Shri Saurabh Agarwal filed a consumer case on 08 Dec 2017 against Tata A.I.G Insurance Company in the Muradabad-II Consumer Court. The case no is CC/70/2016 and the judgment uploaded on 16 Dec 2017.
Uttar Pradesh
Muradabad-II
CC/70/2016
Shri Saurabh Agarwal - Complainant(s)
Versus
Tata A.I.G Insurance Company - Opp.Party(s)
08 Dec 2017
ORDER
परिवाद प्रस्तुतिकरण की तिथि: 31-8-2016
निर्णय की तिथि: 08.12.2017
कुल पृष्ठ-6(1ता6)
न्यायालय जिला उपभोक्ता विवाद प्रतितोष फोरम-द्वितीय, मुरादाबाद
उपस्थिति
श्री पवन कुमार जैन, अध्यक्ष
श्री सत्यवीर सिंह, सदस्य
परिवाद संख्या- 70/2016
सौरभ अग्रवाल पुत्र श्री दिनेश अग्रवाल निवासी बुद्ध बाजार कोठीवाल नगर नालापार थाना कोतवाली, मुरादाबाद। ….....परिवादी
बनाम
1-टाटा ए.आई.ए. लाईफ इंश्योरेंस कंपनी लि. बी विंग 9वां तल, आई थिंक टैक्नोकैम्पस, बिहाइंड टी.सी.एस. पोखरन रोड-2क्लोज-2 ‘’ईस्टर्न एक्सप्रेस हाईवे’’ थाणे(वेस्ट)-400607 द्वारा मैनेजर।
2-टाटा ए.आई.ए. लाईफ इंश्योरेंस कंपनी लि. प्रथम तल खसरा नं.-178/2 श्रीनाथ काम्पलेक्स यूनिवर्सिटी रोड अपोजिट इलाहाबाद बैंक रोड, मेरठ-250004 द्वारा मैनेजर।
3-इन्डसीन्ड बैंक निकट एकता द्वार सिविल लाइन्स, मुरादाबाद द्वारा मैनेजर।
…......विपक्षीगण
(श्री पवन कुमार जैन, अध्यक्ष द्वारा उद्घोषित)
निर्णय
इस परिवाद के माध्यम से परिवादी ने यह अनुतोष मांगा हैं कि विपक्षीगण से उसे पालिसी की प्रीमियम राशि अंकन-41,467/-रूपये वापस दिलायी जाये। क्षतिपूर्ति की मद में 30 हजार रूपये और परिवाद व्यय की मद में 5 हजार रूपये परिवादी ने अतिरिक्त मांगे हैं। 12 प्रतिशत वार्षिक की दर से ब्याज भी दिलाये जाने का अनुरोध किया है।
संक्षेप में परिवाद कथन इस प्रकार हैं विपाक्षी-3 के माध्यम से परिवादी ने एक लाईफ इंश्योरेंस पालिसी सं.-103017660 विपक्षी-1 व 2 से दिनांक 09-02-2016 को ली थी। इसका प्रीमियम अंकन-41,467/-रूपये परिवादी ने अपने बैंक खाते से विपक्षी-1 व 2 को अदा किया था। विपक्षीगण ने परिवादी को मूल पालिसी बाण्ड आज तक नहीं भेजा, यद्वपि उसने विपक्षी-1 व 2 से अनेक बार टेलीफोन/मोबाइल से अनुरोध किया। दिनांक 07-6-2016 को पुन: फोन किये जाने पर भी विपक्षीगण ने परिवादी को पालिसी बाण्ड नहीं भेजा अपितू एक पत्र दिनांकित 11-7-2016 परिवादी को भेज दिया, जिसमें उल्लेख किया गया कि विपक्षी-1 व 2 ने स्पीड पोस्ट के माध्यम से परिवादी को पालिसी बाण्ड दिनांक 22-02-2016 को भेजा था, जो इस टिप्पणी के साथ ‘’नौ सच पर्सन’’ विपक्षीगण को वापस प्राप्त हो गया। पालिसी बाण्ड प्राप्त न होने पर परिवादी ने दिनांक 21-6-2016 को विपक्षी के सेवा प्रदाता प्रतिनिधि कैम्प, मुरादाबाद में पालिसी कैंसिल करते हुए प्रीमियम राशि वापस किये जाने संबंधी प्रार्थना पत्र प्रस्तुत किया किन्तु परिवादी को न तो पालिसी बाण्ड भेजा गया और न ही प्रीमियम की राशि वापस लौटाई गई। परिवादी द्वारा इंटरनेट और ई-मेल के माध्यम से अनेक बार पत्र विपक्षीगण को भेजे किन्तु उनका भी कोई संतोषजनक उत्तर नहीं दिया। परिवादी ने उक्त अभिकथनों के आधार पर यह कहते हुए कि विपक्षीगण के कृत्य सेवा में कमी हैं, परिवाद में अनुरोधित अनुतोष स्वीकार किये जाने की प्रार्थना की।
परिवाद कथनों के समर्थन में परिवादी ने अपना शपथपत्र कागज सं.-3/4 दाखिल किया, जिसके साथ उसने प्रीमियम अदा किये जाने संबंधी बैंक एकाउन्ट की डेबिट एन्ट्री, विपक्षी-1 व 2 की ओर से परिवादी को भेजे गये पत्र दिनांकित 09-6-2016, पालिसी सर्विसिंग पे आउट रिक्वेस्ट फार्म, पत्र दिनांकित 11-6-2016 तथा पालिसी कैंसिलेशन के संदर्भ में परिवादी द्वारा भेजे गये ई-मेल की छायाप्रतियों को दाखिल किया गया है। ये प्रपत्र पत्रावली के कागज सं.-3/5 लगायत 3/14 हैं।
विपक्षी-1 व 2 की ओर से प्रतिवाद पत्र देरी से प्रस्तुत किये जाने के कारण फोरम के आदेश दिनांक 01-12-2016 द्वारा उनका प्रतिवाद पत्र पत्रावली में स्वीकार नहीं किया गया और आदेशित किया गया कि उनका प्रतिवाद पत्र कागज सं.-11/1 लगायत 11/9 पत्रावली का भाग नहीं रहेगा।
विपक्षी-1 व 2 की ओर से प्रश्गनत पालिसी की इनिशियल प्रीमियम रसीद, परिवादी द्वारा भरे गये प्रस्ताव फार्म, पालिसी सर्विसिंग पे आउट रिक्वेस्ट फार्म, परिवादी को भेजे गये पत्र दिनांकित 09-6-2016, रेपुडिएशन लेटर दिनांकित 11-7-2016 तथा परिवादी को भेजे गये ई-मेल की छायाप्रतियों को दाखिल किया गया है। ये प्रपत्र पत्रावली के कागज सं.-11/11 लगायत 11/30 हैं।
विपक्षी-3 की ओर से प्रतिवाद पत्र कागज सं.-10/1 लगायत 10/3 दाखिल हुआ, जिसमें कहा गया कि विपक्षी-3 ने बहैसियत कोरपोरेट एजेंट प्रश्नगत पालिसी के संदर्भ में विपक्षी-1 व 2 की ओर से परिवादनी को बताया था, जिसके अनुक्रम में परिवादनी ने प्रश्नगत पालिसी ली थी। अग्रेत्तर यह कहते हुए कि पक्षकारों के मध्य करार हो जाने के उपरान्त पालिसी के संदर्भ में उत्तरदाता विपक्षी-3 की कोई जिम्मेदारी किसी प्रकार की नहीं रही, परिवाद को सव्यय खारिज किये जाने की प्रार्थना की गई। विपक्षी-3 का यह शपथपत्र बैंक के शाखा प्रबन्धक के शपथपत्र से समर्थित है।
परिवादनी ने अपना साक्ष्य शपथपत्र कागज सं.-12/1 लगायत 12/3 दाखिल किया है।
विपक्षी-3 की ओर से बैंक के शाखा प्रबन्धक ने अपना साक्ष्य शपथपत्र कागज सं.-14/1 लगायत 14/2 प्रस्तुत किया।
विपक्षी-1 व 2 की ओर से उनके सहायक मैनेजर लीगल श्री अनमोल किशोर का साक्ष्य शपथपत्र कागज सं.-15/1 लगायत 15/9 दाखिल किया, जिसके संदर्भ में फोरम द्वारा दिनांक 01-11-2017 को यह आदेशित किया गया कि विपक्षी-1 व 2 का प्रतिवाद पत्र चूंकि पत्रावली पर ग्रहण नहीं किया गया है। अत: विपक्षी-1 व 2 की ओर से दाखिल इस साक्ष्य शपथपत्र की पत्रावली पर ग्राह्यता के संबंध में निर्णय के समय विचार किया जायेगा।
विपक्षी-1 व 2 की ओर से लिखित बहस कागज सं.-16/1 लगायत 16/4 दाखिल हुई। परिवादी तथा विपक्षी-3 की ओर से लिखित बहस दाखिल नहीं हुई।
हमने पक्षकारों के विद्वान अधिवक्तागण के तर्कों को सुना और पत्रावली का अवलोकन किया।
पक्षकारों के मध्य इस बिन्दु पर कोई विवाद नहीं है कि परिवादी के आवेदन पर विपक्षी-1 व 2 ने विपक्षी-3 के माध्यम से परिवादी को प्रश्नगत बीमा पालिसी अंकन-41,467/-रूपये प्रीमियम राशि लेकर स्वीकृत की थी। परिवादी के अनुसार बार-बार अनुरोध करने के बावजूद विपक्षी-1 व 2 ने उसे मूल पालिसी बाण्ड नहीं भेजा। उसने विपक्षीगण को नोटिस भी दिया, कोई संतोषजनक उत्तर नहीं मिलने पर परिवादी ने दिनांक 21-6-2016 को मुरादाबाद स्थित विपक्षी-1 व 2 के सेवा प्रदाता प्रतिनिधि कैम्प में पालिसी कैंसिल करके जमा की गई प्रीमियम राशि वापस किये जाने का अनुरोध किया, जिसे विपक्षी-1 व 2 ने अपने पत्र दिनांक 11-7-2016(पत्रावली का कागज सं.-3/8) द्वारा अस्वीकृत कर दिया। पक्षकारों के मध्य विवाद इस बात का है कि क्या परिवादी द्वारा पालिसी कैंसिलेशन और प्रीमियम वापसी का अनुरोध अस्वीकृत करके विपक्षी-1 व 2 ने सेवा में कमी की है अथवा नहीं।
पक्षकारों के मध्य विद्वमान विवाद के विनिश्चय से पूर्व यह आवश्यक है कि इस बिन्दु पर विचार कर निर्णय ले लिया जाये कि इस मामले में विपक्षी-1 व 2 की ओर से दाखिल साक्ष्य शपथपत्र तथा प्रतिवाद पत्र के साथ दाखिल अभिलेख विचार में लिये जायें अथवा नहीं। स्वीकृत रूप से फोरम के आदेश दिनांकित 01-12-2016 के अनुसार विपक्षी-1 व 2 का प्रतिवाद पत्र पत्रावली में ग्रहण नहीं किया गया क्योंकि यह प्रतिवाद पत्र उन्होंने माननीय सर्वोच्च न्यायालय द्वारा न्यू इंडिया इंश्योरेंस कंपनी लि. बनाम हिली मैल्टीपरपज कोल्ड स्टोरेज प्रा.लि., I(2016)सीपीजे पृष्ठ-1 में अवधारित विधि व्यवस्था के अनुपालन में निर्धारित अवधि में दाखिल नहीं किया गया था। ऐसे मामलों में फोरम द्वारा परिवाद का निर्णय करते समय किन प्रपत्रों को विचार में लिया जायेगा, इस संबंध में माननीय राष्ट्रीय उपभोक्ता आयोग, नई दिल्ली द्वारा दत्ता केशव भोसले बनाम अपर्ना मोटर्स प्रा.लि. व एक अन्य, IV(2016) सीपीजे पृष्ठ-176 की निर्णयज विधि में अवधारित किया गया है। दत्ता केशव भोसले की इस निर्णयज विधि में माननीय राष्ट्रीय आयोग ने अवधारित किया है कि इस प्रकार के मामलों में विपक्षी पत्रावली पर उपलब्ध अभिलेखों/प्रपत्रों के आधार पर परिवाद का प्रतिवाद कर सकता है। इस रूलिंग के अनुसार विपक्षी-1 व 2 की ओर से इस पत्रावली में दाखिल साक्ष्य शपथपत्र, उनकी लिखित बहस तथा दस्तावेज कागज सं.-11/14 लगायत 11/38 को विचार में लिया जाना होगा। हम तद्नुरूप पक्षकारों के मध्य विद्वमान विवाद का विनिश्चय कर रहे हैं।
स्वीकृत रूप से मूल पालिसी बाण्ड परिवादी को प्राप्त नहीं हुआ। विपक्षी-1 व 2 का कथन है कि उन्होंने पालिसी बाण्ड स्पीड पोस्ट के माध्यम से परिवादी के पते पर भेजा था किन्तु स्पीड पोस्ट के लिफाफे पर ‘’नौ सच पर्सन’’ की अभियुक्ति के साथ उन्हें वापस प्राप्त हो गया। इसके बाद उन्होंने परिवादी से व्यक्तिगत रूप से संपर्क करने का प्रयास भी किया किन्तु परिवादी उपलब्ध नहीं हुए। पत्रावली पर जो साक्ष्य सामग्री उपलब्ध है, उससे विपक्षी-1 व 2 के उक्त कथन प्रमाणित नहीं होते हैं। जिस पते पर विपक्षी-1 व 2 परिवादी को मूल पालिसी बाण्ड भेजना बताते हैं, उसी पते पर परिवादी को पत्र कागज सं.-3/6 और पत्र कागज सं.-3/8 विपक्षी-1 व 2 ने भेजे थे, जो परिवादी को प्राप्त हुए। ऐसी परिस्थिति में यदि परिवादी को स्पीड पोस्ट द्वारा कथित रूप से भेजा गया पालिसी बाण्ड डिलीवर नहीं हुआ था तो उसमें परिवादी का कोई दोष नहीं है। विपक्षी-1 व 2 यह प्रमाणित नहीं कर पाये हैं कि वह कौन व्यक्ति है, जिसके माध्यम से वे परिवादी से संपर्क करने का प्रयास किया जाना बताते हैं। विपक्षी-1 व 2 के विद्वान अधिवक्ता ने प्रश्नगत पालिसी का इनीशियल प्रीमियम डिपोजिट की रसीद कागज सं.-11/11 की ओर हमारा ध्यान आकर्षित करते हुए तर्क दिया कि इस रसीद में इस बात का स्पष्ट उल्लेख है कि यदि पालिसी हेतु भरे गये फार्म के 45 दिन के भीतर बीमित को पालिसी बाण्ड प्राप्त नहीं होता तो वह विपक्षी-1 व 2 के टोल फ्री नंबर पर वस्तुस्थिति से अवगत कराये। विपक्षी-1 व 2 के विद्वान अधिवक्ता ने अग्रेत्तर कथन किया कि परिवादी ने 45 दिन की इस अवधि में विपक्षी-1 व 2 से किसी प्रकार से कोई संपर्क नहीं किया। ऐसी दशा में पालिसी कैंसिलेशन और प्रीमियम रिफण्ड हेतु उसका अनुरोध बीमा कंपनी स्वीकार करने के लिए बाध्य नहीं है। हम विपक्षी-1 व 2 के इन तर्कों से सहमत नहीं हैं। प्रीमियम की इस रसीद कागज सं.-11/11 में ऐसा कोई उल्लेख नहीं है कि यदि 45 दिन की अवधि में बीमित बीमा कंपनी से संपर्क नहीं करता है तो पालिसी की शर्तों के अधीन उसे प्रदत्त फ्री लुक पीरियड के आप्शन का लाभ नहीं दिया जायेगा। हमारे कहने का आशय यह है कि फ्री लुक पीरयिड का आप्शन परिवादी के पास उपलब्ध था और चूंकि उसे पालिसी बाण्ड प्राप्त हुआ ही नहीं था, ऐसी स्थिति में फ्री लुक पीरियड उसी दिन से प्रारम्भ होता जब परिवादी को मूल पालिसी बाण्ड उपलब्ध हो जाता। जैसा कि हमने ऊपर कहा है कि परिवादी को मूल पालिसी बाण्ड मिला ही नहीं है, ऐसी स्थिति में उसके द्वारा पालिसी कैंसिलेशन तथा प्रीमियम वापसी का अनुरोध अस्वीकृत करके विपक्षी-1 व 2 ने त्रुटि व सेवा प्रदान करने में कमी की है। मामले के तथ्यों एवं परिस्थितियों के दृष्टिगत परिवादी को समुचित क्षतिपूर्ति, वाद व्यय एवं उसके द्वारा अदा की गई प्रीमियम की राशि मय ब्याज दिलाया जाना न्यायोचित दिखायी देता है। तद्नुसार परिवाद स्वीकार होने योग्य है।
परिवादी का परिवाद विरूद्ध विपक्षीगण स्वीकार किया जाता है। विपक्षीगण बीमा कंपनी को आदेशित किया जाता है कि विपक्षीगण इस आदेश से एक माह के अंदर प्रश्नगत प्रीमियम की राशि अंकन-41,467/-रूपये मय 9 प्रतिशत वार्षिक ब्याज वाद दायरा तिथि तावसूली परिवादी को अदा करें। विपक्षीगण अंकन-10000/-रूपये क्षतिपूर्ति एवं अंकन-2500/-रूपये वाद व्यय भी परिवादी को अदा करें।
(सत्यवीर सिंह) (पवन कुमार जैन)
सदस्य अध्यक्ष
आज यह निर्णय एवं आदेश हमारे द्वारा हस्ताक्षरित तथा दिनांकित होकर खुले न्यायालय में उद्घोषित किया गया।
(सत्यवीर सिंह) (पवन कुमार जैन)
सदस्य अध्यक्ष
दिनांक: 08-12-2017
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