जिला मंच, उपभोक्ता संरक्षण, अजमेर
श्री सुनील कुमार षर्मा पुत्र श्री दामोदर लाल षर्मा, निवासी- 3/84, सिविल लाईन्स, लोहागल रोड, अजमेर ।
- प्रार्थी
बनाम
1. टाटा ए.आई.जी. जनरल इंष्योरेंस कम्पनी लिमिटेड जरिए षिवम् हुण्डई, रामगंज, ब्यावर रोड़, अजमेर ।
2. टाटा ए.आई.जी. जनरल इंष्योरेंस कम्पनी लिमिटेड, द्वितीय फलोर, 205-208, ग्रीन हाउस, अषोक मार्ग, सी-स्कीम, जयपुर ।
3. टाटा ए.आई.जी. जनरल इंष्योरेंस कम्पनी लिमिटेड, रजिस्र्ट कार्यालय, 15 वां माला, टाॅवर ए, पेनीसुला बिजनेस पार्क, गणपतराव कदम मार्ग, सेनापति बापट मार्ग, लोवर परेल, मुम्बई- 400013
- अप्रार्थीगण
परिवाद संख्या 554/2013
समक्ष
1. विनय कुमार गोस्वामी अध्यक्ष
2. श्रीमती ज्योति डोसी सदस्या
3. नवीन कुमार सदस्य
उपस्थिति
1.श्री सूर्यप्रकाष गांधी, अधिवक्ता, प्रार्थी
2.श्री राजेष जैन, अधिवक्ता अप्रार्थी बीमा कम्पनी
मंच द्वारा :ः- निर्णय:ः- दिनांकः- 27.09.2016
1. प्रार्थी द्वारा प्रस्तुत परिवाद के तथ्य संक्षेप में इस प्रकार हंै कि उसने षिवम् हुण्डई , अजमेर से दिनंाक 4.6.2013 को हुण्डई कम्पनी की न्यू वर्ना कार जिसका अस्थाई रजिस्ट्रेषन संख्या आर.जे.01.टी.सी. 0214 अप्रार्थी बीमा कम्पनी के प्रतिनिधि से वाहन क्रय किए जाते समय आॅनलाईन जरिए बीमा पाॅलिसी संख्या सी.15251116900 के तहत दिनंाक 5.6.2013 से 4.6.2014 तक की अवधि के लिए रू. 9,19,600/- में करवाया । उक्त वाहन से अपने परिवार सहित दिनंाक 10.6.2013 को चारधाम की यात्रा पर जाने के दौरान दिनंाक 15.6.2013 को गौरी कुण्ड पर अपना वाहन रू. 150/- अदा कर पार्क किया । उन दिनों केदारनाथ में हुए प्राकृतिक हादसे में उसकी कार गौरी कुण्ड के पार्किग स्थल से अन्य कारों के साथ बह गई, जिसका कोई अता पता नहीं चला । प्रार्थी ने गौरी कुण्ड पुलिस थाना पहुंचकर वाहन गुम हो जाने की रिपोर्ट दर्ज कराई व अपने परिवार सहित दिनंाक 28.6.2013 को देर रात अजमेर पहुंचे और इस हादसे से उबर कर दिनांक 1.7.2013 को अप्रार्थी बीमा कम्पनी के जयपुर कार्यालय में घटना की लिखित में जानकारी दी । तत्पष्चात् अप्रार्थी बीमा कम्पनी ने क्लेम दर्ज कर दिनांक 18.7.2013 के पत्र से मूल रजिस्ट्रेषन प्रमाण पत्र की मांग की । प्रार्थी ने अप्रार्थी बीमा कम्पनी को इस तथ्य से अवगत कराया कि कार का बीमा इंजन व चैसिस नम्बरों के आधार पर किया गया था और जो अस्थाई रजिस्ट्रेषन दिया गया, वह एक माह तक वैध था । किन्तु अप्रार्थी बीमा कम्पनी ने पत्र दिनंाक 15.10.2013 के जरिए उसका क्लेम इस आधार पर खारिज कर दिया कि वक्त दुर्घटना प्रार्थी के पास वाहन का अस्थाई रजिस्ट्रेषन नहीं था और दिनंाक 18.6.2013 की दुर्घटना की सूचना दिनांक 2.7.2013 को देकर एम.वी.एक्ट की धारा 39 चैप्टर 4 का उल्लंघन किया है । प्रार्थी ने अप्रार्थी बीमा कम्पनी के इस कृत्य को सेवा में कमी बताते हुए परिवाद पेष कर उसमें वर्णित अनुतोष दिलाए जाने की प्रार्थना की है । परिवाद के समर्थन में स्वयं का षपथपत्र पेष किया है ।
2. अप्रार्थी बीमा कम्पनी ने जवाब पेष कर प्रारम्भिक आपत्तियों में दर्षाया है कि प्रार्थी ने न तो वाहन के रजिस्ट्रेषन हेतु आवेदन किया और न ही अस्थाई रजिस्ट्रेषन प्रमाण पत्र प्राप्त किया । पैरावाईज जवाब प्रस्तुत करते हुए उत्तरदाता ने इस तथ्य को स्वीकार किया है कि प्रार्थी के प्रष्नगत वाहन का बीमा दिनंाक 5.6.2013 से 4.6.2014 तक की अवधि के लिए आईवीडी राषि रू. 9,12,600/- में किया गया था । उत्तरदाता ने प्रार्थी के क्लेम को दुर्घटना की सूचना देरी से देने व प्रष्नगत वाहन का अस्थाई रजिस्ट्रेषन प्रमाण पत्र अथवा स्थायी रजिस्ट्रेषन प्रमाण पत्र न होने के कारण एमवीएक्ट की धारा 39 चैप्टर 4 का उल्लंघन मानते हुए एवं बीमा पाॅलिसी की षर्तो के अन्तर्गत खारिज किया गया था । इस प्रकार उनके स्तर पर कोई सेवा में कमी नही ंकी गई । अन्त में परिवाद सव्यय निरस्त किए जाने की प्रार्थना करते हुए जवाब के समर्थन में मोहम्मद अजहर वली, अधिकृत हस्ताक्षरकर्ता का षपथपत्र पेष किया है ।
3. प्रार्थी के विद्वान अधिवक्ता ने तर्क प्रस्तुत किया है कि वाहन के खरीदने के साथ ही बीमा किए जाने के बाद टेम्परेरी रजिस्ट्रेषन लिए जाने के बाद चारधाम यात्रा पर प्रस्थान किए जाने व दिनंाक 15.6.2012 को केदारनाथ में गौरीकुण्ड टैक्सी पार्किग में नियमानुसार पार्क किए जाने के बाद अचानक तेज बारिष व तूफान से उनकी कार पार्किंग स्थल से अन्य कार के साथ बह गई थी तथा उसका कोई पता नहीं चला । उनके द्वारा तत्काल गौरीकुण्ड पुलिस थाने में किसी प्रकार पुलिस रिपोर्ट दर्ज करवाई गई व जान बचाकर दिनांक 28.6.2013 को अजमेर पहुंचने के बाद दिनंाक 1.7.2013 को अप्रार्थी बीमा कम्पनी के जयपुर कार्यालय में इस बाबत् सूचना दी गई व बीमा क्लेम प्रस्तुत किया गया । बीमा कम्पनी द्वारा जो क्लेम निरस्त किया गया है वह उचित नहीं है । अपने तर्को के समर्थन में उनकी ओर से गौरीकुण्ड में पार्किग स्टैण्ड की रसीद, बीमा पाॅलिसी, पुलिस थाने में दी गई रिपोर्ट की फोटोप्रतियां प्रमाण के रूप में प्रस्तुत की गई है । अपने तर्को के समर्थन में विनिष्चयों प्प्;2012द्धब्च्श्रण्102;छब्द्ध व्तपमदजपंस प्देनतंदबम ब्व स्जक ंदक व्ते टे च्मंतसे ठनपसमूमसस प्दतिंेजतनबजनतम स्जक ंदक व्तेए प्प्;2012द्धब्च्श्रण्512;छब्द्ध प्ििबव ज्वापव ळमदमतंस प्देण् ब्व स्जक - ।दत टे च्तंजपउं श्रींए त्मअपेपवद च्मजपजपवद छवण् 497ध्12;छब्द्ध व्तपमदजपंस प्देनतंदबम ब्व स्जक टे ैूंउप क्मअव क्ंलंस व्तकमत क्ंजमक 14.2.2012 पर अवलम्ब लिया गया है ।
4. चिद्वान अधिवक्ता अप्रार्थीगण ने उपरोक्त तर्को का खण्डन करते हुए प्रमुख रूप से तर्क प्रस्तुत किया है कि क्लेम की सूचना देरी से दी गई है व प्रष्नगत वाहन बिना रजिस्ट्रेषन के एमवी एक्ट की धारा 39 के प्रावधानों के उल्लंघन में चलाया गया था । अतः कोई बीमा क्लेम देय नही ंथा । अपने तर्को के समर्थन में विनिष्चय त्मअपेपवद च्मजपजपवद छव 3937 ध्13 ;छब्द्ध व्तपमदजपंस प्देनतंदबम ब्व स्जक टे टपकल ठंपए व्तकमत क्ंजमक 5.12.2014ण्ए त्मअपेपवद च्मजपजपवद छवण् 4235ध्14;छब्द्ध डेण् ैंसममदं त्ंदप टे न्दपजपमक प्दकपं प्देनतंदबम ब्व स्जक व्तकमत क्ंजमक 8.12.2014 ए त्मअपेपवद च्मजपजपवद छवण् 2424ध्15;छब्द्ध ।सवा ठंतूं टे व्तपमदजपंस प्देनतंदबम ब्व स्जक व्तकमत क्ंजमक 1ण्4ण्2016ए त्मअपेपवद च्मजपजपवद छवण् 1834ध्12;छब्द्ध ठींतजप ।ग्। ळमदमतंस प्देनतंदबम ब्व स्जक टे ठण्।ण् स्वामेी ज्ञनउंत ए व्तकमत क्ंजमक 25.07.2013ए त्मअपेपवद च्मजपजपवद छवण् 4043ध्2008 ;छब्द्ध ज्ञंनेींसमदकतं ज्ञनउंत डपेीतं टे व्तपमदजपंस प्देनतंदबम ब्व स्जक ए व्तकमत क्ंजमक 16.2.2012ए ब्पअपंस ।चचमंस छवण् 8463ध्14 छंतपदकमत ैपदही टे छमू प्दकपं प्देनतंदबम ब्व स्जक पर अवलम्ब लिया गया है ।
5. हमने परस्पर तर्क सुन लिए हैं एवं पत्रावली पर प्रस्तुत विनिष्चयों में प्रतिपादित न्यायिक दृष्टान्तों का ध्यानपूर्वक अवलोकन कर लिया है ।
6. उपलब्ध अभिलेखों के प्रकाष में यह स्वीकृत तथ्य सामने आया है कि प्रष्नगत वाहन का स्वामी प्रार्थी था तथा अप्रार्थी बीमा कम्पनी से उक्त वाहन दिनंाक 5.6.2013 से 4.6.2014 तक वैध एवं प्रभावी रूप से सिक्योर्ड पैकेज पाॅलिसी के अन्तर्गत बीमित था । यह वाहन गौरीकुण्ड टैक्सी पार्र्किंग में दिनंाक 15.6.2013 को पार्क किया गया था । केदारनाथ में आई भीषण बाढ़ व तूफान जैसी प्राकृतिक आपदा से जनजीवन प्रभावित हुआ , यह तथ्य सर्वविदित होने के कारण मंच इस पर प्रसंज्ञान लेता है । प्रार्थी द्वारा दिनांक 15.6.2013 को केदारनाथ में हुई उक्त प्राकृतिक त्रासदी के फलस्वरूप प्रष्नगत वाहन के बह जाने के परिणामस्वरूप दिनंाक 18.6.2013 को थाना गौरीकुण्ड रूद्रप्रयाग में इस आषय की रिपोर्ट प्रस्तुत हुई । जैसा कि प्रार्थी द्वारा प्रस्तुत उक्त रिपोर्ट व पुलिस चैकी गौरीकुण्ड की प्राप्ति रसीद दिनांक 18.6.2013 से स्पष्ट है । अप्रार्थी बीमा कम्पनी को लिखित मेें दी गई सूचना दिनंाक 1.7.2013 से यह भी स्पष्ट प्रकट होता है कि दिनंाक 16.6.2013 को केदारनाथ पर हुई उक्त प्राकृतिक आपदा के फलस्वरूप घटित घटना के कारण प्रष्नगत वाहन के बह जाने की स्थिति में प्रार्थी द्वारा अजमेर आकर इस आषय की सूचना दी गई थी । हालांकि यह सूचना दिनंाक 16.6.2013 की उक्त घटना के लगभग 15 दिन बाद बीमा कम्पनी को दी गई है । किन्तु उस भयावह प्राकृतिक आपदा की स्थिति व बाद की उत्पन्न विषम परिस्थितियों को ध्यान में रखते हुए सूचना में हुई देरी को एतद द्वारा संतोषजनक मानते हुए उक्त देरी को कन्डोन किया जाता है ।
7. अब प्रमुख प्रष्न यह है कि वाहन को बिना रजिस्ट्रेषन के ले जाए जाने तथा प्राकृतिक आपदा में बह जाने की स्थिति में बिना रजिस्ट्रेषन के बीमा पाॅलिसी की ष्षर्तोें के उल्लंघन व एमवी एक्ट की धारा 39 के उल्लंघन का रह जाता है । वाहन दिनांक 5.6.2013 को खरीद किया गया है तथा दिनांक 16.6.2013 को यह वाहन तूफान में बह गया है । वाहन का अस्थायी रजिस्ट्रेषन संख्या आर.जे.01.टीसी.0214 क्रय किए जाने की तिथि से एक माह तक वैध एवं प्रभावी था तथा इसी आधार पर यह अस्थायी नम्बर आवंटित किया गया है । इस स्थिति को देखते हुए यह वाहन अस्थायी रजिस्ट्रेषन की अवधि अर्थात एक माह के अन्दर अन्दर अस्थायी रूप से बीमित था, यह भी सिद्व रूप से सामने आया है । जो विनिष्चय अप्रार्थी की ओर से प्रस्तुत हुए है उनमें टपकलं ठंप वाले मामले में वाहन का किसी प्रकार का कोई रजिस्ट्रेषन नहीं करवाया गया था व दिनंाक 24.9.2006 को उक्त वाहन चोरी चला गया था । यह अभिनिर्धारित किया गया कि तत्समय वाहन किसी भी प्रकार से पंजीबद्व नहीं था । डेण् ैंसममदं त्ंदप वाले मामले में वाहन दिनांक 8.6.2011 से 7.6.2011 तक बीमित था तथा दिनांक 6.5.2012 को उक्त वाहन चोरी गया था और वाहन उक्त मामले में दिनांक 8.7.2011 तक ही अस्थायी रूप से पंजीबद्व था । ।सवा ठंतूं वाले मामले में दिनंाक 23.5.2013 को वाहन दुर्घटनाग्रस्त हुआ था । दिनांक 27.2.2013 को यह वाहन खरीदा गया था तथा दुर्घटना की तिथि में उक्त वाहन में किसी प्रकार का कोई रजिस्ट्रेषन तक नहीं हुआ था । ठण्।ण् स्वामेी ज्ञनउंत वाले वाले मामले में अस्थायी रजिस्ट्रेषन प्रमाण पत्र दिनांक 23.11.2010 को समाप्त हो चुका था तथा दिनांक 9.6.2011 को वाहन दुर्घटनाग्रस्त हुआ था । तत्समय उक्त वाहन का किसी प्रकार का कोई रजिस्ट्रेषन नही ंथा । छंतपदकमत ैपदही वाले वाले मामले में वाहन दिनंाक 12.12.2005 से 11.12.2006 तक बीमित था तथा एक माह के लिए दिनांक 11.01.2006 तक टेम्परेरी रजिस्टर्ड था । दिनांक 2.2.2006 को हुई दुर्घटना के समय वाहन किसी भी रूप में पंजीकृत नही ंथा । हस्तगत मामले में तो वाहन दुर्घटना की तिथि को अस्थायी रूप से रजिस्टर्ड था ।
8. इस प्रकार इन तथ्यों के प्रकाष में हस्तगत प्रकरण के तथ्यों की भिन्नता में ये दृष्टान्त अप्रार्थी को कोई सहायता नहीं पहुंचाते है । जो विनिष्चय प्रार्थी पक्ष की ओर से प्रस्तुत हुए है, में तीनों में ही प्रष्नगत वाहन अस्थायी रूप से पंजीकृत थे तथा यह अभिनिर्धारित किया गया था कि ऐसी स्थिति में बीमा कम्पनी क्लेम देने के लिए उत्तरदायी है ।
9. परिणामस्वरूप जिस प्रकार अप्रार्थी बीमा कम्पनी ने प्रार्थी का क्लेम देरी से सूचना देने व रजिस्ट्रेषन नहीं होने की स्थिति में एमवी एक्ट की धारा 39 के अन्तर्गत प्रावधानों के विपरीत व बीमा पाॅलिसी की ष्षर्तों का उल्लंघन होना पाते हुए खारिज किया है, वह उचित नहीं है तथा उनकी सेवा में कमी का परिचायक है । मंच की राय में प्रार्थी का परिवाद स्वीकार किए जाने योग्य है एवं आदेष है कि
:ः- आदेष:ः-
10. (1) प्रार्थी अप्रार्थी बीमा कम्पनी से रू. 9,19,000/- क्लेम खारिज करने की दिनंाक से तदायगी 9 प्रतिषत वार्षिक ब्याज दर सहित प्राप्त करने का अधिकारी होगा ।
(2) प्रार्थी अप्रार्थी बीमा कम्पनी से ं परिवाद व्यय के पेटे रू. 5000/- प्राप्त करने का अधिकारी होगा ।
(3) क्रम संख्या 1 लगायत 2 में वर्णित राषि अप्रार्थी कम्पनी प्रार्थी को इस आदेष से दो माह की अवधि में अदा करें अथवा आदेषित राषि डिमाण्ड ड््राफट से प्रार्थी के पते पर रजिस्टर्ड डाक से भिजवावे ।
आदेष दिनांक 27.09.2016 को लिखाया जाकर सुनाया गया ।
(नवीन कुमार ) (श्रीमती ज्योति डोसी) (विनय कुमार गोस्वामी )
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