(मौखिक)
राज्य उपभोक्ता विवाद प्रतितोष आयोग, उ0प्र0, लखनऊ
अपील संख्या-871/2010
Post Master General, U.P. Circle, Lucknow
Versus
Sushma Rastogi wife of Sri Raj Kishore
समक्ष:-
1. माननीय श्री सुशील कुमार, सदस्य।
2. माननीय श्रीमती सुधा उपाध्याय, सदस्य।
उपस्थिति:-
अपीलार्थी की ओर से उपस्थित: डा0 उदयवीर सिंह के सहयोगी अधिवक्ता
श्री श्रीकृष्ण पाठक
प्रत्यर्थी की ओर से उपस्थित: कोई नहीं
दिनांक :16.01.2024
माननीय श्री सुशील कुमार, सदस्य द्वारा उदघोषित
निर्णय
1. परिवाद संख्या-34/2001, श्रीमती सुषमा रस्तोगी बनाम पोस्ट मास्टर जनरल यू0पी0 सर्किल व अन्य में विद्वान जिला आयोग, (प्रथम) लखनऊ द्वारा पारित प्रश्नगत निर्णय/आदेश दिनांक 20.04.2010 के विरूद्ध प्रस्तुत की गयी अपील पर केवल अपीलार्थी के विद्धान अधिवक्ता डा0 उदयवीर सिंह के कनिष्ठ अधिवक्ता श्री श्रीकृष्ण पाठक को सुना गया। प्रत्यर्थी की ओर से कोई उपस्थित नहीं है। प्रश्नगत निर्णय/आदेश एवं पत्रावली का अवलोकन किया गया।
2. जिला उपभोक्ता मंच ने परिवादी के खाते में जमा धनराशि अंकन 30,000/-रू0 09 प्रतिशत ब्याज के साथ अदा करने का आदेश पारित किया है।
3. निर्णय के अवलोकन से जाहिर होता है कि परिवादिनी ने विपक्षी सं0 2 के पक्ष में 30,000/-रू0 का चेक 25.01.1995 को एम0आई0एस0 योजना के अंतर्गत खाता खोलने के लिए दिया गया था, परंतु पासबुक प्राप्त नहीं करायी गयी न ही अंकन 30,000/-रू0 की धनराशि जमा की गयी। विपक्षी द्वारा एजेण्ट के माध्यम से चेक भेजे जाने का कथन किया है। यह तथ्य स्वीकार किया है कि परिवादिनी द्वारा कुछ पत्र लिखे गये, जिनके संबंध में कुछ स्पष्टीकरण की मांग की गयी,परंतु परिवादी द्वारा धनराशि अंकन 30,000/-रू0 की राशि का चेक देने से स्पष्ट रूप से इंकार नहीं किया गया। अत: इस धनराशि को वापस लौटाने का आदेश विधिसम्मत है, परंतु इस राशि पर ब्याज दर 09 प्रतिशत के स्थान पर 06 प्रतिशत की दर से अदा किये जाने का आदेश देना चाहिए था।
आदेश
अपील आंशिक रूप से स्वीकार की जाती है। जिला उपभोक्ता मंच द्वारा पारित निर्णय एवं आदेश इस प्रकार परिवर्तित किया जाता है कि परिवादिनी को जो राशि लौटायी जायेगी, उस पर केवल 06 प्रतिशत की दर से ब्याज देय होगा।
उभय पक्ष अपना-अपना व्यय भार स्वंय वहन करेंगे।
प्रस्तुत अपील में अपीलार्थी द्वारा यदि कोई धनराशि जमा की गई हो तो उक्त जमा धनराशि मय अर्जित ब्याज सहित संबंधित जिला उपभोक्ता आयोग को यथाशीघ्र विधि के अनुसार निस्तारण हेतु प्रेषित की जाए।
आशुलिपिक से अपेक्षा की जाती है कि वह इस निर्णय एवं आदेश को आयोग की वेबसाइट पर नियमानुसार यथाशीघ्र अपलोड कर दे।
(सुधा उपाध्याय)(सुशील कुमार)
सदस्य सदस्य
संदीप सिंह, आशु0 कोर्ट 3