प्रीमियम ड्यू होने पर बीमा प्रीमियम की राषि रू. 25,000/- जमा कराने के लिए एजेण्ट अनिल गर्ग को दिए जिसने उक्त प्रीमियम राषि यह कहते हुए लौटा दी कि अभी प्रीमियम राषि बीमा कम्पनी ने जमा नहीं की है ,बाद में जमा होगी । कुछ समय बाद प्रार्थीया ने पुनः एजेण्ट को प्रीमियम राषि जमा कराने के लिए निवेदन किया किन्तु एजेण्ट द्वारा कोई संतोषप्रद जवाब नहीं दिए जाने और बार बार पूछने पर यह बतलाया कि उसकी पाॅलिसी बीमा कम्पनी ने बन्द कर दी है । तत्पष्चात् अप्रार्थी बीमा कम्पनी ने दिनांक 14.3.2012 को उसके द्वारा अदा की गई सम्पूर्ण प्रीमियम राषि के पैटे रू. 6742/- का पे आदेष भेजा तो उसने अदा की गई बीमा प्रीमियम की सम्पूर्ण राषि लौटाने का निवेदन किया किन्तु अप्रार्थी बीमा कम्पनी द्वारा कोई ध्यान नहीं दिए जाने पर अधिवक्ता के माध्यम से दिनांक 31.5.2012 को नोटिस दिया जिस पर भी कोई कार्यवाही नहीं की गई । अप्रार्थी बीमा कम्पनी के उक्त कृत्य को सेवा में कमी बतलाते हुए यह परिवाद पेष कर उसमें वर्णित अनुतोष दिलाए जाने की मांग की है ।
2. अप्रार्थी बीमा कम्पनी की ओर से जवाब पेष किया गया जिसमें दर्षाया है कि प्रार्थीया ने श्री अनिल गर्ग के माध्यम से फलेक्सी प्लान के तहत बीमा पाॅलिसी प्राप्त करने हेतु अप्रार्थी के समक्ष निवेदन किया गया जिसके तहत प्रथम प्रीमियम राषि प्रोवीजनली स्वीकार की गई । प्रार्थीया को तीसरी किष्त दिनांक 22.12.2010 तक अदा करनी थी जिसे प्रार्थीया ने ग्रेस अवधि दिनंाक
7.2.2011 तक जमा नहीं कराए जाने के कारण बीमा पाॅलिसी लैप्स हो गई जिसे दिनंाक 1.4.2011 को रिवाईवल की गई किन्तु प्रार्थीया द्वारा चैथी किष्त दिनांक 22.12.2011 को अदा करनी थी जो अदा नहीं किए जाने के कारण बीमा पाॅलिसी लैप्स कर दी गई जिसे पुनः संचालित किए जाने हेतु प्रार्थीया ने कोई आवेदन नहीं किया और ना ही प्रार्थीया ने अप्रार्थी बीमा कम्पनी के बार बार बीमा पाॅलिसी को चालू करने बाबत् स्मरण कराए जाने पर भी बीमा पाॅलिसी को पुनः संचालित नहीं किए गया इसलिए प्रार्थीया को रू. 6742.37 का रिफण्ड पे आदेष के दे दिया गया इस प्रकार उनके स्तर पर कोई सेवा में कमी नहीं रही अन्त में परिवाद सव्यय निरस्त किए जाने की प्रार्थना की है ।
3. हमने पक्षकारान को सुना एवं पत्रावली का अनुषीलन किया ।
4. परिवाद की चरण संख्या 3 में वर्णित अनुसार किष्त जो दिनंाक 22.12.2011 को देय हुई, की राषि रू. 25,000/- प्रार्थीया द्वारा बीमा कम्पनी के एजेण्ट श्री अनिल गर्ग को जमा कराने हेतु दिए जाने का उल्लेख किया है एवं उक्त श्री अनिल गर्ग ने रसीद बाद में देने को कहा किन्तु बाद में उक्त राषि प्रार्थीया को वापस दे दी एवं कहा कि यह राषि बाद में जमा होगी । प्रार्थीया ने पुनः अनिल गर्ग से सम्पर्क किया तो श्री गर्ग ने बतलाया कि अप्रार्थी बीमा कम्पनी ने प्रार्थीया की पाॅलिसी को बन्द कर दिया है अतः अब किष्त जमा नहीं हो सकती । इस संबंध में हमारी विवेचना है कि प्रार्थीया ने यह राषि श्री गर्ग को दी इस संबंध में प्रार्थीया के कथनों के अलावा अन्य कोई साक्ष्य नही ंहै । प्रार्थी की ओर से श्री गर्ग का कोई षपथपत्र आदि भी पेष नही ंहुआ है । अतः हम पाते है कि प्रार्थीया की ओर से जो किष्त दिनंाक 22.12.2011 को देय थी वह जमा होना नहीं पाया गया है । अधिवक्ता अप्रार्थी बीमा कम्पनी की ओर से पेष दृष्टान्त ।प्त् 1997 ैब् 2459 भ्ंतेींक श्र ैींी ंदक व्ते टे स्प्ब् व िप्दकपं का हमने अवलोकन किया लेकिन दृष्टान्त में वर्णित नियम लाईफ इन्ष्योरेंस कार्पोरेषन आफ इण्डिया से ही संबंधित है तथा अप्रार्थी बीमा कम्पनी एलआईसी आफ इण्डिया नहीं होकर टाटा एआईजी लाईफ इन्ष्योरेंस कम्पनी है । अतः दृष्टान्त में वर्णित नियम इस अप्रार्थी बीमा कम्पनी पर भी लागू होगें अप्रार्थी के अधिवक्ता द्वारा स्पष्ट नहीं किया गया है ।
5. प्रार्थीया ने इस पाॅलिसी को पुर्नःजीवित करने आदि के संबंध में भी कोई कार्यवाही की हो, नहीं पाया गया है एवं प्रकरण में प्रार्थीया द्वारा मात्र 3 किष्त अवष्य जमा कराई है । अतः क्या प्रार्थीया जहां कि उसकी पाॅलिसी आगे की अर्थात चैथी किष्त जमा नहीं करवाए जाने से लैप्स हो चुकी है तब भी जमा कराई गई 3 किष्तों की राषि रू. 75,000/-वुपः प्राप्त करने की अधिकारणी है ? प्रार्थीया की ओर से इस संबंध में कोई प्रावधान या पाॅलिसी षर्ते नहीं बतलाई है जिनके अन्तर्गत लैप्स पाॅलिसी के मामले में जमा कराई गई किष्ते पुनः प्राप्त करने की वह अधिकारणी हो । इसके विपरीत अप्रार्थी बीमा कम्पनी की ओर से पाॅलिसी की षर्ते पेष की है । जिनमें वर्णित अनुसार पाॅलिसी लैप्स हो जाने की स्थिति में प्रार्थीया किष्तों के रूप में जमा कराई गई राषि पुनः प्राप्त करने की अधिकारणी नहीं पाई गई है । अप्रार्थी बीमा कम्पनी द्वारा प्रार्थीया को नियमानुसार रू. 6742.37 पै का रिफण्ड कर दिया गया है जो प्रार्थीया द्वारा प्राप्त भी कर लिया गया है ।
6. उपरोक्त सारे विवेचन से हमारा निष्कर्ष है कि प्रार्थीया अप्रार्थी बीमा कम्पनी से पाॅलिसी लैप्स हो जाने के उपरान्त भी जमा कराई गई किष्तों की राषि प्राप्त करने की अधिकारणी है , सिद्व नहीं कर पाई है । अतः प्रार्थीया का यह परिवाद स्वीकार होने योग्य नही ंहै एवं आदेष है कि
-ःः आदेष:ः-
7. प्रार्थीया का परिवाद स्वीकार होने योग्य नहीं होने से अस्वीकार किया जाकर खारिज किया जाता है । खर्चा पक्षकारान अपना अपना स्वयं वहन करें ।
(विजेन्द्र कुमार मेहता) (श्रीमती ज्योति डोसी) (गौतम प्रकाष षर्मा)
सदस्य सदस्या अध्यक्ष
8.. आदेष दिनांक 05.02.2015 को लिखाया जाकर सुनाया गया ।
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