(मौखिक)
राज्य उपभोक्ता विवाद प्रतितोष आयोग, उ0प्र0, लखनऊ
अपील संख्या-2973/2006
अविनाश जौहरी पुत्र श्री महावीर प्रसाद जौहरी
बनाम
मुख्य प्रबंधक सिन्डीकेट बैंक व अन्य
समक्ष:-
1. माननीय श्री सुशील कुमार, सदस्य।
2. माननीय श्रीमती सुधा उपाध्याय, सदस्य।
उपस्थिति:-
अपीलार्थी की ओर से उपस्थित: श्री अरूण टण्डन, विद्धान अधिवक्ता
प्रत्यर्थी की ओर से उपस्थित: कोई नहीं
दिनांक :22.09.2023
माननीय श्री सुशील कुमार, सदस्य द्वारा उदघोषित
निर्णय
1. परिवाद संख्या-41/2005, अविनाश जौहरी बनाम मुख्य प्रबंधक सिन्डीकेट बैंक व अन्य विद्वान जिला आयोग, (द्वितीय) मुरादाबाद द्वारा पारित प्रश्नगत निर्णय/आदेश दिनांक 25.09.2006 के विरूद्ध प्रस्तुत की गयी अपील पर केवल अपीलार्थी के विद्धान अधिवक्ता को सुना गया। प्रत्यर्थी की ओर से कोई उपस्थित नहीं है। निर्णय/आदेश एवं पत्रावली का अवलोन किया गया।
2. अपीलार्थी/परिवादी द्वारा यह दावा किया गया है कि बैंक द्वारा 8.5 प्रतिशत वार्षिक ब्याज की दर से ब्याज वसूलना चाहता था, परंतु जिला उपभोक्ता मंच द्वारा यह निष्कर्ष दिया गया है कि जिस अवधि के दौरान रिजर्व बैंक आफ इंडिया के सर्कुलर के अनुसार 8.5 प्रतिशत वार्षिक ब्याज रहा है। उस अवधि में बैंक द्वारा 8.5 प्रतिशत ब्याज ही दिया गया है और अपीलार्थी/परिवादी के खाते में परिवर्तित ब्याज के अनुसार पूर्व में अधिक ली गयी राशि अंकन 817/-रू0 वापस जमा कर दी गयी है, इसलिए बैंक द्वारा सेवा में कोई कमी नहीं की गयी है। इस निष्कर्ष के विपरीत निष्कर्ष देने का कोई आधार इस पीठ के समक्ष प्रकट नहीं किया गया है, जिस अवधि में 8.5 प्रतिशत ब्याज देय था, उस अवधि में इसी दर से ब्याज अधिरोपित करने का निष्कर्ष दिया गया है। यह स्थिति स्वयं अपीलार्थी के विद्धान अधिवक्ता को भी स्वीकार है कि ऋण प्रदान करते समय 12.75 प्रतिशत प्रतिवर्ष की दर से ब्याज देना तय हुआ था। इसके पश्चात सर्कुलर सं0 107/2003 जारी किया गया, यानि ऋण दिनांक 18.10.1994 को लिया गया और यह सर्कुलर वर्ष 2003 में जारी हुआ, यानि वर्ष 1994 से 2003 तक 12.75 प्रतिशत प्रतिवर्ष की दर से ही ब्याज की देयता बनी रही। वर्ष 2003 से पूर्व ब्याज की दर में रिजर्व बैंक आफ इंडिया द्वारा कोई कटौती की गयी हो, इस तथ्य का कोई सबूत न तो जिला उपभोक्ता मंच के समक्ष प्रस्तुत किया गया है न ही इस बेंच के समक्ष प्रस्तुत किया गया है, इसलिए जिला उपभोक्ता मंच द्वारा पारित किया गया निर्णय/आदेश को परिवर्तित करने का कोई आधार नहीं है।
आदेश
अपील खारिज की जाती है।
उभय पक्ष अपना-अपना व्यय भार स्वंय वहन करेंगे।
प्रस्तुत अपील में अपीलार्थी द्वारा यदि कोई धनराशि जमा की गई हो तो उक्त जमा धनराशि मय अर्जित ब्याज सहित संबंधित जिला उपभोक्ता आयोग को यथाशीघ्र विधि के अनुसार निस्तारण हेतु प्रेषित की जाए।
आशुलिपिक से अपेक्षा की जाती है कि वह इस निर्णय एवं आदेश को आयोग की वेबसाइट पर नियमानुसार यथाशीघ्र अपलोड कर दे।
(सुधा उपाध्याय)(सुशील कुमार)
सदस्य सदस्य
संदीप सिंह, आशु0 कोर्ट 3