Uttar Pradesh

StateCommission

RP/69/2016

Adh. Abhiyanta Vidyut Vitaran Nigam Ltd - Complainant(s)

Versus

Syed Aslam Ali - Opp.Party(s)

Deepak Mehrotra

21 Nov 2016

ORDER

STATE CONSUMER DISPUTES REDRESSAL COMMISSION, UP
C-1 Vikrant Khand 1 (Near Shaheed Path), Gomti Nagar Lucknow-226010
 
Revision Petition No. RP/69/2016
(Arisen out of Order Dated 30/03/2016 in Case No. C/121/2016 of District Jhansi)
 
1. Adh. Abhiyanta Vidyut Vitaran Nigam Ltd
Jhansi
...........Appellant(s)
Versus
1. Syed Aslam Ali
Jhansi
...........Respondent(s)
 
BEFORE: 
 HON'BLE MR. JUSTICE AKHTAR HUSAIN KHAN PRESIDENT
 HON'BLE MR. Vijai Varma MEMBER
 HON'BLE MRS. Bal Kumari MEMBER
 
For the Petitioner:
For the Respondent:
Dated : 21 Nov 2016
Final Order / Judgement

राज्‍य उपभोक्‍ता विवाद प्रतितोष आयोग, उ0प्र0, लखन

पुनरीक्षण संख्‍या-69/2016

(मौखिक)

(जिला उपभोक्‍ता फोरम, झॉंसी द्वारा परिवाद संख्‍या 121/2016 में पारित आदेश दिनांक 30.03.2016 के विरूद्ध)

Adhishasi Abhiyanta, Vidyut Vitran Nigam Limited Dakshinanchal Vidyut Vitran Khand-Pratham, Sukwan Dhukwan Colony, Civil Lines, Jhansi.

                            ...................पुनरीक्षणकर्ता/विपक्षी

बनाम

Syed Aslam Ali, S/o Sri Waris Ali, Proprietor, National Bakery, Civil Lines, Jhansi.       ................विपक्षी/परिवादी

समक्ष:-

1. माननीय न्‍यायमूर्ति श्री अख्‍तर हुसैन खान, अध्‍यक्ष।

2. माननीय श्रीमती बाल कुमारी, सदस्‍य।

3. माननीय श्री विजय वर्मा, सदस्‍य।

पुनरीक्षणकर्ता की ओर से उपस्थित : श्री दीपक मेहरोत्रा,                                     

                               विद्वान अधिवक्‍ता।

विपक्षी की ओर से उपस्थित    : कोई नहीं।

दिनांक: 21-11-2016

मा0 न्‍यायमूर्ति श्री अख्‍तर हुसैन खान, अध्‍यक्ष द्वारा उदघोषित

निर्णय

वर्तमान पुनरीक्षण याचिका  धारा-17  (1)  (बी)  उपभोक्‍ता संरक्षण अधिनियम 1986 के अन्‍तर्गत जिला उपभोक्‍ता विवाद प्रतितोष फोरम, झॉंसी द्वारा परिवाद संख्‍या-121/2016 सैयद असलम अली बनाम विद्युत विभाग में पारित आदेश        दिनांक 30.03.2016 के विरूद्ध उपरोक्‍त परिवाद के विपक्षी विद्युत विभाग की ओर से आयोग के समक्ष प्रस्‍तुत की गयी है।

आक्षेपित आदेश के द्वारा जिला फोरम ने उपरोक्‍त परिवाद अंगीकृत करते हुए विपक्षी को जवाब दावा हेतु नोटिस जारी की   है। साथ ही परिवादी के प्रार्थना पत्र पर  अंतरिम  आदेश  अन्‍तर्गत   

 

-2-

धारा-13 (3बी) उपभोक्‍ता संरक्षण अधिनियम 1986 पारित किया है कि विपक्षी वादी से 1,28,000/-रू0 एवं मीटर की कॉस्‍ट जमा करा लें एवं धनराशि जमा उपरान्‍त एक दिन के अन्‍दर उसका कनेक्‍शन जोड़ दे।

पुनरीक्षणकर्ता  की  ओर  से  उनके   विद्वान   अधिवक्‍ता        श्री दीपक मेहरोत्रा उपस्थित आए। विपक्षी को रजिस्‍टर्ड डाक से नोटिस दिनांक 11.08.2016 को प्रेषित की गयी है, जो अदम तामील वापस प्राप्‍त नहीं हुई है। अत: विपक्षी पर नोटिस का तामीला पर्याप्‍त माना गया है। फिर भी विपक्षी की ओर से कोई उपस्थित नहीं हुआ है।

अत: पुनरीक्षणकर्ता के विद्वान अधिवक्‍ता को सुनकर पुनरीक्षण याचिका का निस्‍तारण किया जा रहा है।

पुनरीक्षणकर्ता के विद्वान अधिवक्‍ता का तर्क है कि परिवादी द्वारा प्रस्‍तुत परिवाद माननीय सर्वोच्‍च न्‍यायालय द्वारा यू0पी0 पावर कारपोरेशन लि0 आदि बनाम अनीस अहमद ए0आई0आर0 2013 सुप्रीम कोर्ट 2766 में प्रतिपादित सिद्धान्‍त के आधार पर उपभोक्‍ता संरक्षण अधिनियम 1986 के अन्‍तर्गत ग्राह्य नहीं है। अत: जिला फोरम द्वारा पारित आक्षेपित आदेश अधिकार रहित और विधि विरूद्ध है।

हमने पुनरीक्षणकर्ता के विद्वान अधिवक्‍ता के तर्क पर विचार किया है।

परिवाद पत्र के अनुसार विपक्षी/परिवादी का कथन है कि उसकी बिल्डिंग में एक व्‍यक्ति विलियम डेनियल किराए  पर  रहते

 

-3-

थे। उनके द्वारा 06 किलोवाट का विद्युत कनेक्‍शन लिया गया था। उनके जाने के पश्‍चात् परिवादी उक्‍त विद्युत कनेक्‍शन का उपभोग करता है। दिनांक 03.11.2013 को उक्‍त विद्युत कनेक्‍शन के सम्‍बन्‍ध में परिवादी के विरूद्ध बिजली चोरी की रिपोर्ट दर्ज करायी गयी और विपक्षी द्वारा राजस्‍व निर्धारण किया गया। उसके विरूद्ध उसने धारा-127 विद्युत अधिनियम के अन्‍तर्गत 1,06,000/-रू0 दिनांक 23.04.2014 को जमा कराकर आयुक्‍त महोदय के समक्ष अपील प्रस्‍तुत की है, जो विचाराधीन है।

परिवाद पत्र के अनुसार परिवादी का कथन है कि परिवादी के यहॉं 06 किलोवाट का संयोजन है, जिसके लिए प्रत्‍येक माह  3000/-रू0 का बिल आता था, जो विद्युत दर बढ़ जाने के कारण 4000/-रू0 प्रति माह हो सकता है, जिसके लिए वह 1,28,000/-रू0 का भुगतान विपक्षी को करने को तैयार है। परिवादी ने परिवाद पत्र में निम्‍नलिखित उपशम चाही है:-

  • यह कि परिवादी को दिनांक 20.07.2013 के बाद  वर्तमान तक का बिना अधिभार का बिल बनाकर प्रदान किया जावे एवं उक्‍त बिल को 4 किस्‍तों में जमा कराया जावे।

ब- यह कि नया मीटर लगाकर  विद्युत  संयोजन  को  चालू               

   किया जावे।

स- यह कि मानसिक कष्‍ट के  तहत  50,000/-रू0  दिलाया        

   जावे।

द- यह कि परिवाद खर्चे के तहत 20,000/-रू0 दिलाया जावे।

 

-4-

य- यह कि अन्‍य मुआवजा जो न्‍यायालय की राय  में  उचित        

   समझा जावे वह भी दिलाया जावे।

     परिवाद पत्र के ही कथन से यह स्‍पष्‍ट है कि उपरोक्‍त विद्युत कनेक्‍शन के सम्‍बन्‍ध में परिवादी के विरूद्ध बिजली चोरी की रिपोर्ट दर्ज है और विपक्षी द्वारा जो राजस्‍व निर्धारण किया गया है उसके सम्‍बन्‍ध में परिवादी ने अपील आयुक्‍त के यहॉं 1,06,000/-रू0 जमा कर धारा-127 विद्युत अधिनियम के अन्‍तर्गत प्रस्‍तुत की है, जो अभी विचाराधीन है। माननीय सर्वोच्‍च न्‍यायालय ने यू0पी0 पावर कारपोरेशन लि0 आदि बनाम अनीस अहमद के वाद में स्‍पष्‍ट रूप से यह मत व्‍यक्‍त किया है कि धारा-126 विद्युत अधिनियम के अन्‍तर्गत असेसमेंट अधिकारी द्वारा किए गए निर्धारण या धारा-135 से 140 विद्युत अधिनियम के अन्‍तर्गत किए गए अपराध के सम्‍बन्‍ध में उपभोक्‍ता संरक्षण अधिनियम के अन्‍तर्गत परिवाद ग्राह्य नहीं होगा। परिवाद पत्र के उपरोक्‍त कथन से ही यह स्‍पष्‍ट है कि परिवादी के विरूद्ध विद्युत चोरी की रिपोर्ट दर्ज करायी गयी है और धारा-126 विद्युत अधिनियम के अन्‍तर्गत वसूली हेतु राजस्‍व निर्धारण किया गया है, जिसके विरूद्ध उसने धारा-127 विद्युत अधिनियम के अन्‍तर्गत आयुक्‍त के यहॉं अपील की है, जो अब भी विचाराधीन है। अत: परिवाद पत्र के कथन के आधार पर ही माननीय सर्वोच्‍च न्‍यायालय द्वारा उपरोक्‍त नजीर में प्रतिपादित सिद्धान्‍त के आधार पर परिवाद जिला फोरम के समक्ष ग्राह्य नहीं है। अत: विपक्षी/परिवादी द्वारा प्रस्‍तुत परिवाद पर जिला फोरम ने जो संज्ञान लिया है और उसके आधार पर जो अंतरिम आदेश पारित

 

-5-

किया है वह अधिकार रहित और अवैधानिक है तथा माननीय सर्वोच्‍च न्‍यायालय के उपरोक्‍त निर्णय के विपरीत है।

     अत: उपरोक्‍त निष्‍कर्ष के आधार पर वर्तमान पुनरीक्षण याचिका स्‍वीकार की जाती है और जिला फोरम द्वारा पारित पूरा आक्षेपित आदेश दिनांक 30.03.2016 परिवादी को इस छूट के साथ अपास्‍त किया जाता है कि वह अन्‍य सक्षम न्‍यायालय या सक्षम अधिकारी के समक्ष विधि के अनुसार उचित कार्यवाही करने हेतु स्‍वतंत्र है।

 

 

(न्‍यायमूर्ति अख्‍तर हुसैन खान)   (बाल कुमारी)    (विजय वर्मा)       

    अध्‍यक्ष                   सदस्‍य         सदस्‍य          

 

जितेन्‍द्र आशु0

कोर्ट नं0-1     

 
 
[HON'BLE MR. JUSTICE AKHTAR HUSAIN KHAN]
PRESIDENT
 
[HON'BLE MR. Vijai Varma]
MEMBER
 
[HON'BLE MRS. Bal Kumari]
MEMBER

Consumer Court Lawyer

Best Law Firm for all your Consumer Court related cases.

Bhanu Pratap

Featured Recomended
Highly recommended!
5.0 (615)

Bhanu Pratap

Featured Recomended
Highly recommended!

Experties

Consumer Court | Cheque Bounce | Civil Cases | Criminal Cases | Matrimonial Disputes

Phone Number

7982270319

Dedicated team of best lawyers for all your legal queries. Our lawyers can help you for you Consumer Court related cases at very affordable fee.