Uttar Pradesh

StateCommission

CC/106/2015

Ruch Devi - Complainant(s)

Versus

Tata AIG general Insurance Co. - Opp.Party(s)

Sanjay Kumar Varma

18 Oct 2022

ORDER

STATE CONSUMER DISPUTES REDRESSAL COMMISSION, UP
C-1 Vikrant Khand 1 (Near Shaheed Path), Gomti Nagar Lucknow-226010
 
Complaint Case No. CC/106/2015
( Date of Filing : 25 May 2015 )
 
1. Ruch Devi
Eatah
...........Complainant(s)
Versus
1. Tata AIG general Insurance Co.
Mumbai
............Opp.Party(s)
 
BEFORE: 
 HON'BLE MR. SUSHIL KUMAR PRESIDING MEMBER
 HON'BLE MR. Vikas Saxena JUDICIAL MEMBER
 
PRESENT:
 
Dated : 18 Oct 2022
Final Order / Judgement

                                  (मौखिक)

राज्‍य उपभोक्‍ता विवाद प्रतितोष आयोग, उ0प्र0, लखनऊ

परिवाद सं0- 106/2015

Ruchi Devi aged about 25 years, wife of Sri Pushpendra Chauhan, Resident of 94, Rarpatti, District Etah.

                                             …….Complainant

                          Versus

1. Tata AIG General Insurance Company Limited, having its Registered Office at Peninsula Business Park, Tower A, 15th Floor, G.K. Marg, Lower Parel, Mumbai-400013 Through its Managing Director.

2. Manager- A&H Claims Department, Tata AIG General Insurance Company Limited, A-501, 5th Floor, Building No. 4, Infinity I.T. Park, Dindoshi, Malad (E) Mumbai-400097.

3. Branch Manager, Axis Bank Limited Head Post Office Road, Etah (U.P.) 207001

                                       ……Opposite Parties

समक्ष:-

   माननीय श्री सुशील कुमार, सदस्‍य।

   माननीय श्री विकास सक्‍सेना, सदस्‍य।

 

परिवादिनी की ओर से उपस्थित           : श्री संजय कुमार वर्मा,

                                       विद्वान अधिवक्‍ता।                         

विपक्षीगण सं0- 1 व 2 की ओर से उपस्थित : श्री टी0जे0एस0 मक्‍कड़,

                                        विद्वान अधिवक्‍ता।

विपक्षी सं0- 3 की ओर से उपस्थित         : कोई नहीं।

                     

दिनांक:- 18.10.2022

माननीय श्री सुशील कुमार, सदस्‍य द्वारा उद्घोषित

निर्णय

1.        यह परिवाद, परिवादिनी रूचि देवी द्वारा विपक्षीगण टाटा ए0आई0जी0 जनरल इंश्‍योरेंस कं0लि0 व दो अन्‍य के विरुद्ध बीमाधारक विनय कुमार की मृत्‍यु पर 25,00,000/-रू0 का बीमा क्‍लेम प्राप्‍त करने के लिए तथा पालिसी उपलब्‍ध न कराने के कारण मानसिक प्रताड़ना के मद में 4,00,000/-रू0 एवं परिवाद व्‍यय के रूप में 1,00,000/-रू0 प्राप्‍त करने के लिए प्रस्‍तुत किया गया है।

2.        परिवाद के तथ्‍य संक्षेप में इस प्रकार हैं कि परिवादिनी के सगे चाचा श्री विनय कुमार पुत्र श्री जंग बहादुर सिंह को टाटा ए0आई0जी0 द्वारा दुर्घटना सुरक्षा पालिसी का प्रस्‍ताव दिया गया। इस पालिसी को प्राप्‍त करने के लिए मेडिकल परीक्षण आवश्‍यक नहीं था। पालिसी अवधि 1, 2, 3 वर्ष की थी और अर्हता आयु छ: माह से 65 वर्ष थी। विनय कुमार का खाता विपक्षी सं0- 3 के बैंक में था जो 07 सितम्‍बर 2013 को खोला गया था। पालिसी लेते समय परिवादिनी के चाचा द्वारा मैक्‍स लाइफ इंश्‍योंरेंस पालिसी के बारे में भी बता दिया गया था। पालिसी प्राप्‍त करने के लिए प्रीमियम 6,618/-रू0 का भुगतान विनय कुमार के बैंक खाते से हुआ था। बीमा अवधि 11 सितम्‍बर 2013 से 10 सितम्‍बर 2016 तक थी जिसमें परिवादिनी लाभार्थी थी। श्री विनय कुमार की मृत्‍यु 23 जून 2014 को एक दुर्घटना में हो गई जब विनय कुमार अपने घर आ रहा था तब एक अज्ञात वाहन ने विनय कुमार को टक्‍कर मार दी जिसकी सूचना थाना एटा में दी गई थी और अपराध सं0- 230/2014 धारा 279/304ए आई0पी0सी0 पंजीकृत हुआ था जिसे आनंद कुमार पुत्र श्री महाराज सिंह चला रहा था। विनय का पोस्‍टमार्टम हुआ था। ये सभी दस्‍तावेज सं0 5 लगायत 8 प्रस्‍तुत किए गए हैं। मृत्‍यु के समय विनय कुमार की उम्र 37 वर्ष थी।

3.        विनय कुमार की मृत्‍यु के पश्‍चात बीमा क्‍लेम अंकन 25,00,000/-रू0 के लिए प्रस्‍तुत किया गया। साथ ही मैक्‍स लाइफ इंश्‍योरेंस कम्‍पनी से लिया गया बीमा क्‍लेम भी प्रस्‍तुत किया गया। उनके द्वारा बीमा क्‍लेम स्‍वीकार कर लिया गया, परन्‍तु विपक्षीगण सं0- 1 एवं 2 द्वारा बीमा क्‍लेम नकार दिया गया। इसलिए परिवाद प्रस्‍तुत किया गया।

4.        परिवाद पत्र के समर्थन में शपथ पत्र तथा एनेक्‍जर 1 लगायत 15 प्रस्‍तुत किए गए हैं।

5.        विपक्षीगण सं0- 1 एवं 2 का कथन है कि बीमा प्राप्‍त करते समय तात्विक तथ्‍य छिपाये गए तथा धोखा कारित किया गया। यथार्थ में बीमाधारक के हस्‍ताक्षर जो पैनकार्ड पर मौजूद हैं वह बीमा प्रस्‍ताव पर मौजूद नहीं हैं। हस्‍तलेख विशेषज्ञ की रिपोर्ट प्राप्‍त की गई, जिनके द्वारा दि0 30.12.2014 को सूचित किया गया कि पैनकार्ड पर किए गए हस्‍ताक्षर बीमा प्रस्‍ताव पर किए गए हस्‍ताक्षर भिन्‍न-भिन्‍न व्‍यक्तियों के हैं। केवल बीमाधन प्राप्‍त करने के लिए पालिसी प्राप्‍त कर ली। इसलिए बीमा पालिसी की शर्त सं0- 7 को उल्लिखित किया गया, तदनुसार बीमा क्‍लेम देय नहीं है।

6.        लिखित कथन के समर्थन में शपथ पत्र प्रस्‍तुत किया गया तथा अन्‍य दस्‍तावेज प्रस्‍तुत किए गए।

7.        हमने परिवादिनी के विद्वान अधिवक्‍ता श्री संजय कुमार वर्मा तथा विपक्षीगण सं0- 1 व 2 के विद्वान अधिवक्‍ता श्री टी0जे0एस0 मक्‍कड़ को सुना एवं पत्रावली पर उपलब्‍ध अभिलेखों का सम्‍यक परिशीलन किया। विपक्षी सं0- 3 की ओर से कोई उपस्थित नहीं है।

8.        परिवादिनी के विद्वान अधिवक्‍ता द्वारा सर्वप्रथम यह बहस की गई है कि मैक्‍स लाइफ इंश्‍योरेंस कम्‍पनी से भी बीमा प्राप्‍त किया गया था उनके द्वारा बीमित राशि का भुगतान कर दिया गया। इसलिए विपक्षीगण सं0- 1 व 2 द्वारा भी बीमा पालिसी का भुगतान करना चाहिए। यह तर्क इस आधार पर स्‍वीकार नहीं है कि मैक्‍स लाइफ इंश्‍योरेंस कं0लि0 द्वारा किसी प्रकार की अनियिमितता नहीं पायी गई होगी, इसलिए बीमा क्‍लेम अदा कर दिया गया। केवल इस आधार पर विपक्षीगण सं0- 1 व 2 को बीमा क्‍लेम के भुगतान का आदेश नहीं दिया जा सकता कि मैक्‍स लाइफ इंश्‍योरेंस कं0लि0 द्वारा मृतक के बीमा क्‍लेम का भुगतान कर दिया गया।

9.        परिवादिनी के विद्वान अधिवक्‍ता द्वारा गुण-दोष के आधार पर यह बहस की गई है कि बीमाधारक द्वारा स्‍वयं बीमा प्रस्‍ताव भरा गया और अपने हस्‍ताक्षर किए गए। इसलिए बीमा क्‍लेम देय है।

10.       बीमा कम्‍पनी के विद्वान अधिवक्‍ता का यह तर्क है कि परिवादी के हस्‍ताक्षर पैनकार्ड पर भिन्‍न हैं तथा बीमा प्रस्‍ताव पर भिन्‍न हैं। इसलिए मृतक वह व्‍यक्ति नहीं है जिसके द्वारा बीमा प्रस्‍ताव भरा गया है। उनका यह भी तर्क है कि हस्‍तलेख विशेषज्ञ की रिपोर्ट प्राप्‍त की गई है। हस्‍तलेख विशेषज्ञ ने रिपोर्ट दी है कि जिस व्‍यक्ति के पैनकार्ड पर हस्‍ताक्षर हैं उस व्‍यक्ति के हस्‍ताक्षर बीमा प्रस्‍ताव पर नहीं हैं। बीमा क्‍लेम इंवेस्‍टीगेशन रिपोर्ट की प्रति पत्रावली पर मौजूद है। इस रिपोर्ट में पैन कार्ड पर मौजूद हस्‍ताक्षर तथा बीमा प्रस्‍ताव पर मौजूद हस्‍ताक्षर का तुलनात्‍मक अध्‍ययन किया गया है। इस पीठ का मत है कि प्रथम दृष्‍टया अवलोकन से ही दोनों हस्‍ताक्षर में भिन्‍नता है। पैन कार्ड पर जिस व्‍यक्ति द्वारा हस्‍ताक्षर किए गए हैं उसी व्‍यक्ति के हस्‍ताक्षर बीमा प्रस्‍ताव पर मौजूद नहीं हैं। यह हस्‍ताक्षर पूर्णत: भिन्‍न हैं। इंवेस्‍टीगेटर ने हस्‍तलेख विशेषज्ञ की रिपोर्ट को विचार में लिया है जिसमें दोनों हस्‍ताक्षर भिन्‍न पाये गए हैं। इसी आधार पर बीमा कम्‍पनी द्वारा क्‍लेम निरस्‍त किया गया है कि बीमाधारक के हस्‍ताक्षर बीमा प्रस्‍ताव पर मौजूद नहीं हैं। बीमा कम्‍पनी के विद्वान अधिवक्‍ता का यह तर्क है कि पैनकार्ड पर हस्‍ताक्षर पूर्व में बनाये गए हैं। इसलिए उनके परिवर्तन की कोई सम्‍भावना नहीं है यह हस्‍ताक्षर शुद्ध रूप से विनय कुमार के हैं जब कि बीमा प्रस्‍ताव पर विनय कुमार के हस्‍ताक्षर नहीं हैं। अत: बीमा क्‍लेम नकारने का जो आधार लिया गया है वह विधिसम्‍मत है। इसलिए बीमा क्‍लेम देय नहीं है। तदनुसार परिवाद खारिज किए जाने योग्‍य है।   

आदेश

11.       परिवाद खारिज किया जाता है।

          उभयपक्ष अपना-अपना व्‍यय स्‍वयं वहन करेंगे।   

          आशुलिपि‍क से अपेक्षा की जाती है कि‍ वह इस निर्णय व आदेश को आयोग की वेबसाइट पर नियमानुसार यथाशीघ्र अपलोड कर दें।     

 

   (विकास सक्‍सेना)                         (सुशील कुमार)

            सदस्‍य                                  सदस्‍य                                

शेर सिंह, आशु0,

कोर्ट नं0- 2

 
 
[HON'BLE MR. SUSHIL KUMAR]
PRESIDING MEMBER
 
 
[HON'BLE MR. Vikas Saxena]
JUDICIAL MEMBER
 

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