Uttar Pradesh

StateCommission

A/1345/2015

Kirloskar Electrict co - Complainant(s)

Versus

Swarna prabha P G Collage - Opp.Party(s)

Pankaj Pandey

23 May 2016

ORDER

STATE CONSUMER DISPUTES REDRESSAL COMMISSION, UP
C-1 Vikrant Khand 1 (Near Shaheed Path), Gomti Nagar Lucknow-226010
 
First Appeal No. A/1345/2015
(Arisen out of Order Dated 30/05/2015 in Case No. c/285/2013 of District Gorakhpur)
 
1. Kirloskar Electrict co
Lucknow
Lucknow
UP
...........Appellant(s)
Versus
1. Swarna prabha P G Collage
Gorakhpur
Gorakhpur
UP
...........Respondent(s)
 
BEFORE: 
 HON'BLE MR. Udai Shanker Awasthi PRESIDING MEMBER
 HON'BLE MR. Mahesh Chand MEMBER
 
For the Appellant:
For the Respondent:
Dated : 23 May 2016
Final Order / Judgement

राज्‍य उपभोक्‍ता विवाद प्रतितोष आयोग, उ0प्र0, लखनऊ।

सुरक्षित

अपील सं0-१३४५/२०१५

(जिला मंच, गोरखपुर द्वारा परिवाद सं0-२८५/२०१३ में पारित निर्णय एवं आदेश दिनांक  ३०-०५-२०१५ के विरूद्ध) 

किर्लोस्‍कर इलैक्ट्रिक कम्‍पनी लि0, पो0बॉक्‍स नं0 ५५५५, मल्‍लेश्‍वर पश्चिम, बंग्‍लौर द्वारा प्रेम सिंह रावत, जूनियर टेक्‍नीकल आफीसर, लखनऊ मण्‍डल, लखनऊ, यू0पी0, एफ-२०३, ट्रान्‍सपोर्ट नगर-५, बिसाइड् पार्किंग, कानपुर रोड, लखनऊ।

                                     .....................     अपीलार्थी/विपक्षी सं0-१. 

बनाम्

 

मै0 स्‍वर्ण प्रभा पी0जी0 कालेज, आनन्‍द नगर, फरेन्‍दा, जिला महाराजगंज, कैम्‍प आफिस-९६ डी, श्री राम नगर कालोनी, जंगल मातादीन, पोस्‍ट पादरी बाजार, तहसील सदर, जिला गोरखपुर द्वारा प्रबन्‍धक, भूपेन्‍द्र नाथ मिश्रा।

                                     ....................            प्रत्‍यर्थी/परिवादी।

समक्ष:-

१-  मा0 श्री उदय शंकर अवस्‍थी, पीठासीन सदस्‍य।

२-  मा0 श्री महेश चन्‍द, सदस्‍य।

अपीलार्थी की ओर से उपस्थित       :- श्री अरविन्‍द मिश्रा विद्वान अधिवक्‍ता।

प्रत्‍यर्थी की ओर से उपस्थित         :- श्री एस0 पी0 पाण्‍डेय विद्वान अधिवक्‍ता।

दिनांक : ०७-१०-२०१६.

मा0 श्री उदय शंकर अवस्‍थी, पीठासीन सदस्‍य द्वारा उदघोषित

निर्णय

      प्रस्‍तुत अपील, जिला मंच, गोरखपुर द्वारा परिवाद सं0-२८५/२०१३ में पारित निर्णय एवं आदेश दिनांक ३०-०५-२०१५ के विरूद्ध योजित की गयी है।

      संक्षेप में तथ्‍य इस प्रकार हैं कि प्रत्‍यर्थी/परिवादी के कथनानुसार वह स्‍वर्ण प्रभा महिला पी0जी0 कालेज, आनन्‍द नगर, फरेन्‍दा, जिला महाराजगंज का प्रबन्‍धक है। उसका कैम्‍प कार्यालय परिवादी के आवास ९६ डी श्रीराम नगर कालोनी, जंगल मातादीन, पो0 पादरी बाजार, तहसील सदर, शहर व जिला गोरखपुर के एक भाग में स्थित है। परिवादी को कैम्‍प कार्यालय के लिए आवाज रहित २० के0वी0ए0-३ फेज जनरेटर सेट की आवश्‍यकता थी, क्‍योंकि परिवादी हृदय रोगी है तथा हार्ट की एन्‍ज्‍योप्‍लास्टि हुई है तथा चार स्‍टेण्‍ट लगे हुए हैं। परिवादी ने अपने कैम्‍प कार्यालय के लिए अपीलार्थी कम्‍पनी का प्रश्‍नगत जनरेटर अपीलार्थी के विक्रय प्रबन्‍धक विपक्षी सं0-२ समीर कपूर तथा विपक्षी सं0-३ श्री सत्‍य प्रकाश दुबे सर्विस प्रोवाइडर से क्रय किया था। जनरेटर का मूल्‍य ३,५०,०००/- रू० बताया गया था

 

 

-२-

तथा फार्म ३९ देने पर २,९०,०००/- रू० जनरेटर का मूल्‍य बताया गया। फार्म ३९ प्राप्‍त कराकर प्रश्‍नगत जनरेटर २,९०,०००/- रू० की अदायगी के पश्‍चात् क्रय किया गया था। दिनांक २०-०४-२०१३ को जनरेटर की डिलीवरी उपरोक्‍त कैम्‍प कार्यालय पर दी गयी। जनरेटर के साथ अलग से बैटरी एक्‍साइड कम्‍पनी की पैक होकर आती है, किन्‍तु प्रश्‍नगत जनरेटर के अन्‍दर एमरान कम्‍पनी की बैटरी रखकर दी गयी। दिनांक २८-०४-२०१३ को जनरेटर स्‍टार्ट नहीं हुआ। सूचना पर विपक्षी सं0-३ ने आकर चेक किया और बताया कि इसकी बैटरी गलत लग गयी है और बैटरी डिस्‍चार्ज हो गयी है, इसको चार्ज करना पड़ेगा। विपक्षी सं0-३ बैटरी खोलकर ले गया और दिनांक १०-०५-२०१३ को चार्ज करवाकर ले आया और जनरेटर इंजन से एयर निकालकर स्‍टार्ट किया। पुन: दिनांक ०३-०५-२०१३ को जनरेटर स्‍टार्ट नहीं हुआ तब विपक्षी सं0-३ ने एयर निकाली और पम्‍प मारकर स्‍टार्ट किया। पुन: दिनांक ०७-०५-२०१३ व १०-०५-२०१३ एवं दिनांक १४-०५-२०१३ को जनरेटर स्‍टार्ट न होने के कारण विपक्षी सं0-३ ने एयर निकालकर पम्‍प मारकर जनरेटर स्‍टार्ट किया। जनरेटर के तल में काफी डीजल चूँ गया तथा दिनांक १६-०५-२०१३ को विपक्षी सं0-३ ने बताया कि इसका एक वाल्‍व कटा है, जो बदलना पड़ेगा। उसी दिन वाल्‍ब बदल दिया, किन्‍तु जनरेटर स्‍टार्ट नहीं हुआ। दिनांक १९-०५-२०१३ को विपक्षी सं0-३ ने जनरेटर चेक करके बताया कि इसका पम्‍प खराब हो गया है इसे बदलना पड़ेगा। तब विपक्षी सं0-३ पम्‍प निकालकर ले गया। दिनांक २१-०५-२०१३ को आकर डुप्‍लीकेट पम्‍प लगाकर एयर निकालकर एवं पम्‍प मारकर जनरेटर स्‍टार्ट किया तथा कम्‍पनी का पम्‍प लगाकर पुराना पम्‍प अपने साथ ले गया। दिनांक २३-०५-२०१३ को जनरेटर स्‍टार्ट न होने पर विपक्षी सं0-३ आया और जनरेटर का फिल्‍टर का बाईपास करके एक दूसरा फिल्‍टर लगाया और पम्‍प मारकर स्‍टार्ट किया। पुन: दिनांक २३-०५-२०१३ को जनरेटर स्‍टार्ट नहीं हुआ तब विपक्षी सं0-३ ने आकर चेक किया और बताया कि कम्‍पनी से इंजीनियर बुलाया जा रहा है वही चेक करेंगे। दिनांक २७-०५-२०१३ को कम्‍पनी का इंजीनियर आया। दिनांक २८-०५-२०१३ को जनरेटर चेक किया तथा बताया कि पम्‍प मारकर चलाते रहिए, इंजन कुछ दिन में ठीक हो जायेगा। पुन: दिनांक ०१-०६-२०१३ को जनरेटर स्‍टार्ट नहीं हुआ तो विपक्षी सं0-३ ने टंकी खोलकर बाहर निकाली और टंकी का मेन कनेक्‍शन बाईपास किया और टंकी के नीचे से जनरेटर की सीट कटवाकर एक बड़ा पाइप बांध दिया क्‍योंकि

 

-३-

तेल ठीक से नहीं मिल रहा था, परन्‍तु जनरेटर स्‍टार्ट नहीं हुआ। परिवादी ने ०८-०६-२०१३ को कंपनी को ई-मेल किया और विपक्षी सं0-३ अपने एक मिस्‍त्री के साथ आया और जनरेटर के गवर्नर की सील तोड़ी। सील तोड़कर पम्‍प करके जनरेटर स्‍टार्ट किया किन्‍तु जनरेटर स्‍टार्ट नहीं हुआ। जनरेटर के गवर्नर का सील तोड़े जाने के कारण जनरेटर में काफी आवाज होने लगी। परिवादी का जनरेटर में तेज आवाज आने के कारण विपक्षी सं0-३ से वाद-विवाद हो गया। विपक्षी सं0-३ ने कहा कि अब मैं इसे ठीक नहीं करूँगा और कम्‍पनी के लोग ही आकर इसे ठीक करेंगे। दिनांक ०८-०६-२०१३ को ई-मेल द्वारा कंपनी को सूचना देने के बावजूद कंपनी के किसी सर्विस इंजीनियर द्वारा न तो जनरेटर चेक किया गया और न ही ठीक किया गया, जब कि परिवादी का जनरेटर गारण्‍टी अवधि में था। गोरखपुर शहर में ७-८ घण्‍टे प्रतिदिन सामान्‍य विद्युत कटौती होती रहती है और परिवादी का जनरेटर खराब होने के कारण स्‍वर्ण प्रभा महिला पी0जी0 कालेज का विभागीय कार्य जो कैम्‍प कार्यालय पर संचालित होता है, प्रभावित हो रहा था। अपीलार्थी द्वारा निर्मित प्रश्‍नगत आवाज रहित जनरेटर में उत्‍पादन संबंधी त्रुटि थी, प्रारम्‍भ से ही बराबर कुछ न कुछ त्रुटियां मौजूद रहीं। कम्‍पनी द्वारा अधिकृत सर्विस प्रोवाइडर विपक्षी सं0-३ कंपनी के इंजीनियर द्वारा भी प्रश्‍नगत जनरेटर ठीक न हो सका और दिनांक १८-०६-२०१३ से जनरेटर बंद पड़ा है। सम्‍पूर्ण धनराशि प्राप्‍त करने के बाबजूद त्रुतिपूर्ण जनरेटर की आपूर्ति किए जाने के कारण प्रश्‍नगत जनरेटर को बदलकर देने अथवा जनरेटर के मूल्‍य २,९०,०००/- रू० की अदायगी अपीलार्थी से कराए जाने हेतु तथा २०,०००/- रू० शारीरिक, मानसिक कष्‍ट तथा १०,०००/- रू० वाद व्‍यय के रूप में दिलाए जाने हेतु परिवाद जिला मंच के समक्ष प्रस्‍तुत किया गया।

      अपीलार्थी तथा परिवाद के विपक्षी सं0-२ की ओर से संयुक्‍त प्रतिवाद पत्र तथा विपक्षी द्वारा अलग प्रतिवाद पत्र जिला मंच के समक्ष प्रस्‍तुत किया गया। अपीलार्थी ने अपने प्रतिवाद पत्र में यह अभिकथित किया कि परिवादी ने व्‍यावसायिक प्रयोजन हेतु प्रश्‍नगत जनरेटर क्रय किया था, अत: उसे उपभोक्‍ता संरक्षण अधिनियम, जिसे आगे अधिनियम शब्‍द से सम्‍बोधित किया जायेगा, के प्रावधानों के अन्‍तर्गत उपभोक्‍ता नहीं माना

 

 

-४-

जा सकता। विद्वान जिला मंच को परिवाद की सुनवाई का क्षेत्राधिकार प्राप्‍त नहीं था। अपीलार्थी कम्‍पनी द्वारा प्रश्‍नगत जनरेटर के सन्‍दर्भ में बराबर सेवाऐं परिवादी को प्राप्‍त करायी गयीं। प्रश्‍नगत जनरेटर में कोई त्रुटि नहीं है और वह ठीक से कार्य कर रहा है। अपीलार्थी कम्‍पनी एक प्रख्‍यात कम्‍पनी है और विशेषज्ञों द्वारा गहन जांच के उपरान्‍त जनरेटर विक्रय हेतु प्रेषित किये जाते हैं।

      विद्वान जिला मंच ने प्रश्‍नगत निर्णय में यह अवधारित करते हुए कि परिवादी, विपक्षीगण से २,९०,०००/- रू० जनरेटर की की‍मत तथा शारीरिक एवं मानसिक कष्‍ट के लिए १०,०००/- रू० एवं वाद व्‍यय के रूप में २,०००/- रू० प्राप्‍त करने का अधिकारी है। तद्नुसार प्रश्‍नगत निर्णय द्वारा परिवादी के परिवाद को स्‍वीकार किया तथा कुल ३,०२,०००/- रू० परिवादी को अदा करने हेतु विपक्षीगण को निर्देशित किया।      

      इस निर्णय से क्षुब्‍ध होकर यह अपील योजित की गयी।

हमने अपीलार्थी की ओर से विद्वान अधिवक्‍ता श्री अरविन्‍द मिश्रा एवं प्रत्‍यर्थी की ओर से विद्वान अधिवक्‍ता श्री एस0पी0 पाण्‍डेय के तर्क सुने। अभिलेखों का अवलोकन किया।

अपीलार्थी के विद्वान अधिवक्‍ता द्वारा यह तर्क प्रस्‍तुत किया गया कि प्रत्‍यर्थी/परिवादी ने प्रश्‍नगत जनरेटर स्‍वर्ण प्रभा महिला पी0जी0 कालेज, आनन्‍द नगर, फरेन्‍दा, जिला महाराजगंज के व्‍यावसायिक उपयोग हेतु क्रय किया था। अत: प्रत्‍यर्थी/परिवादी को अधिनियम की धारा-२(१)(घ) के अन्‍तर्गत उपभोक्‍ता नहीं माना जा सकता। प्रत्‍यर्थी/परिवादी के उपभोक्‍ता न होने के कारण परिवाद जिला मंच के समक्ष पोषणीय नहीं था। इस सन्‍दर्भ में उनके द्वारा लक्ष्‍मी इंजी‍नियरिंग वर्क्‍स बनाम पी0एस0जी0 इण्‍डस्ट्रियल इन्‍स्‍टीट्यूट, II (1995) CPJ 1 (SC) के मामले में मा0 उच्‍चतम न्‍यायालय द्वारा दिए गये निर्णय पर विश्‍वास व्‍यक्‍त किया गया। अपीलार्थी के विद्वान अधिवक्‍ता द्वारा सन्‍दर्भित उपरोक्‍त निर्णय का हमने अवलोकन किया। इस मामले में मा0 उच्‍चतम न्‍यायालय ने दिशा निर्देश पारित किए है कि किन परिस्‍िथतियों में क्रय व्‍यावसायिक प्रयोजन हेतु माना जा सकता है एवं किन परिस्थितियों में नहीं। साथ ही माननीय उच्‍चतम न्‍यायालय ने यह      मत भी व्‍यक्‍त किया है कि व्‍यावसायिक प्रयोजन का निर्धारण प्रत्‍येक मामले के तथ्‍यों एवं

 

-५-

परिस्थितियों पर निर्भर करेगा।

उपभोक्‍ता संरक्षण अधिनियम १९८६ की धारा २(१)(घ) के अनुसार :-

‘’ २(१)(घ)(i)- ऐसे किसी प्रतिफल के लिए जिसका संदाय कर दिया गया है या वचन दिया गया है या भागत: संदाय किया गया और भागत: वचन दिया गया है, या किसी आस्‍थगित संदाय की पद्धति के अधीन किसी माल का क्रय करता है, इसके अन्‍तर्गत ऐसे किसी व्‍यक्ति से भिन्‍न ऐसे माल का कोई प्रयोगकर्ता भी है ऐसे प्रतिफल के लिए जिसका संदाय किया गया है या वचन दिया गया है या भागत: संदाय किया गया है या भागत: वचन दिया गया है या आस्‍थगित संदाय की पद्धति के अधीन माल क्रय करता है जब ऐसा प्रयोग ऐसे व्‍यक्ति के अनुमोदन से किया जाता है, लेकिन इसके अन्‍तर्गत कोई ऐसा व्‍यक्ति नहीं है जो ऐसे माल को पुन: विक्रय या किसी वाणिज्यिक प्रयोजन के लिए अभिप्राप्‍त करता है। 

‘’ २(१)(घ)(ii)- किसी ऐसे प्रतिफल के लिए जिसका संदाय किया गया है या वचन दिया गया है या भागत: संदाय और भागत: वचन दिया गया है, या किसी आस्‍थगित संदाय की पद्धति के अधीन सेवाओं को भाड़े पर लेता है या उपयोग करता है और इनके अन्‍तर्गत ऐसे किसी व्‍यक्ति से भिन्‍न ऐसी सेवाओं का कोई हिताधिकारी भी है, जो किसी प्रतिफल के लिए जिसका संदाय किया गया है और वचन दिया गया है और भागत: वचन दिया गया है या, किसी आस्‍थगित संदाय की पद्धति के अधीन सेवाओं को भाड़े पर लेता है या उपयोग करता है, जब ऐसी सेवाओं का उपयोग प्रथम वर्णित व्‍यक्ति के अनुमोदन से किया जाता है। लेकिन ऐसा कोई व्‍यक्ति सम्मिलित नहीं है जो इन सेवाओं का किसी वाणिज्यिक प्रयोजनार्थ उपभोग करता है। ‘’

प्रत्‍यर्थी के विद्वान अधिवक्‍ता द्वारा यह तर्क प्रस्‍तुत किया गया कि अपीलार्थी के विद्वान अधिवक्‍ता द्वारा सन्‍दर्भित उपरोक्‍त निर्णय का लाभ प्रस्‍तुत मामले के सन्‍दर्भ में अपीलार्थी को प्रदान नहीं किया जा सकता, क्‍योंकि अपीलार्थी ने प्रश्‍नगत जनरेटर किसी व्‍यावसायिक प्रयोजन हेतु लाभ प्राप्‍त करने के उद्देश्‍य से क्रय नहीं किया था। प्रश्‍नगत जनरेटर प्रत्‍यर्थी/परिवादी ने स्‍वयं अपने स्‍वास्‍थ्‍य को ध्‍यान में रखते हुए एवं विद्यालय   

 

-६-

के कैम्‍प कार्यालय के कार्य की आवश्‍यकता की पूर्ति हेतु क्रय किया था। उनके द्वारा यह तर्क भी प्रस्‍तुत किया गया कि विद्यालय कोई व्‍यावसायिक प्रतिष्‍ठान नहीं है। प्रश्‍नगत जनरेटर किसी लाभार्जन हेतु क्रय नहीं किया गया था। अत: अपीलार्थी का यह तर्क स्‍वीकार किए जाने योग्‍य नहीं है कि प्रत्‍यर्थी/परिवादी उपभोक्‍ता नहीं है एवं प्रश्‍नगत जनरेटर किसी व्‍यावसायिक प्रयोजन हेतु लाभ अर्जन करने हेतु क्रय किया था।

प्रत्‍यर्थी के विद्वान अधिवक्‍ता द्वारा इस सन्‍दर्भ में मदन कुमार सिंह (मृतक) द्वारा विधिक उत्‍तराधिकारी बनाम जिला मैजिस्‍ट्रेट सुल्‍तानपुर व अन्‍य, IV (2009) CPJ 3 (SC) के मामले में मा0 उच्‍चतम न्‍यायालय द्वारा दिए गये निर्णय पर विश्‍वास व्‍यक्‍त किया गया।

इस मामले में मा0 उच्‍चतम न्‍यायालय द्वारा यह निर्णीत किया गया है कि क्रय की गयी वस्‍तु का सीधा सम्‍बन्‍ध लाभार्जन से होना अथवा न होना क्रय की प्रकृति के निर्धारण में निर्णायक होगा।

जहॉं तक प्रस्‍तुत प्रकरण का सम्‍बन्‍ध है, प्रत्‍यर्थी/परिवादी ने परिवाद के अभिकथनों में यह अभिकथित किया है कि वह स्‍वर्ण प्रभा महिला पी0जी0 कालेज, आनन्‍द नगर, फरेन्‍दा, जिला महाराजगंज का प्रबन्‍धक है। उसका कैम्‍प कार्यालय परिवादी के आवास ९६ डी श्रीराम नगर कालोनी, जंगल मातादीन, पो0 पादरी बाजार, तहसील सदर, शहर व जिला गोरखपुर के एक भाग में स्थित है। परिवादी हृदय रोगी है तथा हार्ट की एन्‍ज्‍योप्‍लास्टि हो चुकी है तथा चार स्‍टेण्‍ट लगे हुए हैं। कैम्‍प कार्यालय के लिए आवास रहित जनरेटर की आवश्‍यकता की पूर्ति हेतु प्रश्‍नगत जनरेटर उसने क्रय किया था। विद्यालय के कैम्‍प कार्यालय को व्‍यावसायिक प्रतिष्‍ठान के रूप में नहीं माना जा सकता। अपीलार्थी द्वारा   जिला मंच के समक्ष ऐसी कोई साक्ष्‍य भी प्रस्‍तुत नहीं की गयी कि विद्यालय द्वारा कोई लाभार्जन किया जा रहा था तथा प्रश्‍नगत जनरेटर का सीधा सम्‍बन्‍ध किसी कथित लाभार्जन से था। ऐसी परिस्थिति में अपीलार्थी के विद्वान अधिवक्‍ता का यह तर्क स्‍वीकार किए जाने योग्‍य नहीं है कि प्रश्‍नगत जनरेटर किसी व्‍यावसायिक प्रयोजन हेतु लाभ अर्जित करने के उद्देश्‍य से क्रय किया कया था।

जहॉं तक प्रश्‍नगत जनरेटर में उत्‍पन्‍न त्रुटि का प्रश्‍न है प्रत्‍यर्थी/परिवादी ने परिवाद

 

-७-

में जनरेटर क्रय करने के उपरान्‍त वारण्‍टी की अवधि के मध्‍य विभिन्‍न तिथियों में जनरेटर में आयी त्रुटियों का विस्‍तृत विवरण प्रस्‍तुत किया है तथा यह भी अभिकथित किया है कि प्रत्‍यर्थी सं0-३ जो अपीलार्थी कम्‍पनी का सर्विस प्रोवाइटर है के द्वारा जनरेटर को ठीक करने का प्रयास किया गया, किन्‍तु जनरेटर अन्‍तत: ठीक नहीं हो पाया। अपीलार्थी ने जिला मंच के समक्ष उसके द्वारा तथा परिवाद के विपक्षी सं0-२ द्वाररा प्रस्‍तुत किए गये संयुक्‍त प्रतिवाद पत्र की फोटोप्रति दाखिल की है, जिसमेंयह अभिकथित किया गया है कि इस सन्‍दर्भ में प्रत्‍यर्थी/परिवादी के अभिकथनों के सन्‍दर्भ में उत्‍तर परिवाद के विपक्षी सं0-३ सर्विस प्रोवाइडर द्वारा प्रेषित किया जायेगा। अपीलार्थी ने जिला मंच के समक्ष प्रत्‍यर्थी सं0-३ द्वारा प्रस्‍तुत प्रतिवाद पत्र की प्रति अपील के साथ दाखिल नहीं की है। विद्वान जिला मंच ने अपने प्रश्‍नगत निर्णय में यह उल्लिखित किया है कि प्रत्‍यर्थी/परिवादी के जनरेटर के सन्‍दर्भ में किए गए अभिकथनों का कोई स्‍पष्‍टीकरण विपक्षी द्वारा नहीं दिया गया है। उपरोक्‍त परिस्थिति में जिला मंच का यह निष्‍कर्ष कि जनरेटर ठीक से कार्य नहीं कर रहा था, हमारे विचार से त्रुटिपूर्ण नहीं है।

यह भी उल्‍लेखनीय है कि जिला मंच के समक्ष प्रत्‍यर्थी/परिवादी ने श्री अतुल कुमार द्विवेदी द्वारा प्रेषित विशेषज्ञ रिपोर्ट दाखिल की है। श्री अतुल कुमार द्विवेदी द्वारा जिला मंच के समक्ष प्रस्‍तुत आख्‍या की प्रति अपीलार्थी ने अपील के साथ संलग्‍न नहीं की है। प्रत्‍यर्थी ने लिखित तर्क के साथ श्री अतुल कुमार द्विवेदी द्वारा प्रेषित आख्‍या दिनांकित ०८-०७-२०१४ की प्रति दाखिल की है, जिसमें श्री अतुल कुमार द्विवेदी की शैक्षणिक योग्‍यता बी0टेक0(मेकेनि0) दर्शित है तथा उन्‍होंने अपने आप को डीजल इंजन का विशेषज्ञ होना दर्शित किया है। अपनी आख्‍या में श्री अतुल कुमार द्विवेदी ने प्रश्‍नगत जनरेटर में उत्‍पादन दोष होना पाया है।

अपीलार्थी ने जिला मंच के समक्ष अथवा अपील के आधारों में यह अभिकथति नहीं किया है कि श्री अतुल कुमार द्विवेदी डीजन इंजन के विशेषज्ञ नहीं हैं और इसके लिए शैक्षणिक योग्‍यता उन्‍हें प्राप्‍त नहीं है। अपीलार्थी द्वारा यह आपत्ति जिला मंच के समक्ष नहीं की गयी है कि श्री अतुल कुमार द्विवेदी के प्रत्‍यर्थी/परिवादी से किसी प्रकार        की हितबद्धता प्रमाणित है। अपीलार्थी द्वारा यह आपत्ति की गयी है कि श्री अतुल कुमार

 

-८-

द्विवेदी को जिला मंच द्वारा आख्‍या प्रेषित करने हेतु आदेशित नहीं किया गया था। मात्र इस आधार पर कि श्री अतुल कुमार द्विवेदी, जो उपयुक्‍त शैक्षणिक योग्‍यता प्राप्‍त विशेषज्ञ है, को जिला मंच द्वारा आख्‍या प्रेषित किए जाने हेतु आदेशित नहीं किया गया था, उनकी आख्‍या को अस्‍वीकार किए जाने का कोई औचित्‍य नहीं होगा। विद्वान जिला मंच के समक्ष अपीलार्थी के सर्विस इंजीनियर द्वारा भी आख्‍या प्रस्‍तुत की गयी थी, किन्‍तु इस तथ्‍य के आलोक में कि प्रश्‍नगत जनरेटर में वारण्‍टी की अवधि के मध्‍य निरन्‍तर त्रुटियॉं पायी गयीं तथा सर्विस इंजीनियर जो अपीलार्थी से स्‍वाभाविक रूप से हितबद्ध होगा, हमारे विचार से सर्विस इंजीनियर की आख्‍या को स्‍वीकार न करके जिला मंच द्वारा कोई त्रुटि नहीं की गयी है।

उपरोक्‍त तथ्‍यों के आलोक में यह विदित होता है कि अपीलार्थी द्वारा उत्‍पादन त्रुटि सहित प्रश्‍नगत जनरेटर की आपूर्ति पूर्ण प्रतिफल प्राप्‍त करने के बाबजूद परिवादी को की गयी। अत: अपीलार्थी द्वारा सेवा में कमी की गयी है। विद्वान जिला मंच ने प्रश्‍नगत निर्णय द्वारा जनरेटर के मूल्‍य एवं शारीरिक, मानसिक कष्‍ट की मद में १०,०००/- रू० तथा वाद व्‍यय के रूप में २,०००/- रू०, कुल ३,०२,०००/- रू० की अदायगी हेतु अपीलार्थी के साथ-साथ परिवाद के अन्‍य विपक्षीगण को भी निर्देशित किया है। इस सन्‍दर्भ में उल्‍लेखनीय है कि निर्विवाद रूप से अपीलार्थी कम्‍पनी प्रश्‍नगत जनरेटर की निर्माता कम्‍पनी है तथा जनरेटर के विक्रय मूल्‍य की अदायगी उसे ही की गयी है। परिवाद के विपक्षी सं0-२ व ३ उसके अधिकृत प्रतिनिधि हैं। अत: त्रुटिपूर्ण जनरेटर को बदलकर दूसरा जनरेटर प्रदान करने अथवा उसके मूल्‍य की अदायगी का दायित्‍व भी अपीलार्थी का ही होगा। स्‍वयं प्रत्‍यर्थी/परिवादी ने इस सन्‍दर्भ में अनुतोष मात्र अपीलार्थी से ही चाहा है। क्‍योंकि उत्‍पादन त्रुटि सहित जनरेटर की आपूर्ति अपीलार्थी द्वारा की गयी, अत: शारीरिक एवं मानसिक कष्‍ट के सन्‍दर्भ में क्षतिपूर्ति की अदायगी एवं वाद व्‍यय के रूप में अदायगी का दायित्‍व भी अपीलार्थी का ही होगा। शारीरिक एवं मानसिक कष्‍ट के रूप में १०,०००/- रू० एवं वाद व्‍यय के रूप में २,०००/- रू० की धनराशि की प्रत्‍यर्थी/परिवादी को अदायगी हेतु जिला मंच द्वारा अपीलार्थी को आदेशित किया गया है। हमारे विचार से यह अनुपयुक्‍त नहीं है, किन्‍तु सम्‍पूर्ण देय धनराशि की अदायगी का दायित्‍व मामले की परिस्थितियों के आलोक में मात्र

 

-९-

अपीलार्थी का ही माना जायेगा। अपीलार्थी प्रश्‍नगत जनरेटर प्रत्‍यर्थी/परिवादी से प्राप्‍त कर सकता है। अपील में बल नहीं है। अपील निरस्‍त किए जाने योग्‍य है।

आदेश

प्रस्‍तुत अपील निरस्‍त की जाती है। इस निर्णय में व्‍यक्‍त किए गये विचारों के आलोक में अपीलार्थी को निर्देशित किया जाता है कि वह प्रत्‍यर्थी/परिवादी से प्रश्‍नगत जनरेटर प्राप्‍त करके प्रत्‍यर्थी/परिवादी को कुल ३,०२,०००/- रू० की धनराशि इस निर्णय की तिथि से ०२ माह के अन्‍दर अदा करे। उक्‍त धनराशि पर प्रत्‍यर्थी/परिवादी, परिवाद योजित किए जाने की तिथि से सम्‍पूर्ण धनराशि की अदायगी तक ०६ प्रतिशत वार्षिक की दर से साधारण ब्‍याज भी प्राप्‍त करने का अधिकारी होगा।

अपीलीय व्‍यय-भार उभय पक्ष अपना-अपना वहन करेंगे।

पक्षकारों को इस निर्णय की प्रमाणित प्रतिलिपि नियमानुसार उपलब्‍ध करायी जाय।

 

          

                                               (उदय शंकर अवस्‍थी)

                                                 पीठासीन सदस्‍य

 

 

                                                  (महेश चन्‍द)

                                                     सदस्‍य

 

 

प्रमोद कुमार

वैय0सहा0ग्रेड-१,

कोर्ट-५.

 

 

 

 

 

 
 
[HON'BLE MR. Udai Shanker Awasthi]
PRESIDING MEMBER
 
[HON'BLE MR. Mahesh Chand]
MEMBER

Consumer Court Lawyer

Best Law Firm for all your Consumer Court related cases.

Bhanu Pratap

Featured Recomended
Highly recommended!
5.0 (615)

Bhanu Pratap

Featured Recomended
Highly recommended!

Experties

Consumer Court | Cheque Bounce | Civil Cases | Criminal Cases | Matrimonial Disputes

Phone Number

7982270319

Dedicated team of best lawyers for all your legal queries. Our lawyers can help you for you Consumer Court related cases at very affordable fee.