Shri Shurti Garg filed a consumer case on 08 Dec 2017 against Tata A.I.G Insurance Company in the Muradabad-II Consumer Court. The case no is CC/71/2016 and the judgment uploaded on 16 Dec 2017.
Uttar Pradesh
Muradabad-II
CC/71/2016
Shri Shurti Garg - Complainant(s)
Versus
Tata A.I.G Insurance Company - Opp.Party(s)
Shri Vivek Agarwal
08 Dec 2017
ORDER
परिवाद प्रस्तुतिकरण की तिथि: 31-8-2016
निर्णय की तिथि: 08.12.2017
कुल पृष्ठ-5(1ता5)
न्यायालय जिला उपभोक्ता विवाद प्रतितोष फोरम-द्वितीय, मुरादाबाद
उपस्थिति
श्री पवन कुमार जैन, अध्यक्ष
श्री सत्यवीर सिंह, सदस्य
परिवाद संख्या-71/2016
श्रीमती शुति गर्ग पत्नी श्री गौरव गर्ग निवासनी मकान नं.-66 दमदमा कोठी जिगर कालोनी, सिविल लाइन्स, थाना-सिविल लाइन्स, मुरादाबाद। ….......परिवादी
बनाम
1-टाटा ए.आई.ए. लाईफ इंश्योरेंस कंपनी लि. बी विंग 9वां तल, आई थिंक टैक्नोकैम्पस, बिहाइंड टी.सी.एस. पोखरन रोड-2क्लोज-2 ‘’ईस्टर्न एक्सप्रेस हाईवे’’ थाणे(वेस्ट)-400607 द्वारा मैनेजर।
2-टाटा ए.आई.ए. लाईफ इंश्योरेंस कंपनी लि. प्रथम तल खसरा नं.-178/2 श्रीनाथ काम्पलेक्स यूनिवर्सिटी रोड अपोजिट इलाहाबाद बैंक रोड, मेरठ-250004 द्वारा मैनेजर।
3-इन्डसीन्ड बैंक निकट एकता द्वार सिविल लाइन्स, मुरादाबाद द्वारा मैनेजर।
…......विपक्षीगण
(श्री पवन कुमार जैन, अध्यक्ष द्वारा उद्घोषित)
निर्णय
इस परिवाद के माध्यम से परिवादनी ने यह अनुतोष मांगा है कि उसके द्वारा विपक्षी-1 व 2 को अदा की गई प्रीमियम राशि अंकन-20726/-रूपये विपक्षीगण से उसे वापस दिलायी जाये। क्षतिपूर्ति की मद में अंकन-15000/-रूपये और वाद व्यय की मद में अंकन-5000/-रूपये परिवादनी ने अतिरिक्त मांगे हैं।
संक्षेप में परिवाद कथन इस प्रकार हैं दिनांक 20-01-2016 को विपक्षी-3 के माध्यम से परिवादनी ने एक लाईफ इंश्योरेंस पालिसी सं.-202499859 विपक्षी-1 व 2 से ली थी। पालिसी बाण्ड परिवादनी को दिनांक 06-02-2016 को प्राप्त हुआ। इस पालिसी बाण्ड में 15 दिन का फ्री लुक पीरियड था, जो उस दशा में जब कि पालिसी डिस्टेंस मार्केटिंग मोड में ली गई हो तो 30 दिन तक बढ़ाया जा सकता था। परिवादनी ने पालिसी बाण्ड प्राप्त होने के 15 दिन के भीतर दिनांक 20-02-2016 को विपक्षी-1 व 2 के मानेसर, गुड़गांव स्थित कार्यालय पर कोरियर के माध्यम से पालिसी कैंसिल करने हेतु और प्रीमियम रिफण्ड हेतु प्रार्थना पत्र प्रेषित कर दिया क्योंकि उसे पालिसी की शर्तें स्वीकार नहीं थीं। उक्त पत्र विपक्षीगण के मानेसर कार्यालय में दिनांक 22-02-2016 को प्राप्त हो गया। विपक्षीगण ने उक्त प्रीमियम बार-बार अनुरोध के बावजूद भी परिवादनी को वापस नहीं किया और अन्तत: यह कहते हुए कि पालिसी बाण्ड परिवादनी ने देरी से वापस किया है, दिनांक 20-5-2016 को परिवादनी का पालिसी बाण्ड कैंसिल करने का अनुरोध अस्वीकार कर दिया। उन्होंने पालिसी प्रीमियम की राशि वापस भी नहीं की है। विपक्षीगण के उपरोक्त कृत्यों को सेवा में कमी बताते हुए परिवादनी ने परिवाद में अनुरोधित अनुतोष दिलाये जाने की प्रार्थना की।
परिवाद कथनों के समर्थन में परिवादनी द्वारा अपना शपथपत्र कागज सं.-3/5 प्रस्तुत किया, इसके इसके साथ उसने प्रीमियम अदा किये जाने संबंधी अपने बैंक एकाउन्ट की सुसंगत डेबिट एन्ट्री, पालिसी बाण्ड कैंसिल करने हेतु विपक्षी-1 व 2 के मानेसर स्थित कार्यालय को भेजे गये कोरियर की रसीद दिनांकित 20-02-2016, पालिसी डाकूमेंट तथा विपक्षी-1 व 2 की ओर से परिवादनी को भेजे गये रेपुडिएशन लेटर दिनांकित 20-5-2016 की छायाप्रतियों को दाखिल किया गया है।
विपक्षी-1 व 2 की ओर से प्रतिवाद पत्र देरी से प्रस्तुत किये जाने के कारण फोरम के आदेश दिनांक 01-12-2016 द्वारा उनका प्रतिवाद पत्र पत्रावली में स्वीकार नहीं किया गया और आदेशित किया गया कि उनका प्रतिवाद पत्र कागज सं.-11/1 लगायत 11/11 पत्रावली का भाग नहीं रहेगा।
विपक्षी-1 व 2 ने प्रतिवाद पत्र के साथ परिवादी द्वारा पालिसी लेने हेतु भरे गये प्रस्ताव फार्म, पालिसी की शर्तें, परिवादनी द्वारा विपक्षी-1 व 2 के नोएडा स्थित कार्यालय में दिनांक 24-02-2016 को प्राप्त कराये गये पत्र तथा रेपुडिएशन लेटर दिनांकित 20-5-2016 की छायाप्रतियों को दाखिल किया गया है।
विपक्षी-3 की ओर से प्रतिवाद पत्र कागज सं.-10/1 लगायत 10/3 दाखिल हुआ, जिसमें कहा गया कि विपक्षी-3 ने बहैसियत कोरपोरेट एजेंट प्रश्नगत पालिसी के संदर्भ में विपक्षी-1 व 2 की ओर से परिवादनी को बताया था, जिसके अनुक्रम में परिवादनी ने प्रश्नगत पालिसी ली थी। अग्रेत्तर यह कहते हुए कि पक्षकारों के मध्य करार हो जाने के उपरान्त पालिसी के संदर्भ में उत्तरदाता विपक्षी-3 की कोई जिम्मेदारी किसी प्रकार की नहीं रही, परिवाद को सव्यय खारिज किये जाने की प्रार्थना की गई। विपक्षी-3 का यह शपथपत्र बैंक के शाखा प्रबन्धक के शपथपत्र से समर्थित है।
परिवादनी ने अपना साक्ष्य शपथपत्र कागज सं.-12/1 लगायत 12/3 दाखिल किया है।
विपक्षी-3 की ओर से बैंक के शाखा प्रबन्धक ने अपना साक्ष्य शपथपत्र कागज सं.-14/1 लगायत 14/2 प्रस्तुत किया।
विपक्षी-1 व 2 की ओर से उनके सहायक मैनेजर लीगल श्री अनमोल किशोर का साक्ष्य शपथपत्र कागज सं.-15/1 लगायत 15/9 दाखिल किया, जिसके संदर्भ में फोरम द्वारा दिनांक 01-11-2017 को यह आदेशित किया गया कि विपक्षी-1 व 2 का प्रतिवाद पत्र चूंकि पत्रावली पर ग्रहण नहीं किया गया है। अत: विपक्षी-1 व 2 की ओर से दाखिल इस साक्ष्य शपथपत्र की पत्रावली पर ग्राह्यता के संबंध में निर्णय के समय विचार किया जायेगा।
विपक्षी-1 व 2 की ओर से लिखित बहस कागज सं.-16/1 लगायत 16/4 दाखिल हुई। परिवादनी तथा विपक्षी-3 की ओर से लिखित बहस दाखिल नहीं हुई।
हमने पक्षकारों के विद्वान अधिवक्तागण के तर्कों को सुना और पत्रावली का अवलोकन किया।
विपक्षीगण को इस तथ्य से इंकार नहीं है कि परिवादनी के अनुरोध पर उसे विपक्षी-3 के माध्यम से विपक्षी-1 व 2 ने परिवाद के पैरा-1 में उल्लिखित बीमा पालिसी दी थी, जिसका प्रीमियम अंकन-20,627/-रूपये था। इस बिन्दु पर भी पक्षकारों के मध्य कोई विवाद नहीं है कि इस पालिसी का पालिसी बाण्ड परिवादनी को दिनांक 06-02-2016 को प्राप्त हुआ। विवाद इस बात का है कि क्या परिवादनी ने इस पालिसी को निरस्त कराने हेतु पालिसी की शर्तों के अनुसार निर्धारित फ्री लुक पीरियड में अपना आप्शन एक्सरसाइज कर लिया था अथवा नहीं।
पक्षकारों के मध्य विद्वमान विवाद के विनिश्चय से पूर्व यह आवश्यक है कि इस बिन्दु पर विचार कर निर्णय ले लिया जाये कि इस मामले में विपक्षी-1 व 2 की ओर से दाखिल साक्ष्य शपथपत्र तथा प्रतिवाद पत्र के साथ दाखिल अभिलेख विचार में लिये जायें अथवा नहीं। स्वीकृत रूप से फोरम के आदेश दिनांकित 01-12-2016 के अनुसार विपक्षी-1 व 2 का प्रतिवाद पत्र पत्रावली में ग्रहण नहीं किया गया क्योंकि यह प्रतिवाद पत्र उन्होंने माननीय सर्वोच्च न्यायालय द्वारा न्यू इंडिया इंश्योरेंस कंपनी लि. बनाम हिली मैल्टीपरपज कोल्ड स्टोरेज प्रा.लि., I(2016)सीपीजे पृष्ठ-1 में अवधारित विधि व्यवस्था के अनुपालन में निर्धारित अवधि में दाखिल नहीं किया गया था। ऐसे मामलों में फोरम द्वारा परिवाद का निर्णय करते समय किन प्रपत्रों को विचार में लिया जायेगा, इस संबंध में माननीय राष्ट्रीय उपभोक्ता आयोग, नई दिल्ली द्वारा दत्ता केशव भोसले बनाम अपर्ना मोटर्स प्रा.लि. व एक अन्य, IV(2016) सीपीजे पृष्ठ-176 की निर्णयज विधि में अवधारित किया गया है। दत्ता केशव भोसले की इस निर्णयज विधि में माननीय राष्ट्रीय आयोग ने अवधारित किया है कि इस प्रकार के मामलों में विपक्षी पत्रावली पर उपलब्ध अभिलेखों/प्रपत्रों के आधार पर परिवाद का प्रतिवाद कर सकता है। इस रूलिंग के अनुसार विपक्षी-1 व 2 की ओर से इस पत्रावली में दाखिल साक्ष्य शपथपत्र, उनकी लिखित बहस तथा दस्तावेज कागज सं.-11/14 लगायत 11/38 को विचार में लिया जाना होगा। हम तद्नुरूप पक्षकारों के मध्य विद्वमान विवाद का विनिश्चय कर रहे हैं।
विपक्षी-1 व 2 को यह स्वीकार है कि प्रश्गनत पालिसी का पालिसी बाण्ड परिवादी को दिनांक 06-02-2016 को प्राप्त हुआ था। विपक्षीगण की कोई शाखा मुरादाबाद में नहीं है। परिवादी ने यह पालिसी डिस्टेंस मार्केटिंग मोड में ली थी। प्रश्गनत पालिसी के नियम व शर्तें विपक्षी-1 व 2 ने पत्रावली में दाखिल की हैं। पत्रावली के पृष्ठ-11/24 पर ‘’फ्री लुक पीरियड’’ का उल्लेख है, जिसके अनुसार पालिसी होल्डर को यह अधिकार दिया गया है कि पालिसी बाण्ड प्राप्त होने के 15 दिन के भीतर यदि वह चाहे तो पालिसी को निरस्त कर और अदा किये गये प्रीमियम की वापसी का बीमा कंपनी से अनुरोध कर सकता है और यदि पालिसी डिस्टेंस मार्केटिंग मोड में ली गई है तो यह फ्री लुक पीरियड 30 दिन तक बढ़ाया जा सकेगा। पत्रावली में अवस्थित कोरियर की रसीद कागज सं.-3/7 के अवलोकन से प्रकट है कि दिनांक 20-02-2016 को परिवादनी ने प्रश्नगत पालिसी निरस्त किये जाने हेतु कोरियर के माध्यम से विपक्षी-1 व 2 के मानेसर स्थित कार्यालय को अपना प्रार्थना पत्र प्रेषित कर दिया था। प्रकट है कि पालिसी बाण्ड प्राप्त होने के 15 दिन के भीतर उसने पालिसी को कैंसिल कराने का अपना आप्शन एक्सरसाइज कर लिया था। विपक्षी-1 व 2 की ओर से दाखिल साक्ष्य शपथपत्र पैरा-9(सी), जो पत्रावली के पृष्ठ 15/6 पर दृश्टव्य है, में विपक्षी-1 व 2 की ओर से यह स्वीकार किया गया है कि परिवादनी की ओर से पालिसी को कैंसिल करने हेतु अनुरोध पत्र दिनांक 24-02-2016 को उत्तरदाता कंपनी को प्राप्त हुआ था। चूंकि पालिसी डिस्टेंस मार्केटिंग मोड में ली गई थी। अत: पालिसी की शर्तों के अनुसार फ्री लुक पीरियड 30 दिन का था और इस दृष्टिकोण से भी पालिसी बाण्ड प्राप्त होने पर फ्री लुक पीरियड की अवधि में परिवादनी ने पालिसी कैंसिलेशन का अपना आप्शन एक्सरसाइज कर लिया था। विपक्षी-1 व 2 ने इसके बावजूद पालिसी को कैंसिल न करके और परिवादनी का प्रीमियम वापस न करके सेवा में कमी की है। परिवादनी को समुचित क्षतिपूर्ति, वाद व्यय तथा उसके द्वारा अदा की गई प्रीमियम की राशि मय ब्याज विपक्षीगण से वापस दिलायी जानी चाहिए। तद्नुसार परिवाद स्वीकार होने योग्य है।
परिवादनी का परिवाद विरूद्ध विपक्षीगण स्वीकार किया जाता है। विपक्षीगण को आदेशित किया जाता है कि विपक्षीगण इस आदेश से एक माह के अंदर प्रश्नगत प्रीमियम की राशि अंकन-20,627/-रूपये मय 9 प्रतिशत वार्षिक ब्याज वाद दायरा तिथि तावसूली परिवादनी को अदा करें। विपक्षीगण अंकन-5000/-रूपये क्षतिपूर्ति एवं अंकन-2500/-रूपये वाद व्यय भी परिवादनी को अदा करें।
(सत्यवीर सिंह) (पवन कुमार जैन)
सदस्य अध्यक्ष
आज यह निर्णय एवं आदेश हमारे द्वारा हस्ताक्षरित तथा दिनांकित होकर खुले न्यायालय में उद्घोषित किया गया।
(सत्यवीर सिंह) (पवन कुमार जैन)
सदस्य अध्यक्ष
दिनांक: 08-12-2017
Consumer Court Lawyer
Best Law Firm for all your Consumer Court related cases.