(मौखिक)
राज्य उपभोक्ता विवाद प्रतितोष आयोग, उ0प्र0, लखनऊ
अपील संख्या-2115/2011
Assistant General Manager, Punjab National Bank
Versus
Tara Chand Mohan R/O N-540, Sector 25
समक्ष:-
1. माननीय श्री सुशील कुमार, सदस्य।
2. माननीय श्रीमती सुधा उपाध्याय, सदस्य।
उपस्थिति:-
अपीलार्थी की ओर से उपस्थित: श्री अवनीश पाल, विद्धान अधिवक्ता
प्रत्यर्थीगण की ओर से उपस्थित: कोई नहीं
दिनांक :25.11.2024
माननीय श्री सुशील कुमार, सदस्य द्वारा उदघोषित
निर्णय
1. परिवाद संख्या-55/2011, तारा चन्द मोहन बनाम ऐसीसटेन्ट जनरल मैनेजर, पंजाब नेशनल बैंक में विद्वान जिला आयोग, गौतम बुद्ध नगर द्वारा पारित प्रश्नगत निर्णय/आदेश दिनांक 24.08.2011 के विरूद्ध प्रस्तुत की गयी अपील पर केवल अपीलार्थी के विद्धान अधिवक्ता के तर्क को सुना गया। प्रत्यर्थी की ओर से कोई उपस्थित नहीं है। प्रश्नगत निर्णय/आदेश एवं पत्रावली का अवलोकन किया गया।
2. जिला उपभोक्ता आयोग ने परिवाद स्वीकार करते हुए अंकन 10,000/-रू0 की राशि परिवादी के खाते में जमा करने का आधार इस आधार पर पारित किया है कि दिनांक 08.04.2010 को जो परिवादी ने ए0टी0एम0 के माध्यम से 10,000/-रू0 निकालने का प्रयास किया, परंतु 10,000/-रू0 प्राप्त नहीं हुआ और उसके बचत खाते से 10,000/-रू0 की निकासी प्रदर्शित कर दी गयी, इसके बाद परिवादी ने आई0सी0आई0सी0आई0 ए0टी0एम0 की मशीन से 10,000/-रू0 निकाले। विपक्षी बैंक द्वारा 10,000/-रू0 अतिरिक्त निकालने का उल्लेख किया गया है। इस प्रकार 10,000/-रू0 मशीन से निकले ही नहीं है, इसके बावजूद निकासी दर्ज करना विधि-विरूद्ध है। इसी तथ्य को जिला उपभोक्ता आयोग द्वारा स्वीकार किया गया है।
3. निर्णय के अवलोकन से ज्ञात होता है कि परिवाद का उत्तर देने के लिए कोई उपस्थित नहीं है, जबकि नोटिस की विधिवत तामील की गयी थी, इस प्रकार जिला उपभोक्ता आयोग के समक्ष परिवादी ने जो तथ्य प्रस्तुत किया, अपीलार्थी बैंक द्वारा कोई खण्डन नहीं किया गया, न ही परिवादी द्वारा प्रस्तुत की गयी साक्ष्य का कोई खण्डन किया गया, इसलिए जिला उपभोक्ता आयोग द्वारा पारित निर्णय/आदेश में हस्तक्षेप करने का कोई आधार नहीं बनता है। तदनुसार अपील खारिज होने योग्य है।
आदेश
अपील खारिज की जाती है। जिला उपभोक्ता आयोग द्वारा पारित निर्णय/आदेश पुष्ट किया जाता है।
प्रस्तुत अपील में अपीलार्थी द्वारा यदि कोई धनराशि जमा की गई हो तो उक्त जमा धनराशि मय अर्जित ब्याज सहित संबंधित जिला उपभोक्ता आयोग को यथाशीघ्र विधि के अनुसार निस्तारण हेतु प्रेषित की जाए।
आशुलिपिक से अपेक्षा की जाती है कि वह इस निर्णय एवं आदेश को आयोग की वेबसाइट पर नियमानुसार यथाशीघ्र अपलोड कर दे।
(सुधा उपाध्याय)(सुशील कुमार)
सदस्य सदस्य
संदीप सिंह, आशु0 कोर्ट 2