राज्य उपभोक्ता विवाद प्रतितोष आयोग, उ0प्र0, लखनऊ।
सुरक्षित
पुनरीक्षण संख्या-61/2014
(जिला उपभोक्ता फोरम, अलीगढ़ द्वारा निष्पादन वाद संख्या-14/13 में पारित आदेश दिनांक 30.04.2014 के विरूद्ध)
1.मै0 वीडियोकान इंडस्ट्रीज लि0 14 केएम. स्टोन पैथन रोड ग्राम
छिटेगांव तहसील पैथन जिला औरंगाबाद 431105 महाराष्ट्र द्वारा
चेयरमैन।
2. वेणूगोपाल एन.धुत चेयरमैन वीडियोकान इंडस्ट्रीज लि0 फोर्ट
हाऊस-सेकेन्ड फ्लोर 221, डा0 डी0एन0 रोड मुम्बई 400001
3. श्री राम महेश्वरी मै0 रामा स्टील द्वारा प्रोपेराइटर शासनी गेट
जयगंज रोड, अलीगढ़- 202001(यू0पी) .......पुनरीक्षणकर्ता
बनाम्
तन्मय शंकर पुत्र श्री डा0 पी.एस. वार्ष्णेय अधिवक्ता निवासी
2/102, विष्णुपुरी, अलीगढ़। ........प्रत्यर्थी
समक्ष:-
1. मा0 श्री राज कमल गुप्ता, पीठासीन सदस्य।
2. मा0 श्री महेश चन्द, सदस्य।
पुनरीक्षणकर्ता की ओर से उपस्थित : श्री अरूण टंडन, विद्वान अधिवक्ता।
प्रत्यर्थी की ओर से उपस्थित : श्रीमती सुचिता सिंह, विद्वान अधिवक्ता।
दिनांक 18.12.2017
मा0 श्री राज कमल गुप्ता, पीठासीन सदस्य द्वारा उदघोषित
निर्णय
प्रस्तुत पुनरीक्षण जिला उपभोक्ता विवाद प्रतितोष फोरम अलीगढ़ द्वारा निष्पादन वाद संख्या 14/13 में पारित आदेश दिनांक दि. 30.04.2014 के विरूद्ध योजित की गयी है।
संक्षेप में तथ्य इस प्रकार हैं कि परिवादी ने विपक्षी संख्या 3 से एक रंगीन टी.वी. सेट एक योजना के तहत क्रय करने के लिए धनराशि जमा की थी, परन्तु परिवादी को यह टी.वी. सेट उपलब्ध नहीं कराया गया और परिवादी के अनुसार उसे प्लाज्मा टी.वी. उपलब्ध नहीं कराया गया। जिला मंच ने अपने अंतिम निर्णय दि. 03.12.12 में यह आदेश किया कि विपक्षी संख्या 1 व 2 परिवादी को 30 दिनों के अंदर अनुबंधित टी.वी. प्लाज्मा उपलब्ध कराए। अंतिम निर्णय के अनुपालन के संबंध में जिला मंच के समक्ष निष्पादन वाद संख्या 14/13 योजित हुआ, जिसमें उभय पक्षों को सुनने के उपरांत जिला मंच ने यह पाया कि निर्णीत ऋणी के अनुसार चूंकि प्लाज्मा टी.वी. का
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तकनीकी कमी के कारण उत्पादन बंद हो गया है एवं वह अन्य टी.वी. देने को तैयार है, परन्तु चूंकि डिक्रीदार अन्य टी.वी. लेना नहीं चाहता था, अत: जिला मंच ने यह आदेश दिया कि चूंकि अन्य टी.वी. लेने के लिए डिक्रीदार को बाध्य नहीं किया जा सकता है, अत: निर्णीत ऋणी डिक्रीदार को प्लाज्मा टी.वी. की कीमत का भुगतान करे। चूंकि निर्णीत ऋणी द्वारा इस आदेश का अनुपालन नहीं किया गया, अत: जिला मंच ने कंपनी के विरूद्ध आर.सी. जारी की।
पीठ ने उभय पक्ष के विद्वान अधिवक्ताओं की बहस को सुना एवं पत्रावली पर उपलब्ध अभिलेखों व साक्ष्यों का भलीभांति परिशीलन किया गया।
पुनरीक्षणकर्ता ने अपने पुनरीक्षण के आधार में यह अभिकथन किया है कि जिला मच ने अपने अंतिम आदेश दि. 03.12.12 में परिवर्तन किया है और अंतिम आदेश दि. 03.12.12 में किसी ' मानीटरी डिक्री ' का आदेश नहीं है। पुनरीक्षण के अन्य आधारों को देखने से यह स्पष्ट होता है कि पुनरीक्षणकर्ता ने जिला मंच के आदेश दि. 03.12.12 के विरूद्ध भी अभिकथन किया है, जबकि दि. 03.12.12 जिला मंच का आदेश अंतिम हो चुका है, क्योंकि इसके विरूद्ध कोई अपील योजित नहीं हुई है।
जिला मंच ने अपने आदेश दि. 30.04.14 में पुनरीक्षणकर्ता द्वारा प्रस्तुत प्रार्थना पत्र निरस्त किया है, जिसमें दि. 25.10.13 के आदेश को निरस्त करने की मांग की गई थी, जबकि दि. 25.10.13 के अपने आदेश में जिला मंच ने केवल यह आदेश किया है कि चूंकि कंपनी के अनुसार अब प्लाज्मा टी.वी. का उत्पादन नहीं हो रहा है और डिक्रीदार दूसरा टी.वी. नहीं लेना चाहता है अत: डिक्रीधारक को प्लाज्मा टी.वी. के स्थान पर उसकी कीमत का भुगतान कर दिया जाए। चूंकि प्लाज्मा टी.वी. अब कंपनी स्वयं की स्वीकारोक्ति के अनुसार डिक्रीधारक को उपलब्ध नहीं करा सकती है तो एक ही विकल्प है कि उसकी कीमत डिक्रीधारक को उपलब्ध करा दिया जाए, यही आदेश जिला मंच ने दि. 25.10.13 में किया है, अत: जिला मंच द्वारा अपने आदेश दि. 30.04.14 के अंतर्गत पुनरीक्षणकर्ता का जो प्रार्थना पत्र निरस्त किया है उसमें कोई विधिक त्रुटि नहीं है।
पुनरीक्षणकर्ता ने अपने पुनरीक्षण में कोई ऐसा आधार नहीं लिया है जिससे यह सिद्ध होता हो कि जिला फोरम ने अपने क्षेत्राधिकार से बाहर जाकर कोई निर्णय पारित किया हो या कोई ऐसा आदेश दिया हो जिसका उसे अधिकार न हो या निर्णय में कोई
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तात्विक अनियमितता हो। अत: उपरोक्त विवेचना के दृष्टिगत पुनरीक्षण पोषणीय नहीं है और निरस्त किए जाने योग्य है।
आदेश
प्रस्तुत पुनरीक्षण निरस्त की जाती है।
पक्षकार अपना व्यय भार स्वयं वहन करेंगे।
निर्णय की प्रतिलिपि पक्षकारों को नियमानुसार उपलब्ध कराई जाए।
(राज कमल गुप्ता) (महेश चन्द) पीठासीन सदस्य सदस्य
राकेश, आशुलिपिक
कोर्ट-5