Chhattisgarh

Raigarh

CC/140/2014

Basant Agrawal - Complainant(s)

Versus

Sushil Kumar Sharma & Ors - Opp.Party(s)

P.Kundoo

11 Mar 2015

ORDER

DISTRICT CONSUMAR DISPUTES REDRESSAL FORUM
RAIGARH C.G.
 
Complaint Case No. CC/140/2014
 
1. Basant Agrawal
Raigarh
Raigarh
Chhattisgar
...........Complainant(s)
Versus
1. Sushil Kumar Sharma & Ors
Raigarh
Raigarh
Chhattisgar
............Opp.Party(s)
 
BEFORE: 
 HON'BLE MR. SANMAN SINGH PRESIDENT
 HON'BLE MS. DR. HEMLATA SINGH MEMBER
 HON'BLE MR. SUBHAS PANDAY MEMBER
 
For the Complainant:P.Kundoo, Advocate
For the Opp. Party: Shubhash Nada, Advocate
ORDER

जिला उपभोक्ता विवाद प्रतितोषण फोरम,रायगढ़(छ0ग0)

        

 

समक्षः सनमान सिंह, अध्यक्ष                     प्रकरण क्रमांक 140/2014             

      सुभाष पाण्डेय, सदस्य                      संस्थित दिनांक-19.09.2014

           

           

           

 

बसंत अग्रवाल आ0 श्री गोविन्द राम अग्रवाल,

उम्र-49 वर्ष

निवासी-ढिमरापुर रोड, जगतपुर 

जिला रायगढ़ (छ0ग0) .......                          ......आवेदक/परिवादी

               

 

 

    

                                                       //वि     रू      द्ध//

 

1. सुशील कुमार शर्मा आ0 नामालूम

  पेशा-असिस्टेट जनरल मैनेजर,

  पंजाब नेशनल बैंक, शाखा, रायगढ़ (छ0ग0)

 

2. सर्किल हेड, पंजाब नेशनल बैंक,

  मदिना मंजिल कचहरी चैक, रायपुर (छ0ग0)

 

3. मुख्य कस्टमर अधिकारी (सी.सी.एस.ओ.)

  ईन्टरनल ओमबड्समन, पंजाब नेशनल बैंक

  कस्टमर केयर सेंटर,

  मुख्य कार्यालय-5 संसद मार्ग,

  नई दिल्ली-110001 ....                            . अनावेदकगण/विरूद्ध पा

                        आवेदक/परिवादी द्वारा श्री पी0कुण्डू, अधिवक्ता।

                        अनावेदकगण/विरूद्ध पार्टीगण द्वारा श्री एस0के0नन्दे, अधिवक्ता। 

 

                                     (आ  दे  श)

                                 (आज दिनांक 11/03/2015 को पारित)

 

सनमान सिंह, अध्यक्ष

 

1/                     आवेदक/परिवादी ने अनावेदकगण/विरूद्ध पार्टीगण के विरूद्ध स्वीकृत ऋण राशि की 4 माह का ब्याज लगभग 4,00,000/-रूपये आवेदक/परिवादी से वसूल न किये जाने तथा शेष ऋण राशि भुगतान किये जाने, 15,00,000/-रूपये शारीरिक एवं मानसिक क्षतिपूर्ति मय ब्याज तथा वाद व्यय दिलाये जाने बाबत् धारा-12 उपभोक्ता संरक्षण अधिनियम 1986 के अन्तर्गत प्रस्तुत परिवाद का निवर्तन किया जा रहा है।

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2/                     आवेदक/परिवादी का परिवाद संक्षिप्त में इस प्रकार है कि आवेदक/परिवादी का जगतपुर रायगढ़ में भूमि खसरा नं. 227/4, खसरा नं. 245/9 रकबा क्रमशः 0.024 एवं 0.118 हेक्टेयर स्थित है। उक्त भूमि पर आवेदक/परिवादी द्वारा आदित्य बिजनेस पार्क निर्माण किया जा रहा है तथा उक्त बिजनेस पार्क में ही होटल द सेफरान निर्माण किया जाना था। जिसके लिए आवेदक/परिवादी ने 2,00,000,00/-(दो करोड़ रूपये) ऋण स्वीकृति हेतु अनावेदक/विरूद्ध पार्टी क्र.1 से संपर्क किया। आवेदक/परिवादी होटल द सेफरान हेतु ऋण का आवेदन नगर पालिक निगम का नक्शा संलग्न कर अनावेदक/विरूद्ध पार्टी क्र.1 शाखा में प्रस्तुत किया तो बताया गया कि उक्त नक्शे के आधार पर ऋण स्वीकृत नहीं होगा, तब आवेदक/परिवादी दिनांक 28.02.2013 को पांच फ्लोर का आदित्य बिजनेस पार्क का नक्शा अनावेदक/विरूद्ध पार्टी क्र.1 के शाखा में प्रस्तुत किया। अनावेदक/विरूद्ध पार्टी क्र.1 के पेनल अधिवक्ता द्वारा आवेदक/परिवादी के स्वामित्व के भूमि का सर्च कराया गया। पेनल अधिवक्ता द्वारा दिनांक 25.10.2013 को सर्च रिपोर्ट अनावेदक/विरूद्ध पार्टी क्र.1 शाखा में प्रस्तुत किया। सर्च रिपोर्ट में यह स्पष्ट किया गया कि आवेदक/परिवादी के स्वामित्व की भूमि में निर्माणाधीन दुकान क्र.102 रकबा 1184.03 वर्गफुट राजाराम, दुकान क्र.204 रकबा 393.60 वर्गफुट उषादेवी को विक्रय किया जा चुका है। दुकान क्र.101 रकबा 1184 वर्गफुट संदीप अग्रवाल, दुकान क्र.201 रकबा 378.35 वर्गफुट अनिल अग्रवाल को विक्रय करने का संविदा किया जा चुका है।

 

 

3/                     सर्च रिपोर्ट दिनांक 25.10.2013 आवश्यक दस्तावेज के आधार पर अनावेदक/विरूद्ध पार्टी क्र.1 दिनांक 30.12.2013 को ऋण का अनुमोदन किया। आवेदक/परिवादी अनावेदक/विरूद्ध पार्टी क्र.1 के शाखा में चालू खाता क्र.0412002100066231 खोलवाया तथा ऋण खाता क्र.01200 आई.बी.00001896 खोलवाया। 2,00,000,00/-(दो करोड़ रूपये) ऋण के एवज में अनावेदक/विरूद्ध पार्टी क्र.1 के शाखा ने आवेदक/परिवादी के स्वामित्व की अचल सम्मत्ति का मूल्यांकन  7,02,000,00/-(सात करोड़ दो लाख रूपये) संपत्ति बंधक रखा। अनावेदक/विरूद्ध पार्टी क्र.1 द्वारा होटल द सेफरान हेतु 2,00,000,00/-(दो करोड़ रूपये) ऋण स्वीकृत किया गया, किन्तु होटल द सेफरान का स्टीमेट प्रस्तुत करने पर दिसम्बर 2013  से  16.05.2014 दिनांक तक 84,07,763/-रूपये ही ऋण भुगतान किया गया। शेष ऋण राशि 1,15,92,327/-रूपये का भुगतान नहीं हुआ, जबकि होटल निर्माण का कार्य 70 प्रतिशत पूर्ण हो गयां है। केवल प्लस्तर, टाईल्स, रंग रोगन, फिनिशिंग इत्यादि शेष है। जून 2014 में शेष ऋण राशि रीलिज करने हेतु स्टीमेट प्रस्तुत किया गया। उसी दरम्यिन रायगढ़ में अनावेदक/विरूद्ध पार्टी क्र.1 के शाखा में ए.जी.एम. के रूप में सुशील कुमार शर्मा की नियुक्ति की गई।

 

4/                     ए.जी.एम. द्वारा शेष ऋण राशि 1,15,92,327/-रूपये में से 10,00,000/-रूपये निर्माणाधीन होटल देखने के बाद रीलिज किया जाना बताया गया। निर्माणाधीन होटल देखा गया आर्किटेक्ट द्वारा स्टीमेट देने के बाद भी 10,00,000/-रूपये रीलिज करने से इंकार किया। ए.जी.एम. ने अगस्त 2014 को कस्टकर मिटिंग के बाद 10,00,000/-रूपये रीलिज करने का आश्वासन दिया। अनावेदक/विरूद्ध पार्टी क्र.1 के समक्ष लिफ्ट फिटिंग कंपनी का एग्रीमेंट भी जमा किया गया। एग्रीमेंट  के अनुसार लिफ्ट कंपनी को 3,00,000/-रूपये दिया जाना था। आवेदक/परिवादी ने  पुनः ए.जी.एम. से  शेष  ऋण  राशि रीलिज करने का

(3)

 

 

 

निवेदन किया और यह भी कहा कि ऋण रीलिज न किये जाने पर उसे अत्यधिक आर्थिक क्षति होगी। उसके बाद भी शेष ऋण राशि रीलिज नहीं किया गया, इसलिए उपरोक्त अनुतोष दिलाये जाने बाबत् यह परिवाद प्रस्तुत किया है।

 

5/                     अनावेदकगण/विरूद्ध पार्टीगण की ओर से जवाब में बताया गया है कि आवेदक/परिवादी ने सुशील कुमार शर्मा के व्यक्तिगत नाम से परिवाद प्रस्तुत किया है तथा सर्किल हेड एवं मुख्य कस्टमर अधिकारी के पदनाम से शिकायत किया है एवं पंजाब नेशनल बैंक रायगढ़ को पक्षकार नहीं बनाया है, इसलिए आवेदक/परिवादी द्वारा प्रस्तुत परिवाद पोषणीय नहीं है। पंजाब नेशनल बैंक रायगढ़ द्वारा आदित्य बिजनेस पार्क के लिए ऋण स्वीकृत नहीं किया है। दिनांक 27.05.2014 को सुशील कुमार शर्मा पंजाब नेशनल बैंक रायगढ़ में ए.जी.एम. के पद पर कार्यभार ग्रहण किया है। सर्च रिपोर्ट आदित्य बिजनेस पार्क के संबंध में दिया गया था, जबकि आवेदक/परिवादी होटल द सेफरान के निर्माण हेतु ऋण प्राप्त करने हेतु आवेदन दिया था। आवेदक/परिवादी को होटल द सेफरान निर्माण के लिए ही ऋण स्वीकृत किया गया है। आवेदक/परिवादी द्वारा नगर पालिक रायगढ़ से आदित्य बिजनेस पार्क के संबंध में अनुमति क्र.575 दिनांक   06.03.2013 का अनुज्ञा व नक्शा प्रस्तुत किया था। आवेदक/परिवादी होटल द सेफरान निर्माण के संबंध में कोई नक्शा नगर पालिस निगम से स्वीकृत नहीं कराया है और न ही होटल द सेफरान निर्माण हेतु अनुज्ञा प्राप्त किया है। नगर एवं ग्राम निवेश से भी होटल द सेफरान निर्माण के लिए कोई अनुज्ञा या अनापत्ति प्रमाण पत्र प्राप्त नहीं किया है। आवेदक/परिवादी द्वारा होटल द सेफरान का निर्माण नहीं किया जा रहा है, बल्कि आदित्य बिजनेस पार्क का निर्माण किया जा रहा है। जिसके लिए अनावेदक/विरूद्ध पार्टी क्र.1 द्वारा ऋण स्वीकृत नहीं किया गया है। आवेदक/परिवादी होटल द सेफरान का नक्शा प्रस्तुत किया था, किन्तु उक्त नक्शे के आधार पर होटल का निर्माण नहीं किया जा रहा है।

 

6/                     पंजाब नेशनल बैंक रायगढ़ के अधिकारी स्थल सत्यापन पर गये तो ज्ञात हुआ कि आवेदक/परिवादी होटल द सेफरान के नाम से ऋण स्वीकृत कराया है, किन्तु नक्शे के अनुसार होटल का निर्माण नहीं किया जा रहा है। आवेदक/परिवादी होटल द सेफरान हेतु ऋण स्वीकृत कराकर तथा होटल का निर्माण न कर बैंक के साथ धोखाधड़ी किया है। बैंक के अंकेक्षक के द्वारा जांच किये जाने पर कई विसंगतियां पायी गई। दिनांक 25.10.2013 की सर्च रिपोर्ट आदित्य बिजनेस पार्क जो व्यवसायिक काम्पलेक्स से संबंधित है। होटल द सेफरान जो लक्जरियस होटल है का कोई सर्च रिपोर्ट प्रस्तुत नहीं लिया है। आवेदक/परिवादी बैंक को धोखे में रखकर होटल द सेफरान के लिए 84,07,763/-रूपये ऋण स्वीकृत कराया है। होटल द सेफरान के लिए लिये गये ऋण के संबंध में अपने स्वामित्व का भूमि अनावेदक/विरूद्ध पार्टी क्र.1 के पास बंधक रखा है। उक्त भूमि में दुकान निर्माण कर राजाराम एवं उषादेवी को विक्रय कर दिया है तथा एक दुकान अनिल अग्रवाल को विक्रय करने का सौदा किया है, जबकि बंधक संपत्ति जब तक बंधक में रहता है। उसका कोई भी हिस्सा न तो विक्रय किया जा सकता है और न ही हस्तांतरण किया जा सकता है, क्योकि बंधक संपत्ति बैंक के चार्ज में रहता है, इस तरह आवेदक/परिवादी अपने स्वामित्व की भूमि बैंक के पास बंधक रखा और दूसरी ओर उसमें दुकान निर्माण कर विक्रय कर धोखाधड़ी किया है।

(4)

 

 

 

 

7/                     आर्किटेक्ट द्वारा जो स्टीमेट दिया जाना बताया जा रहा है। वह होटल द सेफरान का नहीं था। बैंक के अनुमोदित आर्किटेक्ट से होटल द सेफरान लक्जरियस होटल के अनुमानित लागत के संबंध में रिपोर्ट मांगा गया। अनुमोदित आर्किटेक्ट रवि कुमार पाण्डेय द्वारा दिनांक 20.08.2014 को पत्र दिया था। जो स्टीमेट कार्य के संबंध में 1.26 करोड़ रूपये का दिया है। वह मध्यम वर्ग निर्माण के संबंध में है। लक्जरियस निर्माण के संबंध में नहीं है। लक्जरियस निर्माण में 1.5 गुना खर्च होगा। आवेदक/परिवादी को 2 करोड़ रूपये में से 84 लाख रूपये ऋण राशि भुगतान किया जा चुका है। शेष 1,16 करोड़ के अलावा 72 लाख रूपये आवेदक/परिवादी निर्माण हेतु कहा से लगायेगा। इस संबंध में अनावेदक/विरूद्ध पार्टी क्र.1 द्वारा आवेदक/परिवादी से पूछे जाने पर कोई जवाब नहीं दिया। आवेदक/परिवादी द्वारा चार्टर एकाउटेन्ट का कोई प्रमाण पत्र दिनांक 15.06.2014 का प्रस्तुत नहीं किया है।  आर्किटेक्ट रवि कुमार पाण्डेय द्वारा जो स्टीमेट दिया गया था। वह सामान्य होटल के संबंध में था। लक्जरीयस होटल के संबंध में नहीं था।

 

8/                     रिजर्व बैंक आफ इण्डिया के निर्देशानुसार बैंक को यह देखना पड़ता है कि जिस व्यक्ति, संस्था या प्रोजेक्ट को ऋण स्वीकृत किया गया है। वह पूर्ण होकर बैंक का ऋण वापस करने की अवस्था में है। ऋण खाता एन0पी0ए0(नान परफार्मिंग ऐसेट)  नहीं होना चाहिए, यदि ऋण एन0पी0ए0 होता है तो बैंक का ऋण वापस भुगतान नहीं हो पाता। आवेदक/परिवादी द्वारा जिन शर्तो पर ऋण स्वीकृत हुआ है। उसका पालन नहीं किया जा रहा है। ऐसी स्थिति में बैंक द्वारा शेष ऋण राशि प्रदाय नहीं किया जाता तो वह संव्यवहार सेवा में कमी की श्रेणी में नहीं आता। आवेदक/परिवादी होटल द सेफरान निर्माण हेतु 2 करोड़ रूपये ऋण स्वीकृत कराया है। जिसके आधार पर प्रोजेक्ट रिपोर्ट प्रस्तुत किया है। प्रोजेक्ट कास्ट का 53.93 प्रतिशत मार्जिन मनी की व्यवस्था आवेदक/परिवादी को करना है्र अर्थात् 2 करोड़ रूपये स्वीकृत हुआ है तो यह केवल प्रोजेक्ट कास्ट का 46.07 प्रतिशत राशि है। शेष 53.93 प्रतिशत जो 2 करोड़ 50 लाख रूपये से भी अधिक राशि मार्जिन मनी के रूप में आवेदक/परिवादी को व्यवस्था करना था जो नहीं किया जाता है तो स्वीकृत राशि के शर्तो का उल्लंघन है। ऐसी स्थिति में बैंक को यह अधिकार है कि शेष ऋण राशि रीलिज करने से अस्वीकार कर सकता है।

 

9/                     आवेदक/परिवादी द्वारा होटल द सेफरान लक्जरियस होटल के लिए ऋण स्वीकृत कराकर उसके स्थान पर कामर्शियल काम्पलेक्स का निर्माण किया जा रहा है। जो ऋण शर्तो का उल्लंघन है। आवेदक/परिवादी कामर्शियल काम्पलेक्स निर्माण के लिए दिनांक 18.12.2012 को प्रारूप (क) घोषणा पत्र देते हुए पंजीयन रजिस्ट्रार कार्यालय रायगढ़ में 08.03.2013 को पंजीयन कराया है। आवेदक/परिवादी कामर्शियल काम्पलेक्स बना रहा है, जबकि होटल द सेफरान हेतु ऋण प्राप्त किया है। आवेदक/परिवादी होटल द सेफरान का जो नक्शा प्रस्तुत किया है। नगर पालिक निगम रायगढ़ से विधिवत् अनुमति लेने का उल्लेख नक्शा में किया है, किन्तु उक्त अनुमति पत्र मांगे जाने पर प्रस्तुत नहीं किया गया है। नक्शे में भूतल अर्थात् ग्राउंड फ्लोर में रेस्टोरेंट, कांफ्रेस हाल एवं रिसेप्शन हाल बनाये जाने का प्रस्ताव है। उसके स्थान पर आवेदक/परिवादी दुकान का निर्माण कर तीन दुकान न्यू अलंकार होटल, श्री जी गिफ्ट एवं हार्डवेयर दुकान पृथ्वी  सिंघानिया  को  किराये  पर दिया है या अन्य प्रकार से हस्तांतरित

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किया गया है। जो नक्शे के विपरीत है। स्थल निरीक्षण करने पर जानकारी हुई कि आवेदक/परिवादी ने उपरोक्त तीनों भूतल में दुकान बनाकर किराये पर या हस्तांतरित कर दिया है।

 

10/                   आवेदक/परिवादी ने जिस उद्देश्य के लिए ऋण लिया है। उस उद्देश्य में परिवर्तन कर दिया है। जो स्वीकृत ऋण राशि के विपरीत है। अनावेदक/विरूद्ध पार्टी क्र.1 द्वारा दिनांक 22.08.2014, 01.09.2014, 10.09.2014 एवं 23.09.2014 को आवेदक/परिवादी को पत्र प्रेषित कर कमी को पूरा करने का निर्देश दिया गया, किन्तु आवेदक/परिवादी द्वारा बिना अनुमति के उद्देश्य को बदलते हुए अनाधिकृत निर्माण करना पाया गया। आवेदक/परिवादी से मार्जिन मनी तथा आर्किटेक्ट द्वारा दिये गये स्टीमेट के अनुसार शेष 72 लाख रूपये कहां से प्राप्त करेगा के संबंध में स्पष्टीकरण मांगा गया। जिसका पालन आज तक नहीं किया गया। बैंक के आडिटर द्वारा भी कमी निकाला गया। उसे भी पूर्ण नहीं किया गया। आवेदक/परिवादी ऋण शर्तो तथा निष्पादित एग्रीमेंट का उल्लंघन किया है। आवेदक/परिवादी अनावेदक/विरूद्ध पार्टी क्ऱ.1 पर झूठा लांछन लगाकर परिवाद प्रस्तुत किया है। अनावेदक/विरूद्ध पार्टी क्र.1 ने बैंक का हित संरक्षित किया है। आवेदक/परिवादी बकाया ऋण राशि 1 करोड़ 16 लाख रूपये रीलिज करने के संबंध में अनुतोष चाहा है। जिसकी सुनवायी का क्षेत्राधिकार जिला उपभोक्ता फोरम रायगढ़ को नहीं है। इसलिए आवेदक/परिवादी का परिवाद निरस्त किया जावे।

 

11/                   उभयपक्ष की ओर से प्रस्तुत लिखित तर्क एवं दस्तावेजों का अवलोकन किया गया।

 

12/                   आवेदक/परिवादी की ओर से नगर पालिक निगम रायगढ़ का नक्शा दिनांक  06.03.2013, अनावेदकगण/विरूद्ध पार्टी द्वारा कराया गया सर्च रिपोर्ट दिनांक  25.10.2013, ऋण स्वीकृति अनुमोदन दिनांक 30.12.2013, भूमि बंधक, आवेदक/परिवादी का करेण्ट एकाउट दिनांक 16.11.2013, ऋण खाता दिनांक 25.02.2014, आर्किटेक्ट का प्रमाण दिनांक 12.06.2014, होटल के सी.ए. का स्टीमेट दिनांक 15.06.2014, 10,00,000/-रूपये रीलिज करने आवेदन  दिनांक 27.06.2014, आर्किटेक्ट द्वारा निर्माण के संबंध में स्टीमेट दिनांक 12.07.2014, उक्त स्टीमेट को अनावेदक/विरूद्ध पार्टी क्र.1 शाखा के आर्किटेक्ट द्वारा एप्रुवल, ऋण रीलिज करने आवेदन दिनांक 06.08.2014, लिफ्ट कंपनी का अनुबंध   दिनांक 05.08.2014,  एजीएम सुशील कुमार शर्मा के विरूद्ध शिकायत दिनांक 24.08.2014, अनावेदक/विरूद्ध पार्टी क्ऱ.1 शाखा द्वारा आवेदक/परिवादी को पत्र दिनांक  22.08.2014, 27.08.2014, कोरियर लिफाफा, अनावेदक/विरूद्ध पार्टी क्र.3 को प्रेषित शिकायत दिनांक 01.09.2014, अनावेदक/विरूद्ध पार्टी क्र.3 द्वारा प्रेषित जवाब दिनांक 01.09.2014, आवेदक/परिवादी द्वारा प्रेषित जवाब  दिनांक  06.09.2014, अनावेदक/विरूद्ध पार्टी क्ऱ.1 शाखा के एजीएम का जवाब दिनांक 10.09.2014 सहित समस्त दस्तावेजों की छायाप्रति प्रस्तुत किया है।

 

13/                   आवेदक/परिवादी की ओर से लिखित तर्क में बताया है कि आवेदक/परिवादी अपने स्वामित्व की भूमि प0ह0नं014 खसरा नं. 227/4, खसरा नं. 245/9 रकबा क्रमशः 0.024 एवं 0.118 हेक्टेयर जो जगतपुर रायगढ़ में स्थित है का भू-स्वामी है। आवेदक/परिवादी उक्त भूमि पर आदित्य बिजनेस पार्क निर्माण कर रहा है। आवेदक/परिवादी के अनुसार आदित्य बिजनेस पार्क में ही होटल द सेफरान निर्माण करने  के  लिए 2,00,000,00/-(दो करोड़ रूपये) ऋण

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स्वीकृति हेतु अनावेदक/विरूद्ध पार्टी क्र.1 से संपर्क किया। जिसके संबंध में  ऋण आवेदन नगर पालिक निगम का नक्शा प्रस्तुत किया। अनावेदक/विरूद्ध पार्टी क्र.1  द्वारा बताया गया कि प्रस्तुत नक्शे के आधार पर ऋण स्वीकृत होना संभव नहीं है, तब आवेदक/परिवादी दिनांक 28.02.2013 को पांच फ्लोर का आदित्य बिजनेस पार्क का नक्शा अनावेदक/विरूद्ध पार्टी क्र.1 के समक्ष प्रस्तुत किया। अनावेदक/विरूद्ध पार्टी क्र.1 जोनल पेनल अधिवक्ता के माघ्यम से आवेदक/परिवादी के भूमि का सर्च कराया गया। पेनल अधिवक्ता द्वारा दिनांक 25.10.2013 को सर्च रिपोर्ट अनावेदक/विरूद्ध पार्टी क्र.1 शाखा में प्रस्तुत किया। जिसके अनुसार भूमि पर किसी प्रकार का विवाद नहीं पाया गया। सर्च रिपोर्ट में यह स्पष्ट किया गया कि उक्त भूमि पर दुकान क्र.102 रकबा 1184.03 वर्गफुट राजाराम, दुकान क्र.204 रकबा 393.60 वर्गफुट उषादेवी को विक्रय किया जा चुका है। दुकान क्र.101 रकबा 1184 वर्गफुट संदीप अग्रवाल, दुकान क्र.201 रकबा 378.35 वर्गफुट अनिल अग्रवाल को विक्रय करने का सौदा किया गया है।

 

14/                   अनावेदक/विरूद्ध पार्टी क्र.1 ने प्रस्तुत दस्तावेज के आधार पर दिनांक 30.12.2013 को ऋण हेतु अनुमोदन किया गया। आवेदक/परिवादी अनावेदक/विरूद्ध पार्टी क्र.1 के शाखा में चालू खाता क्र.0412002100066231 खोलवाया तथा ऋण खाता क्र.01200 आई.बी.00001896 खोलवाया। 2,00,000,00/-(दो करोड़ रूपये) ऋण के एवज में अनावेदक/विरूद्ध पार्टी क्र.1 शाखा ने आवेदक/परिवादी के स्वामित्व के भूमि का मूल्यांकन  7,02,000,00/-(सात करोड़ दो लाख रूपये) को बंधक रखा और 2,00,000,00/-(दो करोड़ रूपये) होटल द सेफरान हेतु ऋण स्वीकृत किया गया। आवेदक/परिवादी द्वारा होटल द सेफरान हेतु समय-समय पर स्टीमेट प्रस्तुत करने पर दिसम्बर 2013 से दिनांक 16.05.2014 तक स्वीकृत ऋण राशि में से 84,07,763/-रूपये भुगतान किया गया। शेष ऋण राशि 1,15,92,327/-रूपये का भुगतान होना शेष था। आवेदक/परिवादी का यह भी तर्क है कि होटल निर्माण का कार्य 70 प्रतिशत पूर्ण हो चुका है। केवल प्लस्तर, टाईल्स, रंग रोगन, फिनिशिंग इत्यादि शेष है। आवेदक/परिवादी जून 2014 में शेष ऋण राशि रीलिज करने हेतु स्टीमेट सहित आवेदन अनावेदक/विरूद्ध पार्टी क्र.1  के समक्ष प्रस्तुत किया। तब अनावेदक/विरूद्ध पार्टी क्र.1 के शाखा में ए.जी.एम. के रूप में सुशील कुमार शर्मा की नियुक्ति हुई थी।

 

15/                   आवेदक/परिवादी ने अनावेदक/विरूद्ध पार्टी क्र.1 से शेष ऋण राशि में से 10,00,000/-रूपये रीलिज करने का निवेदन किया, तब अनावेदक/विरूद्ध पार्टी क्र.1 द्वारा कहा गया कि मौका निरीक्षण के बाद राशि रीलिज किया जायेगा। आवेदक/परिवादी का यह भी तर्क है कि सुशील कुमार शर्मा ने आवेदक/परिवादी से अपने पुत्री के शादी हेतु 5,00,000/-रूपये एवं ज्वेलरी की मांग की, जिसे आवेदक/परिवादी द्वारा देने से इंकार किया गया तो अनावेदक/विरूद्ध पार्टी क्र.1 ने 10,00,000/-रूपये अपनी पुत्री की शादी के बाद रीलिज करने का आश्वासन दिया, किन्तु सुशील कुमार द्वारा 10,00,000/-रूपये रीलिज नहीं किया गया। आवेदक/परिवादी दिनांक 12.06.2014 को अनावेदक/विरूद्ध पार्टी क्र.1 के समक्ष स्टीमेट भी प्रस्तुत किया था तथा सी.ए.का प्रमाण पत्र भी दिनांक 15.06.2014 को प्रस्तुत किया। दिनांक 12.07.2014 को आवेदक/परिवादी आर्किटेक्ट से स्टीमेट बनवाकर अनावेदक/विरूद्ध पार्टी क्र.1  के शाखा में जमा किया। उसके बाद भी सुशील कुमार शर्मा ने बैंक के अधिकृत आर्किटेक्ट/सर्वेयर  से  एपु्रभ्ड  कराकर  लाने  को  कहा।  आवेदक /परिवादी

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आर्किटेक्ट/सर्वेयर से विधिवत् स्टीमेट जांच कर एपु्रव्ल कराकर प्रस्तुत किया। उसके बाद भी अनावेदक/विरूद्ध पार्टी क्र.1 द्वारा शेष राशि रीलिज नहीं किया गया।

 

16/                   आवेदक/परिवादी का यह भी तर्क है कि  होटल द सेफरान में लिफ्ट फिटिंग करने हेतु  कोन कंपनी से एग्रीमेंट किया। एग्रीमेंट  के अनुसार लिफ्ट कंपनी को 3,00,000/-रूपये दिया जाना था, किन्तु सुशील कुमार शर्मा ने़ ऋण राशि रीलिज नहीं किया गया। आवेदक/परिवादी का यह भी तर्क है कि  शेष  ऋण  राशि रीलिज न करने के संबंध में शिकायत भी किया था। उसके बाद भी शेष ऋण राशि रीलिज नहीं किया गया, इसलिए परिवाद के अनुरूप अनुतोष दिलाये जाने का निवेदन किया है।

 

17/                   अनावेदकगण/विरूद्ध पार्टीगण की ओर से होटल द सेफरान का चित्र जो बैंक में प्रस्तुत किया है, पी.एन.बी. द्वारा होटल द सेफरान का ऋण स्वीकृति पत्र जिसमें शर्ता का उल्लेख है दिनांक 27.12.2013, आवेदक/परिवादी द्वारा आदित्य बिजनेस पार्क घोषणा पत्र दिनांक 08.03.2013, टर्म लोन एग्रीमेंट दिनांक 30.12.2012, हाइपोथिकेशन आफ ऐसेट-2 सिक्योर टर्म लोन दिनांक 30.12.2012, होटल द सेफरान का नक्शा, अलंकार रेस्टोरेंट, श्री जी गिफ्ट एवं एच.टू.ओ. पृथ्वी स्टील हार्डवेयर दुकान खुला है को किराये पर या अन्य प्रकार से अंतरित किया गया है। चीफ आडिटर गौतम मुखर्जी का आडिट रिपोर्ट दिनांक 30.06.2014, रवि कुमार पाण्डेय बैंक का अनुमोदित इंजीनियर द्वारा होटल द सेफरान के संबंध में दिया गया बैंक को पत्र दिनांक 20.08.2014, पी.एन.बी.रायगढ़ के ए.जी.एम.द्वारा शिकायतकर्ता को ऋण शर्त का पालन व दस्तावेज प्रस्तुत करने बाबत् पत्र दिनांक 10.09.2014, ए.जी.एम.द्वारा शिकायतकर्ता को भेजा गया पत्र दिनांक 01.09.2014, 23.09.2014, 22.08.2014 एवं मैनेजर क्रेडिट द्वारा दिया गया स्थल निरीक्षण रिपोर्ट दिनांक 10.06.2014 सहित समस्त दस्तावेजों की छायाप्रति प्रस्तुत किया गया है। 

 

18/                   अनावेदकगण/विरूद्ध पार्टीगण की ओर से लिखित तर्क में बताया है कि आवेदक/परिवादी को होटल द सेफरान हेतु 2 करोड़ रूपये स्वीकृत किया गया था। जिसमें दिनांक 16.05.2014 को 84,07,763/-रूपये भुगतान किया गया है। आवेदक/परिवादी आदित्य बिजनेस पार्क निर्माण के लिए अनावेदक/विरूद्ध पार्टी क्र.1 से ऋण स्वीकृत नहीं कराया है। दिनांक 28.02.2013 को आवेदक/परिवादी की ओर से निर्माण के संबंध में प्लान नक्शा दिये जाने पर अनावेदक/विरूद्ध पार्टी क्र.1 शाखा के पैनल अधिवक्ता द्वारा आवेदक/परिवादी के भूमि का सर्च नहीं कराया था, बल्कि आदित्य बिजनेस पार्क के नाम से निर्माणाधीन बहुमंजिला इमारत का सर्च कराया गया था, जबकि आवेदक/परिवादी को होटल द सेफरान निर्माण के लिए ही ऋण स्वीकृत किया गया है। आवेदक/परिवादी की ओर से निर्माण के संबंध में अनुमति क्र.575 दिनांक 06.03.2013 नगर पालिक निगम से नक्शा स्वीकृत कराकर प्रस्तुत किया था। वह आदित्य बिजनेस पार्क का है। आवेदक/परिवादी होटल द सेफरान निर्माण के संबंध में कोई नक्शा स्वीकृत नहीं कराया है और न ही होटल द सेफरान निर्माण हेतु अनुज्ञा प्राप्त किया है। नगर एवं ग्राम निवेश से भी होटल द सेफरान निर्माण के लिए कोई अनुज्ञा या अनापत्ति प्रमाण पत्र प्राप्त नहीं किया है। आवेदक/परिवादी द्वारा होटल द सेफरान का निर्माण नहीं किया जा रहा है, बल्कि आदित्य बिजनेस पार्क का निर्माण किया जा रहा है। जिसके लिए ऋण स्वीकृत नहीं किया गया है।

 

                               (8)

 

 

19/                   अनावेदकगण/विरूद्ध पार्टीगण का यह भी तर्क है कि अनावेदक/विरूद्ध पार्टी क्र.1 के अधिकारी स्थल सत्यापन पर गये तो उन्होंने पाया कि नक्शे के अनुसार होटल द सेफरान निर्माण नहीं किया जा रहा है। जिसके लिए अनावेदक/विरूद्ध पार्टी क्र.1 द्वारा ऋण स्वीकृत किया गया था। अनावेदकगण/विरूद्ध पार्टीगण का यह भी तर्क है कि आवेदक/परिवादी पंजाब नेशनल बैंक को गुमराह किया है। आवेदक/परिवादी होटल द सेफरान निर्माण के लिए ऋण स्वीकृत कराकर  बैंक के साथ धोखाधड़ी किया है। बैंक के अंकेक्षक के द्वारा जांच किये जाने पर कई विसंगतियां पायी गई। अनावेदकगण/विरूद्ध पार्टीगण का यह भी तर्क है कि दिनांक 25.10.2013 की सर्च रिपोर्ट आदित्य बिजनेस पार्क जो व्यवसायिक काम्पलेक्स से संबंधित है। आवेदक/परिवादी होटल द सेफरान का सर्च रिपोर्ट प्रस्तुत नहीं लिया है। आवेदक/परिवादी 84,07,763/-रूपये ऋण प्राप्त कर होटल द सेफरान का निर्माण न करते हुए आदित्य बिजनेस पार्क का निर्माण कर रहा है। जो स्वीकृत ऋण के विपरीत है। अनावेदकगण/विरूद्ध पार्टीगण का यह भी तर्क है कि आवेदक/परिवादी जिस भूमि को बंधक रखा है। उक्त भूमि में दुकान निर्माण कर राजाराम एवं उषादेवी को विक्रय कर दिया है तथा एक दुकान अनिल अग्रवाल को विक्रय करने का सौदा किया है, जबकि बंधक संपत्ति जब तक बंधक में रहता है। उसका कोई भी हिस्सा न तो विक्रय किया जा सकता है और न ही हस्तांतरण किया जा सकता है।

 

20/                   अनावेदकगण/विरूद्ध पार्टीगण का यह भी तर्क है कि आर्किटेक्ट रवि कुमार पाण्डेय द्वारा दिनांक 20.08.2014 को रिपोर्ट दिया था। जिसके अनुसार 1.26 करोड़ रूपये मध्यम वर्ग के संबंध में है। लक्जरियस क्लास निर्माण के संबंध में नहीं है। लक्जरियस निर्माण में 1.5 गुना खर्च होगा। आवेदक/परिवादी को 2 करोड़ रूपये में से 84 लाख रूपये पूर्व में भुगतान किया जा चुका है। शेष 1.16 करोड़ के अलावा 72 लाख रूपये आवेदक/परिवादी निर्माण हेतु कहा से प्राप्त करेगा इस संबंध में पत्र प्रेषित कर पूछा गया जिसका जवाब नहीं दिया गया। और न ही आवेदक/परिवादी द्वारा सी.ए. का कोई प्रमाण पत्र दिया गया। आवेदक/परिवादी द्वारा स्वीकृत ऋण राशि के विपरीत है आदित्य बिजनेस पार्क के निर्माण किये जाने के संबंध में अनावेदक/विरूद्ध पार्टी क्र.1 की ओर से दिनांक 22.08.2014, 01.09.2014, 10.09.2014 एवं 23.09.2014 को पत्र प्रेषित कर जानकारी चाहा गया तथा यह भी पूछा गया कि आर्किटेक्ट द्वारा दिये गये स्टीमेट के अनुसार शेष 72 लाख रूपये कहा से प्राप्त करेगा। जिसके संबंध में आवेदक/परिवादी द्वारा कोई जवाब नहीं दिया गया। निष्पादित टर्म लोन एग्रीमेंट के शर्त क्र.8 के अनुसार बैंक को कभी भी उसके द्वारा स्वीकृत ऋण को रोकने का अधिकार बिना कारण बताये है। आवेदक/परिवादी जिस प्रोजेक्ट के लिए ऋण स्वीकृत कराया था। उक्त ऋण राशि को दूसरे प्रोजेक्ट में खर्च किया जा रहा था, इसलिए शेष ऋण राशि बैंक के हित में आवेदक/परिवादी को भुगतान नहीं किया गया।

 

21/                   अंत में अनावेदकगण/विरूद्ध पार्टीगण का यह भी तर्क है कि आवेदक/परिवादी को 2 करोड़ रूपये स्वीकृत ऋण के एवज में 84,07,763/-रूपये भुगतान किया गया है। शेष ऋण राशि 1,15,92,327/-रूपये रीलिज किये जाने हेतु आवेदक/परिवादी ने परिवाद प्रस्तुत कर अनुतोष चाहा है, इस तरह से आवेदक/परिवादी 15,00,000/-रूपये मानसिक क्षतिपूर्ति, 4,00,000/-रूपये ऋण का ब्याज सहित कुल 1,34,92,327/-रूपये का अनुतोष चाहा है। धारा-11(1) उपभोक्ता संरक्षण अधिनियम के अन्तर्गत  जिला  उपभोक्ता

 

                              (9)

 

फोरम को केवल 20,00,000/-रूपये तक के परिवाद सुनवायी का क्षेत्राधिकार है। आवेदक/परिवादी का परिवाद जिला उपभोक्ता फोरम के आर्थिक सुनवायी क्षेत्राधिकार के अन्तर्गत नहीं है, इसलिए आवेदक/परिवादी का परिवाद निरस्त किया जावे।

 

22/                   आवेदक/परिवादी के परिवाद से ही स्पष्ट है कि आवेदक/परिवादी द्वारा आदित्य बिजनेस पार्क का निर्माण किया जा रहा है और उसी परिसर में होटल द सेफरान के निर्माण हेतु 2 करोड़ रूपये ऋण अनावेदक/विरूद्ध पार्टी  क्र.1 से स्वीकृत कराया है। जिसमें से दिनांक 16.05.2014 को 84,07,763/-रूपये भुगतान किया गया है। शेष ऋण राशि 1,15,92,327/-रूपये में से 10,00,000/-रूपये रीलिज करने हेतु स्टीमेट दिया था। जिसका भुगतान आवेदक/परिवादी को नहीं किया गया।

 

23/                   आवेदक/परिवादी के परिवाद से यह भी स्पष्ट है कि आवेदक/परिवादी होटल द सेफरान के लिए 2 करोड़ रूपये ऋण स्वीकृत कराया है। होटल द सेफरान व्यवसायिक उद्देश्य के लिए है। ऐसी स्थिति में आवेदक/परिवादी धारा-2 (घ) (१) (२) उपभोक्ता संरक्षण अधिनियम के अन्तर्गत उपभोक्ता की श्रेणी में नहीं आता।

 

24/                   आवेदक/परिवादी ने स्वीकृत ऋण के चार माह का ब्याज 4,00,000/-रूपये आवेदक/परिवादी से वसूल न किये जाने तथा शेष ऋण राशि आवेदक/परिवादी को भुगतान किये जाने, 15,00,000/-रूपये आर्थिक/मानसिक क्षतिपूर्ति का अनुतोष चाहा है। आवेदक/परिवादी को होटल द सेफरान निर्माण हेतु 2 करोड़ रूपये अनावेदक/विरूद्ध पार्टी क्र.1 द्वारा स्वीकृत किया गया है। जिसमें से दिनांक 16.05.2014 को 84,07,763/-रूपये भुगतान किया गया है। उक्त भुगतान की गई ऋण राशि का चार माह का ब्याज 4,00,000/-रूपये की वसूली रोकने का अनुतोष आवेदक/परिवादी द्वारा चाहा गया है। जो विधि के विधि-विरूद्ध है।

 

25/                   स्वीकृत ऋण राशि 2 करोड़ रूपये में से 84,07,763/-रूपये भुगतान किया गया है। शेष ऋण राशि 1,15,92,327/-रूपये अनावेदकगण/विरूद्ध पार्टीगण से रीलिज किये जाने का अनुतोष आवेदक/परिवादी ने चाहा है। नियम-9 (क) उपभोक्ता संरक्षण नियम 1987 के प्रावधान के अन्तर्गत जिला उपभोक्ता फोरम को केवल 20,00,000/-(बीस लाख रूपये) तक के परिवाद का आर्थिक सुनवायी क्षेत्राधिकार है। आवेदक/परिवादी 1,15,92,327/-रूपये रीलिज किये जाने का अनुतोष चाहा है। उक्त अनुतोष जिला उपभोक्ता फोरम के क्षेत्राधिकार से परे है। आवेदक/परिवादी न तो उपभोक्ता संरक्षण अधिनियम के अन्तर्गत उपभोक्ता है और न ही आवेदक/परिवादी का परिवाद उपभोक्ता विवाद के अन्तर्गत आता है। अतः आवेदक/परिवादी का परिवाद निरस्त किया जाता है। उभयपक्ष अपना-अपना वाद व्यय स्वयं वहन करेंगे।     

 

 

                                                                                        

 

 

 

              

(सनमान सिंह)                                                          (सुभाष  पाण्डेय)

    अध्यक्ष                                                                            सदस्य

जिला उपभोक्ता विवाद प्रतितोषण                      जिला उपभोक्ता विवाद प्रतितोषण

 फोरम,रायगढ़(छ0ग0)                                                   फोरम,रायगढ़(छ0ग0)                                       

 

         

 

 

 

 

 

 

 

 

 

 

 

 

 

 

 
 
[HON'BLE MR. SANMAN SINGH]
PRESIDENT
 
[HON'BLE MS. DR. HEMLATA SINGH]
MEMBER
 
[HON'BLE MR. SUBHAS PANDAY]
MEMBER

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