Final Order / Judgement | दायरे का दिनांक: 03.06.2015 दर्ज किये जाने का दिनांक: 19.06़.2015 निर्णय का दिनांक: 08.05.2017 न्यायालय जिला उपभोक्ता विवाद प्रतितोष फोरम-।।, मुरादाबाद। उपस्थित:- - श्री पवन कुमार जैन .............. अध्यक्ष।
- श्रीमती मंजू श्रीवास्तव ...... सामान्य सदस्य।
परिवाद संख्या- 75/2015 राजाराम पुत्र जानकी सिंह नि0 ग्राम गक्खरपुर पोस्ट डिलारी,तहसील ठाकुरद्वारा जिला मुरादाबाद। .......परिवादी। बनाम - शाखा प्रबन्धक सिंडिकेट बैंक शाखा सिविल लाईन, मुरादाबाद।
- शाखा प्रबन्धक यूनाईटेड इण्डिया इन्श्योरेंस कम्पनी लिमिटेड मण्डलीय कार्यालय कम्पनी बाग गेट, सिविल लाईन, मुरादाबाद।
- यूनाईटेड इण्डिया इंश्योरेंस कम्पनी लि0,प्रधान कार्यालय व्हाईटस रोड चैन्नई-600014 द्वारा अपने (महाप्रबनधक)
- यूनाईटेड इण्डिया इन्श्योरेंस कम्पनी लिमिटेड।। फ्लोरइण्डिन म्युचुअल बिल्डिंग एन0आर0 इस्क्वायर बंगलौर-560002 द्वारा अपने (शाखा प्रबन्धक) .......विपक्षीगण।
निर्णय द्वारा- श्री पवन कुमार जैन - अध्यक्ष - इस परिवाद के माध्यम से परिवादी ने यह उपशम मांगा है कि उसे पुत्र की बीमा पालिसी के क्लेम राशि अंकन 15,00,000/- विपक्षीगण से दिलाई जाऐ। क्षतिपूर्ति की मद में 50,000/- रूपया और अधिवक्ता शुल्क की मद में 20,000/-रूपया परिवादी ने अतिरिक्त मांगें हैं।
- संक्षेप में परिवाद कथन इस प्रकार हैं कि परिवादी ने अपने पुत्र टीकेन्द् सिंह के लिए विपक्षी सं0-1 से 3,50,000/-रूपये का एजुकेशन लौन स्वीकृत कराया था। इस लौन के लिए विपक्षी सं0-3 व 4 के एजेन्ट के माध्यम से विपक्षी सं0-1 ने टीकेन्द्र सिंह का बीमा कराया था। परिवादी को बताया गया कि एक्सीडेन्ट में मृत्यु हो जाने पर बीमा के 15,00,000/-रूपये मिलेगें। दिनांक 24/12/2009 को परिवादी के पुत्र से 3600/-रूपया प्रीमियम प्राप्त करके और औपचारिकताऐं पूरी करके पालिसी की रसीद दे दी गयी। दिनांक 4/3/2009 को एजुकेशन लौन की पहली किश्त अंकन 87,500/-रूपया रिलीज की गई। दिनांक 19/1/2012 को परिवादी के पुत्र का मर्डर हो गया। दिनांक 30/1/2012 को विपक्षीगण के कार्यालय में जाकर परिवादी ने अपने पुत्र की मर्डर की सूचना दी और बीमा पालिसी की मांग की, परन्तु उसे पालिसी डाकुमेन्ट नहीं दिया गया। पालिसी डाकुमेन्ट उसे आर0टी0आई0 के माध्यम से मिल पाया। परिवादी ने अग्रेत्तर कथन किया कि दिनांक 6/3/2012 को विपक्षी सं0-1 के माध्यम से उसने बीमा दावा तैयार करके विपक्षी सं0-3 व 4 को भिजवाया, किन्तु बार-बार अनुरोध के बावजूद दावे का निस्तारण उन्होंने नहीं किया। परिवादी ने आर0टी0आई0 के माध्यम से विपक्षी सं0-1 व विपक्षी सं0-2 के कार्यालय से क्लेम के सम्बन्ध में सूचनाऐं मांगी, किन्तु उसे वांछित सूचनाऐं उपलब्ध नहीं कराई गई। उक्त कथनों के आधार पर यह कहते हुऐ कि विपक्षीगण दावे का भुगतान करना नहीं चाहते परिवाद में अनुरोधित अनुतोष दिलाऐ जाने की प्रार्थना की।
- परिवाद कथनों के समर्थन में परिवादी ने अपना शपथ पत्र कागज सं0-3/4 लगायत 3/6 दाखिल किया। उसने सूची कागज सं0-3/7 के माध्यम से बीमा कवरनोट, आर0टी0आई0 के अधीन विपक्षी सं0-1 को प्रेषित पत्र दिनांक 28/1/2015, इस पत्र का विपक्षी सं0-1 से प्राप्त उत्तर, विपक्षी सं0-2 को आर0टी0आई0 के अधीन प्रेषित पत्र दिनांक 18/3/2015, इस पत्र का परिवादी को प्राप्त उत्तर, आर0टी0आई0 के अधीन सिंडिकेट बैंक के महाप्रबन्धक के समक्ष परिवादी द्वारा प्रस्तुत अपील, इस अपील का निस्तारण करते हुऐ परिवादी को महाप्रबन्धक की ओर से भेजा गया पत्र, परिवादी द्वारा बीमा दावा विपक्षी सं0-1 को अपने पुत्र की मृत्यु होने सम्बन्धी दिऐ गऐ पत्र, विपक्षी सं0-1 को एजुकेशन लौन का खाता बन्द करने हेतु दिऐ गऐ पत्र, पुत्र के डेथ सर्टिफिकेट, परिवार रजिस्टर की नकल, थाना मुरादनगर गाजियाबाद में दर्ज हुई एफ0आई0आर0, पुत्र के शव के पंचायतनामें, लाश के पोस्टमार्टम तथा राज्य सूचना आयोग में आर0टी0आई0 के अधीन प्रस्तुत अपील दिनांकित 29/4/2015 की नकलों को दाखिल किया गया है, यह प्रपत्र पत्रावली के कागज सं0-3/8 लगायत 3/30 हैं।
- परिवादी ने सूची कागज स0-5/2 के माध्यम से मूल बीमा सर्टिफिकेट, आर0टी0आई0 के अधीन सिंडिकेट बैंक की ओर से प्राप्त उत्तर तथा एफ0आई0आर0 की प्रमाणित प्रति को दाखिल किया गया, यह प्रपत्र पत्रावली के कागज सं0-5/3 लगायत 5/7 हैं।
- विपक्षी सं0-1 की ओर से प्रतिवाद पत्र कागज सं0-15 दाखिल हुआ जिसमें परिवादी के पुत्र टीकेन्द्र सिंह को 3,50,000/-रूपया एजुकेशन लौन स्वीकृत किया जाना, इस लौन के सम्बन्ध में विपक्षी सं0-2 व विपक्षी सं0-3 के माध्यम से बीमा पालिसी कराया जाना और स्वीकृत एजुकेशन लौन की पहली किश्त अंकन 87,500/-रूपया रिलीज किया जाना तो स्वीकार किया गया है, किन्तु शेष परिवाद कथनों से इन्कार किया गया है और कहा गया कि परिवाद के पैरा सं0-3 लगायत 8 और पैरा सं0-10 उत्तरदाता विपक्षी सं0-1 से सम्बन्धित नहीं है। अगेत्तर कहते हुऐ कि एजुकेशन लौन में पुत्र के साथ परिवादी भी सहऋणी था इस कारण से पालिसी की किश्तों की राशि परिवादी के खाते से विपक्षी सं0-1 ने काटी थी और उत्तरदाता विपक्षी सं0-1 के विरूद्ध परिवादी को वाद हेतुक उत्पन्न नहीं हुआ, परिवाद को सव्यय खारिज किऐ जाने की प्रार्थना की।
- विपक्षी सं0-2 और 3 ने प्रतिवाद पत्र कागज सं0-14/1 लगायत 14/8 प्रस्तुत किया जिसमें विपक्षी सं0-1 से सम्बन्धित परिवाद कथनों से अनभिज्ञता जाहिर करते हुऐ अपने से सम्बन्धित परिवाद कथनों को असत्य बताया गया और उनसे इन्कार किया गया। विशेष कथनों में कहा गया कि परिवादी ने बीमा सम्बन्धी जो प्रपत्र प्रस्तुत किऐ हैं उनके अनुसार बीमा विपक्षी सं0-1 ने यूनाईटेड इण्डिया इंश्योरेंस कम्पनी के बंगलौर कार्यालय से जारी कराया है। विपक्षी सं0-2 एवं विपक्षी सं0-3 को अनावश्यक पक्षकार बनाया गया है। बंगलौर कार्यालय को परिवादी ने पक्षकार नहीं बनाया। उत्तरदाता विपक्षी सं0-2 व 3 का कोई एजेन्ट मुरादाबाद में नियुक्त नहीं है। दिनांक 30/1/2012 को परिवादी ने अपने पुत्र की मृत्यु की कोई सूचना उत्तरदाताओं को नहीं दी और उनके समक्ष कथित रूप से कोई बीमा दावा भी प्रस्तुत नहीं किया। अग्रेत्तर यह भी कहा गया कि परिवाद कथनों के अनुसार दुर्घटना में मृत्यु होने पर 3,50,000/- रूपया हेतु परिवादी के पुत्र का बीमा विपक्षी सं0-1 द्वारा करवाया गया था। परिवादी के पुत्र की मृत्यु आत्म हत्या की वजह से हुई थी दुर्घटना में उसकी मृत्यु नहीं हुई ऐसी दशा में परिवादी कोई क्लेम पाने का अधिकारी नहीं है। अग्रेत्तर यह कहते हुऐ कि बीमा पालिसी की शर्तों के अनुसार परिवादी ने पुत्र की मृत्यु की सूचना बीमा कार्यालय को नहीं दी इस दृष्टि से भी परिवादी कोई अनुतोष पाने का अधिकारी नहीं है। उक्त कथनों के आधार पर और अग्रेत्तर यह कहते हुऐ कि परिवाद कालबाधित है तथा इस फोरम को परिवाद की सुनवाई का क्षेत्राधिकार नहीं है, परिवाद सव्यय खारिज किऐ जाने की प्रार्थना की गई।
- विपक्षी सं0-4 जिसे परिवादी ने दिनांक 15/3/1016 को पक्षकार बनाया है, ने अपना प्रतिवाद पत्र कागज स0-19/2 लगायत 19/7 दाखिल किया जिसमें विपक्षी सं0-4 ने वहीं कथन किऐ जो विपक्षी सं0-2 व 3 ने अपने प्रतिवाद पत्र में किऐ हैं। विपक्षी सं0-4 की ओर से अग्रेत्तर परिवाद कानूनन पोषणीय न होना बताते हुऐ परिवाद को खारिजकिऐ जाने की प्रार्थना की।
- परिवादी ने अपना साक्ष्य शपथ पत्र कागज सं0-21/1 लगायत 21/5 दाखिल किया जिसके साथ उसने बतौर संलग्नक उन प्रपत्रों की फोटो प्रतियां दाखिल की जो पूर्व में वह सूची कागज सं0-3/7 के माध्यम से दाखिल कर चुका है।
- विपक्षी सं0-2 लगायत 4 की ओर से यूनाईटेड इण्डिया इंश्योरेंस कम्पनी लिमिटेड के सिविल लाइन्स, मुरादाबाद स्थित मण्डलीय कार्यालय के उपप्रबन्धक श्री टेकचन्द पाहुजा का साक्ष्य शपथ पत्र कागज सं0-22/1 लगायत 22/5 दाखिल हुआ जिसके साथ बीमा पालिसी और उसकी शर्तों की नकल बतौर संलग्नक दाखिल की गई, यह संलग्न पत्रावली के कागज सं0-22/6 लगायत 22/22 है। विपक्षी सं0-1 की ओर से साक्ष्य शपथ पत्र दाखिल नहीं किया गया।
- परिवादी ने सूची कागज सं0-24/1 के माध्यम से अपने पुत्र टीकेन्द्र सिंह की लाश के पंचनामें, पोस्टमार्टम रिपोर्ट, सी0जे0एम0 गाजियाबाद द्वारा टीकेन्द्र सिंह की मृत्यु के मामले में पारित आदेश दिनांक 23/7/2016 तथा अपर सत्र न्यायाधीश, गाजियाबाद द्वारा क्रिमिनल रिवीजन सं0-248/2013 में पारित आदेश दिनांक 13/1/2014 की प्रमाणित प्रतियों को दाखिल किया गया है, यह प्रपत्र पत्रावली के कागज सं0-24/2 लगायत 24/11 हैं।
- परिवादी ने लिखित बहस दाखिल की। विपक्षीगण की ओर से लिखित बहस दाखिल नहीं की गई।
- हमने पक्षकारों के विद्वान अधिवक्तागण के तर्कों को सुना और पत्रावली का अवलोकन किया।
- पत्रावली पर उपलब्ध अभिलेखों से प्रकट है कि परिवादी के पुत्र स्व0 टीकेन्द्र सिंह को उसके जीवनकाल में विपक्षी सं0-1 ने 3,50,000/- रूपये का एजुकेशन लौन स्वीकृत किया था, एजूकेशन लौन में परिवादी भी सहऋणी था। परिवादी का पुत्र अमोगा इंस्टीट्यूट आफ प्रोफेशनल एण्ड टैक्नीकल एजूकेशन मुराद नगर गाजियाबाद में बी0एस0सी0 नर्सिंग का छात्र था वह इंस्टीट्यूट के हास्टल में रहता था। दिनांक 18/19 जनवरी, 2012 की मध्य रात्रि में हास्टल के कमरे में ही टीकेन्द्र सिंह की मृत्यु हो गई उसका शव कमरे में रस्सी के सहारे लटका हुआ मिला था। टीकेन्द्र सिंह का 3,50,000/-रूपये का बीमा था जो विपक्षी सं0-4 द्वारा किया गया था जैसा कि बीमा सर्टिफिकेट की नकल कागज सं0-22/6 से प्रकट है।
- परिवादी के विद्वान अधिवक्ता का तर्क है कि उसके पुत्र की हत्या की गई थी और आत्म हत्या दर्शाने के उद्देश्य से हत्या के बाद उसके शव को अभियुक्तों ने रस्सी के सहारे लटकाया था। परिवादी के विद्वान अधिवक्ता ने परिवादी के साक्ष्य शपथ पत्र कागज सं0-21/1 लगायत 21/5 के पैरा सं0-8 और पैरा सं0-9 तथा प्रपत्र कागज सं0- 21/11 और 3/16 व 3।17 की ओर हमारा ध्यान आकर्षित करते हुऐ कहा कि टीकेन्द्र सिंह की मृत्यु की उसने विपक्षीगण को सूचना दिनांक 30/1/2012 को दे दी थी और दिनांक 6/3/2012 को उसने विपक्षी सं0-3 एवं विपक्षी सं0-4 को बीमा दावा भिजवा दिया था। परिवादी -के विद्वान अधिवक्ता का तर्क है कि जानबूझकर क्लेम राशि हड़पने के उद्देश्य से विपक्षीगण उसके दावे का निस्तारण नहीं कर रहे हैं उन्होंने यह भी कहा कि बीमा किऐ जाते समय परिवादी को यह बताया गया था कि टीकेन्द्र सिंह की एक्सीडेन्ट में मृत्यु हो जाने पर बीमा के 15,00,000/- रूपया प्राप्त होगें उन्होने परिवाद में अनुरोधित अनुतोष स्वीकार किऐ जाने की प्रार्थना की।
- विपक्षी स0-2 लगायत 4 के विद्वान अधिवक्ता ने बीमा पालिसी की नकल कागज सं0-22/6 की ओर हमारा ध्यान आकर्षित करते हुऐ कथन किया कि यह बीमा पालिसी विपक्षी सं0-4 द्वारा जारी की गई थी और विपक्षी सं0-4 का कार्यालय बंगलौर में स्थित है। उनका कथन है कि परिवादी की ओर से ऐसा कोई अभिलेख दाखिल नहीं किया गया जिससे यह प्रकट हो कि बीमा पालिसी की शर्तों के अनुसार परिवादी ने टीकेन्द्र सिंह की मृत्यु की सूचना विपक्षी सं0-4 को तत्काल दे दी थी और उसकी मृत्यु के 30 दिन के भीतर विपक्षी सं0-4 के समक्ष क्लेम प्रस्तुत कर दिया था। बीमा पालिसी की शर्तें पत्रावली के कागज सं0-22/7 लगायत 22/22 पर दृष्टव्य हैं। पत्रावली में अवस्थित कागज सं0-22/18 पर बीमा पालिसी की शर्तों में यह उल्लेख है कि पालिसी नम्बर सहित नुकसान और उसकी प्रकृति की तत्काल सूचना बीमा पालिसी जारी करने वाले कार्यालय को दी जानी चाहिए और 30 दिवस के भीतर उक्त कार्यालय के समक्ष बीमा दावा प्रस्तुत कर दिया जाना चाहिए। विपक्षीगण सं0-2 लगायत 4 के विद्वान अधिवक्ता का यह भी तर्क है कि टीकेन्द्र सिंह ने अभिकथित रूप से आत्महत्या की थीं। उसकी हत्या हुई थी ऐसा कोई प्रमाण पत्रावली पर उपलब्ध नहीं है। उनका अग्रेत्तर तर्क है कि पालिसी की शर्तों के अनुसार बीमित द्वारा आत्म हत्या किऐ जाने की दशा मे बीमित राशि देय नहीं होगी। उन्होंने विपक्षी सं0-2 एवं विपक्षी सं0-3 को अनावश्यक रूप से पक्षकार बनाऐ जाने और इस फोरम को सुनवाई का क्षेत्राधिकार न होने के भी कथन किऐ हैं। विपक्षी सं0-2 लगायत 4 की ओर से परिवाद को विशेष व्यय सहित खारिज किऐ जाने की प्रार्थना की गई।
- स्वीकृत रूप से प्रश्नगत बीमा पालिसी विपक्षी सं0-1 के माध्यम से विपक्षी सं0-4 द्वारा जारी की गई थी। विपक्षी सं0-1 मुरादाबाद में स्थित है। उपभोक्ता संरक्षण अधिनियम,1986 की धारा-11 (2) (बी.) की व्यवस्थानुसार इस फोरम को परिवाद की सुनवाई का क्षेत्राधिकार है।
- बीमा पालिसी की नकल के अवलोकन से प्रकट है कि मृतक टीकेन्द्र सिंह और उसके पिता के रूप में परिवादी का 3,50,000/-रूपये का बीमा था। बीमा पालिसी में ऐसा उल्लेख नहीं है कि टीकेन्द्र सिंह की एक्सीडेन्ट में मृत्यु हो जाने पर बीमा के 15,00,000/- रूपया बीमा कम्पनी देगी। ऐसी दशा में परिवादी द्वारा परिवाद के पैरा सं0-3 में किया गया तत्सम्बन्धी कथन स्वीकार किऐ जाने योग्य नहीं है। स्वीकृत रूप से परिवादी के पुत्र की मृत्यु दिनांक 19/1/2012 को हुई थी। परिवाद के पैरा सं0-9 के अनुसार वर्ष 2015 में आर0टी0आई0 के माध्यम से प्रश्नगत बीमा पालिसी की फोटो प्रति उसे विपक्षी सं0-1 ने उपलब्ध कराई थी। प्रकट है कि बीमा पालिसी की नकल प्राप्त होने से पूर्व परिवादी को स्वयं भी यह पता नहीं था कि उसके पुत्र की बीमा पालिसी विपक्षी सं0-4 के कार्यालय से जारी हुई है क्योंकि यदि परिवादी को उक्त बात पता होती तो वह विपक्षी सं0-4 को परिवाद योजित करते समय ही परिवाद में पक्षकार बनाता। परिवाद पत्र के अवलोकन से प्रकट है कि परिवादी ने विपक्षी सं0-4 को परिवाद में पक्षकार तब बनाया जब विपक्षी सं0-2 व विपक्षी सं0-3 ने अपने प्रतिवाद पत्र के पैरा सं0-17 में यह कथन किया कि प्रश्नगत बीमा पालिसी यूनाईटेड इडिया इंश्योरेंस कम्पनी के बंगलौर कार्यालय से जारी हुई थी। जब परिवाद योजित किऐ जाने के समय अर्थात् दिनांक 03/6/2015 तक परिवादी को यह पता ही नहीं था कि पालिसी बीमा कम्पनी के बंगलौर कार्यालय से जारी हुई है तब बीमा पालिसी में ‘’ Notice of Claim ‘’ में उल्लिखित शर्तों (पत्रावली का कागज सं0-22/18) का परिवादी द्वारा अनुपालन किऐ जाने का प्रश्न ही नहीं था। क्लेम फार्म कागज सं0-3/16 व 3/17 तथा पुत्र की मृत्यु की सूचना कागज सं0-21/11 के सन्दर्भ में परिवादी द्वारा अपने साक्ष्य शपथ पत्र के पैरा सं0-8 एवं पैरा सं0-9 में किऐ गऐ कथन प्रमाणित नहीं होते। प्रकटत: मृत्यु की सूचना देने एवं क्लेम प्रस्तुत करने विषयक बीमा पालिसी में उल्लिखित शर्तों का उल्लंघन हुआ है।
- परिवादी के पुत्र की मृत्यु के सम्बन्ध में न्यायालय के आदेश से थाना मुराद नगर जिला गाजियाबाद पर दर्ज एफ0आई0आर0 की प्रमाणित प्रति पत्रावली का कागज सं0-5/5 लगायत 5/7 है। यधपि एफ0आई0आर0 में परिवादी ने यह लिखाया है कि इंस्टीट्यूट के डायरेक्टर और उसकी पत्निी ने टीकेन्द्र सिहं की साजिशन हत्या की थी और इस हत्या को उन्होंने अपने प्रभाव से आत्म हत्या दर्शित करा दिया, किन्तु अब तक भी टीकेन्द्र सिंह की मृत्यु हत्या थी अथवा आत्म हत्या थी यह प्रथम दृष्टया भी उजागर नहीं हो पाया है क्योंकि परिवादी ने अपनी लिखित बहस कागज सं0-25/1 लगायत 25/4 के पैरा सं0-16 में यह स्वीकार कया है कि टीकेन्द्र सिंह की मृत्यु के मामले में विवेचना आज भी जारी है। यह लिखित बहस परिवादी ने दिनांक 2/10/217 को फोरम के समक्ष दाखिल की थी।
- फोरम के समक्ष कार्यवाहियां समरी प्रकृति की होती हैं। टीकेन्द्र सिंह की मृत्यु हुई थी अथवा उसने आत्म हत्या थी इसके अभिनिर्धारण हेतु गहन जांच एवं ढ़ेरों साक्ष्य एवं उसके छिद्रा अन्वेषण की आवश्यकता होगी जो समरी कार्यवाहियों में किया जाना सम्भव नहीं है। इस दृष्टिकोण से भी फोरम के समक्ष यह परिवाद पोषणीय नहीं है।
- उपरोक्त सम्पूर्ण विवेचना के आधार पर हम इस निष्कर्ष पर पहुँचे हैं कि परिवाद खारिज होने योग्य है।
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परिवाद खारिज किया जाता है। (श्रीमती मंजू श्रीवास्तव) (पवन कुमार जैन) सामान्य सदस्य अध्यक्ष - 0उ0फो0-।। मुरादाबाद जि0उ0फो0-।। मुरादाबाद
8.05.2017 8.05.2017 हमारे द्वारा यह निर्णय एवं आदेश आज दिनांक 8.05.2017 को खुले फोरम में हस्ताक्षरित, दिनांकित एवं उद्घोषित किया गया। (श्रीमती मंजू श्रीवास्तव) (पवन कुमार जैन) सामान्य सदस्य अध्यक्ष - 0उ0फो0-।। मुरादाबाद जि0उ0फो0-।। मुरादाबाद
8.05.2017 8.05.2017 न्यायालय जिला उपभोक्ता विवाद प्रतितोष फोरम-।।, मुरादाबाद। परिवाद संख्या- 75/2015 राजाराम बनाम शाखा प्रबन्धक सिंडिकेट बैंक आदि - निर्णय घोषित किया गया। आदेश हुआ कि ‘’ परिवाद खारिज किया जाता है। ‘’
(श्रीमती मंजू श्रीवास्तव) (पवन कुमार जैन) सामान्य सदस्य अध्यक्ष - 0उ0फो0-।। मुरादाबाद जि0उ0फो0-।। मुरादाबाद
8.05.2017 8.05.2017 | |