Uttar Pradesh

Lucknow-I

CC/92/2016

RAJENDRA TIWARI - Complainant(s)

Versus

SWARAAJ INFRA STATE - Opp.Party(s)

17 Aug 2023

ORDER

Heading1
Heading2
 
Complaint Case No. CC/92/2016
( Date of Filing : 11 Mar 2016 )
 
1. RAJENDRA TIWARI
RES-1/261 VIRAT KHAND GOMTI NAGAR LKO.
...........Complainant(s)
Versus
1. SWARAAJ INFRA STATE
SANA PALACE -1 GROUND FLOOR INFRONT OF SAHARGANJ SHANFROD HAZRAT GANJ LKO.
............Opp.Party(s)
 
BEFORE: 
 HON'BLE MR. Neelkuntha Sahya PRESIDENT
 HON'BLE MRS. sonia Singh MEMBER
 HON'BLE MR. Kumar Raghvendra Singh MEMBER
 
PRESENT:
 
Dated : 17 Aug 2023
Final Order / Judgement

जिला उपभोक्‍ता विवाद प्रतितोष आयोग, प्रथम, लखनऊ।

परिवाद संख्‍या:- 92/2016                                             उपस्थित:-श्री नीलकंठ सहाय, अध्‍यक्ष।

          श्रीमती सोनिया सिंह, सदस्‍य।

          श्री कुमार राघवेन्‍द्र सिंह, सदस्‍य।

परिवाद प्रस्‍तुत करने की तारीख:-11.03.2016

परिवाद के निर्णय की तारीख:- 17.08.2023

राजेन्‍द्र तिवारी वयस्‍क पुत्र स्‍व0 श्री जमुना शंकर तिवारी निवासी-1/281, विराट खण्‍ड, गोमती नगर लखनऊ।

                                                 ..................परिवादी।

                           बनाम

स्‍वराज इन्‍फ्रा स्‍टेट एण्‍ड एलाईड लिमिटेड, सना पैलेस-1, ग्राउण्‍ड फ्लोर, सहारागंज के सामने, शाहनजफ रोड, हजरतगंज, लखनऊ। द्वारा मैनेजिंग डायरेक्‍टर।

                                                   ................विपक्षी।                                                                      

परिवादी के अधिवक्‍ता का नाम:-श्री संदीप कुमार पाण्‍डेय

विपक्षी के अधिवक्‍ता का नाम:-कोई नहीं।

आदेश द्वारा-श्रीमती सोनिया सिंह, सदस्‍य।

                               निर्णय

1.     परिवादी ने प्रस्‍तुत परिवाद उपभोक्‍ता संरक्षण अधिनियम 1986 की धारा-12  के तहत विपक्षी से, परिवादी द्वारा जमा धनराशि में से काटे गऐ 77,574.00 रूपये तथा दिनॉंक 21.07.2015 तक सम्‍पूर्ण धनराशि पर 18 प्रतिशत ब्‍याज के साथ, बिना कटौती के वापस, दोषपूर्ण सेवाओं की वजह से परिवादी को हुए मानसिक एवं शारीरिक तथा आर्थिक कष्‍ट के लिये 50,000.00 रूपये एवं वाद व्‍यय व अन्‍य भाग दौड़ के लिये 25,000.00 रूपये दिलाये जाने की प्रार्थना के साथ प्रस्‍तुत किया है।

2.     संक्षेप में परिवाद के कथन इस प्रकार हैं कि परिवादी ने अपने तथा अपने परिवाद के रहने के लिये माह दिसम्‍बर 2012 में विपक्षी से सम्‍पर्क किया और विपक्षी की योजनाओं को समझकर अपने परिवार के नाम पर प्‍लाट नम्‍बर 24 बुक करा लिया तथा दो अन्‍य प्‍लाट अपने पुत्रों क्रमश: 140 तथा 129 बुक करा लिया और विपक्षी के पास बुकिंग धनराशि जमा कर दी।

3.     विपक्षी द्वारा बताया गया कि उनका प्रोजेक्‍ट एक वर्ष में पूरा होगा और तमाम शर्तों के साथ परिवादी को किस्‍तों में भुगतान करना था जिसके अन्‍तर्गत परिवादी ने बुक किये गये तीनों प्‍लाटों की किस्‍तें जमा करना शुरू कर दिया जिसके अन्‍तर्गत प्‍लाट नम्‍बर 24 की कीमत 4,20,000.00 रूपये थी तथा प्‍लाट नम्‍बर 129 तथा 140 की कीमत क्रमश: 5,25,000.00 रूपये थी।  दिनॉंक 30.09.2013 तक परिवादी ने विपक्षी के पास तीनों प्‍लाटों की मद में कुल 3,87,870.00 रूपये जमा कर दिया था, किन्‍तु एक वर्ष से अधिक का समय व्‍यतीत हो जाने के बाद भी विपक्षी द्वारा उपरोक्‍त योजना में कोई भी कार्य शुरू नहीं किया गया, जिसकी शिकायत परिवादी विपक्षी से करता रहा, परन्‍तु विपक्षी द्वारा कोई ध्‍यान नहीं दिया जा रहा था।

4.     परिवादी के बार-बार अनुरोध के बाद भी जब विपक्षी द्वारा कोई भी उत्‍तर नहीं दिया गया तो परिवादी ने दिनॉंक 03.04.2015 को विपक्षी को एक पत्र लिखा और प्‍लाटों को विकसित न करने के कारण अपने द्वारा जमा की गयी धनराशि को वापस मॉंगा। विपक्षी ने परिवादी को दिनॉंक-13.08.2015 को एक चेक मुबलिग 3,10,296.00 रूपये का वापस कर दिया, जबकि विपक्षी ने यह वायदा किया था कि वह एक वर्ष में प्‍लाट उपलब्‍ध करा देंगे।

5.     विपक्षी द्वारा अनुचित व्‍यापार प्रक्रिया अपनाते हुए परिवादी द्वारा जमा की गयी धनराशि में से 20 प्रतिशत 77,574.00 रूपये काट लिया, जबकि परिवादी किस्‍तों को जमा करने में देरी करता तो उस पर 18 प्रतिशत का दण्‍ड ब्‍याज लेते किन्‍तु विपक्षी ने परिवादी का ही धन हड़प लिया जिसके कारण परिवादी को मानसिक तथा आर्थिक कष्‍ट का सामना करना पड़ा।

6.     परिवाद का नोटिस विपक्षी को भेजा गया, परन्‍तु विपक्षी की ओर से कोई उपस्थित नहीं हुआ और न ही कोई उत्‍तर पत्र प्रस्‍तुत किया गया। अत: दिनॉंक-14.12.2016 को विपक्षी के विरूद्ध एकपक्षीय कार्यवाही अग्रसारित की गयी।

7.     परिवादी ने अपने परिवाद के समर्थन में मौखिक साक्ष्‍य के रूप में शपथ पत्र तथा दस्‍तावेजी साक्ष्‍य के रूप में एप्‍लीकेशन फार्म, टर्म्‍स एण्‍ड कन्‍डीशन, एलाटमेंट लेटर, जमा रसीदें, परिवादी द्वारा विपक्षी को प्रेषित पत्र, आदि दाखिल किये गये हैं।

8.     मैंने परिवादी के विद्वान अधिवक्‍ता के तर्कों को सुना तथा पत्रावली का परिशीलन किया।

9.     विदित है कि प्रस्‍तुत परिवाद 77,574.00 रूपये का भुगतान मय ब्‍याज की दर से कराये जाने हेतु दाखिल किया गया है। परिवादी के कथानक के अनुसार परिवादी ने कुल 03 किता प्‍लाट अपने और अपने पुत्र के नाम पर विपक्षी से क्रय किये जाने हेतु संविदा किया था। प्‍लाट का मूल्‍य भिन्‍न–भिन्‍न था। परिवादी के कथानक के अनुार प्‍लाट का कब्‍जा दिये जाने के संबंध में यह कहा गया कि विपक्षी के रजिस्‍ट्रेशन के एक वर्ष के अन्‍दर आवंटित भूमि का कब्‍जा प्रदत्‍त कराया जायेगा तथा इससे भूमि के एवज में परिवादी द्वारा भिन्‍न भिन्‍न तिथियों पर कुल मुबलिग 3,87,870.00 रूपये की धनराशि विपक्षी को अदा की गयी।

10.    परिवादी द्वारा निर्धारित समय बीत जाने के बाद विपक्षी से संपर्क किया तथा प्‍लाट दिये जाने का अनुरोध किया, परन्‍तु विपक्षी द्वारा प्‍लाट नहीं दिया गया। तो परिवादी द्वारा अपनी जमा धनराशि की मॉंग की गयी। परिवादी के कथानक के अनुसार विपक्षी ने मुबलिग 3,87,870.00 रूपये परिवादी को वापस कर दिया गया। परिवादी का यह भी कथानक है कि केवल 03 प्‍लाट के एवज में 5,25,000.00 रूपये जमा किया गया था और परिवादी को मुबलिग 3,10,296.00 रूपये ही वापस किया गया।

11.    परिवादी द्वारा संबंधित प्‍लाट का रजिस्‍ट्रेशन दिसम्‍बर 2012 में कराया गया था । कुल 5,95,000.00 रूपये कम्‍पाउण्‍ड मय ब्‍याज के अदा किया गया जिसमें 18 प्रतिशत ब्‍याज भी देय था और कैन्शिलियेशन हेतु परिवादी द्वारा आग्रह किया गया है। नोटिस भी भेजा गया। अप्रैल 2015 में भी परिवादी ने संपर्क किया और धनराशि की मॉंग की। परिवादी द्वारा दिनॉंक 03.04.2015 को भी पत्र भेजा गया जिसमें यह उल्लिखित किया गया कि कोई भी कार्यवाही विपक्षी द्वारा प्‍लाट के संबंध में नहीं की गयी है, और 18 प्रतिशत कम्‍पाउण्‍ड ब्‍याज की मॉंग की गयी।

12.    परिवादी द्वारा यह कहा गया कि विपक्षी द्वारा अनुचित व्‍यापार प्रक्रिया अपनाते हुए जमा की गयी धनराशि में 20 प्रतिशत 77,574.00 रूपये काट लिया गया। प्रस्‍तुत परिवाद वर्ष 2016 का है, जबकि प्‍लाट की बुकिंग 2012 में की गयी है। परिवादी द्वारा विपक्षी के पास दिनॉंक-30.09.2013 को तीनों प्‍लाटों की मद में कुल 3,87,870.00 रूपये जमा कर दिया गया था।

13.    टर्म्‍स एवं कन्‍डीशन के अवलोकन से विदित है कि अगर किश्‍त के भुगतान में विलम्‍ब होता है तो 09 प्रतिशत ब्‍याज देय होगा। दो माह लगातार भुगतान में विलम्‍ब करने पर उसे डिफाल्‍टर समझा जायेगा और एलाटमेंट कैन्सिल समझा जायेगा तथा 20 प्रतिशत धनराशि काटकर 80 प्रतिशत की धनराशि तीस कार्यदिवस के अन्‍दर वापस कर दी जायेगी तथा खरीदनेवाले का यह कर्तव्‍य होगा कि वह किश्‍तें समय पर अदा करे।

14.    03 फ्लैट नम्‍बर-24 जिसकी कीमत 4,20,000.00 रूपये और 129 और 140 की कीमत 5,25,000.00 रूपये थी। तीनों मद में दिनॉंक 30.09.2013 तक कुल 3,87,,870.00 रूपये जमा किया गया है परन्‍तु उनके द्वारा कार्य शुरू नहीं किया गया तथा फ्लैट को विकसित नहीं किये जाने के कारण धनराशि की मॉंग की गयी। धनराशि की मॉंग किये जाने पर 3,10,259.00 रूपये वापस किये गये। 20 प्रतिशत धनरराशि 77574.00 रूपये काट लिये गये। 7080.00 रूपये फ्लैट नम्‍बर 129 का 1557.00 रूपये एवं 140 का था। कुल तीन फ्लैट का वर्ष 2013 तक 3,87,870.00 रूपये ही जमा किये गये हैं तो परिवादी द्वारा स्‍वयं ही पैसों की मॉंग की गयी है।

15.    परिवादी का यह कथानक कि एक वर्ष में ही सम्‍पूर्ण प्रक्रिया पूरी कर लेना चाहिए था और अनुबन्‍ध की शर्तों के तहत रजिस्‍ट्री पूरा भुगतान करने के बाद किये जाने की व्‍यवस्‍था है। जबतक रजिस्‍ट्री नहीं होगी तबतक कब्‍जा और मालिकाना हक नहीं दिया जा सकता और कुल 60 माह तक पैसा जमा करना है। यानी कि पॉंच वर्षों में। परिवादी का यह कथन कि एक वर्ष में करना है यह सत्‍य नहीं है, वह झूठ बोल रहा है। जब भी पैसा मांगा है, इसका अभिप्राय कि परिवादी द्वारा पैसे की मॉंग की गयी है, यानी कि प्‍लाट निरस्‍त करना चाहिए था अथवा निरस्‍त कराये जाने की स्थिति में 20 प्रतिशत टर्म एवं कन्‍डीशन के तहत धनराशि काटे जाने की व्‍यवस्‍था है और काटकर ही पैसा भुगतान किया गया है, उसमें किसी प्रकार की त्रुटि नहीं की गयी है। अत: परिवादी का परिवाद स्‍वीकार किये जाने योग्‍य नहीं है।

                           आदेश

     परिवादी का परिवाद खारिज किया जाता है।

   पत्रावली पर उपलब्‍ध समस्‍त प्रार्थना पत्र निस्‍तारित किये जाते हैं।

     निर्णय/आदेश की प्रति नियमानुसार उपलब्‍ध करायी जाए।

 

     (कुमार राघवेन्‍द्र सिंह)    (सोनिया सिंह)                        (नीलकंठ सहाय)

             सदस्‍य              सदस्‍य                         अध्‍यक्ष

                            जिला उपभोक्‍ता विवाद प्रतितोष आयोग,   प्रथम,

                                               लखनऊ।          

   आज यह आदेश/निर्णय हस्‍ताक्षरित कर खुले आयोग में उदघोषित किया गया।

                                   

   (कुमार राघवेन्‍द्र सिंह)      (सोनिया सिंह)                         (नीलकंठ सहाय)

           सदस्‍य                  सदस्‍य                         अध्‍यक्ष

                            जिला उपभोक्‍ता विवाद प्रतितोष आयोग,   प्रथम,

                                                 लखनऊ।     

दिनॉंक:-17.08.2023

 

 
 
[HON'BLE MR. Neelkuntha Sahya]
PRESIDENT
 
 
[HON'BLE MRS. sonia Singh]
MEMBER
 
 
[HON'BLE MR. Kumar Raghvendra Singh]
MEMBER
 

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