(मौखिक)
राज्य उपभोक्ता विवाद प्रतितोष आयोग, उ0प्र0, लखनऊ
अपील संख्या-2192/2010
उत्तर प्रदेश आवास एवं विकास परिषद बनाम श्रीमती सुदेश कुमारी
समक्ष:-
1. माननीय श्री सुशील कुमार, सदस्य।
2. माननीय श्रीमती सुधा उपाध्याय, सदस्य।
दिनांक: 25.10.2024
माननीय श्री सुशील कुमार, सदस्य द्वारा उदघोषित
निर्णय
1. परिवाद संख्या-116/2009, श्रीमती सुदेश कुमारी बनाम सम्पत्ति प्रबंध अधिकारी, उ0प्र0 आवास एवं विकास परिषद में विद्वान जिला आयोग, रामपुर द्वारा पारित निर्णय/आदेश दिनांक 01.9.2010 के विरूद्ध प्रस्तुत की गई अपील पर अपीलार्थी के विद्वान अधिवक्ता श्री मनोज मोहन एवं श्री संजय कुन्तल तथा प्रत्यर्थी के विद्वान अधिवक्ता श्री दीपक मेहरोत्रा को सुना गया तथा प्रश्नगत निर्णय/पत्रावली का अवलोकन किया गया।
2. विद्वान जिला आयोग ने परिवादिनी द्वारा पंजीकरण के लिए जमा की गई राशि अंकन 20,000/-रू0 को 8 प्रतिशत ब्याज के साथ अदा करने के लिए आदेशित किया है साथ ही अंकन 10,000/-रू0 क्षतिपूर्ति के लिए भी आदेशित किया है।
3. परिवाद के तथ्यों के अनुसार परिवादिनी ने दिनांक 12.12.1997 को अंकन 20,000/-रू0 जमा कर एक भवन प्राप्त करने के लिए पंजीकरण कराया था, परन्तु परिवादिनी को कभी कोई भवन आवंटित नहीं किया गया, इसलिए इस राशि की वापसी के लिए आवेदन प्रस्तुत किया गया, परन्तु राशि वापस नहीं की गई। तदनुसार विद्वान जिला आयोग ने उपरोक्त वर्णित निर्णय/आदेश पारित किया गया।
4. इस निर्णय/आदेश के विरूद्ध प्रस्तुत की गई अपील के ज्ञापन तथा मौखिक तर्कों का सार यह है कि विद्वान जिला आयोग ने इस बिन्दु पर विचार नहीं किया कि वाद उ0प्र0 आवास विकास परिषद की धारा 21 से बाधित है। स्वंय परिवादिनी द्वारा औपचारिकताएं पूर्ण नहीं की गईं, इसलिए पंजीकरण राशि वापस नहीं लौटायी गई। रिफण्ड बाऊचर पर हस्ताक्षर प्रमाणित नहीं थे। अपीलार्थी के स्तर से सेवा में कोई कमी नहीं की गई है।
5. प्रस्तुत केस की स्थिति यह है कि स्वंय प्राधिकरण द्वारा परिवादिनी के पक्ष में कोई आवंटन नहीं किया गया, इसलिए जिस योजना के अंतर्गत पंजीकरण कराया गया था यदि परिवादिनी को उस योजना के अंतर्गत भवन आवंटित नहीं किया गया तब समस्त धनराशि वापस लौटायी जानी चाहिए थी। धारा 80 की स्थिति वहां लागू होती है, जब परिवादिनी के पक्ष में आवंटन के बावजूद परिवादिनी द्वारा अपने द्वारा जमा राशि की वापसी की मांग की गई होती तब कार्यालयीन खर्च की कटौती के पश्चात ही धनराशि वापस की जा सकती थी, परन्तु प्रस्तुत केस में यह स्थिति मौजूद नहीं है, इस केस में अपीलार्थी द्वारा कभी भी परिवादिनी को कोई भवन आवंटित नहीं किया गया और न ही परिवादिनी द्वारा जमा राशि वापस लौटायी गयी, इसलिए विद्वान जिला आयोग द्वारा पारित निर्णय/आदेश में हस्तक्षेप का कोई आधार नहीं है। तदनुसार प्रस्तुत अपील निरस्त होने योग्य है।
आदेश
6. प्रस्तुत अपील निरस्त की जाती है।
प्रस्तुत अपील में अपीलार्थी द्वारा यदि कोई धनराशि जमा की गई हो तो उक्त जमा धनराशि अर्जित ब्याज सहित सम्बन्धित जिला उपभोक्ता आयोग को यथाशीघ्र विधि के अनुसार निस्तारण हेतु प्रेषित की जाए।
आशुलिपिक से अपेक्षा की जाती है कि वह इस निर्णय/आदेश को आयोग की वेबसाइट पर नियमानुसार यथाशीघ्र अपलोड कर दे।
(सुधा उपाध्याय) (सुशील कुमार)
सदस्य सदस्य
लक्ष्मन, आशु0, कोर्ट-2