राज्य उपभोक्ता विवाद प्रतितोष आयोग, उ0प्र0, लखनऊ
अपील संख्या-828/2003
(मौखिक)
(जिला उपभोक्ता फोरम, गोरखपुर द्वारा परिवाद संख्या-१९७/१९९९ में पारित आदेश दिनांक ०४/०२/२००३ के विरूद्ध)
- वाईस प्रेसीडेंट फर्स्ट फ्लाईट कोरियर्स लि0 द्वारा रीजनल आफिस ४१४-४१५ सहारा ट्रेड सेंटर फैजाबाद रोड लखनऊ।
- ब्रांच मैनेजर फर्स्ट फ्लाईट कोरियर्स लि0 न्यू दिल्ली।
- ब्रांच मैनेजर फर्स्ट फ्लाईट कोरियर्स लि0 गोरखपुर।
अपीलकर्तागण/विपक्षीगण
बनाम
त्रियुगी नारायण शाही तहत्सरा भवन फ्लैट नं0 १ मोहद्दीपुर गोरखपुर।
प्रत्यर्थी/परिवादी
समक्ष:-
1. माननीय श्री राम चरन चौधरी, पीठा0 सदस्य।
2. माननीय श्री राज कमल गुप्ता, सदस्य।
अपीलार्थी की ओर से उपस्थित : कोई नहीं।
प्रत्यर्थी की ओर से उपस्थित : कोई नहीं।
दिनांक: ०६-०४-२०१५
माननीय श्री राज कमल गुप्ता, सदस्य द्वारा उदघोषित
निर्णय
अपीलकर्तागण ने यह अपील जिला उपभोक्ता फोरम, गोरखपुर द्वारा परिवाद सं0-१९७/१९९९ में पारित आदेश दिनांक ०४/०२/२००३ के विरूद्ध प्रस्तुत की है जिसमें विद्वान जिला मंच ने निम्न आदेश पारित किया है:- वादी का वाद स्वीकार कर
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विपक्षी को निर्देशित किया जाता है कि वह वादी को ५०००/-रू0 तथा ३१.५० का भुगतान एक माह के अन्दर कर देवे।
केस के तथ्य संक्षेप में इस प्रकार हैं कि भारत सरकार वित्तीय प्रबन्धक के सुझाव देने हेतु लेख आमन्त्रित किये गये जिसकी पुरस्कार राशि मु0 एक लाख रूपये थी तथा लेख पहुचने की अंतिम तिथि दिनांक ३१ अगस्त १९९८ थी। परिवादी का कथन है कि उसका पत्र अंतिम तिथि के एक दिन बाद प्राप्त कराया गया। पत्र समय से न पहुंचने के कारण वादी पुरस्कार योजना में सम्मिलित नहीं हो सका जिससे उसे मानसिक आघात लगा, इसलिए १०००००/-रू0 पुरस्कार के बराबर क्षतिपूर्ति एवं २०००००/-रू0 मानसिक व शारीरिक क्षतिपूर्ति दिलाए जाने की मांग की गयी है।
विपक्षीगण ने अपना उत्तर पत्र दाखिल किया जिसमें उसने वाद पत्र के कथन को इन्कार किया है, लेकिन यह स्वीकार किया है कि वादी ने एक पत्र दिनांक २९-०८-१९९८ को दिल्ली के लिये बुक किया था। उस समय गोरखपुर में बाढ़ आयी थी जिसके कारण गोरखपुर से लखनऊ की रेल व्यवस्था ठप थी तथा सड़क मार्ग भी कट गया था, इसलिए पत्र पहुंचने में देरी हो गयी। विपक्षी ने जानबूझकर देरी नहीं की है। परिवादी किसी भी अनुतोष को पाने अधिकारी नहीं है। परिवादी का परिवाद खारिज किए जाने योग्य है।
अपीलकर्तागण की ओर से कोई उपस्थित नहीं है । प्रत्यर्थी की ओर से भी कोई उपस्थित नहीं है। पत्रावली में उपलब्ध अभिलेखों का परिशीलन किया गया।
केस के तथ्यों एवं परिस्थितियों को देखते हुए हम यह पाते हैं कि जिला मंच द्वारा जो निर्णय पारित किया गया है वह विधि सम्मत है, जिसमें हस्तक्षेप किए जाने की कोई आवश्यकता नहीं है। तदनुसार अपील खारिज किए जाने योग्य है।
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आदेश
अपील खारिज की जाती है। जिला उपभोक्ता फोरम, गोरखपुर द्वारा परिवाद सं0-१९७/१९९९ में पारित आदेश दिनांक ०४/०२/२००३ की पुष्टि की जाती है।
उभयपक्ष अपना-अपना वाद व्यय स्वयं वहन करेंगे।
उभयपक्ष को इस आदेश की प्रमाणित प्रतिलिपि नियमानुसार निर्गत की जाए।
(राम चरन चौधरी) (राज कमल गुप्ता)
पीठासीन सदस्य सदस्य
सत्येन्द्र कोर्ट नं0 ५