राज्य उपभोक्ता विवाद प्रतितोष आयोग, उ0प्र0, लखनऊ
मौखिक
परिवाद संख्या-07/2021
श्रीमती रचना गुप्ता बनाम टाटा ए.आई.ए. लाइफ इं०कं. व अन्य
माननीय न्यायमूर्ति श्री अशोक कुमार, अध्यक्ष द्वारा उदघोषित।
दिनांक: 25.09.2024
पुकारा गया।
प्रश्नगत परिवाद में यद्पि दिनांक 09.08.2024 को न्यायालय द्धारा निम्न अंतरिम आदेश पारित किया गया-
09.08.2024
परिवादिनी द्वारा विद्वान स्थायी लोक अदालत, अलीगढ़ के सम्मुख एक प्रार्थना पत्र/परिवाद पत्र प्रस्तुत किया था, जिसे कि विद्वान स्थायी लोक अदालत, अलीगढ़ द्वारा पी0एल0ए0 केस नं0 118/2021 अंगीकृत करते हुए दिनांक 01.12.2023 को पारित आदेश के अनुसार क्षेत्राधिकार के बिन्दु को दृष्टिगत रखते हुए निम्न आदेश पारित करते हुए वापस किया:-
''प्रार्थिया के द्वारा प्रस्तुत वाद के स्थायी लोक अदालत की धनीय/आर्थिक क्षेत्राधिकार की सीमा से परे होने के कारण, स्थायी लोक अदालत को, वाद के श्रवण की अधिकारिता (क्षेत्राधिकार) प्राप्त न होने के कारण, समक्ष आर्थिक क्षेत्राधिकार वाले न्यायालय/फोरम के समक्ष दायर किये जाने हेतु वापस किया जाता है।''
तदोपरान्त परिवादिनी द्वारा प्रस्तुत परिवाद इस न्यायालय के सम्मुख दिनांक 09.01.2024 को प्रस्तुत किया, जो दिनांक 16.01.2024 को इस न्यायालय के सम्मुख सूचीबद्ध हुआ। परिवादिनी के विद्वान अधिवक्ता को सुनने के उपरान्त विपक्षीगण को पंजीकृत डाक से नोटिस जारी किए जाने हेतु आदेश पारित करते हुए अगली निश्चित तिथि दिनांक 09.04.2024 सुनिश्चित की गयी। इस न्यायालय के आदेश दिनांक 16.01.2024 के अनुपालन में कार्यालय द्वारा पंजीकृत डाक से नोटिस विपक्षीगण को दिनांक 08.03.2024 को प्रेषित की गयी। कार्यालय आख्या दिनांक 28-3-24 के अनुसार विपक्षी संख्या-2 टाटा ए0आई0ए0 लाइफ इंश्योरेंस कम्पनी लिमिटेड, सिटी इन्क्लेव, अपोजिट कुमार नर्सिंग होम, रामघाट रोड, अलीगढ़ के संबंध में निम्न टिप्पणी की गयी:-
''प्रत्यर्थी सं.2 की नोटिस ''निम्न पते पर इस नाम की कोई फर्म नही, सही पते के लिए वापस'' की टिप्पणी के साथ वापस प्राप्त हुई। पत्रावली पर संलग्न है।''
अगली निश्चित तिथि दिनांक 09.04.2024 को निम्न आदेश पारित किया गया:-
''09.04.2024
पत्रावली प्रस्तुत हुई। परिवादिनी द्वारा दस्ती माध्यम से नोटिस हेतु कार्यवाही 02 सप्ताह में की जावे। तदोपरांत कार्यालय द्वारा विपक्षी को दस्ती माध्यम से नोटिस 04 सप्ताह में प्राप्त करायी जावे। प्रस्तुत वाद पुन: दि0 09.08.2024 को सुनवाई हेतु सूचीबद्ध किया जावे।''
आदेश दिनांक 09.04.2024 के अनुपालन हेतु दस्ती माध्यम से परिवादिनी द्वारा विपक्षी को नोटिस प्राप्त कराए जाने की आख्या निम्नवत उल्लिखित की गयी, जो दिनांक 08.07.2024 को उल्लिखित की:-
''परिवादी द्वारा विपक्षी को दस्ती नोटिस प्राप्त कराई गई।
प्राप्ति प्रार्थना पत्र दि. 08-07-24 मय शपथ पत्र के साथ प्राप्त हुई।
पत्रावली पर अवलोकन हेतु संलग्न।''
उपरोक्त आख्या दिनांक 08.07.2024 के अनुसार यद्यपि विपक्षीगण पर दस्ती माध्यम से नोटिस की तामीली पर्याप्त मानी जा सकती है, परन्तु परिवादिनी के हित को दृष्टिगत रखते हुए एवं परिवादिनी, जो स्वयं इस न्यायालय के सम्मुख अपने विद्वान अधिवक्ता द्वय श्री आजम शफीकी एवं सुश्री स्वाती बिसारिया के साथ उपस्थित हैं, द्वारा न्यायालय को अवगत कराया गया कि विद्वान स्थायी लोक अदालत, अलीगढ़ के सम्मुख विपक्षीगण की ओर से विद्वान अधिवक्ता श्री प्रसून श्रीवास्तव उपस्थित हुए थे। इस न्यायालय के सम्मुख विपक्षीगण की ओर से अन्य वादों में भी विद्वान अधिवक्ता श्री प्रसून श्रीवास्तव उपस्थित होते हैं, अतएव न्यायहित में विपक्षीगण को अपना पक्ष प्रस्तुत किए जाने हेतु समय प्रदान किया जाना अपेक्षित है।
तदनुसार प्रस्तुत परिवाद पत्रावली की दो प्रतियॉं परिवादिनी के विद्वान अधिवक्तागण द्वारा विपक्षीगण के विद्वान अधिवक्ता श्री प्रसून श्रीवास्तव को एक सप्ताह की अवधि में प्राप्त करायी जावेगी तथा प्राप्त कराए जाते समय इस आदेश की छायाप्रति भी विपक्षीगण के विद्वान अधिवक्ता श्री प्रसून श्रीवास्तव को प्राप्त कराए जाने हेतु आदेशित किया जाता है।
विपक्षीगण के विद्वान अधिवक्ता श्री प्रसून श्रीवास्तव द्वारा तदनुसार उपरोक्त प्राप्ति तिथि से 30 दिवस की अवधि में लिखित कथन/उत्तर शपथ पत्र एवं साक्ष्य की प्रति परिवादिनी के विद्वान अधिवक्तागण को प्राप्त करायी जावेगी।
परिवादिनी के विद्वान अधिवक्तागण द्वारा प्रत्युत्तर शपथ पत्र प्रस्तुत किए जाने हेतु एक सप्ताह का समय प्रदान किए जाने की प्रार्थना की। उपरोक्त प्रत्युत्तर शपथ पत्र कार्यालय में प्रस्तुत किए जाने से पूर्व विपक्षीगण के विद्वान अधिवक्ता को प्राप्त कराया जावेगा।
तदनुसार प्रस्तुत परिवाद को पुन: दिनांक 25.09.2024 को प्रथम 10 वादों में सुनवाई हेतु सूचीबद्ध किया जावे।
उक्त आदेश के परिपेक्ष्य में विपक्षी बीमा कम्पनी के विद्धान अधिवक्ता श्री प्रसून श्रीवास्तव द्धारा प्रश्नगत परिवाद की पोषणीयता इस न्यायालय के सम्मुख न होने का कथन करते हुये कहा कि प्रश्नगत परिवाद जिला आयोग के सम्मुख पोषणीय है। वास्ते पोषणीयता के बिन्दु पर परिवादी के विद्धान अधिवक्तागण द्धारा न्यायालय को अवगत कराया गया कि वास्तव में विपक्षीगण के उपरोक्त उत्तर के अनुसार प्रश्नगत परिवाद जिला आयोग के समक्ष योजित किया जाना विधि अनुसार अपेक्षित है।
तदनुसार प्रश्नगत परिवाद निस्तारित किया जाता है तथा परिवादी को आदेशित किया जाता है कि वे सम्बन्धित जिला आयोग के समक्ष 01 माह की अवधि में परिवाद प्रस्तुत करें। सम्बन्धित जिला आयोग द्धारा विलम्ब से परिवाद प्रस्तुत किये जाने का कारण इस न्यायालय के सम्मुख परिवाद लम्बित होना था।
यदि कोई स्थगन पूर्व में पारित किया गया हो तो उसे निरस्त किया जाता है।
आशुलिपिक से अपेक्षा की जाती है कि वह इस निर्णय एवं आदेश को आयोग की वेबसाइट पर नियमानुसार यथाशीघ्र अपलोड कर दे।
(न्यायमूर्ति अशोक कुमार)
अध्यक्ष
रंजीत, पी0 ए0,कोर्ट न0-1