Uttar Pradesh

StateCommission

A/2014/281

Skoda Auto India - Complainant(s)

Versus

Sushil Kumar Agarwal - Opp.Party(s)

Syed Sayeed Akhtar

18 Feb 2016

ORDER

STATE CONSUMER DISPUTES REDRESSAL COMMISSION, UP
C-1 Vikrant Khand 1 (Near Shaheed Path), Gomti Nagar Lucknow-226010
 
First Appeal No. A/2014/281
(Arisen out of Order Dated in Case No. of District State Commission)
 
1. Skoda Auto India
a
...........Appellant(s)
Versus
1. Sushil Kumar Agarwal
a
...........Respondent(s)
 
BEFORE: 
 HON'BLE MR. Chandra Bhal Srivastava PRESIDING MEMBER
 HON'BLE MR. Sanjay Kumar MEMBER
 
For the Appellant:
For the Respondent:
ORDER

सुरक्षित

राज्‍य उपभोक्‍ता विवाद प्रतितोष आयोग, उ0प्र0 लखनऊ

 

 

(जिला उपभोक्‍ता विवाद प्रतितोष फोरम, प्रथम, आगरा द्वारा परिवाद संख्‍या 469/2007 में पारित प्रश्‍नगत निर्णय एवं  आदेश दिनांक 08.01.2014 के विरूद्ध)

 

अपील संख्‍या 281 सन 2014

M/s Skoda Auto India Private Limited A-1/1 Five Star industrial Area Shendra, Midcaurangabad, Maharashtra .              ............अपीलार्थी

बनाम

Sushil Kumar Agarwal S/o Ramji lal Agarwal Resident of 58,Siddharth Elclave Mau Road, Agra & others             ......प्रत्‍यर्थीगण

 

समक्ष:-

मा0   श्री चन्‍द्र भाल श्रीवास्‍तव,  पीठासीन  सदस्‍य।

मा0    श्री संजय कुमार, सदस्‍य।

 

अपीलार्थी की ओर से विद्वान अधिवक्‍ता  -  श्री टी0एच0 नकवी एवं सै0

                                    सईद अख्‍तर ।

प्रत्‍यर्थी   की ओर से विद्वान अधिवक्‍ता  - श्री नवीन कुमार तिवारी ।

 

दिनांक:     

 

श्री चन्‍द्रभाल श्रीवास्‍तव, सदस्‍य (न्‍यायिक) द्वारा उदघोषित ।

निर्णय

      प्रस्‍तुत अपील, जिला उपभोक्‍ता विवाद प्रतितोष फोरम, प्रथम, आगरा द्वारा परिवाद संख्‍या 469/2007 में पारित प्रश्‍नगत निर्णय एवं  आदेश दिनांक 08.01.2014 के विरूद्ध प्रस्‍तुत की गयी है जिसके द्वारा जिला मंच ने परिवादी के परिवाद को स्‍वीकार करते हुए निम्‍नांकित आदेश पारित किया है :-

      '' परिवादी का परिवाद विरूद्ध विपक्षीगण संयुक्‍त व पृथक रूप से कार की कीमत अंकन 1672174 (सोलह लाख बहत्‍तर हजार एक सौ चौहत्‍तर) मय लाभ 6 प्रतिशत वार्षिक ब्‍याज की दर से परिवाद प्रस्‍तुत करने की तिथि से वास्‍तविक वसूली तक स्‍वीकार किया जाता है। इसके अतिरिक्‍त परिवादी विपक्षीगण से मानसिक कष्‍ट के लिए क्षतिपूर्ति मु0 2000(दो हजार) एवं वाद व्‍यय के रूप में मु0 2000( दो हजार ) भी पाने का अधिकारी है।

संक्षेप में, प्रकरण के आवश्‍यक तथ्‍य इस प्रकार हैं कि दिनांक 12.1.2006 को परिवादी ने विपक्षी संख्‍या-1 से 16,72,174.00 रू0 में कार संख्‍या एच0आर0 17-3506 क्रय की जिसकी दो वर्ष की गारण्‍टी थी।  परिवादी का कहना है कि अप्रैल, 2006 में जब कार मात्र 5639 किलोमीटर चली थी कार के दाहिने तरफ के सामने का टायर फूल गया तथा 6913 किलोमीटर चलने पर दिनांक 08.8.2006 को दूसरा टायर भी फूल गया । दिनांक 28.5.2007 को उक्‍त कार जब मात्र 13000.00 किमी चली थी कार रास्‍ते में खराब हो गयी और उसे खींचकर आगरा लाया गया और दिनांक 26.8.2007 को जब परिवादी कार चला रहा था, कार के सभी इलेक्‍ट्रानिक उपकरण फेल हो गए और तीन घण्‍टे तक परिवादी कार में बंद रहा और विपक्षी संख्‍या-2 का फोन बन्‍द होने के कारण 3 घण्‍टे बाद विपक्षी संख्‍या-3 से सम्‍पर्क हो सका जिसके 01 घण्‍टे बाद मैकेनिक मौके पर आया लेकिन वह भी गाड़ी को स्‍टार्ट नहीं कर सका। उसके बाद कार की बैट्री खराब हो गयी। परिवादी ने कई बार विपक्षीगण को सूचित किया कि टायर व कार में निर्माण संबंधी दोष है लेकिन विपक्षी ने कोई ध्‍यान नही दिया । परिवादी का कहना है कि नई कार लाखों किलोमीटर संतोषजनक तरीके से चलती है लेकिन प्रश्‍नगत कार बिना त्रुटि के 6000 किलोमीटर भी नहीं चली।

जिला फोरम के समक्ष विपक्षी संख्‍या 1 व 3 उपस्थित नहीं हुआ।

      विपक्षी संख्‍या-2 द्वारा लिखित कथन प्रस्‍तुत किया गया है किंतु उक्‍त लिखित कथन अभिलेख पर नहीं लिया गया है। जिला फोरम के समक्ष परिवादी द्वारा अपना साक्ष्‍य प्रस्‍तुत किया गया है जिसके आधार पर प्रश्‍नगत निर्णय एवं आदेश पारित किया गया है, जिससे क्षुब्‍ध  होकर यह अपील संस्थित की गयी है।

अपील के आधारों में यह कहा गया है कि जिला फोरम ने समस्‍त तथ्‍यों का सम्‍यक् विश्‍लेषण नहीं किया है। गाड़ी में केवल टायर का दोष था, संबंधित टायर कम्‍पनी को पक्षकार भी नहीं बनाया गया है, समय-समय पर गाड़ी की शिकायतें दूर की गयी हैं।

हमने उभय पक्ष के विद्वान अधिवक्‍तागण की बहस सुन ली है एवं अभिलेख का ध्‍यानपूर्ण अनुशीलन कर लिया है।

अभिलेख के अनुशीलन से स्‍पष्‍ट है कि परिवादी द्वारा संबंधित कार दिनांक 12.1.2006 को खरीदी गयी थी। अपीलार्थी स्‍कोडा आटो इण्डिया प्रा0लि0 कार की निर्माता कम्‍पनी है। यद्यपि जिला फोरम द्वारा परिवाद सभी विपक्षीगण के विरूद्ध स्‍वीकार किया गया है, किंतु अन्‍य विपक्षीगण द्वारा अपील संस्थित नहीं की गयी है। कार खरीदने के चार माह के भीतर ही  कार के टायर में अनियमित फूलन आ गयी जबकि कार केवल 5639 किमी चली थी । तदुपरांत दिनांक 08.8.2006 को जबकि कार 6913 किमी चली थी, दूसरा टायर फूल गया । दिनांक 28.5.2007 को जब कार मात्र 13 हजार किमी चली थी, रास्‍ते में खराब हो गयी और उसे खिचवाकर आगरा लाया गया । दिनांक 26.8.2007 को कार खरीदने के डेढ़ वर्ष के भीतर ही कार के सभी इलेक्‍ट्रानिक उपकरण फेल हो गये और परिवादी तीन घण्‍टे तक कार में बंद रहा। कार की वैटरी भी बदली गयी तथा टायर फूलना व सिस्‍टम फेल होने की शिकायतें भी की गयी। इन सब दोषों को देखते हुए परिवादी द्वारा कार का आगे प्रयोग नहीं किया गया । कार का तकनीकी परीक्षण भी पी0के0 घोष, चार्टड इन्‍जीनियर द्वारा किया गया। उन्‍होंने अपनी रिपोर्ट दिनांक 28.7.2011 को प्रस्‍तुत की जिसमें कार के टायर का फूलना , बैटरी की खराबी, गियर-बाक्‍स ,ब्रेक-डाउन, दोषपूर्ण ए0सी0 सिस्‍टम इत्‍यादि बिन्‍दुओं पर तकनीकी राय दी गयी है और यह निष्‍कर्ष निकाला है कि गाड़ी का टायर फूलना व सिस्‍टम फेल होना, मुख्‍यत: गाड़ी का निर्माणात्‍मक दोष है। गाड़ी के ब्रेक-डाउन को देखते हुए गाड़ी को सड़क पर चलाना सुरक्षित नहीं है। गाड़ी की इन सब निर्माणात्‍मक दोषों को देखते हुए पुरानी गाड़ी के स्‍थान पर नई गाड़ी दिया जाना अथवा गाड़ी का मूल्‍य अदा किया जाना न्‍यायोचित हो जाता है। अपीलार्थी निर्माता कम्‍पनी द्वारा श्री पी0के0 घोष की तकनीकी रिपोर्ट के खण्‍डन में किसी अन्‍य विशेषज्ञ की राय भी दाखिल नहीं की गयी है। चूंकि गाड़ी वर्ष 2006 में खरीदी गयी थी और जिला फोरम द्वारा निर्णय वर्ष 2014 में पारित किया गया है, ऐसी स्थिति में गाड़ी के पुराने माडल को देखते हुए जिला फोरम ने यह निर्देशित दिया है कि गाड़ी का मूल्‍य 16,72,174.00 रू0 परिवादी को मय 06 प्रतिशत वार्षिक ब्‍याज के साथ वापस कर दिया जाए। जिला फोरम ने मानसिक कष्‍ट के लिए 02 हजार रू0 क्षतिपूर्ति तथा वाद के रूप में 02 हजार रू0 स्‍वीकार किया है, जोकि न्‍यायोचित है।

परिणामत:, हम इस निष्‍कर्ष पर पहुंचते हैं कि जिला फोरम द्वारा पारित प्रश्‍नगत निर्णय एवं आदेश में हस्‍तक्षेप किए जाने का कोई औचित्‍य स्‍थापित नहीं होता है और यह अपील तद्नुसार निरस्‍त किए जाने योग्‍य है।

आदेश

प्रस्‍तुत अपील तद्नुसार निरस्‍त करते हुए जिला उपभोक्‍ता विवाद प्रतितोष फोरम, प्रथम, आगरा द्वारा परिवाद संख्‍या 469/2007 में पारित प्रश्‍नगत निर्णय एवं  आदेश दिनांक 08.01.2014  सम्‍पुष्‍ट किया जाता है।

उभय पक्ष इस अपील का अपना-अपना व्‍यय स्‍वयं वहन करेंगे।

      इस निर्णय की प्रमाणित प्रतिलिपि पक्षकारों को नियमानुसार नि:शुल्‍क उपलब्‍ध करा दी जाए।

 

 

(चन्‍द्र भाल श्रीवास्‍तव)                           (संजय कुमार)

पीठा0 सदस्‍य (न्‍यायिक)                                                         सदस्‍य

      कोर्ट-1

(S.K.Srivastav,PA)

 

 

 

 

 
 
[HON'BLE MR. Chandra Bhal Srivastava]
PRESIDING MEMBER
 
[HON'BLE MR. Sanjay Kumar]
MEMBER

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