राज्य उपभोक्ता विवाद प्रतितोष आयोग, उ0 प्र0 लखनऊ
अपील संख्या 1550 सन 2013 सुरक्षित
(जिला उपभोक्ता फोरम, लखनऊ के परिवाद संख्या-930/2010 में पारित निर्णय/आदेश दिनांक-14-05-2013 के विरूद्ध)
1-डिवीजनल रेलवे मैनेजर, डिवीजनल आफिस, एन0ई0 रेलवे, अशोक मार्ग, लखनऊ।
2-जनरल मैनेजर, बिजीलेंस, एन0 ई0 रेलवे, गोरखपुर।
3-विशाल सक्सेना,टी.टी. आई. केयर आफ डी.आर.एम. नार्थ इर्स्टन रेलवे, लखनऊ।
4-पी0के0 सरकार, टी.टी.ई. केयर आफ डी.आर.एम.-एन.ई. रेलवे,लखनऊ।
5-राजा राम खाकी वर्दी धारी, डिपूटेड टी.टी.ई. मि0 विशाल सक्सेना।
...अपीलार्थीगण/विपक्षीगण
बनाम
सुरेश कुमार श्रीवास्तव, पुत्र श्री महावीर शाही, निवासी-2/235, विन्रम खण्ड, गोमती नगर, लखनऊ।
.....प्रत्यर्थी/परिवादी
समक्ष:-
1-मा0 श्री अशोक कुमार चौधरी, पीठासीन सदस्य।
2-मा0 श्री संजय कुमार, सदस्य।
अधिवक्ता अपीलार्थी : श्री एम0एच0 खान, विद्वान अधिवक्ता।
अधिवक्ता प्रत्यर्थी : श्री टी0एच0 नकवी, विद्वान अधिवक्ता।
दिनांक: 30-12-2014
मा0 श्री अशोक कुमार चौधरी, पीठासीन न्यायिक सदस्य, द्वारा उदघोषित।
निर्णय
प्रस्तुत अपील अपीलार्थी ने विद्वान जिला मंच, लखनऊ, द्वारा परिवाद संख्या-930/2010 सुरेश कुमार श्रीवास्तव बनाम डी.आर.एम. एन.ई. रेलवे में पारित निर्णय/आदेश दिनांक-14-05-2013 के विरूद्ध प्रस्तुत की है, जिसमें परिवादी का परिवाद विपक्षीगण के विरूद्ध एकल व संयुक्त रूप से निर्णीत किया जाता है और आदेश दिया जाता है कि विपक्षीगण परिवादी को निर्णय से दो माह के भीतर 20,000-00 रूपये बतौर क्षतिपूर्ति अदा करेंगे तथा 200-00 रूपये वाद व्यय भी अदा करेंगे।
(2)
परिवादी द्वारा यह परिवादी विपक्षीगण के विरूद्ध 15,00,000-00रूपये क्षतिपूर्ति व वाद व्यय दिलाये जाने हेतु प्रस्तुत किया गया है।
संक्षेप में केस के तथ्य इस प्रकार है कि परिवादी/प्रत्यर्थी एम0 एस0 टी0 होल्डर है और वह अपने मकान नं0-2/235, विन्रम खण्ड, गोमतीनगर, में रहता है तथा प्रतिदिन लखनऊ से गोण्डा अपनी नौकरी के सिलसिले में जाता है। दिनांक-08-07-2010 को जब वह 6.55 पर प्रात: स्टेशन पहुंचा तो ट्रेन चल चुकी थी, उसे गोण्डा जाना था, इसलिए वह किसी तरह ट्रेन के स्लीपर कोच में चढ़ गया। परिवादी से खांकीधारी वर्दी श्री राजा राम ने एम0एस0टी0 ले ली और गलत ढंग से 1500-00 रूपये की मांग की। परिवादी द्वारा शालीनतापूर्वक व्यवहार करने के बाद भी विपक्षीगण ने उसके ऊपर 350-00 रूपये का जुर्माना लगा दिया।
अपीलार्थीगण/विपक्षीगण की ओर से विद्वान अधिवक्ता श्री एम0एच0 खान, तथा प्रत्यर्थी की ओर से विद्वान अधिवक्ता श्री टी0एच0 नकवी उपस्थित है, उनको सुना गया तथा अभिलेखों का परिशीलन किया गया।
अपीलार्थीगण/विपक्षीगण के विद्वान अधिवक्ता का तर्क है कि प्रश्नगत निर्णय एक पक्षीय पारित किया गया है, जिसमें कि वह अपना पक्ष व साक्ष्य प्रस्तुत नहीं कर सका है। अत: न्याय के हित में यह आवश्यक है कि उसे सुनवाई का अवसर प्रदान किया जाय।
प्रत्यर्थी के विद्वान अधिवक्ता का तर्क है कि विपक्षीगण/अपीलार्थीगण को नोटिस भेजे गये, किन्तु सूचना होने के बावजूद उनकी ओर से कोई उपस्थित नहीं आया और इसलिए उनके विरूद्ध एक तरफा सुनवाई की गई और विद्वान जिला मंच द्वारा उपरोक्त परिस्थितियों में विधि अनुसार निर्णय पारित किया गया है, जिसमें कि हस्तक्षेप किये जाने की आवश्यकता नहीं है।
प्रश्नगत निर्णय के अवलोकन से विदित होता है कि अपीलार्थीगण/विपक्षीगण के विरूद्ध एक पक्षीय निर्णय पारित किया गया है। न्याय के हित में यह आवश्यक है कि अपीलार्थीगण को भी सुनवाई एवं समुचित साक्ष्य प्रस्तुत किये जाने का अवसर प्रदान करते हुए प्रश्नगत
(3)
परिवाद का निर्णय गुणदोष के आधार पर किया जाय। अत: ऐसी परिस्थितियों में अपील स्वीकार किये जाने योग्य है तथा प्रश्नगत एक पक्षीय निर्णय निरस्त किये जाने योग्य है।
आदेश
अपीलकर्तागण की अपील स्वीकार की जाती है। विद्वान जिला मंच लखनऊ, द्वारा परिवाद संख्या-930/2010 सुरेश कुमार श्रीवास्तव बनाम डी.आर.एम. एन.ई. रेलवे में पारित निर्णय/आदेश दिनांक-14-05-2013 को निरस्त किया जाता है। विद्वान जिला मंच को आदेशित किया जाता है कि उभय पक्ष को समुचित साक्ष्य एवं सुनवाई का अवसर प्रदान करते हुए परिवाद का निस्तारण गुणदोष के आधार पर यथाशीघ्र करना सुनिश्चित करें।
उभय पक्ष अपना-अपना अपील व्यय स्वयं वहन करेगें।
उभयपक्ष को इस निर्णय की प्रति नियमानुसार नि:शुल्क उपलब्ध करायी जाय।
( अशोक कुमार चौधरी ) (संजय कुमार )
पीठासीन सदस्य सदस्य
आर0सी0वर्मा, आशु. ग्रेड-2
कोर्ट नं0-3