(मौखिक)
राज्य उपभोक्ता विवाद प्रतितोष आयोग, उ0प्र0, लखनऊ
अपील संख्या-207/2011
कैलाश चन्द्र जोशी, के.वी. इण्टरनेशनल लि0 बनाम टी.आर. दूबे
समक्ष:-
1. माननीय श्री सुशील कुमार, सदस्य।
2. माननीय श्रीमती सुधा उपाध्याय, सदस्य।
दिनांक: 04.10.2024
माननीय श्री सुशील कुमार, सदस्य द्वारा उदघोषित
निर्णय
1. परिवाद संख्या-268/2003, टीका राम दूबे बनाम प्रोपराइटर के.वी. इण्टरनेशनल लि0 में विद्वान जिला आयोग, गोरखपुर द्वारा पारित निर्णय/आदेश दिनांक 19.4.2005 के विरूद्ध प्रस्तुत की गई अपील पर अपीलार्थी के विद्वान अधिवक्ता श्री अम्बरीश कौशल को सुना गया तथा प्रश्नगत निर्णय/पत्रावली का अवलोकन किया गया। प्रत्यर्थी की ओर से यद्यपि एक अधिवक्ता उपस्थित हुए, परन्तु उनकी ओर से कोई बहस नहीं की गई, न ही उनका कोई वकालतनामा पत्रावली पर मौजूद है।
2. परिवाद के तथ्यों के अनुसार सोनालिका ट्रैक्टर खरीदने के लिए विपक्षी द्वारा प्रेरित किया गया तथा यह आश्वासन दिया गया कि ट्रैक्टर खरीदने के साथ चार पहिये की ट्राली नि:शुल्क ग्राहक को देने की योजना है। ट्रैक्टर की कीमत अंकन 3,06,000/-रू0 बतायी गयी। परिवादी को केवल ट्रैक्टर उपलब्ध कराया गया, ट्राली उपलब्ध नहीं करायी गयी। विद्वान जिला आयोग ने इस तथ्य को साबित मानते हुए कि ट्रैक्टर के साथ ट्राली नि:शुल्क देने का वायदा किया गया था, ट्राली देने का आदेश पारित किया गया।
3. अपीलार्थी के विद्वान अधिवक्ता का यह तर्क है कि किसी योजना के तहत ट्राली नि:शुल्क देना उपभोक्ता की श्रेणी में नहीं आता तथा परिवादी केवल ट्रैक्टर खरीदने के लिए उपभोक्ता है। किसी योजना के तहत ट्राली नि:शुल्क उपलब्ध कराने के लिए उपभोक्ता नहीं है। अपने तर्क के समर्थन में नजीर पंजाब बैकवर्ड क्लासेज लैण्ड डेवलपमेंट एण्ड फाइनेन्स कारपोरेशन बनाम कुलबीर सिंह तथा अन्य I (2003) CPJ 26 (NC) प्रस्तुत की गई। इस केस के तथ्यों के अनुसार फोटोकापी मशीन जिसके साथ योजना के अंतर्गत सेलो कार लाट्री के तहत अदा करने का वायदा किया गया था। यथार्थ में परिवादी के नाम फोटोकापी मशीन क्रय की गई थी, परन्तु इनवाइस खुद फाइनेन्सर ने अपने नाम ले ली, इस आधार पर दावा निरस्त किया गया न कि इस आधार पर कि जब ट्रैक्टर इस शर्त के साथ विक्रय किया गया है कि ट्राली नि:शुल्क देय होगी तब इस वायदे को पूर्ण करने का उत्तरदायित्व विपक्षी पर है। उपरोक्त नजीर कदाचित प्रश्नगत अपील के निर्णय के लिए सुसंगत नहीं है। तदनुसार विद्वान जिला आयोग द्वारा पारित निर्णय/आदेश विधिसम्मत है, इसमें कोई हस्तक्षेप अपेक्षित नहीं है। प्रस्तुत अपील निरस्त होने योग्य है।
आदेश
4. प्रस्तुत अपील निरस्त की जाती है।
प्रस्तुत अपील में अपीलार्थी द्वारा यदि कोई धनराशि जमा की गई हो तो उक्त जमा धनराशि अर्जित ब्याज सहित संबंधित जिला आयोग को यथाशीघ्र विधि के अनुसार निस्तारण हेतु प्रेषित की जाए।
आशुलिपिक से अपेक्षा की जाती है कि वह इस निर्णय/आदेश को आयोग की वेबसाइट पर नियमानुसार यथाशीघ्र अपलोड कर दे।
(सुधा उपाध्याय) (सुशील कुमार)
सदस्य सदस्य
लक्ष्मन, आशु0, कोर्ट-2