(मौखिक)
राज्य उपभोक्ता विवाद प्रतितोष आयोग, उ0प्र0, लखनऊ
अपील सं0- 1548/2009
Executive Engineeer, Electricity Distribution Division , Bahraich.
………Appellant
Versus
Sushil kumar S/o Tara chand R/o Mohalla-Indira Nagar, Risia, Pargana, Tehsil &District-Bahraich
…………Respondent
समक्ष:-
माननीय श्री सुशील कुमार, सदस्य।
माननीय श्री विकास सक्सेना, सदस्य।
अपीलार्थी की ओर से : श्री मोहन अग्रवाल,
विद्वान अधिवक्ता।
प्रत्यर्थी की ओर से : श्री विष्णु कुमार मिश्रा,
विद्वान अधिवक्ता।
दिनांक:- 09.12.2021
माननीय श्री विकास सक्सेना, सदस्य द्वारा उद्घोषित
निर्णय
1. परिवाद सं0- 166/2007 सुशील कुमार बनाम अधिशासी अभियंता विद्युत वितरण खण्ड में जिला उपभोक्ता आयोग, बहराइच द्वारा पारित निर्णय/आदेश दि0 25.08.2009 के विरुद्ध यह अपील धारा 15 उपभोक्ता संरक्षण अधिनियम, 1986 के अंतर्गत राज्य आयोग के समक्ष से प्रस्तुत गई है।
2. विद्वान जिला उपभोक्ता आयोग ने परिवाद स्वीकार करते हुए अपीलार्थी/विपक्षी को निर्देशित किया है कि दि0 10.10.2006 से दि0 01.07.2007 की अवधि का विद्युत बिल वसूल न किया जाए, क्योंकि इस बीच विद्युत कनेक्शन संचालित नहीं हुआ है।
3. प्रश्नगत निर्णय एवं आदेश के विरुद्ध अपील इन आधारों पर प्रस्तुत की गई है कि प्रत्यर्थी/परिवादी आरा मशीन का संचालन करता है। मा0 सर्वोच्च न्यायालय के आदेश दि0 10.10.2006 के अनुसार विद्युत कनेक्शन विच्छेदित कर दिया गया तथा पुन: कनेक्शन जोड़ने की अनुमति प्रदान कर दी गई। परन्तु प्रत्यर्थी/परिवादी ने स्थायी रूप से विद्युत कनेक्शन विच्छेदित नहीं कराया। इसलिए जिस अवधि में आरा मशीन बन्द रही उस अवधि में न्यूनतम विद्युत शुल्क देना कानूनी बाध्यता है।
4. अपीलार्थी के विद्वान अधिवक्ता श्री मोहन अग्रवाल और प्रत्यर्थी के विद्वान अधिवक्ता श्री विष्णु कुमार मिश्रा को सुना गया। प्रश्नगत निर्णय व आदेश तथा पत्रावली पर उपलब्ध अभिलेखों का सम्यक परिशीलन किया गया।
5. प्रत्यर्थी/परिवादी ने अपने परिवाद पत्र में स्वीकार किया है कि वह आरा मशीन स्थापित किए हुए हैं। मा0 सर्वोच्च न्यायालय के आदेश दि0 10.10.2006 के अनुसार विद्युत कनेक्शन विच्छेदित कर दिया गया और केबिल भी काटकर उतार दिया गया, परन्तु पुन: कनेक्शन जोड़ने का आदेश दिया गया। दि0 02.07.2007 को विद्युत कनेक्शन पुन: चालू कर दिया गया। इसलिए दि0 10.10.2006 से दि0 02.07.2007 की अवधि का विद्युत शुल्क प्रत्यर्थी/परिवादी पर देय नहीं है।
6. परिवाद पत्र में कहीं पर भी यह उल्लेख नहीं है कि प्रत्यर्थी/परिवादी ने स्थायी रूप से विद्युत कनेक्शन विच्छेदित करने का अनुरोध किया हो एवं स्थायी रूप से विच्छेदन करने के लिए वांछित शुल्क विद्युत विभाग में जमा किया हो। इसलिए यदि प्रत्यर्थी/परिवादी द्वारा स्थायी रूप से विद्युत विच्छेदन नहीं कराया गया है और विद्युत कनेक्शन पुन: चालू हो चुका है तब प्रत्यर्थी/परिवादी इस अवधि के लिए न्यूनतम विद्युत शुल्क अदा करने के लिए उत्तरदायी है। अत: जिला उपभोक्ता आयोग द्वारा पारित निर्णय एवं आदेश संशोधित होने योग्य है।
आदेश
7. अपील आंशिक रूप से स्वीकार की जाती है। विद्वान जिला उपभोक्ता आयोग द्वारा पारित निर्णय एवं आदेश इस प्रकार परिवर्तित किया जाता है कि दि0 10.10.2006 से दि0 01.07.2007 की अवधि का प्रत्यर्थी/परिवादी न्यूनतम विद्युत शुल्क अदा करे। शेष निर्णय व आदेश की पुष्टि की जाती है।
अपील में धारा 15 उपभोक्ता संरक्षण अधिनियम के अंतर्गत अपीलार्थी द्वारा जमा धनराशि अर्जित ब्याज सहित इस निर्णय व आदेश के अनुसार निस्तारण हेतु जिला उपभोक्ता आयोग को प्रेषित की जावे।
आशुलिपिक से अपेक्षा की जाती है कि वह इस निर्णय/आदेश को आयोग की वेबसाइट पर नियमानुसार यथाशीघ्र अपलोड कर दें।
(विकास सक्सेना) (सुशील कुमार)
सदस्य सदस्य
शेर सिंह, आशु0
कोर्ट नं0- 2