(मौखिक)
राज्य उपभोक्ता विवाद प्रतितोष आयोग, उ0प्र0 लखनऊ।
अपील संख्या : 853/2016
(जिला उपभोक्ता फोरम, वाराणसी द्वारा परिवाद संख्या-105/2011 में पारित निर्णय एवं आदेश दिनांक 21-11-2015 के विरूद्ध)
अभिषेक कुमार सिंह पुत्र श्री कमलेश कुमार सिंह निवासी-म0नं0-डी0-48/243-5, मिसिर पोखरा, थाना लक्सा, जिला वाराणसी।
....अपीलार्थी/परिवादी
बनाम्
टण्डन नर्सिंग होम, एवं इशिता मार्डन आई केयर सेंटर बजरिये डा0 शालिनी टण्डन, स्थित निवासिनी निहाला सिंह कालोनी, हीरापुरा कबीर चौरा, जिला वाराणसी।
समक्ष :-
1- मा0 न्यायमूर्ति श्री अख्तर हुसैन खान, अध्यक्ष ।
उपस्थिति :
अपीलार्थी की ओर से उपस्थित- श्री प्रशान्त त्रिपाठी।
प्रत्यर्थीगण की ओर से उपस्थित- कोई नहीं।
दिनांक : 22-02-2019
मा0 न्यायमूर्ति श्री अख्तर हुसैन खान, अध्यक्ष द्वारा उद्घोषित निर्णय
परिवाद संख्या-105/2011 अभिषेक कुमार बनाम टण्डन नर्सिंग होम में जिला उपभोक्ता फोरम, वाराणसी द्वारा पारित आक्षेपित निर्णय और आदेश दिनांक 21-11-2015 के विरूद्ध यह अपील धारा-15 उपभोक्ता संरक्षण अधिनियम के अन्तर्गत इस आयोग के समक्ष प्रस्तुत की है।
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आक्षेपित निर्णय और आदेश के द्वारा जिला फोरम ने परिवाद परिवादी की अनुपस्थिति में निरस्त कर दिया है। जिससे क्षुब्ध होकर अपीलार्थी/परिवादी ने यह अपील प्रस्तुत की है।
अपीलार्थी/परिवादी की ओर से विद्धान अधिवक्ता श्री प्रशान्त त्रिपाठी उपस्थित आए। प्रतयर्थी की ओर से उनके विद्धान अधिवक्ता उपस्थित नहीं है।
मैंने अपीलार्थी के विद्धान अधिवक्ता के तर्क को सुना है और आक्षेपित निर्णय और आदेश तथा पत्रावली का अवलोकन किया है।
अपीलार्थी के विद्धान अधिवक्ता का तर्क है कि अपीलार्थी ने वाद में पैरवी करने हेतु अधिवक्ता नियुक्त किया था जिन्होंने उसे आश्वासन दिया था कि उसकी ओर से वाद की पैरवी उनके द्वारा की जायेगी और उसे बार-बार फोरम आकर परेशान नहीं होना पड़ेगा। अत: उनके आश्वासन पर निश्चित तिथि पर अपीलार्थी/परिवादी जिला फोरम में उपस्थित नहीं हुआ। निश्चित तिथि दिनांक 21-11-2015 को अपीलार्थी/परिवादी के विद्धान अधिवक्ता भी उपस्थित नहीं हुए। अत: जिला फोरम ने अपीलार्थी/परिवादी की अनुपस्थिति में परिवाद निरस्त कर दिया है।
अपीलार्थी/परिवादी के विद्धान अधिवक्ता के अनुसार अपीलार्थी/परिवादी के विद्धान अधिवक्ता जो फोरम में थे उन्होंने अपीलार्थी/परिवादी को दिनांक 21-11-2015 को परिवाद निरस्त किये जाने की जानकारी भी नहीं दी।
निश्चित तिथि पर अपीलार्थी के उपस्थित न होने का बताया गया कारण संतोषजनक प्रतीत होता है। मेरी राय में विद्धान अधिवक्ता की चूक के कारण परिवादी को न्याय से वंचित किया जाना उचित नहीं है।
जिला फोरम के आक्षेपित आदेश से स्पष्ट है कि निश्चित तिथि पर विपक्षी के विद्धान अधिवक्ता उपस्थित थे।
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अत: सम्पूर्ण तथ्यों और परिस्थितियों पर विचार करते हुए यह उचित प्रतीत होता है कि आक्षेपित आदेश अपीलार्थी/परिवादी द्वारा प्रत्यर्थी/विपक्षी को एक हजार रूपया देने पर अपास्त किया जाए और परिवाद विधि के अनुसार गुणदोष के आधार पर निस्तारित करने हेतु जिला फोरम को प्रत्यावर्तित किया जाए।
उपरोक्त निष्कर्ष के आधार पर अपील स्वीकार की जाती है और जिला फोरम द्वारा पारित आक्षेपित आदेश दिनांक 21-11-2015 अपीलार्थी/परिवादी द्वारा प्रत्यर्थी/विपक्षी को रू0 1000/- हर्जा अदा करने पर अपास्त किया जाता है तथा पत्रावली जिला फोरम को इस निर्देश के साथ प्रत्यावर्तित की जाती है कि जिला फोरम परिवाद को अपने पुराने नम्बर पर प्रतिस्थापित कर विधि के अनुसार परिवाद की अग्रिम कार्यवाही प्रत्यर्थी/विपक्षी को नोटिस जारी कर सुनिश्चित करें।
अपीलार्थी/परिवादी दिनांक 15-04-2019 को जिला फोरम के समक्ष उपस्थित होकर उपरोक्त हर्जें की धनराशि रू0 1000/- जिला फोरम के जमा करेगा, जिसे जिला फोरम प्रत्यर्थी/परिवादी को दिया जाना सुनिश्चित करेगा।
(न्यायमर्ति अख्तर हुसैन खान)
अध्यक्ष
प्रदीप मिश्रा, आशु0,
कोर्ट नं0-1