जिला उपभोक्ता विवाद प्रतितोष मंच, नागौर
परिवाद सं. 144/2014
बाबूलाल पुत्रश्री उगराराम, जाति-विष्नोई, निवासी ग्राम-पांचलासिद्धा, तहसील-खींवसर, जिला-नागौर (राज.)। -परिवादी
बनाम
1. प्रबन्धक-टाटा ए.आई.जी. जनरल इंष्योरेंस कम्पनी लिमिटेड, पेनीसूला काॅरपोरेट पार्क निकोलस पिरामल टाॅवर, 9-फ्लोर, गणपतराव खाडे मार्ग, लोवर पारेल मुम्बई-400013।
2. धारणिया आॅटो मोबाईल्स, जोधपुर रोड, मानासर, नागौर, तहसील व जिला-नागौर, राजस्थान, अधिकृत अभिकर्ता टाटा ए.आई.जी, जनरल इंष्योरेंस कम्पनी लिमिटेड।
-अप्रार्थी
समक्षः
1. श्री बृजलाल मीणा, अध्यक्ष।
2. श्रीमती राजलक्ष्मी आचार्य, सदस्या।
3. श्री बलवीर खुडखुडिया, सदस्य।
उपस्थितः
1. श्री करणसिंह राठौड, अधिवक्ता, वास्ते प्रार्थी।
2. श्री कुन्दनसिंह आचीणा एवं श्री पवन कुमार श्रीमाली, अधिवक्ता वास्ते अप्रार्थी।
अंतर्गत धारा 12 उपभोक्ता संरक्षण अधिनियम ,1986
आ दे ष
दिनांक-18.11.2015
1. परिवाद-पत्र के तथ्य संक्षेप में इस प्रकार है कि परिवादी ने अपने मोटरसाइकिल नम्बर त्श्र 21/ ैथ् 1316 का बीमा अप्रार्थीगण से करवाया। बीमित अवधि में दिनांक 30.07.2013 को प्रार्थी का उक्त वाहन चोरी हो गया जिसकी तुरन्त सूचना अप्रार्थीगण को दी गई एवं पुलिस थाना खींवसर में एफआईआर नम्बर 118/2013 जुर्म धारा 379 भारतीय दण्ड संहिता में दर्ज करवाया।
प्रार्थी ने अप्रार्थीगण के यहां बीमित राषि प्राप्त करने के लिए क्लेम पेष किया परन्तु अप्रार्थीगण ने प्रार्थी का क्लेम गलत आधार पर निरस्त कर दिया। प्रार्थी ने 30.07.2013 को रात को चोरी हुए उक्त वाहन की रिपोर्ट 31.07.2013 को बिना देरी के लिखवाई। देरी से क्लेम पेष करने का बहाना बनाकर प्रार्थी का क्लेम खारिज कर दिया। जो कि अनफेयर ट्रेड प्रेक्टिस है। अतः उसे बीमा राषि मय अन्य परिलाभ व व्यय के हर्जा खर्चा सहित राषि दिलाई जाये।
2. अप्रार्थी संख्या 1 बीमा कम्पनी का मुख्य रूप से यह कहना है कि परिवादी को बीमा पाॅलिसी की षर्तों के मुताबिक परिवादी की उक्त विवादित मोटर साइकिल का बीमा किया था। परन्तु परिवादी ने घटना के दो दिन बाद रिपोर्ट लिखवाई और 77 दिन बाद अप्रार्थी संख्या 1 को चोरी की सूचना दी गई जो कि बीमा पाॅलिसी की षर्त संख्या 1 का उल्लंघन है। यदि समय पर सूचना दी जाती तो बीमा कम्पनी पुलिस के साथ मिलकर चोरी गए उक्त वाहन की तलाष करती। परिवादी ने समय पर उक्त वाहन के दस्तावेज भी पेष नहीं किए ना ही चोरी की समय पर सूचना दी गई। सतेतर दिन बाद में क्लेम प्रस्तुत किया गया, इसलिए परिवाद खारिज किया जावे।
3. अप्रार्थी संख्या 2 का मुख्य रूप से कहना है कि उसने अप्रार्थी संख्या 1 के प्रतिनिधि की हैसियत से वाहन का बीमा करवाकर प्रिमियम राषि प्राप्त कर उसे अप्रार्थी संख्या 1 को उपलब्ध करवाया। इसलिए अप्रार्थी संख्या 1 ही जिम्मेदार है। अप्रार्थी संख्या 2 को वाहन चोरी की कोई सूचना नहीं दी गई। इसलिए अप्रार्थी संख्या 2 की कोई जिम्मेदारी नहीं है।
4. बहस उभय पक्षकारान सुनी गई। पत्रावली का ध्यानपूर्वक अध्ययन एवं मनन किया गया। निर्विवाद रूप से प्रार्थी का उक्त विवादित वाहन अप्रार्थी बीमा कम्पनी के यहां चोरी की अवधि में बीमित था। चोरी की रिपोर्ट भी मुताबिक एफआईआर प्रदर्ष 3 दिनांक 01.08.2013 को लिखाई गई। पत्रावली पर अप्रार्थीगण की ओर से कोई ऐसा सबूत प्रस्तुत नहीं किया है जिससे इस बात की षंका प्रकट होती हो कि परिवादी ने झंूठा क्लेम लेने के लिए झूंठी रिपोर्ट लिखवाई हो। रिपोर्ट से चोरी होना प्रकट है। चोरी की रिपोर्ट भी परिवादी ने उचित समय पर लिखवाई है। इसे देखते हुए यह प्रतीत होता है कि परिवादी ने अप्रार्थी बीमा कम्पनी को चोरी की सूचना भी यथा समय दूरभाश से दी है जैसा कि उसने सषपथ कथन किया है। लिखित में सूचना नहीं देना एवं एक दिन की देरी से रिपोर्ट लिखाना अप्रार्थी बीमा कम्पनी के मुताबिक षर्त का आंषिक उल्लंघन भी माना जावे तो भी परिवादी बीमित राषि का 75 प्रतिषत नाॅन स्टेण्डर्ड बेसिस पर प्राप्त करने का अधिकारी है। इस प्रकार से परिवादी अपना परिवाद अप्रार्थीगण के विरूद्ध साबित करने में सफल रही है। परिवादी का परिवाद अप्रार्थीगण के विरूद्ध निम्न प्रकार से स्वीकार किया जाता है तथा आदेष दिया जाता है किः-
आदेश
5. अप्रार्थीगण, परिवादी को बीमित धन राषि 27,440/- रूपये का 75 प्रतिषत नाॅन स्टेण्डर्ड बेसिस पर तय होने वाली राषि एक माह में अदा करें। साथ ही अप्रार्थीगण, परिवादी को 2,500/- रूपये (दो हजार पांच सौ रूपये) परिवाद व्यय भी अदा करें।
आदेश आज दिनांक 18.11.2015 को लिखाया जाकर खुले न्यायालय में सुनाया गया।
।बलवीर खुडखुडिया। ।बृजलाल मीणा। ।श्रीमती राजलक्ष्मी आचार्य।
सदस्य अध्यक्ष सदस्या