राज्य उपभोक्ता विवाद प्रतितोष आयोग, उ0प्र0, लखनऊ।
मौखिक
अपील संख्या-2131/2013
(जिला उपभोक्ता फोरम, मेरठ द्वारा परिवाद संख्या 268/2012 में पारित निर्णय दिनांक 19.08.13 के विरूद्ध)
कृष्णपाल सिंह पुत्र स्व0 श्री खड़क सिंह, निवासी ग्राम मामेपुर, डा0
रजपुरा, तहसील व जिला मेरठ। .........अपीलार्थी/परिवादी
बनाम्
सिन्डीकेट बैंक द्वारा शाखा प्रबंधक, इन्द्र सिंह मैथना, दौराला ब्लॉक,
जिला मेरठ। ........प्रत्यर्थी/विपक्षी
समक्ष:-
1. मा0 श्री राज कमल गुप्ता, पीठासीन सदस्य।
2. मा0 श्री महेश चन्द, सदस्य।
अपीलार्थी की ओर से उपस्थित : श्री नवीन कुमार तिवारी, विद्वान अधिवक्ता।
प्रत्यर्थी की ओर से उपस्थित :कोई नहीं।
दिनांक 27.07.2017
मा0 श्री राज कमल गुप्ता, पीठासीन सदस्य द्वारा उदघोषित
निर्णय
प्रस्तुत अपील जिला उपभोक्ता विवाद प्रतितोष फोरम मेरठ द्वारा परिवाद संख्या 268/2012 में पारित प्रश्नगत निर्णय एवं आदेश दि. 19.08.2013 के विरूद्ध प्रस्तुत की गई है। जिला मंच ने अपने आदेश के अंतर्गत परिवाद को निरस्त किया है।
संक्षेप में तथ्य इस प्रकार है कि परिवादी ने पूर्व में रू. 200000/- का ऋण 5 वर्षों के लिए लिया था, जिसका भुगतान दो वर्ष में कर दिया। परिवादी ने दिसम्बर 2011 में तीन लाख रूपये ऋण हेतु जिला कल्याण एवं पुनर्वास कार्यालय में प्रार्थना पत्र दिया। भूतपूर्व सैनिको को बिना जमानत के दस लाख रूपये तक का ऋण दिए जाने का प्रावधान है। परिवादी को कथित ऋण दिये जाने की स्वीकृति दे दी गई। विपक्षी ने ऋण की धनराशि परिवादी के खाते में ट्रान्सफर करने का वायदा किया, परन्तु बार-बार चक्कर काटने एवं समस्त औपचारिकताएं पूरी करने के बावजूद भी ऋण धनराशि देने से मना कर दिया। परिवादी ने इस हेतु कई पत्र दिए, लेकिन विपक्षी ने कोई महत्व नहीं दिया।
पीठ ने अपीलार्थी के विद्वान अधिवक्ता की बहस को सुना तथा पत्रावली पर उपलब्ध अभिलेखों एवं साक्ष्यों का भलीभांति परिशीलन किया। प्रत्यर्थी की ओर से कोई उपस्थित नहीं है।
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जिला मंच ने अपने निर्णय में यह पाया है कि परिवादी का ऋण प्रार्थना पत्र इस कारण वापस किया गया कि गांव मामेपुर विपक्षी बैंक की सर्विस परिधि के अंतर्गत नहीं आता है, बल्कि गांव मामेपुर सर्विस एरिया अप्रोच यूनियन बैंक आफ इंडिया, शाखा रजापुर, मेरठ के अंतर्गत आता है। ऋण प्रार्थना पत्र की वापसी में देरी विधिक सलाहकार के कारण हुई।
यह सर्वविदित है कि बैंक एक वित्तीय संगठन होते हैं जो निर्धारित प्रक्रिया के अंतर्गत ऋण उपलब्ध कराते हैं। केवल ऋण प्रार्थना पत्र प्रस्तुत कर देने मात्र से ही बैंक ऋण देने के लिए बाध्य नहीं है।
केस के तथ्य परिस्थितियों के आधार पर हम यह पाते हैं कि जिला मंच ने अपना निर्णय साक्ष्यों की पूर्ण विवेचना करते हुए दिया है, जो कि विधिसम्मत है। हम उसमें किसी हस्तक्षेप की आवश्यकता नहीं पाते हैं। तदनुसार अपील निरस्त किए जाने योग्य है।
आदेश
प्रस्तुत अपील निरस्त की जाती है।
पक्षकारान अपना-अपना अपीलीय व्यय स्वयं वहन करेंगे।
(राज कमल गुप्ता) (महेश चन्द)
पीठासीन सदस्य सदस्य
राकेश, आशुलिपिक
कोर्ट-5