राज्य उपभोक्ता विवाद प्रतितोष आयोग, उ0प्र0, लखनऊ।
सुरक्षित
अपील सं0-१२३४/२०१८
(जिला मंच, गौतम बुद्ध नगर द्वारा परिवाद संख्या-५७८/२०१३ में पारित प्रश्नगत निर्णय एवं आदेश दिनांक २९-०५-२०१८ के विरूद्ध)
यतेन्द्र कुमार भाटी पुत्र श्री रघुनाथ भाटी निवासी ग्राम पाली, जिला फरीदाबाद, वर्तमान पता डी-२४३, सैक्टर-१०५, नोएडा। ............. अपीलार्थी/परिवादी।
बनाम्
टाटा ए आई जी जनरल इंश्योरेंस कं0लि0, पता- ए-२, सेकिण्ड फ्लोर, मेन नजफगढ़ रोड, कीर्ति नगर, नई दिल्ली द्वारा रीजनल मैनेजर। .............. प्रत्यर्थी/विपक्षी।
समक्ष:-
१. मा0 श्री उदय शंकर अवस्थी, पीठासीन सदस्य।
२. मा0 श्री गोवर्द्धन यादव, सदस्य।
अपीलार्थी की ओर से उपस्थित :- श्री प्रतुल श्रीवास्तव विद्वान अधिवक्ता।
प्रत्यर्थी की ओर से उपस्थित :- श्री निशान्त शुक्ला विद्वान अधिवक्ता के सहयोगी
अधिवक्ता श्री आर0के0 मिश्रा।
दिनांक : २५-०२-२०२०.
मा0 श्री उदय शंकर अवस्थी, पीठासीन सदस्य द्वारा उदघोषित
निर्णय
प्रस्तुत अपील, जिला मंच, गौतम बुद्ध नगर द्वारा परिवाद संख्या-५७८/२०१३ में पारित प्रश्नगत निर्णय एवं आदेश दिनांक २९-०५-२०१८ के विरूद्ध योजित की गई है।
संक्षेप में तथ्य इस प्रकार हैं कि अपीलार्थी/परिवादी के कथनानुसार परिवादी ने अपने वाहन टाटा सफारी नं0-एच आर ५१ ए/९७०० का बीमा प्रत्यर्थी बीमा कम्पनी से दिनांक ०२-०५-२०१२ को गाड़ी की कीमत बीमा कम्पनी द्वारा ७,५०,०००/- रू० निर्धारित करते हुए कराया। दिनांक ०५-०५-२०१२ की रात्रि में परिवादी का उपरोक्त वाहन चोरी हो गया जिसकी रिपोर्ट थाने में दिनांक ०६-०५-२०१२ को दर्ज कराई गई। यह रिपोर्ट अपराध सं0-३७१/२०१२, अं0धा0-३७९ भा0दं0सं0 थाना सैक्टर-२०, नोएडा में दर्ज की गई। पुलिस द्वारा गाड़ी नहीं ढूँढ़ पाने के कारण परिवादी द्वारा इसकी सूचना प्रत्यर्थी बीमा कम्पनी को भी दी गई। पुलिस द्वारा अपीलार्थी/परिवादी की चोरी गई गाड़ी को खोजने का भरसक प्रयास किए जाने के बाबजूद गाड़ी नहीं मिल पाई जिसकी सूचना प्रत्यर्थी बीमा
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कम्पनी को दी गई। बीमा कम्पनी के कार्यालय में परिवादी से यह कहा गया कि पुलिस को एफ0आर0 लगाने दो तब उसकी कापी कार्यालय में लाकर देना तब परिवादी के क्लेम की कार्यवाही शुरू कर, क्लेम दे दिया जायेगा। पुलिस द्वारा मामले की विवेचना के उपरान्त अन्तिम आख्या सम्बन्धित न्यायालय में प्रेषित की गई। उक्त अन्तिम आख्या न्यायालय द्वारा दिनांक १७-०९-२०१३ को स्वीकार की गई जिसकी सत्य प्रति परिवादी द्वारा बीमा कम्पनी के दफ्तर में दाखिल की गई तथा बीमा कम्पनी से बीमा की धनराशि दिए जाने की प्रार्थना की गई किन्तु बीमा कम्पनी द्वारा टालमटोल की गई। तत्पश्चात् बीमा कम्पनी द्वारा बिना कारण परिवादी के पुत्र कुलदीप भाटी के ई0मेल आई0डी0 पर मेल कर बिना बजह की बातें लिख दीं, जिसमें मांगे गये कागजात परिवादी पहले ही दाखिल कर चुका था। पुन: परिवादी ने अपने बीमा दावे के सन्दर्भ में बीमा कम्पनी से सम्पर्क किया तो उसे सूचित किया गया कि उसके दावे की पत्रावली बन्द कर दी गई है। परिवादी ने अपने अधिवक्ता के माध्यम से नोटिस भिजवाई किन्तु कोई कार्यवाही नहीं की गई। अत: बीमा दावे की धनराशि तथा क्षतिपूर्ति की अदायगी हेतु परिवाद योजित किया गया।
प्रत्यर्थी बीमा कम्पनी द्वारा प्रतिवाद पत्र जिला मंच के समक्ष प्रस्तुत किया गया। बीमा कम्पनी द्वारा मुख्य रूप से यह आपत्ति की गई कि अपीलार्थी/परिवादी द्वारा कथित चोरी की घटना की सूचना प्रत्यर्थी बीमा कम्पनी को दिनांक १८-०७-२०१२ को अर्थात् चोरी की घटना के ७३ दिन बाद दी गई। इस प्रकार बीमाधारक द्वारा प्रश्नगत बीमा पालिसी की शर्तों का उल्लंघन किया गया। बीमा पालिसी की शर्तों के अन्तर्गत बीमाधारक से अपेक्षित था कि चोरी की कथित घटना की सूचना तत्काल बीमा कम्पनी को उपलब्ध कराते। परिवादी द्वारा कथित चोरी की घटना की सूचना ७३ दिन बाद दिए जाने के कारण चोरी की कथित घटना के सत्यापन का बीमा कम्पनी अधिकार प्रभावित हुआ। अत: बीमा कम्पनी द्वारा परिवादी का बीमा दावा स्वीकार न करके कोई सेवा में कमी नहीं की गई।
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जिला मंच ने प्रश्नगत निर्णय द्वारा परिवाद इस आधार पर निरस्त कर दिया कि प्रश्नगत परिवाद की सुनवाई का क्षेत्राधिकार जिला मंच, गौतम बुद्ध नगर को प्राप्त नहीं है।
इस निर्णय से क्षुब्ध होकर यह अपील योजित की गयी है।
हमने अपीलार्थी/परिवादी के विद्वान अधिवक्ता श्री प्रतुल श्रीवास्तव तथा प्रत्यर्थी बीमा कम्पनी की ओर से विद्वान अधिवक्ता श्री निशान्त शुक्ला के सहयोगी श्री आर0के0 मिश्रा के तर्क सुने तथा अभिलेखों का अवलोकन किया।
अपीलार्थी के विद्वान अधिवक्ता द्वारा यह तर्क प्रस्तुत किया गया कि जिला मंच ने पक्षकारों के अभिकथनों तथा पत्रावली पर उपलब्ध साक्ष्य का उचित परिशीलन न करते हुए विधि विरूद्ध प्रश्नगत निर्णय पारित किया है। अपीलार्थी की ओर से यह तर्क भी प्रस्तुत किया गया कि प्रश्नगत वाहन का बीमा प्रत्यर्थी बीमा कम्पनी की फरीदाबाद शाखा कार्यालय से कराया गया। वाहन की चोरी उसके गौतम बुद्ध नगर की सीमा के अन्तर्गत उपयोग के मध्य हुई। गौतम बुद्ध नगर में भी बीमा कम्पनी का कार्यालय स्थित है। अत: उपभोक्ता संरक्षण अधिनियम की धारा-११ (ए)(बी)(सी) के अन्तर्गत परिवाद जिला फरीदाबाद जहॉं वाहन बीमित किया गया अथवा जिला गौतम बुद्ध नगर जहॉं वाहन की चोरी हुई, में योजित किया जा सकता है। अपीलार्थी की ओर से यह तर्क भी प्रस्तुत किया गया कि अपीलार्थी/परिवादी द्वारा बीमा पालिसी की किसी शर्त का उल्लंघन नहीं किया गया किन्तु बिना किसी तर्कसंगत आधार के परिवादी का बीमा दावा अस्वीकार कर दिया गया।
प्रत्यर्थी बीमा कम्पनी की ओर से यह तर्क प्रस्तुत किया गया कि चोरी की कथित घटना के ७३ दिन बाद बीमाधारक द्वारा प्रत्यर्थी बीमा कम्पनी को घटना की सूचना दी गई। इस प्रकार प्रश्नगत बीमा पालिसी की शर्त सं0-१ का उल्लंघन किए जाने एवं बीमा कम्पनी को घटना की जांच का अवसर प्रदान न किए जाने के कारण बीमा दावा निरस्त करके बीमा कम्पनी द्वारा सेवा में कोई त्रुटि नहीं की गई।
जहॉं तक प्रश्नगत परिवाद की सुनवाई के क्षेत्राधिकार का प्रश्नह है उपभोक्ता
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संरक्षण अधिनियम की धारा-११ के अन्तर्गत यह प्रावधानित है :-
११. जिला फोरम की अधिकारिता-(१) इस अधिनियम के अन्य उपबंधों के अधीन रहते हुए, जिला पीठ को ऐसे परिवादों को ग्रहण करने की अधिकारिता होगी जहॉं माल या सेवा का मूल्य और दावा प्रतिकर, यदि कोई हो बीस लाख रूपये से अधिक नहीं होता है।
(२) परिवाद किसी ऐसे जिला पीठ में संस्थित किया जाएगा जिसकी अधिकारिता की स्थानीय सीमाओं के भीतर-
(क) विरोधी पक्षकार या जहॉं एक से अधिक विरोधी पक्षकार हों, वहॉं
उनमें से प्रत्येक, परिवाद के संस्थित किये जाने के समय वस्तुत: और
स्वेच्छापूर्वक निवास करता है या कारबार चलाता है या शाखा कार्यालय
है या व्यक्तिगत रूप से अधिलाभ के लिए कार्य करता है, या
(ख) जहॉं एक से अधिक विरोधी पक्षकार हैं वहॉं वाद विरोधी पक्षकारों में से कोई भी विरोधी पक्षकार परिवाद के संस्थित किए जाने के समय वास्तव में और स्वेच्छा से निवास करता है या कारबार करता है अथवा शाखा कार्यालय में है या अभिलाभ के लिए स्वयं काम करता है, परन्तु यह तब जबकि ऐसी अवस्था में या तो जिला पीठ की इजाजत दे दी गयी है या जो विरोधी पक्षकार पूर्वोक्त रूप में निवास नहीं करते या कारबार नहीं करते या अधिलाभ के लिए स्वयं काम नहीं करते, वे ऐसे संस्थित किए जाने के लिए उपमत हो गये हैं, अथवा
(ग) वाद-हेतुक पूर्णत: या भागत: पैदा होता है।
प्रस्तुत मामले में प्रश्नगत वाहन की चोरी जनपद गौतम बुद्ध नगर में होनी बताई गई है। बीमा कम्पनी का यह कथन नहीं है कि उसकी कोई शाखा जनपद गौतम बुद्ध नगर में स्थित नहीं है। ऐसी परिस्थिति में जिला मंच का यह निष्कर्ष कि प्रस्तुत परिवाद की सुनवाई का क्षेत्राधिकार जिला मंच गौतम बुद्ध नगर को प्राप्त नहीं है, विधिक रूप से त्रुटिपूर्ण है। उपरोक्त वर्णित धारा - ११ के प्रावधानों के अन्तर्गत तथा प्रस्तुत
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प्रकरण से सम्बन्धित तथ्यों के आलोक में हमारे विचार से प्रश्नगत परिवाद की सुनवाई का क्षेत्राधिकार जिला मंच गौतम बुद्ध नगर को प्राप्त था। जिला मंच द्वारा इस आधार पर प्रश्नगत परिवाद निरस्त करके विधिक त्रुटि की गई है।
यद्यपि जिला मंच ने गुणदोष के आधार पर प्रश्नगत परिवाद का निस्तारण नहीं किया है किन्तु अपील मेमो के साथ परिवादी द्वारा दाखिल किए गये अभिलेखों के अवलोकन से यह विदित होता है कि प्रस्तुत प्रकरण के सन्दर्भ में सम्पूर्ण साक्ष्य जिला मंच के समक्ष उभय पक्ष द्वारा प्रस्तुत की जा चुकी है। अत: गुणदोष के आधार पर भी प्रकरण का निस्तारण किया जाना न्यायोचित होगा।
प्रस्तुत प्रकरण में प्रत्यर्थी बीमा कम्पनी ने अपीलार्थी/परिवादी का बीमा दावा इस आधार पर निरस्त किया है कि परिवादी द्वारा चोरी की कथित घटना की सूचना दिनांक १८-०७-२०१२ को अर्थात् चोरी की कथित घटना के ७३ दिन बाद देकर बीमा पालिसी की शर्त सं0-१ का उल्लंघन किया गया है। बीमाधारक द्वारा विलम्ब से सूचना दिए जाने के कारण बीमा कम्पनी का कथित चोरी की घटना की सत्यता की जांच करने का अधिकार प्रभावित हुआ।
प्रश्नगत बीमा पालिसी के अन्तर्गत शर्त सं0-१ निम्नप्रकार से वर्णित है :-
‘’ Notice shall be given in writing to the Company immediately upon the occurrence of any accidental loss or damage in the event of any claim and thereafter the insured shall give all such information and assistance as Complany shall require. Every letter claim writ summons and/or process or copy thereof shall be forwarded to the Company immediately on receipt by the insured. Notice shall also be given in writing to the Company immediately the insured shall have knowledge of any impending prosecution, inquest or fatal inquiry in respect of any occurrence which may give rise to a claim under this policy. In case of theft or criminal act which may be the subject of a claim under this policy the insured shall give immediate notice to the police and co-operate with the Company in securing the conviction of offender. ‘’
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उक्त शर्त के अन्तर्गत चोरी के मामलों में बीमाधारक के लिए यह आवश्यक है कि वह घटना की सूचना तत्काल पुलिस को दे तथा बीमा कम्पनी से दोषी व्यक्ति को दण्डित किए जाने में सहयोग करे।
गुरूशिन्दर सिंह बनाम श्रीराम जनरल इंश्यारेंस कं0लि0 के मामले में माननीय उच्चतम न्यायालय द्वारा दिए गये निर्णय दिनांकित २४-०१-२०२० में मा0 उच्चतम न्यायालय द्वारा यह निर्णीत किया गया है कि बीमाधारक द्वारा चोरी की तत्काल प्रथम सूचना रिपोर्ट थाने में लिखाए जाने की स्थिति में तथा बीमा दावा वास्तविक होने की स्थिति में बीमा दावा इस आधार पर निरस्त नहीं किया जा सकता कि बीमा कम्पनी को घटना की सूचना विलम्ब से दी गई। मा0 उच्चतम न्यायालय द्वारा दिए गये उपरोक्त निर्णय में बीमा कम्पनी को चोरी की कथित घटना की सूचना बीमाधारक द्वारा ५२ दिन विलम्ब से दी गई किन्तु प्रथम सूचना रिपोर्ट चोरी की घटना के दिन ही लिखाई गई। मा0 उच्चतम न्यायालय ने बीमाधारक का बीमा दावा वास्तविक पाते हुए बीमा दावे के भुगतान हेतु पारित आदेश को वैध माना।
जहॉं तक प्रस्तुत प्रकरण का प्रश्न है यह तथ्य निर्विवाद है कि बीमा कम्पनी को कथित चोरी की घटना की सूचना ७३ दिन विलम्ब से दी गई किन्तु अपील मेमो के साथ अपीलार्थी/परिवादी द्वारा संलग्न अभिलेखों के अवलोकन से यह विदित होता है कि चोरी की कथित घटना दिनांक ०५-०५-२०१२ की बताई गई तथा इसकी प्रथम सूचना रिपोर्ट दिनांक ०६-०५-२०१२ को सम्बन्धित थाने में दर्ज कराई गई। पुलिस द्वारा मामले की विवेचना की गई। विवेचना के मध्य पुलिस द्वारा चोरी की कथित घटना असत्य नहीं पाई गई। पुलिस द्वारा अन्तिम आख्या इस आधार पर प्रस्तुत की गई कि तलाश के बाबजूद चोरी गई सम्पत्ति बरामद नहीं हो सकी और न ही अभियुक्त का पता चल सका। पुलिस द्वारा प्रस्तुत की गई यह अन्तिम आख्या न्यायालय सी0जे0एम0 गौतम बुद्ध नगर द्वारा पारित आदेश दिनांक १७-०९-२०१३ द्वारा स्वीकार की गई। प्रत्यर्थी बीमा कम्पनी द्वारा प्रश्नगत बीमा दावे के सन्दर्भ में नियुक्त जांचकर्ता द्वारा भी जांच की गई। जांच के अन्तर्गत जांचकर्ता द्वारा भी चोरी की कथित घटना को असत्य नहीं पाया
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गया। प्रत्यर्थी बीमा कम्पनी ने बीमा दावा मात्र इस आधार पर निरस्त किया है कि बीमाधारक द्वारा चोरी की कथित घटना की सूचना विलम्ब से दी गई। चोरी की कथित घटना को वास्तविक न होना स्वयं बीमा कम्पनी द्वारा अभिकथित नहीं किया गया है। ऐसी परिस्थिति में मा0 उच्चतम न्यायालय द्वारा दिए गये उपरोक्त निर्णय के आलोक में बीमा दावा अस्वीकार करके प्रत्यर्थी बीमा कम्पनी द्वारा सेवा में त्रुटि की गई है।
यह तथ्य निर्विवाद है कि प्रश्नगत बीमा पालिसी के अन्तर्गत बीमित वाहन का मूल्य ७,५०,०००/- रू० निर्धारित करते हुए बीमा पालिसी जारी की गई। अत: हमारे विचार से प्रत्यर्थी बीमा कम्पनी यह सम्पूर्ण धनराशि अपीलार्थी/परिवादी को भुगतान करने के लिए उत्तरदायी है। इस धनराशि पर परिवाद योजित किए जाने की तिथि से सम्पूर्ण धनराशि की अदायगी तक अपीलार्थी को प्रत्यर्थी बीमा कम्पनी से ०८ प्रतिशत वार्षिक साधारण ब्याज दिलाया जाना भी न्यायोचित होगा। क्योंकि देय धनराशि पर ब्याज भी अपीलार्थी/परिवादी को दिलाया जा रहा है, अत: क्षतिपूर्ति के रूप में अतिरिक्त धनराशि दिलाए जाने का कोई औचित्य नहीं होगा। वाद व्यय के रूप में ५,०००/- रू० भी परिवादी को दिलाया जाना न्यायोचित होगा। अपील तद्नुसार स्वीकार किए जाने योग्य है। जिला मंच का प्रश्नगत निर्णय अपास्त करते हुए परिवाद आंशिक रूप से स्वीकार किए जाने योग्य है।
आदेश
प्रस्तुत अपील स्वीकार की जाती है। जिला मंच, गौतम बुद्ध नगर द्वारा परिवाद संख्या-५७८/२०१३ में पारित प्रश्नगत निर्णय एवं आदेश दिनांक २९-०५-२०१८ अपास्त किया जाता है। परिवाद आंशिक रूप से स्वीकार करते हुए प्रत्यर्थी बीमा कम्पनी को निर्देशित किया जाता है कि निर्णय की प्रति प्राप्ति की तिथि से ४५ दिन के अन्दर ७,५०,०००/- रू० का भुगतान अपीलार्थी/परिवादी को करे। बीमा कम्पनी को यह भी निर्देशित किया जाता है कि इस धनराशि पर परिवाद योजित किए जाने की तिथि से सम्पूर्ण धनराशि की अदायगी तक अपीलार्थी/परिवादी को ०८ प्रतिशत वार्षिक साधारण ब्याज की दर से ब्याज का भी भुगतान करे। इसके अतिरिक्त प्रत्यर्थी बीमा कम्पनी,
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अपीलार्थी/परिवादी को ५,०००/- रू० वाद व्यय के रूप में उपरोक्त निर्धारित अवधि में अदा करे।
उभय पक्ष इस अपील का व्यय-भार अपना-अपना स्वयं वहन करेंगे।
उभय पक्ष को इस निर्णय की प्रमाणित प्रति नियमानुसार उपलब्ध करायी जाय।
(उदय शंकर अवस्थी)
पीठासीन सदस्य
(गोवर्द्धन यादव)
सदस्य
प्रमोद कुमार
वैय0सहा0ग्रेड-१,
कोर्ट-१.