जिला मंच, उपभोक्ता संरक्षण, अजमेर
श्री धर्माराम देवाल सुपुत्र स्व. श्रीमति गलकाई पत्नी स्व. श्री गोकुलराम मेघवाल,निवासी- लाड़वा, तहसील- मेड़ता, जिला-नागौर
- प्रार्थी
बनाम
1. मैनेजर, टाटा ए.आई.जी लाईफ इंष्योंरेस कम्पनी लिमिटेड,कचहरी रोड,
अजमेर ।
2. मैनेजर, टाटा ए.आई.जी लाईफ इंष्योंरेस कम्पनी लिमिटेड,, रजिस्अर्ड एण्ड कोर्पोरेट आफिस, डेलपी बी विंग, सैकेण्ड फलोर आॅरचर्ड एवेन्यूर, हीरानंदानी, बिजनेस पार्क, पोवई, मुम्बई- 400076
- अप्रार्थीगण
परिवाद संख्या 182/2013
समक्ष
1. विनय कुमार गोस्वामी अध्यक्ष
2. श्रीमती ज्योति डोसी सदस्या
3. नवीन कुमार सदस्य
उपस्थिति
1.श्री अनिल षर्मा, अधिवक्ता, प्रार्थी
2.श्री अनिल गौड़, अधिवक्ता अप्रार्थीगण
मंच द्वारा :ः- निर्णय:ः- दिनांकः- 19.01.2017
1. संक्षिप्त तथ्यानुसार प्रार्थी की माताजी श्रीमति गलकाई देवाल द्वारा अप्रार्थी बीमा कम्पनी से समस्त औपचारिकताएं पूर्ण करते हुए ली गई बीमा पाॅलिसी संख्या यू 016079180 तादादी राषि रू. 1,50,000/-के पेटे उसकी माताजी का दिनांक 06.07.2010 को निधन हो जाने के उपरान्त पेष किए गए बीमा क्लेम को अप्रार्थी बीमा कम्पनी ने अपने पत्र दिनांक 18.4.2012 के इस आधार पर निरस्त कर दिया कि बीमाधारक ने बीमा पाॅलिसी प्राप्त करते समय अपनी जन्म तारीख का विवरण गलत दिया था । प्रार्थी ने दिनांक 11.06.2012 को पत्र भेजते हुए पुनः उसके क्लेम पर विचार कर क्लेम राषि दिलाए जाने की प्रार्थना की । किन्तु अप्रार्थी बीमा कम्पनी ने राषि अदा नहीं कर सेवा में कमी कारित की है । प्रार्थी ने परिवाद पेष कर उसमें वर्णित अनुतोष दिलाए जाने की प्रार्थना की है । परिवाद के समर्थन में प्रार्थी ने स्वयं का ष्षपथपत्र पेष किया है ।
2. अप्रार्थी बीमा कम्पनी ने जवाब प्रस्तुत करते हुए प्रारम्भिक आपत्तियों में परिवाद को झूठा , गलत व दुर्भावनापूर्ण बताते हुए कानूनी प्रक्रिया का दुरूपयोग करने तथा मंच से अनुचित लाभ प्राप्त करने हेतु प्रस्तुत किया जाना बताया है । षिकायत को तथ्यों व कानून के आधार पर चलने योग्य नहीं होने तथा मंच के समक्ष प्रार्थी स्वच्छ हाथों से नहीं आना बताते हुए परिवाद को निराधार, दुर्भावनापूर्वक व वास्तविकता की कमी के कारण खारिज होने योग्य बताया है । अप्रार्थी बीमा कम्पनी द्वारा पाॅलिसी संबंधी किसी भी प्रकार की सेवा में ंकमी नहीं किया जाना बताया । परिवाद में वादकरण का अभाव होना तथा मात्र अनुमानों एवं कल्पनाओं के आधार पर प्रस्तुत करना बताया । आगे मदवार जवाब में दर्षाया है कि बीमाधारक ने प्रष्नगत बीमा पाॅलिसी प्राप्त करते हुए बीमा प्रस्ताव पत्र में अपनी जन्म तारीख 30.6.1940 दर्षाई थी । बीमाधारक की दिनंाक 06.07.2010 को मृत्यु होने के बाद पेष किए गए क्लेम की जांच करने पर पाया गया कि चुनाव लिस्ट वर्ष 2002,2007 एवं 2009 के अनुसार बीमाधारक की मृत्यु के समय आयु 83 वर्ष थी तथा निर्वाचन सूची वर्ष, 2002 के अनुसार बीधारक की आयु 75 वर्ष थी। इसी प्रकार निर्वाचन सूची वर्ष, 2007 के अनुसार 80 वर्ष व निर्वाचन सूची वर्ष, 2009 के अनुसार 82 वर्ष थी । बीमाधारक द्वारा बीमा पाॅलिसी प्राप्त करते समय जन्म प्रमाण पत्र प्रस्तुत किया वह भी झूठा व नकली थी । बीमाधारक किसी रोग से ग्रस्त थी तथा अजमेर के किसी अस्पताल में ईलाज करवा रही थी और इस तथ्य को भी बीमा पाॅलिसी प्राप्त करते समय छिपाया गया था । बीमाधारक ने बीमा पाॅलिसी के नियम व ष्षर्तो का उल्लंघन किए जाने के कारण प्रार्थी को रू. 15,069. 25 पै लौटा दिए गए है । इस प्रकार उनके स्तर पर कोई सेवा में कमी नहीं की गई । अन्त में परिवाद सव्यय निरस्त किए जाने की प्रार्थना की है । समर्थन में मान0राष्ट्रीय आयोग का निर्णय एक्जीक्यूटिव डायरेक्टर (मार्केटिंग), एल.आई.सी बनाम योगेन्द्र प्रसाद सिंह रिवीजन पिटिषन नं0 692/2006 , (2) प्रेमा बनाम एल.आई.सी इंडिया 4(2006)ब्च्श्र 239 (छब्) (3) सतवन्त कौर बनाम न्यू इंडिया ऐष्योरेंस कं0लि0 (2009) 8ेमब 316,भारतीय जीवन बीमा निगम बनाम बी.चन्द्रवथामा ।प्त् 1971 ।च् 41 प्रस्तुत किये हैं।
3. उभय पक्षकारान ने अपने अपने पक्ष कथन को बहस में तर्क के रूप में दोहराया है । हमने सुना, रिकार्ड देखा व प्रस्तुत नजीर का अवलोकन किया ।
4. विवाद का बिन्दु मात्र यह है कि क्या बीमित ने बीमा कराने से पूर्व आवेदन पत्र में दर्षाई अपनी जन्म तिथि एवं प्रमाण स्वरूप जन्म प्रमाण पत्र गलत एवं जालसाजी करते हुए प्रस्तुत किया ताकि बीमा पाॅलिसी प्राप्त करते समय बीमित निर्धारित उम्र सीमा में मानी जाए ?
5. निर्णय लिखवाने से पूर्व हम यह उल्लेख करना उचित समझते है कि अप्रार्थी ने परिवाद के प्रति उत्तर में अनावष्यक रूप से लम्बा जवाब प्रस्तुत करते हुए कई तथ्यों की बार बार पुनरावृत्ति की है । यहां तक की अभिवचनों के सामान्य सिद्वान्तों की अनदेखी करते हुए जवाब में मात्र तथ्यों का उल्लेख नहीं कर विभिन्न नजीरों का उल्लेख करते हुए उनका प्रतिपादित सिद्वान्तों का हवाला दिया है । बहरलाल प्रस्तुत नजीरों में प्रतिपादित सिद्धान्तों के प्रकाष में विवाद बिन्दु के संदर्भ में हम विचार करते है ।
6. बीमित द्वारा बीमा पाॅलिसी लिए जाते समय भरे गए प्रस्ताव पत्र में दिनंाक 30.6.1940 दर्षाई है तथा इसके प्रमाण स्वरूप कोई आधार का उल्लेख नहीं किया है। जबकि अप्रार्थी बीमा कम्पनी के प्रतिनिधि द्वारा उक्त प्रपोजल फार्म चैक करते समय बीमित की जन्मतिथि बाबत् उम्र की साक्ष्य प्रस्तुत की गई है, जैसा कि उसमें उल्लेखित है । बीमा कम्पनी ने बीमित की उम्र बाबत् बीमित द्वारा प्रस्तुत किए गए जन्म प्रमाण पत्र को जालसाजी से तैयार किया गया प्रलेख बताया है तथा जांच के दौरान वोटर लिस्ट वर्ष 2002,2007,2008 एवं 2009 में उम्र क्रमषः 75,80,80 व 82 वर्ष दर्षाते हुए बीमा पाॅलिसी प्राप्त किए जाने से पूर्व भरे गए प्रस्ताव पत्र में तत्समय उसकी उम्र निर्धारित उम्र की सीमा में नहीं आना बताया है । बीमा कम्पनी ने उस प्रमाण पत्र को भी प्रस्तुत नहीं किया है जिसमें उसने वह बीमित द्वारा प्रपोजल फार्म भरते समय उम्र के प्रमाण स्वरूप प्रस्तुत करना बताया है । उनके द्वारा जांच के संबंध में किस जांचकर्ता द्वारा जांच की गई तथा जांच का क्या नतीजा रहा , इसको भी प्रस्तुत नहीं किया है । मात्र वोटर लिस्ट के आधार पर कयास की स्थिति को देखते हुए उम्र बाबत निष्कर्ष निकाला जाना कतई उचित नहीं है । परिवाद के जवाब में बीमा कम्पनी की ओर से बीमित द्वारा प्रस्ताव पत्र भरते समय गलत तथ्यों के क्रम में यह भी बताया गया है कि जांच के दौरान पाया गया कि बीमित ’’किसी रोग से’’ ग्रसित था और अजमेर में ’’किसी अस्पताल में’’ उपचार ले रही थी । इस तथ्य को भी बीमित मृतक ने बीमा लेते समय छिपाया था । यह अत्यन्त आष्चर्य एवं खेद की बात है कि बीमित ’’किस रोग’’ से ग्र्रसित थी तथा ’’किस अस्पताल’’ में उपचार ले रही थी , इन तथ्यों का अप्रार्थी बीमा कम्पनी ने कोई खुलासा नहीं किया है । मात्र इस प्रकार की षब्दावली का उल्लेख करते हुए खण्डन में प्रतिवाद का सहारा लेते हुए जिस स्थिति का उल्लेख किया है वह कतई उचित नहीं हे व बिना किसी आधार का है, मंच यह पाता है । जबकि बीमित ने बीमा पाॅलिसी लेते समय जो जन्मतिथि बताई है , उसका प्रमाण उसने राजस्थान सरकार के आर्थिक एवं सांख्यिकी , निदेषालाय से दिनांक
3.6.2012 को अपनी जन्म तिथि के प्रमाण स्वरूप प्रस्तुत करते हुए अपनी जन्म तिथि दिनांक 30.6.1940 बताई है तथा इसका उल्लेख प्रमाण पत्र में भी किया है । उसके द्वारा ग्राम पंचायत,बडगांव तथा ग्राम पंचायत, मैड़ास द्वारा दिनांक 21.2.1985 को जारी प्रमाण पत्र में मृतका बीमित का जन्म वर्ष 1940 में होना बताया है ।फलतः बीमित द्वारा अपने कथन के समर्थन में प्रस्तुत साक्ष्य अधिक विष्वसनीय है। इन सभी परिस्थितियों को ध्यान में रखते हुए यह नहीं माना जा सकता कि बीमित ने बीमा पाॅलिसी प्राप्त करते हुए भरे गए प्रस्ताव में गलत तथ्यों का समावेष करते हुए अपनी जन्मतिथि गलत उल्लेखित की ।
7. सार यह है कि जिस प्रकार अप्रार्थी बीमा कम्पनी ने बिना समुचित रूप से विचार किए मृतक बीमित का जो क्लेम खारिज किया है वह कतई उचित नहीं माना जा सकता । उनके द्वारा इस प्रकार किया जाना न सिर्फ सेवा में कमी का परिचायक है अपितु अनुचित व्यापार व्यवहार का भी पर्याय है । मंच की राय में प्रार्थी का परिवाद स्वीकार होने योग्य है एवं आदेष है कि
:ः- आदेष:ः-
8. (1) प्रार्थी अप्रार्थी बीमा कम्पनी से क्लेम राषि रू. 1,50,000/- बीमा पाॅलिसी में देय परिणामी परिलाभों सहित मय परिवाद खारिज किए जाने की दिनांक से तदायगी 9 प्रतिषत वार्षिक ब्याज दर सहित प्राप्त करने का अधिकारी होगा । अप्रार्थी बीमा कम्पनी, प्रार्थी को दी गई बीमा राषि की किष्त मय ब्याज के समायोजित करेगी ।
(2) प्रार्थी अप्रार्थी बीमा कम्पनी से ं मानसिक संताप पेटे रू. 25,000/- एवं परिवाद व्यय के पेटे रू. 5000/-भी प्राप्त करने का अधिकारी होगा ।
(3) क्रम संख्या 1 लगायत 2 में वर्णित राषि अप्रार्थी प्रार्थी को इस आदेष से दो माह की अवधि में अदा करें अथवा आदेषित राषि डिमाण्ड ड््राफट से प्रार्थी के पते पर रजिस्टर्ड डाक से भिजवावे ।
आदेष दिनांक 19.01.2017 को लिखाया जाकर सुनाया गया ।
(नवीन कुमार ) (श्रीमती ज्योति डोसी) (विनय कुमार गोस्वामी )
सदस्य सदस्या अध्यक्ष
9.