जिला उपभोक्ता विवाद प्रतितोष मंच, नागौर
परिवाद सं. 56/14
मांगीलाल पुत्र गुलाबचंद जाति सोनी निवासी ग्राम सांजू तहसील डेगाना जिला नागौर -परिवादी
बनाम
1. टाटा ए.आइ.जी. इंश्योरेंस कम्पनी लि0 जरिये प्रतिनिधि धारणिया आॅटोमोबाइल्स जोधपुर रोड़ नागौर
2. टाटा ए.आइ.जी. इंश्योरेंस कम्पनी लि0 , पेनेसुला कोरपोरेट पार्क निकोलस पीरामल टाॅवर 9 फ्लोर गणपतराव कदम मार्ग लोवर पारेल मुम्बई -400013 जरिये अधिकृत प्रतिनिधि
-अप्रार्थीगण
समक्षः
1. श्री बृजलाल मीणा, अध्यक्ष।
2. श्रीमति राजलक्ष्मी आचार्य, सदस्या।
3. श्री बलवीर खुडखुडिया, सदस्य।
उपस्थितः
1. श्री विक्रम जोशी, अधिवक्ता वास्ते परिवादी
2. श्री पवन श्रीमाली, अधिवक्ता वास्ते अप्रार्थी सं0 1
3. श्री कुन्दनसिंह , अधिवक्ता वास्ते अप्रार्थी सं02
अंतर्गत धारा 12 उपभोक्ता संरक्षण अधिनियम ,1986
आ दे श दि0 25.2.2015
1. परिवाद के संक्षेप में तथ्य इस प्रकार हैं कि परिवादी ग्राम सांजू का निवासी है व मोटरसाइकिल हीरो होण्ड रजि0 नं0 आर जे 21/एस एफ 0750 का पंजीबद्ध स्वामी है जिस वाहन को अप्रार्थीगण ने बीमित कर रूपये 749/-प्रीमियम राशि प्राप्त कर उस वाहन 28982/- रू. तक होने वाले सम्पूर्ण हर्ज खर्चे की भरपाई का वचन देखा है जो बीमा पाॅलिसि दिनांक 16.11.11 से दिनांक 15.11.12 की मध्य रात्रि तक वैध प्रभावी है । इसी प्रकार अप्रार्थीगण ने उक्त अवधि की रूपये 24850/- बीमाधनराशि हेतु 717/- रू. प्रीमियम राशि प्राप्त कर रखी है । उक्त वाहन दिनांक 15.12.11 को दुर्घटनाग्रस्त हो गया जिसकी सूचना अप्रार्थीगण को दी गई । वाहन की रिपेयरिंग में रूपये 12699/- खर्च हुए जिसके संबंध में अप्रार्थीगण को चाहे गये दस्तावेज उपलब्ध करवा दिये व क्लेम दर्ज हुआ । परिवादी ने समय समय पर अप्रार्थीगण से सम्पर्क कर क्लेम भुगतान का निवेदन किया लेकिन उन्होंने परिवादी को भुगतान नहीं किया जिससे परिवादी को घोर मानसिक संपीडन पहुंचा है । दस्तावेजात प्रदर्श 1 लगायत 6 है। परिवाद पेश कर वाहन मरम्मत में व्यय हुई राशि 12699/- व मानसिक क्षतिपूर्ति 5000 रूपये व परिवाद व्यय 5000 रूपये दिलाये जाने की मांग की है। परिवादी का शपथ पत्र भी पेश किया है।
2. अप्रार्थीसं0 1 की ओर से जबाब पेश कर संक्षेप में यह कथन किया कि हस्तगत प्रकरण मकें बीमा अप्रार्थी सं0 2 के प्रतिनिधि की हैसियत से उत्तरदाता ने किया है तथा अप्रार्थी सं0 2 क्षतिपूर्ति की भरपाई हेतु उत्तरदायी है। दुर्घटना व वाहन रिपेयरिंग की जानकारी अप्रार्थी सं0. 1 को नहीं दी गई , न अप्रार्थी सं0 1 को क्लेम भुगतान हेतु निवेदन किया । अतः अप्रार्थी सं0.1 के विरूद्ध क्लेम निरस्त किया जावे । जबाब के समर्थन में भगवानराम धारणिया डाइरेक्टर धारणिया आॅटोमोबाइल्स का शपथपत्र पेश किया। अप्रार्थी सं0 2 की ओर से जबाब पेश कर कथन किया कि दिनांक 15.12.11 की घटना की सूचना उनको 03.9.12 को दी गई जो 8 माह 20 दिन देरी पाॅलिसि की शर्त सं. 1 का उल्लंघन है । शेष परिवाद के तथ्यों से इन्कार किया । जबाब मय शपथ पत्र पेश कर परिवाद खारिज किये जाने का निवेदन किया है । तथा दस्तावेजात की फोटो प्रतियां पेश की।
4. बहस उभय पक्ष सुनी गई। पत्रावली का गहनतापूर्वक अध्ययन एवं मनन किया गया। परिवादीनि के अधिवक्ता का बहस के दौरान तर्क रहा है कि अप्रार्थीगण ने परिवाादी को जारी पाॅलिसि का प्रीमियम प्राप्त कर दुर्घटना से हुई क्षति का भुगतान नहीं किया है इसलिए परिवादी क्लेम राशि मय ब्याज तथा अप्रार्थीगण के उपेक्षापूर्ण कृत्य से हुई क्षति राशि प्राप्त करने का अधिकारी है। जबकि अप्रार्थीगण की ओर से बहस के दौरान तर्क रहा है कि परिवादी स्वयं की असावधानी व विलम्ब रहा है इसलिए परिवादी अप्रार्थीगण से कोई अनुतोष पाने का अधिकारी नहीं है।
5. यह निर्विवाद है कि परिवादी ने अपनी मोटरसाइकिल हीरो होण्डा पंजीयन सं0 आरजे 21-एस.एफ. 0750 का बीमा अप्रार्थी बीमा कम्पनी से दिनांक 16.11.11 से दिनांक 15.11.12 तक की अवधि का करवाया । प्रार्थी कें मुताबिक उसका वाहन दिनांक 15.12.11 को दुर्घटनाग्रस्त हुआ । उसने अपने वाहन की मरम्मत सर्विस सेण्टर शुभम मोटर्स डेगाना से करवायी जिसमें 12,699/- खर्चा हुआ । प्रार्थी की ओर से अप्रार्थी बीमा कम्पनी ने इस आधार पर बीमा क्लेम निरस्त कर दिया कि दुर्घटना के 8 माह 20 दिन बाद दिनांक 03.9.12 को बीमा क्लेम बीमा कम्पनी को प्रस्तुत किया । 8 माह 20 दिन बाद सूचना दी गई । जबकि बीमा कम्पनी की शर्तो के मुताबिक प्रार्थी को तुरंत सूचवना देना चाहिए थी ।
6. हमारी राय में प्रार्थी व बीमा कम्पनी अनुबन्ध की शर्तो से बाध्य है। प्रार्थी को दुर्घटना की सूचना बीमा कम्पनी को तुरंत देनी चाहिए थी। अनेक ऐसी न्यायिक दृष्टांत है जिनमें माननीय सर्वोच्च न्यायालीय ,माननीय राष्ट्रीय उपभोक्ता विवाद प्रतितोष आयोग व राज्य उपभोक्ता विवाद प्रतितोष आयोग ने यह अभिनिर्धारित किया है कि तुरंत सूचना का मतलब 24 घण्टे में सूचना देना है। परंतु वर्तमान प्रकरण में 8 माह 20 दिन बाद अप्रार्थी बीमा कम्पनी को सूचना दी गई । हमारी राय में बीमा कम्पनी द्वारा क्लेम निरस्त करना कोई सेवा दोष नहीं है । परिवाद खारिज किये जाने योग्य है।
आदेश
5. अतः परिवाद का परिवाद विरूद्ध अप्रार्थीगण खारिज किया जाता है। खर्चा पक्षकारान अपना अपना वहन करेंगे ।
आदेश आज दिनांक 25.2.2015 को लिखाया जाकर खुले न्यायालय में सुनाया गया।
।बलवीर खुडखुडिया। ।बृजलाल मीणा। ।श्रीमति राजलक्ष्मी आचार्य।
सदस्य अध्यक्ष सदस्या