सुरक्षित
राज्य उपभोक्ता विवाद प्रतितोष आयोग, उ0प्र0, लखनऊ।
अपील संख्या- 2218/2007
(जिला उपभोक्ता आयोग, लखीमपुर खीरी द्वारा परिवाद संख्या- 371/98 में पारित निर्णय/आदेश दिनांक 15-05-2007 के विरूद्ध)
1- Unit Trust of India, Asset Management Company Pvt Ltd. (formerly UTI), 6 Bahadur Shah Zafar Marg, New Delhi through Zonal Manager.
2- Unit Trust of India, Asset Management Company Pvt. Ltd., (formerly UTI) Regency Plaza 4 Park Road, Lucknow through its Branch Manager.
3- M.M. Dastur & Co. Ltd, Matulia Centre, A-249 Senapati Bapat Marg, Lower Parel (West) Mumbai Through its Secretary.
.अपीलार्थीगण
बनाम
Syed Asif Ali, H/No. 134 Sitapur Road, Lakhimpur Kheri.
. प्रत्यर्थी
समक्ष:-
माननीय श्री राजेन्द्र सिंह, सदस्य
माननीय श्री सुशील कुमार, सदस्य
अपीलार्थी की ओर से : विद्वान अधिवक्ता श्री उमेश कुमार श्रीवास्तव
प्रत्यर्थी की ओर से : कोई उपस्थित नहीं।
दिनांक: 04-10-2021
माननीय श्री राजेन्द्र सिंह, सदस्य द्वारा उदघोषित
निर्णय
प्रस्तुत अपील, परिवाद संख्या- 371 सन् 98 सैय्यद आसिफ अली बनाम एम.एम. डास्टर एण्ड कम्पनी लि0 व एक अन्य में जिला उपभोक्ता विवाद प्रतितोष आयोग, लखीमपुर खीरी द्वारा पारित निर्णय और आदेश-
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दिनांक 15-05-2007 के विरूद्ध धारा-15 उपभोक्ता संरक्षण अधिनियम के अन्तर्गत राज्य आयोग के समक्ष प्रस्तुत की गयी है।
अपील की सुनवाई के समय अपीलार्थी की ओर से विद्वान अधिवक्ता श्री उमेश कुमार श्रीवास्तव उपस्थित हुए हैं। प्रत्यर्थी की ओर से कोई उपस्थित नहीं हुआ है।
हमने अपीलार्थी के विद्वान अधिवक्ता के तर्क को सुना तथा पत्रावली का सम्यक रूप से परिशीलन किया।
अपीलार्थी का कथन है कि प्रश्नगत निर्णय/आदेश मनमाना, विधि विरूद्ध, एवं दोषयुक्त है।
संक्षेप में अपील के मुख्य आधार इस प्रकार हैं कि परिवादी ने माह सितम्बर सन 1993 में जे.पी.शेयर ब्रोकर एण्ड फाइनेंस कन्सल्टेंट 202 चन्द्रलोक टावर कपूरथला अलीगंज, लखनऊ 20 के माध्यम से 500 शेयर क्रय किये थे। परिवादी ने उपरोक्त क्रय किये गये यू.टी.आई. मास्टर शेयर 1986 के मूल प्रमाण पत्र ट्रान्सफर डीड सहित विक्रेता एवं अपने हस्तान्तरण सहित समस्त औपचारिकताओं को पूर्ण किया तब परिवादी ने विपक्षी को कई पत्र लिखे लेकिन विपक्षी के द्वारा भेजे गये पत्रों पर कोई ध्यान नहीं दिया गया। काफी विलम्ब् से परिवादी के द्वारा भेजे गये पत्र दिनांक 6.9.96 के संबंध में विपक्षी के द्वारा परिवादी को पत्रांक सं0-यू.टी.आई. एम/एस/टी आर एफ/पी.पी. 056499/60822 दिनांकित 12-10-96 प्रेषिति किया गया। विपक्षी के द्धारा उपरोक्त पत्र के माध्यम से परिवादी को सूचित किया गया कि परिवादी के द्वारा अन्तरण हेतु भेजे गये शेयर सर्टिफिकेट विपक्षी को प्राप्त नहीं हुए हैं। इस कारण परिवादी विपक्षी को उपरोक्त शेयरों का प्रमाण पत्र ब्रोकर चालान जिसमें नम्बर प्रदर्शित हो कम्पनी को ट्रान्सफर हेतु भेजे जाने का
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प्रमाणपत्र व ट्रांसफर डीड की कापी किसी को भेजें। परिवादी ने विपक्षी के द्वारा मांगी गयी समस्त औपचारिकतायें पूर्ण करके विपक्षी के पास रजिस्टर्ड डाक के माध्यम से भेज दिया था जो कि विपक्षी को प्राप्त भी हो गयी थीं। विपक्षी के द्वारा परिवादी को उपरोक्त शेयरों का अन्तरण करके नहीं भेजा गया।
उसने अपने अभिलेखों की छानबीन के आधार पर पाया कि उसने तथाकथित 500 शेयर सर्टिफिकेट हस्तानान्तरण हेतु प्राप्त नहीं किये जैसा कि परिवादी का कथन है। बल्कि उसने 6 व्यक्तियों से प्राप्त किये और उनको स्थानान्तरण किया जा चुका है। विपक्षी संख्या-1 ने उन 6 व्यक्तियों के नाम पता तथा अन्य विवरण लिखित कथन में दिया है। विपक्षी ने यह भी कहा कि 6 व्यक्तियों को पक्षकार बनाना चाहिए जिससे कि विवादित 500 शेयर के सही टाइटिल निर्धारित किये जा सके।‘’
इसमें शेयर प्रमाण पत्र के विशिष्ट नम्बर और संख्या नीचे के चार्ट में दी गयी हैं:-
Distinctive Nos. No. of Shares
52550301-400 100
349770673-722 50
296876971-955 25
332031257-331 75
69169381-480 100
302725022-121 100
349769873-922 50
इसके अतिरिक्त एक चार्ट और प्रस्तुत किया गया है जिसमें यह दिखाया गया है कि उक्त शेयर प्रमाण-पत्र किसके नाम से हैं यह निम्न चार्ट से स्पष्ट होता है:-
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Distinctive Nos. No. of Shares Name of Transferer
52550301-400 100 Govind Lal A Dalal
349770673-722 50 Chatan R Parmar
296876971-955 25 Madhukar Vhora
332031257-331 75 Madhukar Vohra
69169381-480 100 Maherapal
302725022-121 100 Seema Agarwal
349769873-922 50 L.S. Shinde
उपरोक्त तथ्यों के आधार पर अपीलार्थी संख्या-3 ने विद्वान जिला आयोग के समक्ष अपना उत्तर प्रस्तुत किया और विद्वान जिला आयोग ने बताया कि यह स्वामित्व का विवाद है और परिवादी को निर्देश दिया जाना चाहिए था कि वह इन 500 शेयरों के वास्तविक स्वामित्व के सम्बन्ध में आवश्यक कार्यवाही करे। विद्वान जिला आयोग ने इस तथ्य पर विचार नहीं किया और बिना उपरोक्त लोगों को पक्षकार बनाए वाद का निस्तारण कर दिया। विद्वान जिला आयोग को वाद निस्तारण का क्षेत्राधिकार नहीं था। निम्न तीन शेयरों का पूर्ण भुगतान किया जा चुका है।
349770673-722 50 Redeemed on 21.1.05
302725022-121 100 Redeemed on 1.7.05
349769873-922 50 Redeemed
अर्थात अब केवल 4 जिनकी कुल शेयर संख्या- 300 है भुगतान हेतु शेष हैं। किन्तु यह किसी अन्य के नाम से अंकित है न कि परिवादी के नाम से। विद्वान जिला आयोग का निर्णय मात्र अनुमान और परिकल्पनाओं पर आधारित है। उन्होंने अपीलार्थी के कथन को नहीं देखा और मस्तिष्क का प्रयोग नहीं किया है। विद्वान जिला आयोग ने जिनके नाम शेयर हैं उनकों पक्षकार भी नहीं बनाया है। ऐसे मामलों में कम्पनी लॉ बोर्ड को यह आदेश पारित करने
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का अधिकार है न कि विद्वान जिला आयोग को। अत: निवेदन है कि वर्तमान अपील स्वीकार करते हुए प्रश्नगत निर्णय/आदेश को अपास्त किया जाए।
हमने अपीलार्थी के विद्वान अधिवक्ता श्री उमेश कुमार श्रीवास्तव को सुना और पत्रावली का सम्यक रूप से परिशीलन किया। प्रत्यर्थी की ओर से कोई उपस्थित नहीं है।
हमने विद्वान जिला आयोग द्वारा पारित प्रश्नगत निर्णय एवं आदेश दिनांक 15-05-2007 का अवलोकन किया ।
विद्वान जिला आयोग ने अपने प्रश्नगत निर्णय में निम्न आदेश पारित किया है:-
" अत: यह जिला फोरम विपक्षी संख्या-1 को आदेशित करता है कि वह इस आदेश के दिनांक से एक माह के अन्दर उन शेयर सर्टीफिकेट्स जिन्हें उसने 6 विभिन्न व्यक्तियों के नाम हस्तांतरित किये हैं, वह हस्तांतरण निरस्त करें तथा उन्हें परिवादी के नाम अन्तरण करें। साथ ही इन 500 शेयर सर्टीफिकेट पर सितम्बर 1993 से मई 2007 तक अर्जित लाभांश भी परिवादी को अदा किया जाना सुनिश्चित करें। इसके अलावा वाद व्यय के रूप में मु0 1000/-रू० का भी भुगतान किया जाए। निर्धारित अवधि में आदेश का पालन न किये जाने पर 12 प्रतिशत चक्रवृद्धि ब्याज के साथ निष्पादन की कार्यवाही की जाएगी।"
जिला आयोग ने यह आदेश दिया कि उन शेयर सर्टीफिकेट्स जिन्हें उन्होंने 6 विभिन्न व्यक्तियों के नाम हस्तांतरित किये हैं, उनका हस्तांतरण निरस्त करें और परिवादी के नाम हस्तांतरित करें। यह आज्ञापक मामला है जिसका क्षेत्राधिकार जिला आयोग को प्राप्त नहीं था। किसी शेयर से किसी का नाम हटाना और दूसरे के नाम से अन्तरित करना यह कम्पनी लॉ के अन्तर्गत
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आता है। स्पष्ट है कि विद्वान जिला आयोग ने अपनी अधिकारिता का उचित उपयोग नहीं किया है और वर्तमान मामले में विद्वान जिला आयोग ने अपने क्षेत्राधिकार का उचित उपयोग नहीं किया है और क्षेत्राधिकार से परे जाकर आदेश पारित किया है। यह मामला विद्वान जिला आयोग द्वारा विचारणीय नहीं था। शेयरों का हस्तांरण या हस्तांतरित होने के बाद इससे किसी का नाम हटाना और दूसरे का नाम चढ़ाना कम्पनी लॉ के अन्तर्गत आता है या सेबी के नियमों के अन्तर्गत कार्यवाही होती है।
ऐसी स्थिति में हम इस मत के हैं कि विद्वान जिला आयोग द्वारा पारित निर्णय एवं आदेश विधि सम्मत नहीं है और अपास्त होने योग्य है।
आदेश
वर्तमान अपील स्वीकार की जाती है। विद्वान जिला आयोग के प्रश्नगत निर्णय/आदेश दिनांक 15-05-2007 अपास्त किया जाता है।
वाद व्यय पक्षकारों पर।
आशुलिपिेक से अपेक्षा की जाती है कि वह इस आदेश को आयोग की वेबसाइड पर नियमानुसार यथाशीघ्र अपलोड कर दें।
(सुशील कुमार) (राजेन्द्र सिंह)
सदस्य सदस्य
निर्णय आज दिनांक- 04-10-2021 को खुले न्यायालय में हस्ताक्षरित/दिनांकित होकर उद्घोषित किया गया।
(सुशील कुमार) (राजेन्द्र सिंह)
सदस्य सदस्य
कृष्णा–आशु0 कोर्ट-2