राज्य उपभोक्ता विवाद प्रतितोष आयोग, उ0प्र0, लखनऊ।
मौखिक
अपील सं0-२३५१/२०१२
(जिला फोरम, फिरोजाबाद द्वारा परिवाद संख्या-१४५/२०१० में पारित प्रश्नगत निर्णय/आदेश दिनांक १३-०९-२०१२ के विरूद्ध)
पवन कुमार वर्मा, ८२, बाई पास रोड, फिरोजाबाद।
............. अपीलार्थी/परिवादी।
बनाम
१. दी ब्रान्च मैनेजर, सिण्डिकेट बैंक, तिलक नगर, फिरोजाबाद-२८३२०३.
२. श्री बसन्त सेठ, चेयरमेन एण्ड एम0डी0-सिण्डिकेट बैंक, मनिपाल-५७६१०४.
३. दी ब्रान्च मैनेजर, सिण्डिकेट बैंक, ४३/२, मनीष ब्लॉक, संजय प्लेस, आगरा-२८२००२.
४. श्री विनोद जैन, ब्रान्च मैनेजर सिण्डिकेट बैंक, ७, बर्तन बाजार, अमरोहा गेट, मुरादाबाद बर्तन बाजार, मुरादाबाद-२४४००१.
५. मै0 चावला एण्ड कम्पनी, सर्विस द्वारा : दी स्वामी/प्रौपराइटर्स, मैनेजर एण्ड/या लर पर्सन इन मैनेजमेण्ट एण्ड कण्ट्रोल, ४२१/३, ट्रान्सपोर्ट नगर के सामने, बाई पास रोड, आगरा।
............. प्रत्यर्थीगण/विपक्षीगण।
समक्ष:-
१- मा0 श्री राजेन्द्र सिंह सदस्य।
२- मा0 श्री सुशील कुमार, सदस्य।
अपीलार्थी की ओर से उपस्थित : श्री ध्रुवेन्द्र प्रताप सिंह विद्वान अधिवक्ता।
प्रत्यर्थी सं0-१ लगायत ४ की ओर से उपस्थित : श्री अनूप कुमार विद्वान अधिवक्ता।
प्रत्यर्थी सं0-५ की ओर से उपस्थित : श्री नितिन खन्ना विद्वान अधिवक्ता।
दिनांक :- १३-११-२०२०.
मा0 श्री राजेन्द्र सिंह सदस्य द्वारा उदघोषित
निर्णय
वर्तमान अपील, जिला फोरम, फिरोजाबाद द्वारा परिवाद संख्या-१४५/२०१० पवन कुमार वर्मा बनाम दी ब्रान्च मैनेजर सिण्डिकेट बैंक व अन्य में पारित प्रश्नगत निर्णय/आदेश दिनांक १३-०९-२०१२ के विरूद्ध उपभोक्ता संरक्षण अधिनियम १९८६ के अन्तर्गत प्रस्तुत की गई है, जिसमें विद्वान जिला फोरम ने परिवाद निरस्त किया और परिवाद व्यय पक्षकारों द्वारा वहन करने को कहा।
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अपीलार्थी का संक्षेप में कथन है कि विद्वान जिला फोरम का आदेश दिनांक १३-०९-२०१२ त्रुटिपूर्ण, वास्तविक तथ्यों से परे, अवैधनिक व मनमाना है जो परिकल्पनाओं और अनुमानों पर आधारित है। विद्वान जिला फोरम ने यह निष्कर्ष दिया कि यह तय करना दुष्कर कार्य है कि अपीलार्थी ने सादे कागजों पर हस्ताक्षर किए जिसे बाद में फार्म का रूप दे दिया गया। विद्वान जिला फोरम ने अपने निष्कर्ष में अपीलार्थी द्वारा वाहन लोन लेने की बात कही है जो गलत है। विद्वान जिला फोरम का यह कहना कि विपक्षी सं0-५ ने छल-कपट और मनमाने तरीके से कथित वाहन Rhino-Rx model, Euro II से नहीं बेचा जो ताज ट्रैपेजियम जोन में प्रतिबन्धित था जबकि विपक्षी को भलीभांति मालूम था कि कथित वाहन का ताज ट्रैपेजियम जोन में उपयोग किया जायेगा। विद्वान जिला फोरम द्वारा यह निष्कर्ष देने में भूल की गई कि विपक्षी सं0-५ Rhino-Rx model, Euro II अपीलार्थी को ८,८०,५४७/- रू० में दे रहा था जबकि क्षेत्र में यह वाहन ०७.०० लाख रू० में प्राप्त था और यह गलत व्यापार प्रक्रिया है। विद्वान जिला फोरम का यह निष्कर्ष भी गलत है कि अपीलार्थी ने कथित वाहन की डिलीवरी लेने के लिए स्वयं द्वारा कोई कदम नहीं उठाया जबकि अपीलार्थी और विपक्षी के बीच दिनांक १९-०४-२०१० को एक करार हुआ था और विपक्षी सं0-५ ने अपीलार्थी को २१-०५-२०१० को एक नोटिस भेजी थी जिसमें उसने स्वयं स्वीकार किया था कि अपीलार्थी वाहन की डिलीवरी लेने आया और विपक्षी सं0-५ द्वारा अतिरिक्त धनराशि की मांग की गई थी। विद्वान जिला फोरम का प्रश्नगत आदेश गलत व विधि विरूद्ध है।
विपक्षी सं0-१ लगायत ४ ने अविधिक रूप से अपीलार्थी को छलने के आशय से Rhino-Rx model, Euro II का लोन स्वीकार किया जो ताज ट्रैपेजियम जोन में प्रतिबन्धित था और जानकारी विपक्षी सं0-१ लगायत ४ के ज्ञान में थी और यह जानकारी विपक्षी सं0-५ के ज्ञान में भी थी। चूँकि विपक्षी पार्टियॉं अपीलार्थी से छल-कपट करना चाहती थीं इसलिए एक हफ्ते के अन्दर सारी औपचारिकताऐं पूण्र करते हुए लोन स्वीकृत कर दिया। यह अपने आप में उनके दुराशय को दर्शाता है। विपक्षी सं0-१ लगायत ४ ने लोन स्वीकृत होने के सम्बन्ध में कोई अभिलेख अपीलार्थी को नहीं दिया
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जबकि उसने बार-बार उनकी मांग की। जब अपीलार्थी को कोई अभिलेख नहीं दिया गया तब उसने विपक्षी सं0-३ को सूचना का अधिकार अधिनियम के अन्तर्गत १५-०२-२०१० को आवेदन किया। विपक्षीगण ने कोई भी अभिलेख जैसे : बीमा, रजिस्ट्रेशन प्रमाण पत्र न तो विद्वान जिला फोरम को दिए और न ही अपीलार्थी को दिए और इसी कारण विद्वान जिला फोरम ने विपक्षी सं0-५ का साक्ष्य समाप्त किया था। विद्वान जिला फोरम का निर्णय क्षेत्राधिकार से परे और मूलभूत विसंगतियों से आच्छादित है, इसलिए निरस्त होने योग्य है। अत: प्रश्नगत निर्णय/आदेश दिनांकित १३-०९-२०१२ जो परिवाद सं0-१४५/२०१० में पारित किया गया है, को निरस्त किया जाय।
हमने अपीलार्थी के विद्वान अधिवक्ता श्री ध्रुवेन्द्र प्रताप सिंह तथा प्रत्यर्थी सं0-०१ लगायत ०४ के विद्वान अधिवक्ता श्री अनूप कुमार एवं प्रत्यर्थी सं0-५ के विद्वान अधिवक्ता श्री नितिन खन्ना के तर्क सुने। पत्रावली पर उपलब्ध सभी अभिलेखों का अवलोकन किया।
विद्वान जिला फोरम ने अपने विस्तृत निर्णय में पक्षकारों के कथनों का संक्षिप्त विवरण दिया है। विद्वान फोरम ने यह कहा कि परिवादी का कथन है कि उसने सादे कागजों पर हस्ताक्षर किए थे जिसे बाद में फार्म का रूप दे दिया गया। अपीलार्थी ने अपनी अपील के पैरा-५ में यह लिखा है कि जिस समय वह वाहन के लोन के लिए बैंक गया था उस समय वाहन की कीमत बैंक में ८,८०,५४७/- रू० बताई गई थी जबकि यह क्षेत्र में ०७.०० लाख रू० में सहज ही प्राप्त थी। बैंक में जब कोई व्यक्ति लोन लेने जाता है तब वह वाहन का कुटेशन जो डीलर अपने मुख्यालय से मंगाकर देता है, को प्रस्तुत करता है और लोन के लिए आवेदन पत्र भरकर देता है और उसके पश्चात् बैंक तथ्यों का सत्यापन करता है तब बैंक लोन स्वीकृत करता है। अपीलार्थी का यह कथन है कि उसने सादे कागजों पर हस्ताक्षर किए थे, जिसे बाद में फार्म का रूप दे दिया गया। आवेदक पवन कुमार वर्मा, मै0 श्रीनाथ ग्लास इण्डस्ट्रीज फिरोजाबाद का मालिक/स्वामी है और इसका किसी बैंक में चालू खाता न हो, सम्भव नहीं है। यह भी सम्भव नहीं है कि इसे वाहन लोन के सम्बन्ध में कोई जानकारी न हो। वाहन लेने के समय तरह-तरह के वाहन
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का निरीक्षण किया जाता है ओर उसके मूल्य के बारे में भी जांच की जाती है। उपरोक्त वाहन के फिरोजाबाद में क्या एक से अधिक डीलर उस समय थे, इस सम्बन्ध में अपीलार्थी ने कोई साक्ष्य नहीं दिया। आमतौर पर छोटे जिलों में किसी विशेष वाहन का एक या दो डीलर होते हैं और यह कहना कि क्षेत्र में ०७.०० लाख रू० में वाहन आसानी से प्राप्त था, जबकि वाहन का लोन ८,८०,५४७/- रू० के लिए स्वीकृत हुआ, इस सम्बन्ध में अपीलार्थी की ओर से किसी भी डीलर का इस वाहन के मूल्य सम्बन्धी ऐसा कोई कुटेशन नहीं दिया गया जिससे यह निष्कर्ष निकलता कि वाहन उस समय ०७.०० लाख रू० में क्षेत्र में आसानी से प्राप्त था।
अपीलार्थी और वाहन विक्रेता के बीच एक सुलह भी हुई थी जिसमें यह कहा गया कि वह राइनों आर एक्स की जगह राइनो आर एक्स-डिलाइट (नया मॉडल) प्रदान करेगा जिसके बदले में कोई अतिरिक्त राशि का भुगतान नहीं होगा। यह सुलहनामा दिनांक १९-०४-२०१० का लिखा हुआ है और इसके पश्चात् दिनांक २१-०५-२०१० को चावला इण्टरनेशनल की ओर से अपीलार्थी पवन कुमार वर्मा को एक पत्र भेजा गया जिसमें उसने कहा है कि आप और हमारे बीच दिनांक १९-०४-२०१० को एक समझौता हुआ और अपीलार्थी की इच्छा के अनुसार राइनो आर एक्स-डिलाइट (नया मॉडल) मंगाकर शो-रूम पर खड़ा कर दिया गया है और इस सम्बन्ध में आपको दिनांक ०३-०५-२०१० को सूचित किया गया था तथा आप दिनांक १३-०५-२०१० को आ कर गाड़ी चलाकर, उसके फीचर्स देख चुके हैं तथा आपको गाड़ी पसन्द आयी और आपने अगले दो दिन बाद गाड़ी ले जाने के लिए कहा किन्तु आप नहीं आए। अत: आपसे अनुरोध है कि आप तत्काल शो-रूम पर उपस्थित होकर अपनी गाड़ी ले जाऐं।
अपीलार्थी का मुख्य कथन यही है कि विद्वान जिला फोरम ने यह निष्कर्ष देने में गलती की है कि सादे कागजों पर हस्ताक्षर नहीं कराए गए थे। अपीलार्थी ने यह माना है कि उसने बैंक जा कर लोन के कागजों पर हस्ताक्षर किए थे। अगर कागज सादे थे तब उसने हस्ताक्षर क्यों किए, इसका कोई स्पष्टीकरण नहीं दिया गया है। जब लोन के आवेदन पत्र पर अपीलार्थी के हस्ताक्षर मौजूद हैं तब यह विश्वास किया जाएगा कि
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अपीलार्थी ने वाहन लोन सम्बन्धी कागजों पर ही हस्ताक्षर किए थे। जब अपीलार्थी ने वाहन कुटेशन ले कर बैंक में दिया है और लोन के लिए एक नया चालू खाता खुलवाया है तब यह कैसे कहा जा सकता है कि उसके साथ छल-कपट हो रहा है। वाहन मूल्य के अन्तर हेतु कोई भी कोई अभिलेख ऐसा नहीं है जिससे यह निष्कर्ष निकलता कि वाहन को उसके अंकित खुदरा मूल्य से बहुत ज्यादा बढ़ा कर बेचा गया है। अपीलार्थी ने सुलह होना स्वयं स्वीकार किया है और जब नया वाहन आ गया तब उसकी डिलीवरी न लेना विपक्षी द्वारा सेवा में कमी को नहीं दर्शाता। विपक्षी ने अपीलार्थी की बातों का मान रखते हुए उसे नये मॉडल का वाहन देने पर तैयार हुआ और अपीलार्थी ने नये मॉडल का परीक्षण भी किया और फिर उसे लेने नहीं गया तब इसे किस प्रकार विपक्षी द्वारा सेवा में कमी किया जाना कहा जा सकता है।
इस प्रकार पत्रावली पर उपलब्ध समस्त साक्ष्यों से यह स्पष्ट होता है कि विद्वान जिला फोरम का प्रश्नगत निर्णय/आदेश दिनांकित १३-०९-२०१२ विधि सम्मत है और उसमें किसी हस्तक्षेप की आवश्यकता नहीं समझती है। तद्नुसार अपीलार्थी की यह अपील निरस्त किए जाने योग्य है।
आदेश
अपील निरस्त की जाती है।
अपील व्यय उभय पक्ष पर।
उभय पक्ष को इस निर्णय की प्रमाणित प्रति नियमानुसार उपलब्ध करायी जाय।
(सुशील कुमार) (राजेन्द्र सिंह)
सदस्य सदस्य
निर्णय आज खुले न्यायालय में हस्ताक्षरित, दिनांकित होकर उद्घोषित किया गया।
(सुशील कुमार) (राजेन्द्र सिंह)
सदस्य सदस्य
प्रमोद कुमार,
वैय0सहा0ग्रेड-१,
कोर्ट-२.