Uttar Pradesh

StateCommission

C/2011/80

M/s A V Concast Ltd - Complainant(s)

Versus

Syndicate Bank - Opp.Party(s)

Prashant Kumar

07 Jan 2016

ORDER

STATE CONSUMER DISPUTES REDRESSAL COMMISSION, UP
C-1 Vikrant Khand 1 (Near Shaheed Path), Gomti Nagar Lucknow-226010
 
Complaint Case No. C/2011/80
 
1. M/s A V Concast Ltd
a
...........Complainant(s)
Versus
1. Syndicate Bank
a
............Opp.Party(s)
 
BEFORE: 
 HON'BLE MR. Udai Shanker Awasthi PRESIDING MEMBER
 
For the Complainant:
For the Opp. Party:
ORDER

राज्‍य उपभोक्‍ता विवाद प्रतितोष आयोग, उ0प्र0, लखनऊ।

मौखिक

परिवाद सं0-८०/२०११

 

मै0 ए.वी. कॉन्‍कास्‍ट लिमिटेड, ७.५ कि.मी., देहरादून रोड, छज्‍जपुरा, सहारनपुर।

                                             .....................       परिवादी।

बनाम्

१. सिण्डिकेट बैंक, क्‍लॉक टावर ब्रान्‍च, सहारनपुर।

२. कुशल पाल सिंह पुत्र श्री अतर सिंह निवासी ४४, मिसन कम्‍पाउण्‍ड, सहारनपुर।

३. मै0 गीता फैरो केम.लि. रजिस्‍टर्ड कार्यालय एन-२/७१(बी), आईआरसी, ग्राम नयापाली, भुवनेश्‍वर, हैड आफिस शक्ति फिलिंग स्‍टेशन के पीछे, दिल्‍ली रोड, सहारनपुर, द्वारा डायरेक्‍टर्स।

४. श्रीमती इन्‍दू राना पत्‍नी श्री कुशल पाल सिंह निवासी ४४, मिसन कम्‍पाउण्‍ड, सहारनपुर।

५. महावीर सिंह राना पुत्र स्‍व0 भवँर सिंह निवासी १८, मिसन कम्‍पाउण्‍ड, सहारनपुर।

                                              ....................     विपक्षीगण।

समक्ष:-

१-  मा0 उदय शंकर अवस्‍थी, पीठासीन सदस्‍य।

२-  मा0 श्री महेश चन्‍द, सदस्‍य।

 

परिवादी की ओर से उपस्थित              :- कोई नहीं।

विपक्षी सं0-१ की ओर से उपस्थित          :- श्री जी0एस0 मिश्रा विद्वान अधिवक्‍ता।

विपक्षी सं0-२ लगायत ५ की ओर से उपस्थित :- कोई नहीं।

 

दिनांक : १८-०३-२०१६.

 

मा0 श्री उदय शंकर अवस्‍थी, पीठासीन सदस्‍य द्वारा उदघोषित

निर्णय

      आज पत्रावली प्रस्‍तुत हुई। परिवादी की ओर की ओर से कोई उपस्थित नहीं है। विपक्षी सं0-१ सिण्डिकेट बैंक की ओर से विद्वान अधिवक्‍ता श्री जी0एस0 मिश्रा उपस्थित हैं। उनके द्वारा प्रारम्भिक आपत्ति दाखिल की जा चुकी है। विपक्षी       सं0-२ लगायत ५ की ओर से कोई उपस्थित नहीं है। यह परिवाद वर्ष २०११ से लम्बित है। विपक्षी सं0-१ बैंक के विद्वान अधिवक्‍ता श्री जी0एस0 मिश्रा के तर्क सुने गये तथा पत्रावली का अवलोकन किया गया।  

      अधिवक्‍ता विपक्षी सं0-१ श्री जी0ए0 मिश्रा द्वारा तर्क प्रस्‍तुत किया गया कि विपक्षी बैंक द्वारा परिवादी से बकाया ऋण की बसूली के सन्‍दर्भ में सरफेसी एक्‍ट की

 

 

 

-२-

धारा-१३(२) के अन्‍तर्गत नोटिस दी गयी, जिसे स्‍वयं परिवादी ने परिवाद के साथ संलग्‍नक-३ के रूप में दाखिल किया है तथा परिवाद में परिवादी ने यह अनुतोष चाहा है कि विपक्षी बैंक को निर्देशित किया जाय कि परिवादी के विरूद्ध को उत्‍पीड़नात्‍मक कार्यवाही न की जाय तथा ७५.०० लाख रू० क्षतिपूर्ति की भी मागं की है। उनके द्वारा यह तर्क भी प्रस्‍तुत किया गया कि परिवादी सरफेसी एक्‍ट की धारा-१७ के अन्‍तर्गत ऋण बसूली अधिकरण के समक्ष अपना आवेदन प्रस्‍तुत कर सकता है। सरफेसी एक्‍ट की धारा-३४ के अन्‍तर्गत परिवाद उपभोक्‍ता मंच में पोषणीय नहीं माना जा सकता।

माननीय राष्‍ट्रीय आयोग द्वारा पुनरीक्षण याचिका सं0-९९५/२०१२, हरिनन्‍दन प्रसाद बनाम स्‍टेट बैंक आफ इण्डिया में पारित निर्णय दिनांकित ३१-०५-२०१२, २०१३(१) सीपीसी १७६ (एनसी) में सरफेसी एक्‍ट की धारा-३४ पर विचार करते हुए यह निर्णीत किया गया है कि सरफेसी एक्‍ट के अन्‍तर्गत कार्यवाही किए जाने के उपरान्‍त उपभोक्‍ता मंच में परिवाद पोषणीय नहीं होगा। ऐसी स्थिति में इस मामले में  राज्‍य आयोग द्वारा परिवाद निरस्‍त किया गया। राज्‍य आयोग द्वारा पारित आदेश की पुष्टि माननीय राष्‍ट्रीय आयोग द्वारा की गयी।

पुनरीक्षण सं0-१६५३/२०१३ इण्डियाबुल्‍स हाउसिंग फाइनेंस बनाम हरदयाल सिंह में दिये गये निर्णय दिनांक २५-११-२०१३ में सिविल अपील सं0-१३५९/२०१३ यशवन्‍त घेसास बनाम बैंक आफ महाराष्‍ट्र के मामले में माननीय उच्‍चतम न्‍यायालय द्वारा दिये गये निर्णय दिनांक ०१-०३-२०१३ पर विचार करते हुए माननीय राष्‍ट्रीय आयोग द्वारा यह निर्णीत किया गया कि सरफेसी एक्‍ट की धारा-३४ के अन्‍तर्गत उपभोक्‍ता मंच का क्षेत्राधिकार सरफेसी एक्‍ट के अन्‍तर्गत कार्यवाही लम्बित रहने की स्थिति में प्रतिबन्धित किया गया है।     

ऐसी परिस्थिति में हमारे विचार से उपरोक्‍त वर्णित निर्णयों/विधि व्‍यवस्‍थाओं के परिप्रेक्ष्‍य में प्रश्‍नगत परिवाद उपभोक्‍ता मंच के समक्ष पोषणीय नहीं है। उपरोक्‍त अधिनियम के अन्‍तर्गत की जा रही कार्यवाही को निष्‍प्रभावी करने के उद्देश्‍य से वस्‍तुत: परिवाद योजित किया गया। हमारे विचार से प्रश्‍नगत परिवाद पोषणीय न होने के कारण

 

 

-३-

निरस्‍त होने योग्‍य है।

आदेश

            प्रस्‍तुत परिवाद निरस्‍त किया जाता है।

इस परिवाद के व्‍यय-भार के सम्‍बन्‍ध में कोई आदेश पारित नहीं किया जा रहा है।

पक्षकारों को इस निर्णय की प्रमाणित प्रतिलिपि नियमानुसार उपलब्‍ध करायी जाय।             

 

                                               (उदय शंकर अवस्‍थी)

                                                 पीठासीन सदस्‍य

 

                                                  (महेश चन्‍द)

                                                     सदस्‍य

 

 

 

                                                                    

प्रमोद कुमार

वैय0सहा0ग्रेड-१,

कोर्ट-५.

 

 

 

 

 

 
 
[HON'BLE MR. Udai Shanker Awasthi]
PRESIDING MEMBER

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