Rajasthan

Nagaur

CC/193/2014

Sarjuden Khan - Complainant(s)

Versus

Tata AIG Ins Com Ltd - Opp.Party(s)

Self

05 May 2015

ORDER

Heading1
Heading2
 
Complaint Case No. CC/193/2014
 
1. Sarjuden Khan
Nagaur
...........Complainant(s)
Versus
1. Tata AIG Ins Com Ltd
15th floor,ganpatram Kadam Marg,lover peral,Mumbai408013
............Opp.Party(s)
 
BEFORE: 
 HON'BLE MR. JUSTICE Brijlal Meena PRESIDENT
 HON'BLE MR. Balveer KhuKhudiya MEMBER
 HON'BLE MRS. Rajlaxmi Achrya MEMBER
 
For the Complainant:Self, Advocate
For the Opp. Party:
ORDER

जिला उपभोक्ता विवाद प्रतितोष मंच, नागौर

परिवाद सं. 193/2014

सराजुद्ीन पुत्र श्री सुलेमान खान, निवासी-नया दरवाजा (घोसीवाडा), नागौर, जिला नागौर  (राज.)।                              -परिवादी     
बनाम

1. मुख्य प्रबन्धक, टाटा ए.आई.जी. जनरल इंश्योरेंस कम्पनी, 15 फ्लोर टावर-ए पेनिनसला बिजनेस पार्क, गणपतराम कदम मार्ग, लोवर पेरल, मुम्बई-408013
2. शाखा प्रबन्धक, टाटा ए.आई.जी. जी.आई.सी., 104-106 ब्रिज अनुकम्पा सी-स्कीम, अशोक मार्ग, जयपुर (राज)।
3.  बीमा अभिकर्ता (एजेन्ट), सरदार खां पुत्र श्री हाजी साबीर खां, बिन्धलों का मौहल्ला, अजमेरी गेट के अन्दर, नागौर (राज)।
                                               -अप्रार्थीगण 

 

परिवाद सं. 214/2014

सरफुदीन पुत्र श्री सुलेमान घोसी, निवासी-नया दरवाजा (घोसीवाडा), नागौर, जिला नागौर (राज)।                                -परिवादी     

बनाम

1. मुख्य प्रबन्धक, टाटा ए.आई.जी. जनरल इंश्योरेंस कम्पनी, 15 फ्लोर टावर-ए पेनिनसला बिजनेस पार्क, गणपतराम कदम मार्ग, लोवर पेरल, मुम्बई-408013
2. शाखा प्रबन्धक, टाटा ए.आई.जी. जी.आई.सी., 104-106 ब्रिज अनुकम्पा सी-स्कीम, अशोक मार्ग, जयपुर (राज)-302013।
3.  बीमा अभिकर्ता (एजेन्ट), सरदार खां पुत्र श्री हाजी साबीर खां, बिन्धलों का मौहल्ला, अजमेरी गेट के अन्दर, नागौर (राज)।
                                               -अप्रार्थीगण 

समक्षः
1. श्री बृजलाल मीणा, अध्यक्ष।
2. श्रीमति राजलक्ष्मी आचार्य, सदस्या।
3. श्री बलवीर खुडखुडिया, सदस्य।

उपस्थितः
1. परिवादी गण स्वयं उपस्थित।
2. श्री कुन्दनसिंह आचीणा, अधिवक्ता वास्ते अप्रार्थीगण।

    अंतर्गत धारा 12 उपभोक्ता संरक्षण अधिनियम ,1986

                      आ  दे  श           दिनांक 05.05.2015

1. यहां सर्वप्रथम इस बात का उल्लेख करना सुसंगत एवं आवश्यक होगा कि  उपरोक्त दोनों प्रकरणों के तथ्य एक ही प्रकार के हैं, कानूनी बिन्दु भी एक जैसे ही हैं। इसलिए एक ही आदेश से दोनों प्रकरणों का निस्तारण किया जाना सुगम एवं उचित होगा। दोनों पत्रावलियों में एक-एक आदेश की प्रति शामिल की जावे।

2. प्रार्थना-पत्रों के जिसे आगे चलकर प्रार्थना-पत्र से सम्बोधित किया जाएगा, तथ्य संक्षेप में इस प्रकार हैं कि परिवादी गण ने प्रार्थना-पत्र में उल्लेखित अपनी-अपनी भैंसों का अप्रार्थी बीमा कम्पनी से बीमा करवाया। बीमा अवधि में परिवादीगण की उक्त भैंसे मर गई। परिवादीगण ने बीमा क्लेम पेश किया। परन्तु अप्रार्थीगण ने 25 प्रतिशत बीमा राशि कम कर प्रत्येक प्रार्थी को 22,500/- रूपये जरिये चैक भेजे जबकि बीमा राशि 30,000/- रूपये प्रत्येक परिवादी को भुगतान किया जाना था। अतः परिवादी को 7500-7500 रूपये की बकाया राशि मय हर्जा खर्चा ब्याज सहित दिलायी जावे।


3. अप्रार्थीगण की ओर से मुख्य रूप से यह कहा गया है कि परिवादीगण ने अपने बीमित पशुओं की सही देखभाल नहीं की, समुचित इलाज नहीं करवाया। इसलिए बीमारी के कारण पशुओं की मृत्यु हो गई। बीमा पाॅलिसी की शर्तों का उल्लंघन होने से नाॅन स्टेण्डर्ड बेसिस पर 75 प्रतिशत राशि दी गई। परिवादी गण ने राशि प्राप्त कर फुल एण्ड फाइनल सेटलमेंट कर लिया है, अब कोई राशि बकाया नहीं है। 

4. बहस अंतिम सुनी गई। पत्रावली का अवलोकन किया। परिवाद-पत्रों से यह निर्विवाद है कि परिवादीगण ने अपनी-अपनी भैंसों का अप्रार्थीगण से बीमा करवाया। बीमित अवधि में विवादित भैंसों की मृत्यु हुई। यह भी सही है कि अप्रार्थीगण ने परिवादी प्रत्येक को 22,500/- रूपये का भुगतान कर दिया।


5. परिवादीगण का कहना है कि वे अशिक्षित हैं, बीमा की शर्तों को जो कि अंग्रेजी में उल्लेखित हैं, प्रार्थीगण को पढकर ना तो सुनाई गई और ना ही समझाई गई। प्रार्थीगण ने अपनी-अपनी भैंसों को सही उपचार कराया। पूर्व में विवादित भैंसे बीमार नहीं थी। अचानक बीमार होने के कारण फौत हो गई।

6. विद्वान अधिवक्ता अप्रार्थीगण का तर्क है कि कानून यह अपेक्षा करता है कि प्रार्थीगण ने बीमा की सभी शर्तों को पढकर सुन-समझकर स्वीकार किया है। इसलिए वे शर्तों से आबद्ध है।


7. हमारी राय में अप्रार्थीगण के तर्कों में कोई बल नहीं है। क्योंकि प्रथमतः अप्रार्थीगण ने ऐसा कोई पशु चिकित्सक का प्रमाण-पत्र प्रस्तुत नहीं किया है कि उक्त भैंसे पूर्व से ही किसी बीमारी से ग्रस्त थी। निश्चित रूप से बीमा के समय उक्त भैंसे बीमार होती तो अप्रार्थीगण बीमा नहीं करते। इसके अलावा अप्रार्थीगण का यह भी विधिक कर्तव्य था कि बीमा करते समय किसी पशु चिकित्सक से इस बात का प्रमाण-पत्र लेते कि उक्त भैंसे स्वस्थ है या नहीं। चिकित्सक के मुताबिक बीमार होने पर मृत्यु होना बताया है निःसंदेह मृत्यु किसी भी प्राणी की या तो बीमारी से होती है या दुर्घटना से होती है। जैसा कि उपर उल्लेख किया गया है कि उक्त भैंसे बीमा से पूर्व या बीमा के समय किसी बीमारी से ग्रस्त होने का सबूत अप्रार्थीगण प्रस्तुत नहीं कर पाये। ऐसी सूरत में अप्रार्थीगण का यह तर्क कि फुल एण्ड फाइनल सेटलमेंट में प्रार्थीगण ने 30000-30000 रूपये की बीमित रकम में से 22500-22500 रूपये प्राप्त कर लिये, अब कोई विवाद शेष नहीं है, माने जाने योग्य नहीं है। क्योंकि प्रार्थीगण को अंधेरे में रखा गया है सही स्थिति से वाकिफ नहीं कराया गया। इस प्रकार से अप्रार्थीगण का उक्त कृत्यु अनुचित व्यापार की श्रेणी में आता है।
8. अतः प्रार्थीगण के उक्त परिवाद अप्रार्थीगण के विरूद्ध निम्न प्रकार से स्वीकार किये जाते हैः-

आदेश


9. आदेश दिया जाता है कि अप्रार्थीगण, प्रार्थी को शेष बीमित राशि 7500/- रूपये एवं उक्त रकम पर परिवाद प्रस्तुत करने की तारीख दिनांक 05.11.2014 से तारकम वसूली 9 प्रतिशत वार्षिक ब्याजदर से ब्याज राशि भी अदा करें। इसके अलावा 2500/- रूपये परिवाद व्यय एवं 1500/- रूपये मानसिक क्षतिपूर्ति के रूप में अप्रार्थीगण, प्रार्थी को अदा करें।

आदेश आज दिनांक 05.05.2015 को लिखाया जाकर खुले न्यायालय में सुनाया गया।

 

।बलवीर खुडखुडिया।    ।बृजलाल मीणा।   ।श्रीमति राजलक्ष्मी आचार्य।
सदस्य                 अध्यक्ष            सदस्या

 

 

 

 
 
[HON'BLE MR. JUSTICE Brijlal Meena]
PRESIDENT
 
[HON'BLE MR. Balveer KhuKhudiya]
MEMBER
 
[HON'BLE MRS. Rajlaxmi Achrya]
MEMBER

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