न्यायालय जिला उपभोक्ता विवाद प्रतितोष फोरम-प्रथम, बरेली ।
परिवाद संॅ0 229/2012
उपस्थित:- 1- बृजेश चन्द्र सक्सेना अध्यक्ष
2- मोहम्मद कमर अहमद सदस्य
प्रदीप गंगवार श्री शिवसरन गंगवार, उम्र लगभग 23 वर्ष, मौहल्ला केशवपुरम कालोनी, तहसील बहेडी, जनपद बरेली ।
................ परिवादी
बनाम
1. सक्षम अधिकारी, टाटा ए0आई0जी0 लाइफ इंश्योरेंस कं0, डी0डी0 पुरम, थाना प्रेमनगर, बरेली ।
2. टाटा ए.आई.जी. लाइफ इंश्योरेंस कं0लि0, शाखा कार्यालय, छटा तल, पेनीसुला टावर्स, पेनीसुला पार्क, गनपतराव, कदम मार्ग, वैस्ट मुम्बई ।
................विपक्षीगण
निर्णय
परिवादी की ओर से यह परिवाद विपक्षीगण सक्षम अधिकारी, टाटा ए0आई0जी0 लाइफ इंश्योरेंस कं0 व अन्य के विरूद्व इस आशय से योजित किया गया है कि परिवादी को विपक्षीगण से बीमा क्लेम धनराशि अंकन 7,00,000/-रूपये और वाद व्यय तथा मानसिक क्षति के संदर्भ में अंकन 60,000/-रूपये का भुगतान कराया जाये ।
संॅक्षेप में परिवादी का कथन है कि परिवादी की ताई श्रीमती सुशीला देवी पत्नी श्री रामजी सरन ने एक पाॅलिसी नं0 सी 183214522 विपक्षीगण से अंकन 7,00,000/-रूपये में क्रय की गयी थी । पाॅलिसी लेते समय पाॅलिसीधारक के पति का स्वर्गवास हो चुका था और उनकी कोई संतान न होने के कारण अपने पति के भतीजे परिवादी को नाॅमिनी बनाया था । उपरोक्त पाॅलिसी की किश्तें समय-समय पर अदा की जाती रही । पाॅलिसी धारक ने दिनांक 24.08.09 को अंकन 2680/-रूपये अदा की और दूसरी किश्त दिनांक 23.03.10 को अंकन 2680/-रूपये तथा दिनांक 23.11.10 को 2700/-रूपये और दिनांक 09.05.11 को अंकन 2680/-रूपये जमा किये गये । इसी बीच पाॅलिसीधारक अस्वस्थ रहने लगी और अपने मायके जाकर रहने लगी तथा नाॅमिनी को भी अपने साथ ले गयी क्योंकि उनकी देखभाल करने वाला नाॅमिनी ही था । स्वास्थ्य खराब होने के कारण पाॅलिसीधारक ने ग्राम हरिहरपुर से अपना उपचार कराया, परन्तु पाॅलिसी धारक की दिनांक 14.11.11 को मृत्यु हो गयी । परिवादी ने अपनी ताई बीमाधारक की मृत्यु की सूचना विपक्षीगण के एजेंट अमित कुमार को तत्काल दे दी, जिन्होंने क्लेम की कार्यवाही कराये जाने का आश्वासन दिया और दिनांक 30.11.11 को विपक्षीगण के एजेंट अमित कुमार को सभी औपचारिकतायें पूर्ण करते हुए सभी अभिलेख और फार्म प्राप्त करा दिये गये । समस्त कार्यवाही पूर्ण हो जाने के बाद दिनांक 24.02.12 को परिवादी को विपक्षीगण की ओर से एक चेक मात्र 15.34 रूपये का प्राप्त हुआ और अवशेष धनराशि का कोई भुगतान नहीं किया गया, जो विपक्षीगण ने हडप ली । परिवादी इस संदर्भ में विपक्षीगण के कार्यालय में सम्पर्क करता रहा और इंटरनेट के माध्यम से सूचित किया गया । परिवादी द्वारा बीमा कं0 को ई-मेल भी भेजे गये, परन्तु विपक्षीगण की ओर से न तो कोई जबाव दिया गया और न ही क्लेम का भुगतान किया गया । इसके पश्चात् दिनांक 05.06.12 को कस्टमर केयर से सम्पर्क किया गया तो उन्होंने उच्च अधिकारियों को ई-मेल भेजने को बताया और पाॅलिसी बाॅण्ड की माॅग की, जो परिवादी ने तुरन्त जमा कर दिया । इसके पश्चात् परिवादी द्वारा कई बार विपक्षीगण के अधिकारियों से मिलने का प्रयास किया गया, परन्तु उन्होंने मिलने से इंकार कर दिया और इस प्रकार विपक्षीगण द्वारा परिवादी को परेशान करते हुए मानसिक क्षति पहुॅंचायी गयी, तदनुसार यह परिवाद योजित किया गया ।
विपक्षीगण की ओर से प्रतिवाद पत्र दाखिल करते हुए यह कथन प्रस्तुत किया गया कि परिवादी द्वारा असत्य कथनों के आधार पर परिवाद योजित किया गया है और सही तथ्यों को छिपाया गया है, जिसके कारण परिवाद निरस्त किये जाने योग्य है । विपक्षीगण की ओर से सेवाओं में कोई त्रुटि नहीं की गयी है और इस कारण परिवाद फोरम के समक्ष पोषणीय नहीं है और न ही परिवादी उपभोक्ता की श्रेणी में आता है । परिवादी स्वच्छ हाथों से फोरम के समक्ष उपस्थित नहीं हुआ है । बीमाधारक का यह दायित्व है कि बीमा पाॅलिसी प्राप्त किये जाने के पूर्व प्रस्ताव फार्म में जो वाॅंछित सूचनायें हैं, उनका सही प्रकार से जबाव दे और किसी भी तथ्य को छिपाया न जाये । बीमाधारक द्वारा सही तथ्यों को छिपाकर धोखे से पाॅलिसी प्राप्त कर ली गयी, जिसके कारण परिवादी किसी भी प्रकार से बीमा दावा प्राप्त करने का अधिकारी नहीं है । बीमाधारक द्वारा टाटा ए0आई0जी0 प्लान से सम्बन्धित् बीमा पाॅलिसी के समस्त नियम व शर्तों को के उपरांत बीमा पाॅलिसी संॅ0 सी 183214522 दिनांक 24.08.09 को क्रय की गयी थी और परिवादी को नाॅमिनी बनाया गया था । बीमाधारक द्वारा प्रारम्भिक प्रीमियम अंकन 2678/-रूपये जमा किया गया, जो बीमा पाॅलिसी दस वर्षों की अवधि के लिए अंकन सात लाख रूपये तक की सुरक्षा के लिए कवर थी । बीमाधारक द्वारा प्रस्ताव फार्म के प्रश्न संॅ0 4 (ए), 6, 8 में बताये गये सभी प्रश्नों का उत्तर निगेटिव में दिया गया और यह उद्घोषणा की गयी कि उसके द्वारा सभी प्रश्नों के उत्तर सही दिये गये हैं । बीमाधारक को यह जानकारी दी गयी थी कि प्रश्नों के सही उत्तर न दिये जाने पर बीमा कं0 उत्तरदायी नहीं होगी । बीमाधारक द्वारा दिनांक 18.09.09 को चिकित्सीय परीक्षक के समक्ष भी अपना ब्यान दिया गया, परन्तु उसके द्वारा स्वास्थ्य के संदर्भ में सही जानकारी नहीं दी गयी और चिकित्सा तथा स्वास्थ्य के संदर्भ में पूछे गये प्रश्नों का उत्तर निगेटिव में दिया । बीमाधारक द्वारा दी गयी वाॅंछित सूचनाओं को सही मानते हुए बीमापाॅलिसी प्राप्त करायी गयी और बीमा प्रीमियम धनराशि को जमा किया गया । प्रारम्भिक प्रीमियम धनराशि के बाद अगली प्रीमियम धनराशि माह फरवरी, 10 में देय थी, जिसके संदर्भ में विपक्षीगण द्वारा नोटिस भी बीमाधारक को दी गयी, परन्तु बीमाधारक द्वारा प्रीमियम धनराशि का भुगतान नहीं किया गया और पाॅलिसी दिनांक 27.10.10 को लैप्स हो गयी । इसके उपरांत पुनः दिनांक 23.11.10 को बीमा पाॅलिसी को नवीनीकृत किया गया और पुनः अग्रिम प्रीमियम माह फरवरी, 11 को देय था । इस प्रीमियम धनराशि का भुगतान भी समय से न किये जाने के कारण पाॅलिसी दिनांक 26.04.11 को लैप्स हो गयी, जिसकी सूचना बीमाधारक को दी गयी । इसके उपरांत बीमाधारक द्वारा बीमा पाॅलिसी को नवीनीकृत नहीं कराया गया और बीमा पाॅलिसी दिनांक 27.10.11 को लैप्स हो गयी । इसके बाद दिनांक 09.12.11 को विपक्षीगण द्वारा बीमाधारक की मृत्यु प्रमाण पत्र के साथ क्लेम के संदर्भ में सूचना प्राप्त की गयी । विपक्षीगण द्वारा इस संदर्भ में जाॅंच करायी गयी और जाॅंच कराने के बाद यह जानकारी हुई कि बीमाधारक को बीमा पाॅलिसी दिये जाने के पूर्व ही बीमाधारक अस्वस्थ थी और उसको फालिज वर्ष 2006 में ही हो गयी थी, जिसका इलाज महाजन अस्पताल, बरेली से कराया गया था । महाजन अस्पताल के चिकित्सीय प्रपत्रों से इस तथ्य की पुष्टि हो गयी कि वर्ष 2006 से ही बीमाधारक फालिज की बीमारी से पीडित थी । इस प्रकार यह स्पष्ट है कि बीमाधारक द्वारा प्रस्ताव फार्म में स्वास्थ्य और चिकित्सा के संदर्भ में पूछे गये प्रश्नों का सही उत्तर नहीं दिया गया और स्वास्थ्य और चिकित्सा से सम्बन्धित् तथ्यों को जानबूझकर छिपाकर धोखे से बीमा पाॅलिसी प्राप्त कर ली गयी । एैसी परिस्थिति में विपक्षीगण को यह अधिकार प्राप्त हो जाता है कि बीमा क्लेम को निरस्त कर दे और इसी आधार पर परिवादी की ओर से योजित बीमा दावे को निरस्त कर दिया गया, जिसकी सूचना परिवादी को पत्र दिनांक 09.05.12 के द्वारा दे दी गयी । उक्त पत्र में यह भी निर्देशित किया गया था कि यदि बीमाधारक किसी प्रकार का स्पष्टीकरण देना चाहे, तो वह 21 दिन के अंदर दे सकती है अन्यथा यह मान लिया जायेगा कि बीमाधारक विपक्षीगण के विरूद्व से संतुष्ट है । एैसी परिस्थिति में परिवाद प्रस्तुत किये जाने का कोई औचित्य नहीं है । बीमा पाॅलिसी की शर्तों व नियमों के अनुसार स्वास्थ्य और चिकित्सा के संदर्भ में वास्तविक तथ्यों को छिपाने के उपरांत बीमा क्लेम के निरस्तीकरण का पर्याप्त कारण बन जाता है । विपक्षीगण की ओर से सेवाओं में किसी प्रकार की कोई त्रुटि नहीं की गयी है, बल्कि बीमा पाॅलिसी की शर्तों के अधीन बीमा दावे को निरस्त किया गया है । वर्तमान मामले में बीमाधारक की मृत्यु के पूर्व ही बीमा पाॅलिसी लैप्स हो चुकी थी और बीमाधारक द्वारा प्रस्ताव फार्म में स्वास्थ्य एवं चिकित्सा के संदर्भ में पूछे गये प्रश्नों का सही उत्तर नहीं दिया गया और वास्तविक बीमारियों को छिपाया गया, जिसके कारण परिवादी किसी भी प्रकार का बीमा दावा प्राप्त करने का अधिकारी नहीं रह जाता है । परिवादी की ओर से योजित परिवाद मय हर्जा निरस्त किये जाने योग्य है ।
परिवादी की ओर से अपने कथनों के समर्थन में सूचना के अधिकार अधिनियम के अंतर्गत माॅगी गयी सूचनाओं से सम्बन्धित् प्रपत्र की छाया प्रति 7/1, विपक्षीगण द्वारा परिवादी को अंकन 15.34 रूपये का मूल चेक 7/2, बीमाधारक द्वारा जमा किये गये प्रीमियम की रसीद की छाया प्रतियां 7/3 लगायत 7/7, ई-मेल से भेजी गयी सूचनाआंे की छाया प्रतियां 7/8 लगायत 7/12, विपक्षीगण द्वारा परिवादी को भेजे गये पत्र की छाया प्रति 7/13 लगायत 7/14, मृत्यु प्रमाण पत्र की छाया प्रति 7/15 प्रस्तुत की गयी है तथा शपथपत्र साक्ष्य 16/1 लगायत 16/3, साक्षी अमित कुमार गंगवार का शपथपत्र 17/1 लगायत 17/2, साक्षी विष्णु शर्मा का शपथपत्र 18/1 लगायत 18/2, साक्षी नवी हसन का शपथपत्र 19/1, साक्षी दशरथ सिंह का शपथपत्र 21/1, साक्षी बाबा हरिहर दास का शपथपत्र 22 और परिवादी का प्रतिशपथपत्र 25/1 लगायत 25/4 प्रस्तुत किया गया है ।
विपक्षीगण की ओर से साक्ष्य शपथपत्र 23/1 लगायत 23/6, बीमा पाॅलिसी प्राप्त किये जाने हेतु प्रार्थना पत्र की छाया प्रति 24/1 लगायत 24/5, बीमा पाॅलिसी से सम्बन्धित् अन्य प्रपत्र तथा रसीदों की छाया प्रतियां 24/6 लगायत 24/21, लैप्स नोटिस दिनांक 27.10.10 की छाया प्रति 24/22 लगायत 24/23, नवीनीकरण पत्र की छाया प्रति 24/24 लगायत 24/25, प्रीमियम भुगतान से सम्बन्धित् भेजे गये पत्र की छाया प्रति 24/26 व 24/27, लैप्स नोटिस दिनांकित 26.04.11 की छाया प्रति 24/28 लगायत 24/29, प्रीमियम भुगतान की सूचना की छाया प्रति 24/30 लगायत 24/31, लैप्स नोटिस दिनांक 27.10.11 की छाया प्रति 24/32 लगायत 24/33, महाजन अस्पताल से सम्बन्धित् चिकित्सीय पर्चे 24/34 लगायत 24/61, चिकित्सा सम्बन्धी साक्षियांे के ब्यानों की छाया प्रतियां 24/62 लगायत 24/65, बीमा क्लेम निरस्तीकरण से सम्बन्धित् भेजे गये पत्र की छाया प्रति 24/66 लगायत 24/67 एवं परिवादी को भेजे गये पत्र की छाया प्रति 24/68 प्रस्तुत की गयी है ।
पक्षगण अधिवक्ता के तर्कों को सुना गया एवं पत्रावली का अवलोकन किया गया ।
निष्कर्ष
उपरोक्त आधार पर यह स्पष्ट है कि परिवादी की ताई श्रीमती सुशीला देवी द्वारा विपक्षीगण से एक पाॅलिसी संॅ0 सी 183214522 अंकन सात लाख रूपये हेतु दिनांक 24.08.09 को क्रय की गयी थी और प्रथम किश्त अंकन 2680/-रूपये का भुगतान किया गया था । इस पाॅलिसी के अंतर्गत छमाही किश्त अंकन 2680/-रूपये की दर से जमा होनी थी । यह पाॅलिसी विपक्षीगण द्वारा टाटा ए.आई.जी. रक्षा प्लान के नाम से निर्गत की गयी थी, जो दस वर्षों के लिए प्रभावी थी । परिवादी की ताई अस्वस्थ हो गयी, जिनका उपचार ग्राम हरिहरपुर में कराया गया, परन्तु तबियत अत्यधिक खराब हो जाने के कारण दिनांक 14.11.11 को उनकी मृत्यु हो गयी । परिवादी द्वारा ताई की मृत्यु की सूचना टाटा ए.आई.जी. के एजेंट अमित कुमार गंगवार को तत्काल दी गयी और दिनांक 30.11.12 को विपक्षीगण को एजेंट के माध्यम से समस्त प्रपत्र बीमा क्लेम हेतु उपलब्ध करा दिये गये । परिवादी बराबर विपक्षीगण से सम्पर्क करता रहा तथा इंटरनेट तथा ई-मेल के जरिये भी पत्राचार करता रहा, परन्तु विपक्षीगण द्वारा बीमा क्लेम का निस्तारण नहीं किया गया । परिवादी द्वारा इस संदर्भ में विपक्षीगण को नोटिस भी भेजी गयी । विपक्षीगण की ओर से दिनांक 24.02.12 को मात्र अंकन 15.34 रूपये का एक चेक परिवादी को भेजा गया । परिवादी द्वारा पुनः समस्त बीमा क्लेम धनराशि का भुगतान किये जाने हेतु पत्राचार किया गया, परन्तु विपक्षीगण द्वारा बीमा क्लेम का भुगतान नहीं किया गया । इस संदर्भ में विपक्षीगण की ओर से यह स्पष्ट किया गया है कि बीमाधारक द्वारा प्रथम प्रीमियम का भुगतान दिनांक 26.09.09 को जमा किया गया, इसके पश्चात् अग्रिम प्रीमियम माह फरवरी, 10 में देय था, परन्तु बीमाधारक द्वारा निर्धारित समयावधि में प्रीमियम का भुगतान नहीं किया गया, जबकि विपक्षीगण की ओर से इस संदर्भ में बीमाधारक को नोटिस भी भेजी गयी । बीमाधारक द्वारा प्रीमियम जमा न किये जाने के कारण प्रश्नगत पाॅलिसी दिनांक 27.10.10 को लैप्स हो गयी, जिसकी सूचना बीमाधारक को प्राप्त करा दी गयी । इसके उपरांत बीमाधारक द्वारा विलम्ब से प्रीमियम जमा करते हुए दिनांक 23.11.10 को पाॅलिसी को पुर्नजीवित कराया गया । इसके बाद अग्रिम प्रीमियम दिनांक 26.03.11 को देय था, परन्तु बीमाधारक द्वारा निर्धारित अवधि मंे प्रीमियम धनराशि जमा नहीं की गयी । विपक्षीगण द्वारा बीमाधारक को प्रीमियम जमा किये जाने हेतु नोटिसें भी भेजी गयीं, परन्तु बीमाधारक द्वारा प्रीमियम जमा न किये जाने के कारण प्रश्नगत पाॅलिसी दिनांक 26.04.11 को पुनः लैप्स हो गयी, जिसकी सूचना बीमाधारक को प्राप्त करा दी गयी । इसी प्रकार विपक्षीगण की ओर से पुनः दिनांक 27.08.11 को बीमाधारक को देय प्रीमियम से अवगत कराया गया, परन्तु बीमाधारक द्वारा प्रीमियम धनराशि जमा नहीं की गयी और अंततः दिनांक 27.10.11 को बीमा पाॅलिसी लैप्स हो गयी । विपक्षीगण को बीमाधारक की मृत्यु की सूचना दिनांक 09.12.11 को प्राप्त हुई और विपक्षीगण द्वारा जाॅंच कराये जाने के बाद यह पाया गया कि बीमाधारक वर्ष 2006 से ही फालिज की बीमारी से पीडित थी और उसका इलाज महाजन अस्पताल में चल रहा था, जबकि बीमाधारक द्वारा प्रस्ताव फार्म में चिकित्सा एवं स्वास्थ्य के प्रस्तर में सभी प्रश्नों का जबाव निगेटिव में दिया गया और अपनी बीमारी एवं स्वास्थ्य के तथ्यों को जानबूझकर छिपाकर धोखे से बीमा पाॅलिसी प्राप्त कर ली गयी और इस प्रकार धोखे से सही तथ्यों को छिपाकर पाॅलिसी प्राप्त किये जाने के कारण ही विपक्षीगण द्वारा बीमा क्लेम अस्वीकार कर दिया गया और परिवादी किसी भी प्रकार से प्रश्नगत पाॅलिसी के अंतर्गत बीमा क्लेम प्राप्त करने का अधिकारी नहीं रह गया ।
उपरोक्त संदर्भ में पत्रावली पर उपलब्ध समस्त साक्ष्य पर विचारण किया गया । विपक्षीगण की ओर से बीमाधारक को बकाया प्रीमियम और देय प्रीमियम धनराशि जमा किये जाने हेतु दी गयी नोटिसों की छाया प्रतियां प्रस्तुत की गयी हैं और साथ ही साथ दिनांक 27.10.10 और 26.04.11 को बीमा पाॅलिसी लैप्स हो जाने के संदर्भ में बीमाधारक को भेजे गये पत्रों की छाया प्रतियां भी प्रस्तुत की गयी हैं तथा दिनांक 27.10.11 को बीमा पाॅलिसी प्रीमियम के अभाव में लैप्स हो जाने के संदर्भ में भेजे गये पत्र की छाया प्रति भी प्रस्तुत की गयी है । इस प्रकार यह स्पष्ट हो जाता है कि बीमाधारक द्वारा प्रथम प्रीमियम दिनांक 26.09.09 को जमा किये जाने के पश्चात् अग्रिम कोई भी प्रीमियम धनराशि समयावधि में जमा नहीं की गयी और जब पाॅलिसी दिनांक 27.10.10 को लैप्स हो गयी, तब बीमाधारक द्वारा दिनांक 23.11.10 को पाॅलिसी को पुर्नजीवित कराया गया, परन्तु पुनः अग्रिम प्रीमियम दिनांक 26.03.11 को देय था, परन्तु इस प्रीमियम का भुगतान भी बीमाधारक द्वारा नहीं किया गया, जिसके फलस्वरूप पाॅलिसी दिनांक 26.04.11 को लैप्स हो गयी । बीमाधारक द्वारा पुनः पाॅलिसी को पुर्नजीवित कराया गया, परन्तु अग्रिम देय प्रीमियम भी बीमाधारक द्वारा जमा न किये जाने के कारण पाॅलिसी पुनः दिनिांक 27.10.11 को लैप्स हो गयी । परिवादी की ताई की मृत्यु दिनांक 14.11.11 को होना बतायी गयी है, जबकि उस समय बीमाधारक द्वारा क्रय की गयी पाॅलिसी लैप्स हो चुकी थी अर्थात् बीमा पाॅलिसी लैप्स होने के पश्चात् बीमाधारक की मृत्यु हो गयी । एैसी परिस्थिति में बीमा क्लेम भुगतान किये जाने हेतु विपक्षीगण उत्तरदायी नहीं रह जाते हैं, परन्तु एक महत्वूपर्ण तथ्य यह भी है कि बीमाधारक द्वारा प्रस्ताव फार्म भरते समय अपनी पूर्व बीमारी और चिकित्सा को छिपाते हुए प्रस्ताव फार्म में अपने स्वास्थ्य और चिकित्सा के संदर्भ में वाॅंछित प्रश्नों का उत्तर निगेटिव में दिया गया । विपक्षीगण की ओर से प्रस्ताव फार्म की छाया प्रति प्रस्तुत की गयी है और साथ ही साथ महाजन अस्पताल में कराये गये इलाज से सम्बन्धित् चिकित्सीय पर्चे 24/34 लगायत 24/61 प्रस्तुत किये गये हैं, जिनके अवलोकन के बाद यह स्पष्ट हो जाता है कि बीमाधारक वर्ष 2006 से ही फालिज की बीमारी से पीडित रही है और उसका इलाज महाजन अस्पताल, बरेली में चलता रहा है । इस प्रकार विपक्षीगण की ओर से प्रस्तुत किये गये चिकित्सीय अभिलेखों के आधार पर यह स्पष्ट रूप से साबित हो जाता है कि बीमाधारक का फालिज का इलाज महाजन अस्पताल, बरेली में वर्ष 2006 से लगातार चलता रहा, परन्तु बीमाधारक द्वारा प्रस्ताव फार्म में इस तथ्य को छिपा लिया गया और स्वास्थ्य तथा चिकित्सा से सम्बन्धित् पूछे गये सभी प्रश्नों का उत्तर निगेटिव में दे दिया । एैसी परिस्थिति में बीमा पाॅलिसी की शर्तों व नियमों के अनुसार विपक्षीगण बीमा क्लेम का भुगतान किये जाने से मुक्त हो जाते हैं और उन्हें किसी भी प्रकार से बीमा क्लेम का भुगतान किये जाने हेतु उत्तरदायी नहीं ठहराया जा सकता है ।
इस प्रकार उपरोक्त सम्पूर्ण विवेचना के आधार पर यह स्पष्ट है कि बीमाधारक की मृत्यु के पूर्व ही बीमा पाॅलिसी लैप्स हो चुकी थी तथा बीमाधारक द्वारा अपनी बीमारी और चिकित्सा के तथ्यों को छिपाते हुए प्रस्ताव फार्म में अपने स्वास्थ्य और इलाज सम्बन्धी सभी प्रश्नों के उत्तर निगेटिव में देकर धोखाधडी करके बीमा पाॅलिसी प्राप्त की गयी । एैसी परिस्थिति में बीमा पाॅलिसी की शर्तों व नियमों के अनुसार परिवादी बीमा क्लेम प्राप्त करने का अधिकारी नहीं रह जाता है और न ही विपक्षीगण को बीमा क्लेम का भुगतान किये जाने हेतु उत्तरदायी ठहराया जा सकता है । अतः परिवादी किसी भी अनुतोष को प्राप्त करने का अधिकारी नहीं पाया जाता है और परिवाद निरस्त किये जाने योग्य है ।
आदेश
परिवादी की ओर से विपक्षीगण के विरूद्व योजित किया गया परिवाद निरस्त किया जाता है । उभयपक्ष अपना-अपना वाद व्यय स्वयॅं वहन करेगें।
( मोहम्मद कमर अहमद ) ( बृजेश चन्द्र सक्सेना )
सदस्य अध्यक्ष
यह निर्णय आज दिनांक 10.11.2016 को हमारे द्वारा हस्ताक्षरित करके खुले फोरम में उद्घोषित किया गया ।
( मोहम्मद कमर अहमद ) ( बृजेश चन्द्र सक्सेना )
सदस्य अध्यक्ष