Rajasthan

Churu

778/2011

AJAY SINGH - Complainant(s)

Versus

TATA AIG GEN.INS. CO. LTD. - Opp.Party(s)

Dhanna Ram saini

22 Dec 2014

ORDER

Heading1
Heading2
 
Complaint Case No. 778/2011
 
1. AJAY SINGH
VPO BALARASAR RANASAR CHURU
 
BEFORE: 
 HON'BLE MR. Shiv Shankar PRESIDENT
  Subash Chandra MEMBER
  Nasim Bano MEMBER
 
For the Complainant:
For the Opp. Party:
ORDER

जिला उपभोक्ता विवाद प्रतितोष मंच, चूरू
अध्यक्ष- षिव शंकर
सदस्य- सुभाष चन्द्र
सदस्या- नसीम बानो
 
परिवाद संख्या- 778/11
अजय सिंह पुत्र श्री रामकुमार सिंह जाति राजपूत उम्र 24 वर्ष निवासी बालरासर तंवरान पोस्ट राणासर तहसील व जिला चूरू (राजस्थान)                       
..........प्रार्थी
                                 बनाम
 
1.    टाटा ए.आई.जी. इंश्योरेन्स कम्पनी, 4 हथरोई फोर्ट अजमेर रोड़, जयपुर जरिये शाखा प्रबन्धक
                                                   .............अप्रार्थी
दिनांक-  24.02.2015
निर्णय
द्वारा अध्यक्ष- षिव शंकर
1.    श्री धन्नाराम सैनी एडवोकेट - प्रार्थी की ओर से
2.    श्री धीरेन्द्र सिंह एडवोकेट   - अप्रार्थी की ओर से
 
 
1.    प्रार्थी ने अपना परिवाद पेष कर बताया कि मोटरसाईकिल नम्बर आर.जे.10 एस.सी. 3800 का प्रार्थी रजिस्टर्ड मालिक है। प्रार्थी की मोटरसाईकिल नम्बर आर.जे.10 एस.सी. 3800 अप्रार्थी के यहां बीमित की हुई है। बीमा की दिनांक 14.06.2010 है, बीमा की अवधि 14.06.2010 से 13.06.2011 तक है तथा बीमित मूल्य 38824 /-रूपये है तथा बीमा प्रिमियम 977/- रूपये अदा किया गया था। बीमित अवधि में किसी प्रकार की दुर्घटना होने पर अप्रार्थी बीमा कम्पनी उतरदायी रही है। प्रार्थी को बालरासर तंवरान से चूरू आ रहा था। प्रार्थी जब खांसोली गांव से पहले करंट बालाजी के पास पहुंचा तो सामने से एक ट्रक आ रहा था जिसके पास से प्रार्थी गुजर रहा था तो सामने से अचानक गाय आ गई उसको बचाने का प्रयास किया तो मोटरसाईकिल का बैलेन्स बिगड़ गया और मोटरसाईकिल पेड़ से जोर से टक्करा गई जिसे मोटरसाईकिल क्षतिग्रस्त हो गई। जिसकी सूचना मोबाईल के जरिये अप्रार्थी को दी गई।
2.    आगे प्रार्थी ने बताया कि प्रार्थी ने उक्त दुर्घटना की सूचना अप्रार्थी को दी जिस पर अप्रार्थी द्वारा सर्वेयर नियुक्त किया गया तथा सर्वे करने हेतु झुंझुनूं के सर्वेयर विजय कुमार जानू आये। उनके सामने ही अशोका मोटर्स चूरू पर क्षतिग्रस्त पार्टस बदलकर मोटरसाईकिल की रिपेयर की गई तथा उनको मोटरसाईकिल रिपेयर का बिल 6613/-रूपये का दिया गया तथा क्लेम फार्म आदि सर्वेयर के माध्यम से अप्रार्थी को भिजवाये गये। उसके पश्चात बार बार बीमा क्लेम के भुगतान हेतु अप्रार्थी से निवेदन किया गया। जिस पर उन्होंने कहा कि कार्यवाही चल रही है। प्रार्थी ने अप्रार्थी के सर्वेयर विजय कुमार से उनके मोबाईल नम्बर 94140-80816 पर बात की तो उनके द्वारा कहा गया कि सर्वे रिपोर्ट कम्पनी को भिजवा दी गई है। उसके बाद प्रार्थी ने अप्रार्थी के टेलिफोन नम्बर 022-66939500 पर बातचीत की तो कहा गया कि शीघ्र ही बीमा क्लेम का भुगतान कर दिया जायेगा। जब भी प्रार्थी अप्रार्थी के बाॅम्बे स्थिति कार्यालय में उनके टेलिफोन नम्बर पर बात करता है तो कई देर तक उनके नम्बर नहीं मिलते तथा नम्बर मिलने पर भी समुचित ढंग से बात नहीं हो पाती है। प्रार्थी ने टेलीफोन नम्बर 620343551 पर बातचीत की तो उन्होंने भी टालमटोल कर दिया। प्रार्थी द्वारा बार बार निवेदन करने पर भी आज तक बीमा क्लेम का भुगतान नहीं किया है। अप्रार्थी द्वारा मोटरसाईकिल का क्लेम प्रार्थी को नहीं दिया जाना अप्रार्थी द्वारा दी जा रही सेवा में गम्भीर त्रुटि है तथा अस्वच्छ व्यापारिक गतिविधि है। प्रार्थी द्वारा बार बार निवेदन करने पर भी कोई सुनवाई नहीं करना प्राकृतिक न्याय के सिद्धान्तों के विरूद्ध है। इसलिए प्रार्थी ने मोटरसाईकिल की रिपेयर राशि 6613 रूपये मय ब्याज, मानसिक प्रतिकर व परिवाद व्यय की मांग की है।
3.    अप्रार्थी ने प्रार्थी के परिवाद का विरोध कर जवाब पेष कर बताया कि उत्तरदाता बीमा कम्पनी द्वारा जो बीमा पोलिसी जारी की गयी है उसमें ड्राइवर क्लोज इस प्रकार है- ।दल चमतेवद पदबसनकपदह जीम पदेनतमक चतवअपकमक जींज ं चमतेवद कतपअपदह ीवसक ंद मििमबजपअम कतपअपदह सपबमदबेम ंज जीम जपउम व िंबबपकमदज ंदक पे दवज कपेुनंसपपिमक तिवउ ीवसकपदह वत वइजंपद ेनबी ं सपबमदेमण् च्तवअपकमक ंसेव जींज जीम चमतेवद ीवसकपदह ंद मििमबजपअम समंतदमते सपबमदेम उंल ंसेव कतपअम जीम अमीपबसम ंदक जींज ेनबी ं चमतेवद ेंजपेपिमे जीम तमुनपतमउमदजे व ितनसम 3 व िब्मदजतमंस डवजवत टमीपबसम त्नसमे 1989ण् इसी प्रकार मोटर वाहन कानून की धारा 3 के अनुसार  श्छमबमेेपजल व िकतपअपदह सपबमदेमरू. ;1द्ध छव चमतेवद ेीमसस कतपअम ं उवजवत अमीपबसम पदरनतल चनइसपब चसंबम नदसमेे ीम ीवसके ंद मििमबजपअम कतपअपदह सपबमदेम पेेनमक जव ीपउ ंनजीवतप्रपदह ीपउ जव कतपअम जीम अमीपबसम ंदक दव चमतेवद ेींसस ेव कतपअम ं जतंदेचवतज अमीपबसम वजीमत जींद ं उवजवत बंइ वत उवजवतबलबसम ीपतमक वित ीपे वूद नेम वत तमदजमक नदकमत ंदल ेबीमउम उंकम नदकमत ेनइेमबजपवद ;2द्ध व िैमबण् 75 नदसमेे ीपे कतपअपदह सपबमदेपदह ेचमबपपिबंससल मदजपजसमे ीपउ ेव जव कवण् ज्ीम बवदकपजपवद ेनइरमबज जव ूीपबी ेनइेमबजपवद ;1द्ध ेींसस दवज ंचचसल जव ं चमतेवद तमबमपअपदह पदेजतनबजपवद पद कतपअपदह ं उवजवत अमीपबसम ेींसस इम ेनबी ंे उंल इम चतमेबतपइमक इल जीम ब्मदजतंस ळवअमतदउमदजश्
4.    प्रार्थी ने रामकुमार को दुर्घटना के समय वाहन का चालक बताया था जिसके पास केवल मात्र एल एम वी चलाने का डी एल था जबकि वाहन की पंजीयन पुस्तिका के अनुसार उक्त वाहन एम सी वाई विथ गियर होल्डर व्यक्ति ही चला सकता है। जिला परिवहन विभाग से उक्त वाहन मोटरसाईकिल/स्कूटर के रूप में पंजीकृत है वाहन के नम्बंर भी मोटरसाईकिल के जारी हुए है जिसको चलाने के लिए एम सी वाई विथ गियर का डी एल होना आवश्यक है इसलिए चालक के पास उचित एवं प्रभावी डी एल नही होने के कारण प्रार्थी का दावा खारिज किये जाने योग्य है।
 
5.    प्रार्थी की ओर से परिवाद के समर्थन में स्वयं का शपथ पत्र, वाहन की आर सी, बीमा कवरनोट तथा वैट इनवोईस दस्तावेजी साक्ष्य के रूप में प्रस्तुत किया है। अप्रार्थी की ओर से मौ. अगरहर कसी का शपथ पत्र दस्तावेजी साक्ष्य के रूप मे पेश किया है ।
 
6.    पक्षकारान की बहस सुनी गई। पत्रावली का ध्यानपूर्वक अवलोकन किया गया। मंच का निष्कर्ष निम्न प्रकार से है
 
7.    प्रार्थी अधिवक्ता ने अपनी बहस में परिवाद के तथ्यो को दोहराते हुए तर्क दिया कि प्रार्थी ने अपने वाहन मोटरसाईकिल सं. आर जे 10 एस सी 3800 का बीमा अप्रार्थी से 977/-रू अदा कर करवाया था बीमित अवधी मे ही प्रार्थी बालरासर तंवरान से चूरू आ रहा था तो सामने से अचानक गाय आने पर मोटरसाईकिल का सन्तुलन बिगड गया जिससे मोटरसाईकिल पेड से टक्करा गया और क्षतिग्रस्त हो गया। उक्त दुर्घटना की सूचना प्रार्थी ने अप्रार्थी बीमा कम्पनी को दी। जिस पर अप्रार्थी बीमा कम्पनी ने सर्वेयर नियुक्त किया व सर्वेयर के निर्देशानुसार ही अपनी क्षतिग्रस्त मोटरसाईकिल अशोका मोटर्स चूरू से मरम्मत करवायी व मरम्मत का बिल 6613/-रू एवं क्लेम फार्म भरकर अप्रार्थी बीमा कम्पनी को भिजवाये व क्लेम की मांग की। परन्तु अप्रार्थी ने प्रार्थी के क्लेम का निस्तारण आज तक नही किया। अप्रार्थी का उक्त कृत्य स्पष्ट रूप से सेवा दोष है इसलिए प्रार्थी अधिवक्ता ने परिवाद स्वीकार करने का तर्क दिया। अप्रार्थी अधिवक्ता ने प्रार्थी अधिवक्ता के तर्को का विरोध किया और तर्क दिया कि प्रार्थी द्वारा अपने वाहन के दुर्घटना होने की सूचना 7 दिवस बाद दी थी जिस पर बीमा कम्पनी ने नियमानुसार प्रार्थी के वाहन की क्षति का आंकलन करवाया व प्रार्थी से नियमानुसार दावा क्लेम प्रपत्र भरकर, पंजीयन प्रमाण पत्र, बीमा पोलिसी, दुर्घटना के समय चालक के डी एल की प्रति की मांग की परन्तु प्रार्थी ने उक्त दस्तावेज अप्रार्थी बीमा कम्पनी के पास पेश नही किये और न ही कोई जवाब दिया। दुर्घटना की सूचना के साथ जो दस्तावेज प्रार्थी ने पेश किये थे उन दस्तावेजो में दुर्घटना के समय वाहन चालक प्रार्थी के पिता रामकुमार सिंह की डी एल की प्रति प्रस्तुत की गई थी। जिसके अवलोकन पर ज्ञात हुआ कि प्रार्थी के पिता के पास वाहन को चलाने हेतु वैद्य एवं प्रभावी डी एल नही था इसलिए प्रार्थी ने डी एल की प्रति अप्रार्थी के यहाॅ प्रस्तुत नही की प्रार्थी ने पाॅलिसी के ड्राईवर क्लेज व मोटरवाहन कानून की धारा 3 का उल्लंघन किया है इसलिए प्रार्थी को उक्त क्लेम प्राप्त करने का अधिकारी नही है उक्त आधार पर परिवाद खारिज करने का तर्क दिया।  
8.    हमने उभय पक्षों के तर्कों पर मनन किया। वर्तमान प्रकरण में प्रार्थी के मोटरसाईकिल संख्या आर जे 10 एस सी 3800 अप्रार्थी से बीमित होना, बीमित अवधि में ही दिनांक 01.06.2011 को दुर्घटनाग्रस्त होना स्वीकृत तथ्य है। विवादक बिन्दु यह है कि क्या दुर्घटना के समय चालक के पास प्रभावी व वैद्य लाईसेन्स था। अप्रार्थी अधिवक्ता ने अपनी बहस में मुख्य तर्क यह दिया कि दुर्घटना के समय मोटरसाईकिल पर चालक प्रार्थी का पिता था जिसके पास जो चालक अनुज्ञप्ति थी उसमें एम.सी.वाई. विथ गियर का पृष्ठांकन होना आवश्यक था परन्तु प्रार्थी के पिता के पास जो चालक अनुज्ञप्ति थी वह एल एम वी थी उसमें एम सी वाई विथ गियर का पृष्ठांकन नहीं था जबकि मोटर वाहन अधिनियम व पोलिसी की शर्तों के अनुसार उक्त पृष्ठांकन आवश्यक होता है। उक्त पृष्ठांकन के अभाव में प्रार्थी के पिता मोटरसाईकिल चलाने हेतु सक्षम नहीं था इस प्रकार प्रार्थी व प्रार्थी के पिता ने मोटरवाहन कानून व पाॅलिसी की शर्तो का उंल्लघन किया है। अप्रार्थी अधिवक्ता ने बहस के दौरान पोलिसी की शर्त व मोटर वाहन कानून की धारा 3 का हवाला दिया। जो इस प्रकार है। ड्राईवर क्लाॅज ष्।दल चमतेवद पदबसनकपदह जीम पदेनतमक चतवअपकमक जीज ं चमतेवद कतपअपदह ीवसके ंद मििमबजपअम कतपअपदह सपबमदेम ंज जीम जपउम व िंबबपकमदज ंदक पे दवज कपेुनंसपपिमक तिवउ ीवसकपदह वत वइजंपदह ेनबी ं सपबमदेमण् च्तवअपकमक ंसेव जींज जीम चमतेवद ीवसकपदह ंद मििमबजपअम समंतदमते सपबमदेम उंल ंसेव कतपअम जीम अमीपबसम ंदक जींज ेपबी ं चमतेवद ेंजपेपिमे जीम तमुनपतउमदजे व ितनसम 3 व िब्मदजतंस डवजमत टमीपबसम त्नसमे 1989ण्ष् इसी प्रकार मोटर वाहन कानून की धारा 3 के अनुसार ष् छमबमेेपजल व िकतपअपदह सपबमदेम ;1द्ध छव चमतेवद ेीमसस कतपअम ं उवजमत अमीपबसम पदंदल चनइसपब चंसबम नदसमेे ीम ीवसके ंद मििमबजपअम कतपअपदह सपबमदेम पेेनमक जव ीपउ ंनजीवतपेपदह ीपउ जव कतपअम जीम अमीपबसमय ंदक दव चमतेवद ेींसस ेव कतपअम ं जतंदेचवतज अमीपबसम वजीमत जींद ं उवजवत बंइ वत उवजवतबलबसम ीपतमक वित ीपे वूद नेम वत तमदजमक नदकमत ंदल ेबीमउम उंकम नदकमत ेनइेमबजपवद ;2द्ध व िैमबण् 75 नदसमेे ीपे कतपअपदह सपबमदेपदह ेचमबपपिबंससल मदजपजसमे ीपउ ेव जव कवण् ;2द्ध ज्ीम बवदकपजपवदे ेनइरमबज जव ूीपबी ेनइेमबजपवद ;1द्ध ेींसस दवज ंचचसल जव ं चमतेवद तमबमपअपदह पदेजतनबजपवदे पद कतपअपदह ं उवजवत अमीपबसम ेींसस इम ेनबी ंे उंल इम चतमेबतपइमक इल जीम ब्मदजतंस ळवअमतदउमदजण्श्श् अप्रार्थी अधिवक्ता ने बहस के दौरान इस मंच का ध्यान 2 सी.पी.जे. 2014 पेज 5 एन.सी. सीमा गर्ग बनाम ओरियन्टल इंश्योरेन्स कम्पनी लि. की ओर ध्यान दिलाया जिसका सम्मान पूर्वक अवलोकन किया गया। उक्त न्यायिक दृष्टान्त में माननीय राष्ट्रीय आयेाग ने उच्चतम न्यायालय के न्यायिक दृष्टान्त इण्डिया इन्श्योरेन्स कम्पनी लि. बनाम प्रभूलाल सी.पी.जे. 1 सुप्रीम कोर्ट 2008 का हवाला देते हुए पैरा संख्या 5 में यह अभिनिर्धारित किया कि यदि ड्राईवर के पास दुर्घटना के समय प्रभावी एवं वैद्य लाईसेन्स नहीं है तो वह क्लेम प्राप्त करने का अधिकारी नहीं है। अर्थात् प्रार्थी जो वाहन चला रहा है ऐसे वाहन को चलाने हेतु उसके पास अनुज्ञप्ति होना आवश्यक है। माननीय राष्ट्रीय आयेाग ने अप्रार्थी बीमा कम्पनी द्वारा प्रार्थी के क्लेम को अस्वीकार करने के निर्णय को उचित ठहराया। माननीय राष्ट्रीय आयोग के उक्त नवीनतम न्यायिक दृष्टान्त की रोशनी के दृष्टिगत स्पष्ट है कि दुर्घटना के समय प्रार्थी के पिता के पास जो चालक अनुज्ञप्ति थी उसमें एम.सी.वाई. विथ गियर का पृष्ठांकन नहीं था। अर्थात् प्रार्थी के पिता के पास प्रभावी व वैद्य लाईसेन्स नहीं था। इसी प्रकार माननीय राष्ट्रीय आयेाग ने अपने नवीनतम न्यायिक दृष्टान्त रिलायन्स जनरल इंश्योरेन्स कम्पनी लिमिटेड बनाम शिवकुमार एस. 2014 (2) सी.पी.जे. 57 एन.सी. में मोटर व्हीकल अधिनियम 1988 की धारा 2/21, 2/35, 2/47 व 75/2 का विस्तार से विवेचन करते हुए यह निर्धारित किया कि यदि ड्राईवर के पास प्रभावी वैद्य लाईसेन्स ट्रान्सपोर्ट व्हीकल चलाने का नहीं है तो यह पोलिसी की ट्रम एण्ड कन्डीशन के मूलभूत आधारों का स्पष्ट रूप से उल्लंघन है इसलिए बीमा कम्पनी द्वारा क्लेम खारिज करने के आधार को उचित ठहराया है। प्रार्थी अधिवक्ता ने अपनी बहस में अप्रार्थी अधिवक्ता के तर्को का विरोध किया और तर्क दिया कि दुर्घटना के समय प्रार्थी के पिता के पास प्रभावी व वैद्य लाईसेन्स था उक्त तथ्य को साबित करने का भार प्रार्थी पर था परन्तु प्रार्थी ने अपने परिवाद के साथ प्रश्नगंत डी एल की प्रति प्रस्तुत नही की। ना ही प्रार्थी ने ऐसा कोई साक्ष्य या दस्तावेज पत्रावली पर प्रस्तुत किया जिससे यह साबित हो कि दुर्घटना के समय प्रश्नगत मोटरसाईकिल चालक के पास प्रभावी एवं वैद्य लाईसेन्स था।   इसलिए मंच की राय में अप्रार्थी बीमा कम्पनी द्वारा प्रार्थी के क्लेम को पोलिसी की शर्तों व मोटरवाहन अधिनियम के प्रावधानों के उल्लंघन के तहत अस्वीकार करना कोई सेवादोष नहीं है। प्रार्थी का परिवाद अप्रार्थी के विरूद्ध खारिज किये जाने योग्य है।             

             अतः प्रार्थी का परिवाद अप्रार्थी के विरूद्ध अस्वीकार कर खारिज किया जाता है। पक्षकार प्रकरण का व्यय अपना-अपना वहन करेंगे।

 
सुभाष चन्द्र                    षिव शंकर
सदस्य                        अध्यक्ष
                
निर्णय आज दिनांक 24.02.2015 को लिखाया जाकर सुनाया गया।
    
सुभाष चन्द्र                    षिव शंकर
सदस्य                        अध्यक्ष

 

 

 
 
[HON'BLE MR. Shiv Shankar]
PRESIDENT
 
[ Subash Chandra]
MEMBER
 
[ Nasim Bano]
MEMBER

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