Uttar Pradesh

StateCommission

A/350/2020

Jubillant Food Works Ltd - Complainant(s)

Versus

Suresh Chandra Sharma - Opp.Party(s)

Mujeeb Effendi, Satish Chandra Srivastava

14 Sep 2022

ORDER

STATE CONSUMER DISPUTES REDRESSAL COMMISSION, UP
C-1 Vikrant Khand 1 (Near Shaheed Path), Gomti Nagar Lucknow-226010
 
First Appeal No. A/350/2020
( Date of Filing : 12 Oct 2020 )
(Arisen out of Order Dated 20/08/2020 in Case No. C/2019/353 of District Bareilly-II)
 
1. Jubillant Food Works Ltd
Regd. Office Plot No.-A A Sector 16-A Noda 201301
...........Appellant(s)
Versus
1. Suresh Chandra Sharma
S/O Sri Puran Chandra Sharma R/O House No. 239 RohliTola Near Pothiram mandir Purana Shahar Bareilly
...........Respondent(s)
 
BEFORE: 
 HON'BLE MR. JUSTICE ASHOK KUMAR PRESIDENT
 HON'BLE MR. SUSHIL KUMAR JUDICIAL MEMBER
 
PRESENT:
 
Dated : 14 Sep 2022
Final Order / Judgement

राज्‍य उपभोक्‍ता विवाद प्रतितोष आयोग, उ0प्र0, लखनऊ

अपील संख्‍या-350/2020

(सुरक्षित)

(जिला उपभोक्‍ता आयोग-द्वितीय, बरेली द्वारा परिवाद संख्‍या 353/2019 में पारित आदेश दिनांक 20.08.2020 के विरूद्ध)

1. जुबिलैन्‍ट फूड वर्क्‍स लि0, पंजीकृत कार्यालय- प्‍लाट नं0-1ए, सेक्‍टर 16-ए, नोएडा-201301

2. डोमिनोज पिज्‍जा इन्डिया, 54, सिविल लाइन्‍स, अयूब खां चौराहा, बरेली                   

                     ........................अपीलार्थीगण/विपक्षीगण

बनाम

सुरेश चन्‍द्र शर्मा पुत्र श्री पूरन चन्‍द्र शर्मा, निवासी- मकान नं0-239, रोहली टोला, निकट पोथीराम मन्दिर, पुराना शहर, बरेली

                              .....................प्रत्‍यर्थी/परिवादी

समक्ष:-

1. माननीय न्‍यायमूर्ति श्री अशोक कुमार, अध्‍यक्ष।

2. माननीय श्री सुशील कुमार, सदस्‍य। 

अपीलार्थीगण की ओर से उपस्थित : श्री मुजीब एफेण्‍डी के सहयोगी                    

                               श्री सतीश चन्‍द्र श्रीवास्‍तव,

                               विद्वान अधिवक्‍ता।

प्रत्‍यर्थी की ओर से उपस्थित : कोई नहीं।

दिनांक: 22.09.2022

माननीय न्‍यायमूर्ति श्री अशोक कुमार, अध्‍यक्ष द्वारा उदघोषित

निर्णय

     प्रस्‍तुत अपील अपीलार्थीगण जुबिलैन्‍ट फूड वर्क्‍स लि0 व  एक अन्‍य द्वारा इस न्‍यायालय के सम्‍मुख जिला उपभोक्‍ता आयोग-द्वितीय, बरेली द्वारा परिवाद संख्‍या-353/2019 सुरेश चन्‍द्र शर्मा बनाम डोमिनोज पिज्‍जा इन्डिया व एक अन्‍य में पारित निर्णय एवं आदेश दिनांक 20.08.2020 के विरूद्ध योजित की गयी है।

प्रश्‍नगत निर्णय और आदेश के द्वारा जिला उपभोक्‍ता आयोग द्वारा उपरोक्‍त परिवाद स्‍वीकार करते हुए निम्‍न आदेश पारित किया गया:-

''परिवाद इस प्रकार स्‍वीकार किया जाता है किपरिवादी प्रतिपक्षीगण से

 

 

-2-

कैरी बैग का मूल्‍य रू.11/-(ग्‍यारह) प्राप्‍त करने का अधिकारी है। सेवा में कमी व अनुचित व्‍यापार प्रथा अपनाने हेतु परिवादी प्रतिपक्षीगण से रू. 1,000/-(एक हजार) प्राप्‍त करने के अधिकारी है।  उपरोक्‍त धनराशियों का भुगतान दो माह के अंतर्गत न होने पर परिवादी प्रतिपक्षीगण से परिवाद योजित किए जाने की तिथि से उनके भुगतान तक उन पर 7प्रतिशत वार्षिक साधारण ब्‍याज प्राप्‍त करने का अधिकारी होगा। वाद व्‍यय के रूप में परिवादी प्रतिपक्षीगण से रू. 2,000/-(दो हजार) प्राप्‍त करने का अधिकारी है।''

हमारे द्वारा अपीलार्थीगण की ओर से उपस्थित विद्वान अधिवक्‍ता को सुना तथा आक्षेपित निर्णय एवं आदेश तथा पत्रावली पर उपलब्‍ध समस्‍त प्रपत्रों का अवलोकन किया। प्रत्‍यर्थी की ओर से कोई उपस्थित नहीं है।

     संक्षेप में वाद के तथ्‍य इस प्रकार हैं कि परिवादी द्वारा विपक्षी संख्‍या-1 के स्‍टोर से दिनांक 15.09.2019 को 2 मीडियम कॉर्न एण्‍ड चीज पिज्‍जा बिल धनराशि 430/-रू0 में क्रय किया, जिसके सम्‍बन्‍ध में विपक्षी संख्‍या-1 द्वारा बिल निर्गत किया गया। उक्‍त बिल के अवलोकन से परिवादी को ज्ञात हुआ कि पिज्‍जा मूल्‍य के साथ-साथ परिवादी से कैरी बैग हेतु रू. 11.42 भी लिये गये हैं।

     परिवादी का कथन है कि विपक्षी संख्‍या-1 द्वारा उक्‍त कैरी बैग मुफ्त प्रदान किया जाना चाहिए था क्‍योंकि कैरी बैग में कम्‍पनी का विज्ञापन होता है। परिवादी द्वारा विपक्षी संख्‍या-1 से कैरी बैग हेतु लिये गये अतिरिक्‍त मूल्‍य को वापस करने हेतु कहा गया, जिस पर विपक्षी संख्‍या-1 द्वारा यह कहते हुए इंकार कर दिया गया कि प्रत्‍येक उपभोक्‍ता से कैरी बैग का मूल्‍य लिया जाता है क्‍योंकि कैरी बैग कागज का बना है तथा बिक्रीत वस्‍तु के मूल्‍य में सम्मिलित नहीं होता है, इसलिए कैरी बैग के भुगतान का दायित्‍व उपभोक्‍ता पर है।

     परिवादी का कथन है कि परिवादी द्वारा उपरोक्‍त सम्‍बन्‍ध में विपक्षी संख्‍या-1 के स्‍टोर मैनेजर से शिकायत की गयी तथा विपक्षी संख्‍या-2 को ई-मेल से शिकायत की गयी, परन्‍तु विपक्षीगण  द्वारा

 

 

-3-

कोई कार्यवाही नहीं की गयी। इस प्रकार विपक्षीगण द्वारा सेवा में कमी की गयी, जिससे क्षुब्‍ध होकर परिवादी द्वारा विपक्षीगण के विरूद्ध जिला उपभोक्‍ता आयोग के सम्‍मुख परिवाद योजित करते हुए वांछित अनुतोष की मांग की गयी।

     जिला उपभोक्‍ता आयोग के सम्‍मुख विपक्षीगण की ओर से प्रतिवाद पत्र प्रस्‍तुत किया गया, जिसमें मुख्‍य रूप से कहा गया कि सभी ले जाए जाने वाले आहारों पर यह स्‍पष्‍ट रूप से अंकित है कि कैरी बैग पर अतिरिक्‍त भुगतान लिया जायेगा तथा यह कि परिवादी को पिज्‍जा कार्ड बोर्ड बॉक्‍स कनटेनर में दिया गया था, जो छलकन रोधी है, अत: उपभोक्‍ता को कैरी बैग दिया जाना आवश्‍यक नहीं था।

     विपक्षीगण का कथन है कि परिवादी द्वारा स्‍टोर मैनेजर पर दुर्व्‍यवहार करने का जो आरोप लगाया गया, वह बिल्‍कुल मिथ्‍या एवं मनगढ़न्‍त है तथा यह कि परिवादी द्वारा ई-मेल में उक्‍त आरोप नहीं लगाया गया। परिवाद खण्डित होने योग्‍य है।

जिला उपभोक्‍ता आयोग द्वारा उभय पक्ष के अभिकथन एवं उपलब्‍ध साक्ष्‍यों/प्रपत्रों पर विचार करने के उपरान्‍त बिन्‍दुवार सभी तथ्‍यों की विवेचना करते हुए अपने निर्णय में यह पाया गया कि विपक्षीगण द्वारा परिवादी से कैरी बैग का मूल्‍य रू. 11.42 लेकर अनुचित व्‍यापार प्रथा को अपनाया गया है तथा सेवा में कमी कारित की गयी है। तद्नुसार विद्वान जिला उपभोक्‍ता आयोग द्वारा प्रश्‍नगत आदेश दिनांक 20.08.2020 पारित किया                 गया।

प्रस्‍तुत अपील के तथ्‍यों से परे यदि वर्तमान समय के अनुरूप क्रेता द्वारा जो भी वस्‍तु विक्रेता संस्‍थान/प्रतिष्‍ठान से क्रय की जाती है एवं जो वस्‍तु विक्रेता के प्रतिष्‍ठान से क्रेता द्वारा गन्‍तव्‍य हेतु ले जायी जाती है, उस हेतु निश्चित रूप से क्रय की गयी वस्‍तु यदि विक्रय स्‍थल से गन्‍तव्‍य तक ले जाने हेतु किसी प्रकार के कैरी

बैग अथवा पैकिंग बैग के साथ ले जायी जाती है,  उस  हेतु  यदि

 

 

-4-

विक्रेता द्वारा उपरोक्‍त कैरी बैग हेतु कोई धनराशि वस्‍तु के मूल्‍य के साथ जारी बिल में अंकित की जाकर अथवा अन्‍यथा क्रेता से वसूली जाती है तो वह हमारे विचार से अविधिक एवं अनुचित है।

उदाहरण के लिए यदि कोई भी खाद्य पदार्थ किसी पैकेट अथवा डिब्‍बे में पैक कर विक्रय किया जाता है तब उस विक्रीत वस्‍तु के पैकेट पर उल्लिखित अधिकतम धनराशि के अलावा ली गयी धनराशि चाहे वह किसी भी रूप में विक्रेता द्वारा ली जाती है, जो कि वस्‍तु के पैकेट में उल्लिखित नहीं है, अविधिक मानी जायेगी अर्थात् वस्‍तु के मूल्‍य के साथ उल्लिखित टैक्‍स, सेस इत्‍यादि-इत्‍यादि के पश्‍चात् अधिकतम अंकित धनराशि से ज्‍यादा की धनराशि का बिल जारी किया जाना विधि अनुसार व्‍यापारिक प्रक्रिया के विरूद्ध है।

वस्‍तुत: यह तथ्‍य निर्विवादित है कि छोटे अथवा मझले स्‍तर के दुकानदार, छोटे काश्‍तकार, जो स्‍वयं वस्‍तुओं का उत्‍पादन अथवा विक्रय करते हैं एवं रोजमर्रा की वस्‍तुओं को विक्रय करने वाले ग्रॉसरी से सम्‍बन्धित विक्रेता अथवा दुकानदार वस्‍तुओं को उपयुक्‍त पैकिंग मैटेरियल अथवा कैरी बैग में रखकर क्रेता को प्रतिष्‍ठान अथवा दुकान से क्रेता को अपने गन्‍तव्‍य तक ले जाने हेतु सुविधा देते हैं, जो वास्‍तव में आवश्‍यक होती है अन्‍यथा क्रय की गयी वस्‍तुओं को क्रेता को ले जाने में न सिर्फ असुविधा हो वरन् वस्‍तुओं की क्षति भी सम्‍भव है, परन्‍तु यह व्‍यवस्‍था मुख्‍य रूप से वर्तमान में बड़े-बड़े प्रतिष्‍ठान एवं स्‍टोर्स, जो बड़े-बड़े मॉल अथवा                    स्‍वयं द्वारा चलाये जा रहे हैं, में प्रदान नहीं की जाती है, जो वास्‍तव में न सिर्फ अनुचित है वरन् अव्‍यवहारिक भी है।

प्‍लास्टिक के निर्मित कैरी बैग का प्रचलन राज्‍य सरकार अथवा केन्‍द्र सरकार द्वारा आदेश जारी करते हुए बन्‍द किया जा चुका है, परन्‍तु प्रशासनिक लापरवाही अथवा इच्‍छाशक्ति के न होने के कारण न सिर्फ उत्‍तर प्रदेश वरन् लगभग सम्‍पूर्ण भारतवर्ष में (कुछ राज्‍यों को छोड़कर) उपरोक्‍त  प्‍लास्टिक  के  कैरी  बैग  का

 

 

-5-

प्रयोग निरवरत रूप से जारी है, जिनका प्रयोग करने के उपरान्‍त दुरूपयोग ज्‍यादा देखने को मिलता है। यह भी तथ्‍य निर्विवादित रूप से पाया जाता है कि उपरोक्‍त प्‍लास्टिक के कैरी बैग को डस्‍टबीन अथवा विभिन्‍न कूड़ा स्‍थलों पर फेंक दिया जाता है, जिनको आवारा पशुओं द्वारा खाया जाता है, जिससे न सिर्फ आवारा पशु बीमार होते हैं वरन् प्रदूषण का खतरा भी उत्‍पन्‍न होता है, अतएव प्रशासनिक स्‍तर पर उपरोक्‍त परिस्थितियों को यथासम्‍भव शीघ्र अति शीघ्र समाप्‍त किया जाना अपेक्षित है। प्रतिबन्धित कैरी बैग का प्रयोग शीघ्र शत प्रतिशत रूप से वर्जित हो, जिस हेतु शासन-प्रशासन से यथासम्‍भव कार्यवाही अपेक्षित है, तद्नुसार आदेश पारित किया जाता है।

वास्‍तव में दो-तीन दशक पूर्व हर व्‍यक्ति/क्रेता अपने साथ स्‍वयं कैरी बैग, जिसे कि बोल-चाल की भाषा में बैग अथवा झोला/थैला सम्‍बोधित/उच्चारित किया जाता था, को अपने साथ लेकर बाजार में खरीददारी हेतु जाया जाता था, जो पुरानी प्रक्रिया वर्तमान परिस्थितियों में लगभग समाप्‍तप्राय है, अतएव परिस्थितियोंवश अथवा नवीन सोच के कारण लगभग सभी व्‍यक्ति/क्रेता बाजार में खरीददारी हेतु बड़े-‍बड़े डिपार्टमेन्‍टल स्‍टोर, फल विक्रेताओं के प्रतिष्‍ठान, सब्‍जी विक्रेताओं के प्रतिष्‍ठान  इत्‍यादि-इत्‍यादि में जाकर वस्‍तु क्रय करते हैं, जिस हेतु वस्‍तु को प्रतिष्‍ठान से गन्‍तव्‍य तक ले जाने के लिए कैरी बैग की आवश्‍यकता होती है, जिस हेतु किसी प्रकार का अन्‍य शुल्‍क/धनराशि बिल में अंकित करते हुए धनराशि मांगा जाना अनुचित है।

पुन: उदाहरणार्थ यदि कोई व्‍यक्ति/क्रेता सीमेन्‍ट की खरीददारी करता है तो सीमेन्‍ट की बोरी/बैग का मूल्‍य विक्रेता द्वारा अलग से प्राप्‍त नहीं किया जाता है। तद्नुसार हम विक्रेताओं द्वारा बिल में वसूले गये कैरी बैग से सम्‍बन्धित धन को मांगने को अनुचित ठहराते हैं तथा आदेश पारित करते हैं कि कैरी बैग अथवा बैग,  जो  

 

 

-6-

वस्‍तु के विक्रेता के प्रतिष्‍ठान से गन्‍तव्‍य तक ले जाने हेतु आवश्‍यक है, की अलग से धनराशि वसूल किया जाना अविधिक एवं अवैधानिक है।

सम्‍पूर्ण तथ्‍यों एवं परिस्थितियों पर विचार करते हुए तथा पत्रावली पर उपलब्‍ध प्रपत्रों एवं जिला उपभोक्‍ता आयोग द्वारा पारित निर्णय एवं आदेश का परिशीलन व परीक्षण करने के उपरान्‍त हम इस मत के हैं कि विद्वान जिला उपभोक्‍ता आयोग  द्वारा समस्‍त तथ्‍यों का सम्‍यक अवलोकन/परिशीलन व परीक्षण करने के उपरान्‍त विधि अनुसार निर्णय पारित किया गया, जिसमें हस्‍तक्षेप हेतु उचित आधार नहीं हैं।

तद्नुसार प्रस्‍तुत अपील निरस्‍त की जाती है।

अपीलार्थीगण द्वारा प्रस्‍तुत अपील में जमा धनराशि             1506/-रू0 अर्जित ब्‍याज सहित जिला उपभोक्‍ता आयोग-द्वितीय, बरेली को 01 माह में विधि के अनुसार निस्‍तारण हेतु प्रेषित की जाए।

आशुलिपि‍क से अपेक्षा की जाती है कि‍ वह इस निर्णय/आदेश को आयोग की वेबसाइट पर नियमानुसार यथाशीघ्र अपलोड कर दें।

 

 

      (न्‍यायमूर्ति अशोक कुमार)                (सुशील कुमार)       

              अध्‍यक्ष                         सदस्‍य   

जितेन्‍द्र आशु0

कोर्ट नं0-1

 
 
[HON'BLE MR. JUSTICE ASHOK KUMAR]
PRESIDENT
 
 
[HON'BLE MR. SUSHIL KUMAR]
JUDICIAL MEMBER
 

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