(मौखिक)
राज्य उपभोक्ता विवाद प्रतितोष आयोग, उ0प्र0, लखनऊ
अपील संख्या-2015/2011
श्रीमती सर्वेश कुमारी पत्नी श्री गोपाल तथा एक अन्य बनाम श्रीमती सुशीला देवी पत्नी श्री सुरेश चन्द्र
समक्ष:-
1. माननीय श्री सुशील कुमार, सदस्य।
2. माननीय श्रीमती सुधा उपाध्याय, सदस्य।
दिनांक : 24.09.2024
माननीय श्री सुशील कुमार, सदस्य द्वारा उदघोषित
निर्णय
1. परिवाद संख्या-111/2007, श्रीमती सुशीला देवी बनाम डा0 श्रीमती सर्वेश कुमारी तथा एक अन्य में विद्वान जिला आयोग, कांशीराम नगर द्वारा पारित निर्णय/आदेश दिनांक 21.9.2011 के विरूद्ध प्रस्तुत की गई अपील पर अपीलार्थीगण के विद्वान अधिवक्ता श्री ए.के. पाण्डेय तथा प्रत्यर्थी के विद्वान अधिवक्ता श्री सुशील कुमार शर्मा को सुना गया तथा प्रश्नगत निर्णय/पत्रावली का अवलोकन किया गया।
2. विद्वान जिला आयोग ने विपक्षीगण के विरूद्ध अंकन 50,000/-रू0 इलाज खर्च तथा अंकन 1.5 लाख रूपये मानसिक प्रताड़ना की मद में क्षतिपूर्ति एवं अंकन 3,000/-रू0 वाद व्यय 12 प्रतिशत ब्याज के साथ अदा करने का आदेश पारित किया है।
3. परिवाद के तथ्यों के अनुसार परिवादिनी दिनांक 20.2.2007 को पेट में पीड़ा होने के कारण अपने पति के साथ विपक्षीगण के क्लीनिक पर दिखाने गई, जिनके द्वारा गर्भाशय में कमी पाते हुए सफाई एवं आपरेशन के लिए कहा गया और अंकन 5,000/-रू0 की फीस मांगी, जो अदा कर दी गई। विपक्षीगण द्वारा बेहोश करने के बाद गर्भाशय की सफाई एवं आपरेशन किया गया, परन्तु इसके बाद पीड़ा अत्यधिक बढ़ गई और विपक्षीगण ने इलाज करने से मना कर दिया। दिनांक 5.3.2007 को परिवादिनी अपने पति के साथ डा0 अनिल निगम एवं डा0 विनीता निगम के क्लीनिक पर गई और वहां पर अनेक टेस्ट कराए गए और पाया गया कि बच्चेदानी की कांट छांट की गई है, आपरेशन करना पड़ेगा तब से वहीं इलाज चल रहा है और काफी पैसा खर्च हो चुका है तथा शारीरिक रूप से भी परिवादिनी कमजोर हो चुकी है। घर का कोई काम करने में वह असमर्थ है तथा कर्जदार भी हो चुकी है।
4. विपक्षीगण का कथन है कि उनके द्वारा कोई इलाज नहीं किया गया, परन्तु विद्वान जिला आयोग द्वारा यह निष्कर्ष दिया गया कि विपक्षीगण झोलाछाप डा0 हैं, उनके द्वारा बिना योग्यता के परिवादिनी के गर्भाशय की सफाई की गई, जिसके कारण वह अत्यधिक पीड़ा में रही और
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इलाज में धन खर्च करना पड़ा। तदनुसार विद्वान जिला आयोग ने उपरोक्त वर्णित निर्णय/आदेश पारित किया गया।
5. अपीलार्थीगण के विद्वान अधिवक्ता का यह तर्क है कि अपीलार्थीगण डा0 नहीं हैं, उनके द्वारा कोई इलाज नहीं किया गया। विद्वान जिला आयोग ने दस्तावेज सं0-27 पर मौजूद एक पर्चे के आधार पर अपीलार्थीगण को उत्तरदायी ठहराया है, जबकि यह पर्चा किसके लेख में है, इस पर कोई विशेषज्ञ साक्ष्य प्राप्त नहीं की गई है। विद्वान जिला आयोग के समक्ष उठाए गए किसी तथ्य को साबित करने के लिए भारतीय साक्ष्य अधिनियम के प्रावधान दृढ़ता के साथ लागू नहीं होते। उपभोक्ता आयोग के समक्ष किसी तथ्य को शपथ पत्र द्वारा भी साबित किया जा सकता है तथा किसी तथ्य की अधिसम्भाव्यत: पर भी निष्कर्ष दिया जाता है। प्रस्तुत केस में परिवादिनी द्वारा सशपथ साबित किया है कि विपक्षीगण द्वरा उसके गर्भाशय की सफाई की गई है। शाक्य मेडिकल स्टोर कासगंज एटा के लेटर पैड पर दवाएं अंकित की गई हैं। यह सही है कि यह किसके हस्तलेख में है, इस पर विशेषज्ञ साक्ष्य नहीं है, परन्तु परिवादिनी ने सशपथ साबित किया है कि यह दवाएं विपक्षीगण द्वारा लिखी गई हैं और इसी स्टोर के पर्चे पर लिखी गई हैं। अत: अधिसम्भाव्यत: यह है कि अपीलार्थीगण द्वारा ही परिवादिनी का इलाज किया गया है, जबकि उनके पास इलाज हेतु कोई शैक्षिक योग्यता नहीं थी। अत: उनका उत्तरदायित्व सुनिश्चित करने के संबंध में जो निष्कर्ष दिया गया है, उसमें कोई हस्तक्षेप उचित प्रतीत नहीं होता, परन्तु क्षतिपूर्ति (अंकन 1.5 लाख रूपये) अत्यधिक उच्च दर से निर्धारित की गई, जिसे अंकन 50,000/-रू0 किया जाना उचित है। तदनुसार प्रस्तुत अपील आंशिक रूप से स्वीकार होने योग्य है।
आदेश
6. प्रस्तुत अपील आंशिक रूप से स्वीकार की जाती है। विद्वान जिला आयोग द्वारा पारित निर्णय/आदेश दिनांक 21.09.2011 इस प्रकार परिवर्तित किया जाता है कि क्षतिपूर्ति अंकन 1,50,000/-रू0 के स्थान पर अंकन 50,000/-रू0 देय होगी। शेष निर्णय/आदेश पुष्ट किया जाता है।
प्रस्तुत अपील में अपीलार्थी द्वारा यदि कोई धनराशि जमा की गई हो तो उक्त जमा धनराशि अर्जित ब्याज सहित संबंधित जिला आयोग को यथाशीघ्र विधि के अनुसार निस्तारण हेतु प्रेषित की जाए।
आशुलिपिक से अपेक्षा की जाती है कि वह इस निर्णय को आयोग की वेबसाइट पर नियमानुसार यथाशीघ्र अपलोड कर दे।
(सुधा उपाध्याय) (सुशील कुमार(
सदस्य सदस्य
लक्ष्मन, आशु0, कोर्ट-2