Uttar Pradesh

Azamgarh

CC/183/2008

MANOHAR RAM YADAV - Complainant(s)

Versus

T.M.L.FINANCE - Opp.Party(s)

DEV DUTT SINGH

12 Jan 2022

ORDER

 

जिला उपभोक्ता विवाद प्रतितोष आयोग- आजमगढ़।

परिवाद संख्या 183 सन् 2008

प्रस्तुति दिनांक 19.09.2008

                                                                                               निर्णय दिनांक 12.01.2021

मनोहर राम यादव पुत्र स्वo पल्टूराम यादव ग्राम व पोस्ट- सरायमीर तहसील निजामाबाद जिला- आजमगढ़।   

     .........................................................................................परिवादी।

बनाम

  1. टी.एम.एल. फाइनेन्सियल सर्विसेज लिo रामकृष्ण इन्स्टीच्यूट (निकट मारूति मोटर्स सर्विस सेण्टर) बाग्ले इण्डस्ट्रियल स्टेट थाने महाराष्ट्र द्वारा प्रबन्धक।
  2. मेo मोटर एण्ड जनरल सेल्स लिo एम.पी. बिल्डिंग जिला परिषद् सोड गोरखपुर द्वारा प्रबन्धक।
  3. टाटा मोटर्स हरबंशपुर आजमगढ़ द्वारा प्रबन्धक।
  4. यश आटो मोटिब प्राoलिo निकट वैष्णो मन्दिर वाराणसी शक्तिनगर मार्ग चोपन मिर्जापुर।
  5. टाटा मोटर्स कम्पनी जमशेदपुर टाटा नगर द्वारा एम.डी. टाटा मोटर्स कम्पनी जमशेदपुर टाटा नगर।      
  6. विपक्षीगण।

उपस्थितिः- कृष्ण कुमार सिंह “अध्यक्ष” तथा गगन कुमार गुप्ता “सदस्य”

  •  

कृष्ण कुमार सिंह “अध्यक्ष”

परिवादी ने अपने परिवाद पत्र में यह कहा है कि विपक्षी संख्या 01 टाटा कम्पनी द्वारा निर्मित वाहनों को खरीदने पर ऋण सुविधा उपलब्ध कराती है, जिसका डीलर विपक्षी संख्या 02 है तथा उसका सबडीलर विपक्षी संख्या 03 है। परिवादी ने विपक्षी संख्या 03 के माध्यम से दिनांक 19.11.2007 को एक ट्रक खरीदा जिसका नं. यू.पी.50 एफ-3784 है, जिसका वारण्टी पीरियड डेढ़ वर्षों के लिए थी या डेढ़ लाख किमी. चलने तक थी। परिवादी की गाड़ी अब तक कुल 55000 किमी. तक ही चली है। परिवादी का उक्त वाहन चोपन गया हुआ था और दिनांक 06.09.2008 को क्लच गियर बाक्स आदि खराब हो गया। परिवादी का वाहन का उक्त पार्ट्स वारण्टी व ठीक करने की पूरी जिम्मेदारी विपक्षीगण की है। चोपन में विपक्षी संख्या 04 सर्विस सेण्टर है वहाँ परिवादी का ट्रक ठीक होने के लिए ले जाया गया तथा विपक्षी संख्या 04 के प्रबन्धक ने वाहन के खराब पार्ट्स को बदल दिया और ठीक कर दिया। विपक्षी संख्या 04 को परिवादी से कोई भी पैसा नहीं लेना चाहिए था क्योंकि वाहन वारण्टी पीरियड में था लेकिन विपक्षी संख्या 04 ने केवल फ्लाईहील विथ रिंग गियर को ही वारण्टी माना शेष क्लच डिस्क, क्लच कवर व काटन का तथा लेबर चार्ज कुल 16770/- का बिल प्रस्तुत किया और कहा कि उसका भुगतान परिवादी करे। जब इस बात का विरोध परिवादी ने किया तो विपक्षी संख्या 04 ने कहा कि बिना भुगतान किए गाड़ी नहीं जाने दी जाएगी। मजबूरन परिवादी को मुo 16770/- का भुगतान विपक्षी संख्या 04 को देना पड़ा। इस प्रकार विपक्षीगण का उक्त कार्य डिफीसिएण्टी ऑफ सर्विस के अन्तर्गत आता है। अतः परिवादी को विपक्षीगण से मुo 16770/- मय ब्याज दिलाया जाए। साथ ही परिवादी को शारीरिक, मानसिक व आर्थिक क्षति हेतु विपक्षीगण से 70,000/- रुपए भी दिलाया जाए।  

परिवादी द्वारा अपने परिवाद पत्र के समर्थन में शपथ पत्र प्रस्तुत किया गया है।

प्रलेखीय साक्ष्य में परिवादी ने कागज संख्या 4/1व4/2 यश ऑटोमोटिव प्राoलिo वाराणसी चोपन की रसीद की छायाप्रति प्रस्तुत किया है।  

कागज संख्या 17क विपक्षी संख्या 04 द्वारा जवाबदावा प्रस्तुत किया गया है, जिसमें उसने यह कहा है कि वाहन खरीदते वक्त ही ग्राहक को सर्विस बुक प्रदान की जाती है तथा उसमें वाहन गारण्टी का समय तथा किस आधार पर वारण्टी का समय लागू होगा और किन सर्तों के सथ लागू होगा लिखा होता है नया वाहन खरीदने पर ग्राहक के लिए आवश्यक होता है कि टाटा अथराइज्ड डीलर एवं सर्विस स्टेशन पर ही वाहन की सर्विसिंग 36000किमी. पर तथा 45000 किमी. पर होना आवश्यक है न होने की दशा में वाहन के कल पुर्जों पर कोई वारण्टी नहीं रहेगी। चूंकि परिवादी ने समय पर सर्विसिंग नहीं कराया था, इसलिए वाहन के किसी पार्ट्स पर नियमानुसार कोई वारण्टी नहीं रह गया। अतः गलत आधार पर प्रस्तुत किया गया है, जिसे खारिज किया जाए।

विपक्षी संख्या 04 द्वारा अपने जवाबदावा के समर्थन में शपथ पत्र प्रस्तुत किया गया है।

कागज संख्या 23क विपक्षी संख्या 03व05 द्वारा जवाबदावा प्रस्तुत किया गया है, जिसमें उसने यह कहा है कि विपक्षी मेo टाटा मोटर्स लिo कम्पनी अधिनियम 1913 के अधीन एक पंजीकृत कम्पनी है। जिसका पंजीकृत कार्यालय बाम्बे हाउस, 24 होमी मोदी स्टीट, मुम्बई- 400001 में स्थित है। परिवादी ने वाहन खरीदने से टेस्ट ड्राईव किया था। वाहन की सुविधाओं, विशिष्ट वर्णन तथा वारण्टी के बारे में क्रय के बाद की सेवाओं के बारे में उनकी शर्तों के बारे में अच्छी तरह से समझ लिया था तथा जब परिवादी इन सभी जानकारी से पूर्णतया सन्तुष्ट हो गया तभी उसने वाहन को खरीदा था। उस समय परिवादी को वाहन में कोई भी कमी नहीं लगी थी। विपक्षीगण ने अपने जवाबदावा में यह लिखा है कि ‘मारूति उद्योग लिo बनाम सुशील कुमार गबगोत्रा एवं अन्य II(2006) सी.पी.जे. 3 (एस.सी.)’ में यह कहा गया है कि निर्माण कर्ता के द्वारा दी गयी वारण्टी की शर्तों के बाहर दिए गए अनुतोष को पुष्ट नहीं किया जा सकता तथा उपभोक्ता फोरम वारण्टी की शर्तों के बाहर जाकर आदेश पारित नहीं कर सकते। इसके विरुद्ध लगाए गए समस्त आरोप गलत हैं। परिवादी ने विपक्षी संख्या 01 से वाहन टाटा एल.पी.टी.ट्रक क्रय किया है जो कि कामर्शियल वाहन है, जिसकी परिवहन विभाग द्वारा परमिट जारी होती है। परिवादी एक ट्रान्सपोर्टर है तथा लाभ के लिए व्यवसाय करता है तथा उसने वाहन में ईंधन व रखरखाव के खर्च को व्यापार में दिखाता है तथा आयकर में उसका लाभ लेता है। इस प्रकार परिवादी उपभोक्ता संरक्षण अधिनियम 1986 के अन्तर्गत उपभोक्ता की परिभाषा में नहीं आता है। परिवादी का यह कथन है कि उसके पास प्रश्नगत वाहन के अतिरिक्त और भी अन्य वाहन हैं जिससे यह साबित होता है कि परिवादी ने कॉमर्शियल परपज से वाहन क्रय किया है। परिवादी ने गलत आधार पर परिवाद प्रस्तुत किया है। अतः खारिज किया जाए।  

विपक्षी संख्या 03व05 द्वारा अपने जवाबदावा के समर्थन में शपथ पत्र प्रस्तुत किया गया है।

प्रलेखीय साक्ष्य में विपक्षीगण द्वारा कागज संख्या 25/1 लेटर ऑफ अथॉरिटी की छायाप्रति तथा कागज संख्या 25/2ता25/5 वारण्टी टर्म्स एण्ड कण्डीशन्स की छायाप्रति प्रस्तुत किया गया है।

बहस के दौरान पुकार कराए जाने पर उभय पक्षकारों के विद्वान अधिवक्ता उपस्थित आए तथा उभय पक्षकारों के विद्वान अधिवक्ताओं ने अपना-अपना बहस सुनाया। बहस सुना तथा पत्रावली का अवलोकन किया। परिवादी ने अपने परिवाद पत्र में केवल यह कहा है कि उसने एक ट्रक क्रय किया था, जिसमें चोपन में कुछ खराबी आ गयी तो उसने विपक्षी संख्या 04 से बनवाया लेकिन विपक्षी संख्या 04 ने उससे पैसा लिया। परिवादी ने अपने परिवाद पत्र में यह कहीं भी नहीं कहा है कि वह ट्रक अपने जीविकोपार्जन के लिए क्रय किया था। इस प्रकार माना जाएगा कि परिवादी ने ट्रक कॉमर्शियल उद्देश्य से क्रय किया था इसलिए परिवादी उपभोक्ता की श्रेणी में नहीं आता है। ऐसी स्थिति में हमारे विचार से परिवाद स्वीकार होने योग्य नहीं है।

 

 

                                                                                                         आदेश

                                                               परिवाद पत्र खारिज किया जाता है। पत्रावली दाखिल दफ्तर हो।

   

 

 

 

                                                                         गगन कुमार गुप्ता                कृष्ण कुमार सिंह  

                                                       (सदस्य)                             (अध्यक्ष)

 

           दिनांक 12.01.2021

                                                      यह निर्णय आज दिनांकित व हस्ताक्षरित करके खुले न्यायालय में सुनाया गया।

 

 

 

                                               गगन कुमार गुप्ता                कृष्ण कुमार सिंह

                                                                  (सदस्य)                            (अध्यक्ष)

 

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